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मंगलवार, 22 मार्च 2011

जल माफिया बेचते हेैं करोड़ों का अवैध पानीे






जल माफिया बेचते हेैं करोड़ों का अवैध पानीे


बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर मे जिले में पेयजल की भारी किल्लत के कारण थारवासी जहॉ पलायन को मजबूर हो रहे हैं,वहींजिले क ेजल माफिया प्रति वशर करोड़ो रुपयों का अवैध पानी बेच कर चान्दी काट रहे हैं।स्थानिय वासियों को पानी पीने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही हैं।पानी की एकएक बून्द के लिए मोहताज थार वासियों ने सपने में भी नहीे सोचा था कि उन्हे पीने के पानी की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।


रेगिस्तान में पानी का करोड़ो का कारोबार अविश्वसनीय जरुर लगता है,किन्तु सत्य हैं।पिश्चमी राजस्थान के बाड़मेर मे जिले म ेंपेयजल संकट से जूझते आमजन के लिए पीने का पानी जॅहा एक बड़ा संकट हैं वहीं इन जल माफियों के लिए आमदनी का जरिया बना हुआ हैं।एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि सभी गांवों में पानी पहुॅचाया जा रहा है।जबकि हकीकत में गा्रमिणों को पेयजल की भारी कीमत चुकानी पड़ रही हैं।गांवों में पेयजल योजनाऐं ठप्प पड़ी हैं।टृैक्टर के पहियों पर पानी के करोड़ो रुपयों के अवैध कारोबार का धन्धा सरकारी कर्मचारीयों की महरबानी से निर्बाध चल रहा हैं।जिले का कोई गांवाणी ऐसी नहीं हैं जहॉ गा्रमीणों को पानी खरीदना नहीं पड़ता हो। 



लगातार छः सालो से पड़ रहे अकाल ने को में खाज का काम किया है।मानसून मेहरबान होता है तो साल के चार महिनेों में पानी के लिए मारामारी खत्म हो जाती हैं।मगर ोश आठ माह में पेयजल संकट से ग्रस्त गांवों में रहने वाले लोगो को पानी खरीद कर ही पीना पड़ता हैं।इस बार बरसात के अभाव में निरन्तर पेयजल संकट रहा हैंसर्दी के मौसम में भी टृेक्टर से पानी विपणन का कार्य चरम पर हैं।अमुमन गर्मियों में एक टेंकर पानी की करमत चार सौ रुपयें होती है,इस बार सर्दियों में भी एक टृेक्टर पानी की कीमत 550600 रुपये हैं।जल माफिया इतने दुःसाहसी हैकिअपने व्यवसाय में तेजी लाने के लिए सरकारी कारिन्दों से मिली भगत कर सरकारी योजनाओं को ठप्प करवा देते हैं। 


, ऐसे में गा्रमिणों को मजबूरी वश मुहॅमांगी कीमतों पर पेयजल टेंकर मंगवाने पड़ते हैं।माफिया स्थानिय कर्मचारियों केसाथ मिलकर तकनीकि गड़बड़ीयॉ कराते हैं किजल विभाग के आला अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते।ऐसा ही एक माजरा नया मलवा में सामने आया।इस गांव की पाईप लाईन पिछले छः माह से बाधित हैं।गा्रमिण लम्बे समय से जिला कलक्टर,विधायक तथा अधिशासी अभियंता तक को कई र्मतबा शिकायतें करने के उपरांत पाईप लाईन दुरुस्त नही हो पाई।गा्रमिण आज भी 600 रुपये देकर पानी के टेंकर मंगवा रहे हैं।पाक सीमा से सटे सैकड़ों गांवों में इस तरह पाईप लाइ्रनें बाधित पड़ी हैं।गांवों में पेयजल संकट के कारण गा्रमिणों की हालात खराब हैं।गा्रमिणों को पानी के उपभोग में कंजुसी करने के बावजूद भी सामान्यतः पांचछः सदस्यों एवं एकदो पशु रखने वाले वाले परिवार को प्रति माह एक टेंकर खरीदना ही पड़ता हैं। 


पीरे का पार गांव निवासी श्रीमति ाहदाद ने बताया कि बरसात के समय टांकों में तीनचार माह का पानी आ जाता हैं।जिसके चलते पेयजल संकट से कुछ राहत मिलती हैं।मगर इस बार बरसात के अभाव में टांके सूखे पड़े हैं।भेड़ पालन का काम होने के कारण एक माह में लगभग तीन टेंकर पानी डलवाना ही पड़ता हैं।एक टेंकर पानी की कीमत 550600 रुपये अदा करनी पड़ती हैंसाल भर मे लगभग तीस हजार रुपये का पानी खरीदना पड़ता हैं।जिले में सतही पारम्परिक जल स्त्रोतों जैसे तालाब,बेरी,कुऐं,टाकों से उपलब्ध होता है।ैंइन स्त्रातों में बरसात का पानी संग्रर्हण कर रखा जाता है।ैंभूजल के रुप में कुछ स्थानों पर कुॅओं,टयूबवेलों से पीने का पानी गुणवतायुक्त उपलब्ध होता हैं।पीने योग्य भूजल वाले क्षैत्रों में अधिकतर किसानों के निजी टयूबवेल तथा कुऐं हैं। 


किसान इस पानी का उपयोग कृशि सिंचाई के अतिरिक्त टेृक्टरटेंकर वालों को विक्रय करते है ।ंकिसान एक टेंकरटेक्टर की भराई कीमत 100150 रुपयें में करवाते हैं।इस प्रकार निजी टयूबवेल व कुओं के मालिक भूजल दोहन कर लाखों रुपये की कमाई करते है।वहीं टृेक्अरटेंकर मालिक उसी पानी को गांवों तक परिवहन कर 350700 रुपयें तक वसुलते हैं।जल माफिया आर्थिक,सामाजिक, एवं राजनीति रुप में इतने प्रभावी हैं कि इन्हें सार्वजनिक पेयजल स्त्रोतों से टेंकर भरने से रोकने का साहस कोई नहीं कर पाता।जिले में लगभग पन्द्रह हजार टेंकर हैं।



बाड़मेर जिले में विभिन्न सरकारी योजनाओं में लगभग आठ लाख टांके बने हुए हैं इसके बावजूद पेयजल संकट यथावत हैं।जिला परिशद सदस्य रिड़मलसिंह दांता के अनुसार जन स्वास्थ्य विभाग को पेयजल योजनाओ पर खर्चा बन्द कर देना चाहिये।जिले में अरबों रुपये इन पेयजल योजनाओं पर व्यय किए गए हैं।मगर आहतों को आज तक राहत नहीं मिल पाइ्रंउनके अनुसार पेयजल आपूर्ति का कार्य ठेके पर दे देना चाहिये।गा्रमीणों को पानी खरीद कर ही पीना हैं,तो विभाग पर अनावश्यक खर्चा क्यों। 


जिला कलेक्टर  ने बताया कि जिले में पेयजल सरंक्षण के विोश उपाय किऐ जा रहे है।मनरेगा योजना में लगभग 50 हजार आंकों का निर्माण कराया जाकर जल सरंक्षण के बेहतरीन प्रयास किऐं गये हैं।साथ ही परमपरागत पेयजल सत्रोतों के जीर्णोद्घार तथा मरम्मत के लिऐं बउी संख्या में सवीकृतिया। जारी की गई हैंजल माफियों के खिलाफ कडे कदम उठाऐं जा रहे हैं।