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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

प्यार के लिए मिटे और हमेशा के लिए हो गए 'अमर' पृथ्वीराज चौहान संयोगिता

प्रेम कहानी पृथ्वीराज चौहान संयोगिता

पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी के साथ उनकी प्रेम कहानी भी काफी चर्चित है. वह कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता से बहुत प्रेम करते थे. दोनों का प्रेम परवान चढ़ रहा था लेकिन संयोगिता के पिता कन्नौज के महाराज जयचंद्र की पृथ्वीराज से दुश्मनी थी.
पृथ्वीराज संयोगिता
जयचंद्र ने संयोगिता के स्वयंवर में पृथ्वीराज को नहीं बुलाया, उल्टा उन्हें अपमानित करने के लिए उनका पुतला दरबान के रूप में दरवाजे पर रखवा दिया. लेकिन पृथ्वीराज बेधड़क स्वयंवर में आए और सबके सामने राजकुमारी को अगवा कर ले गए. राजधानी पहुंचकर दोनों ने शादी कर ली.

कहते हैं कि इसी अपमान का बदला लेने के लिए जयचंद्र ने मोहम्मद गौरी को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया. गौरी को 17 बार पृथ्वीराज ने हराया. 18वीं बार गौरी ने पृथ्वीराज को धोखे से बंदी बनाया और अपने देश ले गया, वहां उसने गर्म सलाखों से पृथ्वीराज की आंखे तक फोड़ दीं.

इससे पहले कि दुश्मन उन्हें मारते उन्होंने खुद ही अपनी जिंदगी खत्म कर ली, जब संयोगिता को इस बात की खबर मिली तो उन्होंने भी सती होकर जान दे दी.