राष्ट्रीय मरु उद्यान के संबंध में सीमाकंन को लेकर कवायद
जैसलमेर अपेक्षा के साथ आशंका भी!
राष्ट्रीय मरु उद्यान के संबंध में सीमाकंन को लेकर कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है। ऐसे में डीएनएपी क्षेत्र को कम करने या फिर स्थान परिवर्तन करने को लेकर आशंकाएं भी हैं और अपेक्षाएं भी। ऐसे में सीमांकन का निर्णय लेने के दौरान जैसलमेर जिले का हित ध्यान में रखने की मांग अब जोर पकडऩे लगी है।
गौरतलब है कि बाड़मेर-जैसलमेर जिलों के सीमावर्ती क्षेत्र में राष्ट्रीय मरु उद्यान नाम से एक वन्य जीव अभयारण्य वर्ष 1980-81 में घोषित हुआ था। यह 3162 वर्ग किमी में फैला है। इस क्षेत्र में 73 राजस्व गांव एवं 200 बड़ी ढाणियां बसी हुई हैं।
आज भी ये क्षेत्र सरकारी रिकार्ड में राजस्व भूमि हैं। राष्ट्रीय मरु उद्यान का क्षेत्र कम करने या पुनर्सीमांकन की मांग स्थानीय जनता की ओर से कई बार उठी है।
कई कमेटियों ने अपना निर्णय दिया है। अंतिम कमेटी ने रणजीतसिंह की अध्यक्षता में वर्ष 2011 में क्षेत्र का निरीक्षण किया था।
उस कमेटी के सभी सदस्य सहमत थे कि गोडावण के संरक्षण के लिए सुदासरी का क्षेत्र जहां गोडावण विद्यमान है, उसे ही राष्ट्रीय मरु उद्यान की सीमा में रखा जाए। गोडावण का ऐसा क्षेत्र रामदेवरा गांव के पास भी है। वहां गोडावण का प्रजनन भी होता है।
यहां आशंका भी
वर्तमान में एक कमेटी ने दुबारा सर्वेक्षण किया है। इसकी रिपोर्ट पर राज्य सरकार को निर्णय करना है। पूर्व विधायक गोवद्र्धन कल्ला बताते हैं कि कमेटी का प्रयोजन केवल बाड़मेर जिले के क्षेत्र को हटा कर जैसलमेर जिले के अन्य क्षेत्र को जोडऩा है।
जो समस्याएं बाड़मेर जिले के क्षेत्र में हैं, वही जैसलमेर जिले के खुहड़ी, म्याजलार क्षेत्र की है, जहां घनी आबादी बसी हुई है। ऐसे में जैसलमेर जिले में अभयारण्य की सीमाएं बढ़ाना जैसलमेर की जनता के साथ अन्याय है।
यह है सुझाव
पूर्व में राज्य सरकार को कमेटियों ने सुझाव दिया था कि राष्ट्रीय मरु उद्यान को जैसलमेर के शाहगढ़ के क्षेत्र में स्थानांतरित किया जा सकता है। उस क्षेत्र की स्थिति वर्तमान अभयारण्य जैसी है। जनसंख्या भी कम है। रणजीतसिंह कमेटी शाहगढ़ क्षेत्र में अफ्रीकन चीते के लिए अभ्यारण बनाना चाहती थी, जिसका क्षेत्रफल 4000 वर्ग किमी था।
सरकार को बताए सुझाव
पूर्व विधायक गोवद्र्धन कल्ला ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर अवगत कराया है कि यदि राष्ट्रीय मरु उद्यान के क्षेत्र को नहीं घटाया जा सकता तो इन सुझावों पर गौर किया जा सकता है।
गोडावण पक्षी संरक्षण के सुदासरी के क्षेत्र जो तारबंदी में हैं और अन्य कोई क्षेत्र जहां गोडावण प्रजनन हो रहा हो, उसको मरु उद्यान में रखा जाए।
जैसलमेर जिले के शाहगढ़ में 4000 वर्गकिमी क्षेत्र को जहां पूर्व में अफ्रीकन चीता अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव था, उसे राष्ट्रीय मरु उद्यान के लिए सीमांकन कर नवीन अभयारण्य घोषित किया जाए।
राष्ट्रीय मरु उद्यान के लिए निर्धारित शर्तें
1. अभयारण्य का क्षेत्र इंदिरा गांधी नहर के कमांड क्षेत्र से दूर होना चाहिए।
2. क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र से दूर होना चाहिए।
3. यह अभयारण्य सुरक्षा एजेंसियों के अभ्यास क्षेत्र में नहीं होना चाहिए।
4. क्षेत्र में न्यूनतम जनसंख्या होनी चाहिए।
5. क्षेत्र में थार रेगिस्तान की समानता होनी चाहिए।
6. क्षेत्र में वन्यजीव की बहुतायात होनी चाहिए।
7. क्षेत्र में गोडावण पक्षी का संरक्षण होना चाहिए।
ये थे कमेटी में शामिल
जानकारी के मुताबिक डीएनपी क्षेत्र में हाल ही सर्वे करने पहुंची टीम में एडी. पीसीसीएफ एके उपाध्याय, सीसीएफ गोविन्द सागर भारद्वाज, राज्य बोर्ड सदस्य वन्यजीव विक्रम गरेवाल, राजपालसिंह तंवर, आरएस भंडारी, उप वन संरक्षक वन्यजीव जैसलमेर अनूप केआर शामिल थे।
जैसलमेर अपेक्षा के साथ आशंका भी!
राष्ट्रीय मरु उद्यान के संबंध में सीमाकंन को लेकर कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है। ऐसे में डीएनएपी क्षेत्र को कम करने या फिर स्थान परिवर्तन करने को लेकर आशंकाएं भी हैं और अपेक्षाएं भी। ऐसे में सीमांकन का निर्णय लेने के दौरान जैसलमेर जिले का हित ध्यान में रखने की मांग अब जोर पकडऩे लगी है।
गौरतलब है कि बाड़मेर-जैसलमेर जिलों के सीमावर्ती क्षेत्र में राष्ट्रीय मरु उद्यान नाम से एक वन्य जीव अभयारण्य वर्ष 1980-81 में घोषित हुआ था। यह 3162 वर्ग किमी में फैला है। इस क्षेत्र में 73 राजस्व गांव एवं 200 बड़ी ढाणियां बसी हुई हैं।
आज भी ये क्षेत्र सरकारी रिकार्ड में राजस्व भूमि हैं। राष्ट्रीय मरु उद्यान का क्षेत्र कम करने या पुनर्सीमांकन की मांग स्थानीय जनता की ओर से कई बार उठी है।
कई कमेटियों ने अपना निर्णय दिया है। अंतिम कमेटी ने रणजीतसिंह की अध्यक्षता में वर्ष 2011 में क्षेत्र का निरीक्षण किया था।
उस कमेटी के सभी सदस्य सहमत थे कि गोडावण के संरक्षण के लिए सुदासरी का क्षेत्र जहां गोडावण विद्यमान है, उसे ही राष्ट्रीय मरु उद्यान की सीमा में रखा जाए। गोडावण का ऐसा क्षेत्र रामदेवरा गांव के पास भी है। वहां गोडावण का प्रजनन भी होता है।
यहां आशंका भी
वर्तमान में एक कमेटी ने दुबारा सर्वेक्षण किया है। इसकी रिपोर्ट पर राज्य सरकार को निर्णय करना है। पूर्व विधायक गोवद्र्धन कल्ला बताते हैं कि कमेटी का प्रयोजन केवल बाड़मेर जिले के क्षेत्र को हटा कर जैसलमेर जिले के अन्य क्षेत्र को जोडऩा है।
जो समस्याएं बाड़मेर जिले के क्षेत्र में हैं, वही जैसलमेर जिले के खुहड़ी, म्याजलार क्षेत्र की है, जहां घनी आबादी बसी हुई है। ऐसे में जैसलमेर जिले में अभयारण्य की सीमाएं बढ़ाना जैसलमेर की जनता के साथ अन्याय है।
यह है सुझाव
पूर्व में राज्य सरकार को कमेटियों ने सुझाव दिया था कि राष्ट्रीय मरु उद्यान को जैसलमेर के शाहगढ़ के क्षेत्र में स्थानांतरित किया जा सकता है। उस क्षेत्र की स्थिति वर्तमान अभयारण्य जैसी है। जनसंख्या भी कम है। रणजीतसिंह कमेटी शाहगढ़ क्षेत्र में अफ्रीकन चीते के लिए अभ्यारण बनाना चाहती थी, जिसका क्षेत्रफल 4000 वर्ग किमी था।
सरकार को बताए सुझाव
पूर्व विधायक गोवद्र्धन कल्ला ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर अवगत कराया है कि यदि राष्ट्रीय मरु उद्यान के क्षेत्र को नहीं घटाया जा सकता तो इन सुझावों पर गौर किया जा सकता है।
गोडावण पक्षी संरक्षण के सुदासरी के क्षेत्र जो तारबंदी में हैं और अन्य कोई क्षेत्र जहां गोडावण प्रजनन हो रहा हो, उसको मरु उद्यान में रखा जाए।
जैसलमेर जिले के शाहगढ़ में 4000 वर्गकिमी क्षेत्र को जहां पूर्व में अफ्रीकन चीता अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव था, उसे राष्ट्रीय मरु उद्यान के लिए सीमांकन कर नवीन अभयारण्य घोषित किया जाए।
राष्ट्रीय मरु उद्यान के लिए निर्धारित शर्तें
1. अभयारण्य का क्षेत्र इंदिरा गांधी नहर के कमांड क्षेत्र से दूर होना चाहिए।
2. क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र से दूर होना चाहिए।
3. यह अभयारण्य सुरक्षा एजेंसियों के अभ्यास क्षेत्र में नहीं होना चाहिए।
4. क्षेत्र में न्यूनतम जनसंख्या होनी चाहिए।
5. क्षेत्र में थार रेगिस्तान की समानता होनी चाहिए।
6. क्षेत्र में वन्यजीव की बहुतायात होनी चाहिए।
7. क्षेत्र में गोडावण पक्षी का संरक्षण होना चाहिए।
ये थे कमेटी में शामिल
जानकारी के मुताबिक डीएनपी क्षेत्र में हाल ही सर्वे करने पहुंची टीम में एडी. पीसीसीएफ एके उपाध्याय, सीसीएफ गोविन्द सागर भारद्वाज, राज्य बोर्ड सदस्य वन्यजीव विक्रम गरेवाल, राजपालसिंह तंवर, आरएस भंडारी, उप वन संरक्षक वन्यजीव जैसलमेर अनूप केआर शामिल थे।