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रविवार, 11 अगस्त 2019

बाडमेर निशुल्क दवा योजना की दवाइयां मरीजों को नही देते,एक्सपायर होने पर लाखों की दवाइयां सड़क किनारे फेंकी।*

बाडमेर निशुल्क दवा योजना की दवाइयां मरीजों को नही देते,एक्सपायर होने पर लाखों की दवाइयां सड़क किनारे फेंकी।*

*फेंकी दवाईयों ने महंगे इंजेक्शन और वैक्सीन भी शामिल*

*बाडमेर खुले में  दवाईयां फेंक किसी अनहोनी को दिया न्योता,जबकि इसे निस्तारित किया जाना चाहिए था*



*BNT खास खबर*

बाडमेर जिले के ग्रामीण अस्पतालों में मरीजों को निशुल्क दवा योजना में दी जाने वाली दवाईयों का क्या हश्र होता है यह धोरीमना उपखंड क्षेत्र के मीठड़ा खुर्द ओरण की सरहद पर देर रात डाली गई एक्सपायर इंजेक्शन,टेबलेट,दवाईया बयान कर रही है।।मरीजों को निशुल्क दवाईयां देने में चिकित्सा अद्धिकारियो से लेकर स्टाफ तक कोताही बरतते है क्योंकि निशुल्क दवा देने से उनकी दुकानदारी उठ जाती है।इसी दुकानदारी को जारी रखने के लिए बाहर की दवाइयां लिखते है।निशुल्क दवा योजना की लाखों रुपयों की दवाइयां अवधिपार हो जाती है।फिर ये स्टाफ अपना भरष्ट आचरण छुपाने के लिए गांवो की सरहद पर बिना सोचे समझे डाल लोगो का और जानवरों का जीवन संख्त मे डाल देते है।अवधिपार दवाईयों का बिधिवत निस्तारण करने के आदेश होने के बावजूद सड़को पर लाखों की दवाइयां बिखरी मिलती है।विभाग कोई कार्यवाही नही करता।आखिर क्यों।।ये दवाईयां किसने और क्यों फेंकी यह न केवल जांच का विषय है बल्कि ऐसे लोगो की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही अमल में लानी चाहिए।निजी प्रैक्टिस के चक्कर मे सरकार की महत्वकांक्षी योजना को पलीता लगा रहे है।।धोरीमन्ना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की यह दवाईयां बताई जा रही है।।मुख्य चिकित्सा अधिकारी के लिए यह जांच का विषय है। तथा समय रहते चिकित्सा विभाग ने अवधिपार दवाईयां नष्ट नही की तो जानवरों के लिए हो सकती है जानलेवा,मीठङा खुर्द से आधा किलोमीटर दूर साता सङक मार्ग किनारे बङी मात्रा मे बिखरी पड़ी है दवाईया। आखिर यह दवाइयां आई कहां से।

*बाडमेर मरीज से मंगवाया बाजार से इंजेक्शन,इंजेक्शन रखे अपने थैले में मरीज को पानी के इंजेक्शन लगवा दिए*

*बाडमेर इंसानियत भी शर्मा गई,स्वास्थ्य कार्यकार्रता को हरकत से*

*बाडमेर मरीज से मंगवाया बाजार से इंजेक्शन,इंजेक्शन रखे अपने थैले में मरीज को पानी के इंजेक्शन लगवा दिए*


बाडमेर ये मामला चिकित्सा बिभाग के बायतु खण्ड का है।बायतु अस्पताल में कार्यराय मेल नर्स भगगराम साऊ ने आज इंसानियत को शर्मसार करने के साथ पवित्र पेशे को भी कलंकित कर दिया।।कहाँ तो सरकार निशुल्क दवा योजना के ढिंढोरे पिट रही है। अस्पतालों में दवा नहीं।मरीज बाजार से लाये तो मरीज की जिन्दगि के साथ खिलवाड़ कर पानी का इंजेक्शन लगा।दवा अपने पास रखने का सनसनी खेज और शर्मसार करने का मामला सामने आया।।बायतु अस्पताल में एक मरीज अपने पुत्र को चेक कराने  आया।मरीज को दवा लिख बाहर से लाने को कहा।मरीज के परिजन दुकान से साढ़े सात सौ कीमत के इंजेक्शन ले आया।।इंजेक्शन लगाने अस्पताल गया।जंहा मेल नर्स भगगराम ने मरीज की जिन्दगि से खिलवाड़ करते हुए इंजेक्शन अपने थैले में रख मरीज को पानी से भरे इंजेक्शन लगा दिए।इस पूरी घटना का कोई भला मानस वीडियो बना रहा था।।प्रत्यक्षदर्शी ने यह देखा तो उसने प्रतिरोध किया।भगगराम झूठ बोलता रहा मगर प्रत्यक्षदर्शी नेउसके थैले से इंजेक्शन बरामद कर दिए।आआश्चर्यजनक बात है कि अधिकारी ने कोई कार्यवाही करने की बजाय मरीज के परिजनों से अपने पक्ष में लिखवा दिया।।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जिला कलेक्टर को इस मामले में प्रसंज्ञान लेना चाहिए।।

शनिवार, 20 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी भाग 5 निशुल्क दवा योजना में स्टोरकीपर द्वारा की खरीद की जांच ठन्डे बस्ते में क्यों ?



बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी भाग 5


निशुल्क दवा योजना में स्टोरकीपर द्वारा की खरीद की जांच ठन्डे बस्ते में क्यों ?


बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर में भरस्टाचार की जड़े गहरी होती जा रही हे। आठ माह पूर्व निःशुल्क दवा योजना में विभाग के स्टोरकीपर द्वारा दवा खरीद में की गयी अनियमितताओं के मामले की जांच के आदेश तत्कालीन प्रबंध निदेशक ,आर एम एस सी एवं पदेन संयुक्त शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग विभाग डॉ समित शर्मा ने स्थानीय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए थे मगर अधिकारी ने राजनितिक दबाव के चलते जांच को ठन्डे बस्ते में डाल दिया।


निशुल्क दवा योजना के जिला परियोजना समन्वयक डॉ बी एस गहलोत ने प्रबंध निदेशक जयपुर को अधिकृत पत्र क्रमांक ddw /2013 /307 दिनांक 19 /11 /2013 को लिख सनसनी खेज खुलासा करते हुए बताया की की जिला अौषध भंडार में कुछ दवाईयां की भंडार में पूर्ण और अधिकता में उपलब्धता के बावजूद स्थानीय कार्यालय द्वारा स्थानीय स्तर पर क्रय कर चिकित्सा संस्थानों को उनकी जानकारी के बिना भिजवा दी जिसके कारन चिकित्सा संस्थान दवाईयो की मांग नहीं कर रहे जिसके चलते भंडार में में उपलब्ध दवाईया अवधि पार हो रही हे। ऐसी दवाईया बड़ी मात्रा में उपलब्ध हे ,उन्होंने स्पष्ट लिखा की इस अनियमित खरीद में मुख्य चिकित्सा विभाग के स्टोरकीपर द्वारा सारे नियम ताक में रख खरीद की गयी हे।


परियोजना समन्वयक ने लिखा था की उनके द्वारा चिकित्सा संस्थानों में किये निरिक्षण से इस अनियमित खरीद का खुलासा हुआउङ्के द्वारा सिनधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरिक्षण करने पर उन्हें वहा dompreridone 10mg diclofine gel nifedipine और cotrimoxazole मिली जो औषध भंडार से नहीं भेजी गयी। यह दवाईया भंडार में उपलब्ध होने के बावजूद बाज़ार से क्रय की गयी थी। उन्होंने निदेशक से पुरे मामले की जांच के लिए लिखा था। जिस पर तत्कालीन प्रबंध निदेशक समित शर्मा में अपने पत्र क्रमांक 6303/21/11/2013 के तहत विभागीय अधिकारियो को लिखा की यह मामला बहुत गंभीर हे। इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बाड़मेर से लेकर तत्काल कार्यवाही करे।

प्रबंध निदेशक के आदेश के बावजूद स्टोरकीपर के खिलाफ ना कोई जांच हुई न ही कार्यवाही। इससे विभाग में फेली भरष्टाचार पर उंगली उठाना स्वाभाविक हें।

प्रश्न यह उठता हे की औषध भंडार में दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्टोरकीपर ने जिला परिजोयाजना समन्वयक को अँधेरे में रख लाखो रुपयों की दवाईयों की खरीद खुले बाज़ार से क्यों की ।इनके उपलब्ध दवाइयां खरीदने से भंडार में उपलब्ध दवाईयों की मांग ना आने से लाखो रुपयों की दवाईया अवधिपार हो गयी। जिसके जिम्मेदार कौन हे। स्वास्थ्य विभाग की अंधेरगर्दी का यह आलम हे की विभाग में क्या कुछ हो रहा हे उसकी जानकारी तक चिकित्सा अधिकारी को नहीं हे।

स्वास्थ्य विभाग में घोटाले दर घोटाले हो रहे हें ।खुद विभाग जे अधिकारी हैरान हे की उनके द्वारा राज्य सरकार को लिखे जाने के बाद भी कार्यवाही नहीं होती।