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गुरुवार, 16 मार्च 2017

बाड़मेर ग्रुप फॉर पीपल ने किया फकीरा खान दल का किया पुष्प अबीर गुलाल से स्वागत।।

बाड़मेर ग्रुप फॉर पीपल ने किया फकीरा खान दल का किया पुष्प अबीर गुलाल से स्वागत।।

राजस्थानी लोक संगीत को नया आयाम देने का प्रयास।।फकीरा खान।।



बाड़मेर स्टार प्लस के लोकप्रिय टेलेंट कार्यक्रम दिल हे हिंदुस्तानी में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर थार नगरी पहुंचे फकीरा खान खेता खान दल का ग्रुप फॉर पीपल ने पुष्प,अबीर ,गुलाल से भव्य स्वागत किया।ग्रुप की महिला विंग की सह संयोजिका श्रीमती ज्योति पनपालिया के नेतृत्व में लोक कलाकारों को बुके भेंट कर अभिनन्दन किया गया।।
 फकीरा खान का दल का रेलवे स्टेशन के बाहर पहुँचने पर ग्रुप फॉर पीपल के संयोजक चन्दन सिंह भाटी,महेश पनपालिया,संजय शर्मा,रमेश सिंह इंदा,नरेंद्र खत्री,जय परमार,रमेश गौड़ ,अशोक राजपुरोहित,मैदान बारूपाल,राजेंद्र लहुआ,बसन्त कुमार,बच्चू खान खलीफे की बावड़ी,सदर खान,श्रीमती सुचित्रा छंगाणी,दृमति गीता माहेश्वरी,बहादुर खान,जेठाराम चौहान सहित बड़ी तादाद में बाड़मेर वासियो ने फूलमालाओं से दल के सदस्यो को लाद दिया।फकीरा खान ने कहा कि स्टार प्लस ने हमे मायड़ भाषा और हमारी लोक संस्कृति को दुनिया के सामने रखने का अवसर दिया।हमने पूरा प्रयास किया कि राजस्थान की लोक गायिकी और संगीत को नया आयाम दे,उन्होंने कहा कि राजस्थान और बाड़मेर का गौरव बढ़ाने का प्रयास था।।उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के दौरान लोगो का प्यार खूब मिला।हमारे जैसे लोगो को लाखों लोगो ने वोट किये।।खेताखां ने कहा कि लोक कला को नया मंच मिला जिससे राजस्थानी गीत संगीत को नई ऊंचाइयां मिली।थार के संगीत की मिठास को दुनिया भर में सराहा गया।।ग्रुप अध्यक्ष आज़ाद सिंह राठौड़,आदिल भाई,रणवीर सिंह भादू,दुर्जन सिंह गुडिसर ने भी फकीरा खान दल को शुभकामनाए दी।।चन्दन सिंह भाटी ने कहा कि थार के लिए गौरव की बात है कि हमारे लोक कलाकार हमारी संस्कृति का दुनिया भर में प्रचार प्रसार कर रहे हे।उन्होंने कहा की फकीरा खान राजस्थानी भाषा आंदोलन के साथ ग्रुप फॉर पीपल का अहम सदस्य होने से हमे उनकी कामयाबी पे गर्व हैं।।

नागरिक अभिनन्दन होगा फकीरा ग्रुप का

बाड़मेर ग्रुप फॉर पिपल और बाड़मेर के विभिन संगठनो के संयुक्त तत्वाधान में अगले सप्ताह फकीरा खान एन्ड पार्टी का नागरिक अभिनन्दन टाउन हॉल में किया जाएगा।।ग्रुप अध्यक्ष आज़ाद सिंह राठौड़ ने बताया की भारत वर्ष में थार  का नाम रोशन करने वाले लोक कलाकारों का नागरिक अभिनन्दन किया जाएगा।।

रविवार, 26 दिसंबर 2010

लोक व सुफी गायकी का पर्याय हैं फकीरा खान







लोक व सुफी गायकी का पर्याय हैं फकीरा खान

बाड़मेर: पश्चिमी राजस्थान की धोरा धरती की कोख से ऐसी प्रतिभाएं उभर कर सामने आई हैं, जिन्होंने ‘थार की थळी’ का नाम सात समंदर पार रोशन कर लोक गायिकी को नए शिखर प्रदान किए हैं। इसी कड़ी में एक अहम नाम है-फकीरा खान। लोक गायकी में सुफियाना अन्दाज का मिश्रण कर उसे नई उंचाईयां देने वाले लोक गायक फकीरा खान ने अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपना एक मुकाम बनाया है।

राजस्‍थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के छोटे से गांव विशाला में सन 1974 को मांगणियार बसर खान के घर में फकीरा खान का जन्‍म हुआ था। उनके पिता बसर खान शादी-विवाह के अवसर पर गा-बजाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। बसर खान अपने पुत्र को उच्च शिक्षा दिलाकर सरकारी नौकरी में भेजना चाहते थे ताकि परिवार को मुफलिसी से छुटकारा मिले, मगर कुदरत को कुछ और मंजूर था।

आठवीं कक्षा उर्तीण करने तक फकीरा अपने पिता के सानिध्य में थोड़ी-बहुत लोक गायकी सीख गए थे। जल्दी ही फकीरा ने उस्ताद सादिक खान के सानिध्य में लोक गायकी में अपनी खास पहचान बना ली। उस्ताद सादिक खान की असामयिक मृत्यु के बाद फकीरा ने लोक गायकी के नये अवतार अनवर खान बहिया के साथ अपनी जुगलबन्दी बनाई। उसके बाद लोक गीत-संगीत की इस नायाब जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्‍होंने लोक संगीत की कला को सात समंदर पार ख्याति दिलाई। फकीरा-अनवर की जोड़ी ने परम्परागत लोक गायकी में सुफियाना अन्दाज का ऐसा मिश्रण किया कि देश-विदेश के संगीत प्रेमी उनके फन के दीवाने हो गए। फकीरा की लाजवाब प्रतिभा को बॉलीवुड़ ने पूरा सम्मान दिया।

फकीरा ने ‘मि. रोमियों’, ‘नायक’, ‘लगान’, ‘लम्हे’ आदि कई फिल्मों में अपनी आवाज का जलवा बिखेरा। फकीरा खान ने अब तक उस्ताद जाकिर हुसैन, भूपेन हजारिका, पं. विश्वमोहन भट्ट, कैलाश खैर, ए.आर. रहमान, आदि ख्यातिनाम गायकों के साथ जुगलबंदियां देकर अमिट छाप छोडी। फकीरा ने 35 साल की अल्प आयु में 40 से अधिक देशों में हजारों कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोक गीत-संगीत को नई उंचाइयां प्रदान की। फकीरा के फन का ही कमाल था कि उन्‍होंने फ्रांस के मशहूर थियेटर जिंगारो में 490 सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर राजस्थान की लोक कला की अमिट छाप छोड़ी।

फकीरा ने अब तक पेरिस, र्जमनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इजरायल, यू.एस.ए बेल्जियम, हांगकांग, स्पेन, पाकिस्तान सहित 40 से अधिक देशों में अपने फन का प्रदर्शन किया। मगर, फकीरा राष्‍ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर वर्ष 1992, 93, 94, 2001, 2003 तथा 2004 में नई दिल्‍ली के परेड ग्राउंड में दी गई अपनी प्रस्तुतियों को सबसे यादगार मानते हैं।

फकीरा खान ने राष्‍ट्रीय स्तर के कई समारोहों में शिरकत कर लोक संगीत का मान-सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने समस्त आकाशवाणी केन्द्रों, दूरदर्शन केन्द्रों, डिश चैनलों पर अपनी प्रस्तुतियां दी हैं।

फकीरा खान ने सितम्बर 2009 में जॉर्डन के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘द सुफी फेस्टिवल’ में अपनी लोक गायिकी से धूम मचा दी। उनके द्वारा गाये राजस्थान के पारम्परिक लोक गातों के साथ सुफियाना अन्दाज को बेहद पसंद किया गया।

फकीरा लोक गीत-संगीत की मद्धम पड़ती लौ को जिलाने के लिए मांगणियार जाति के बच्चों को पारम्परिक जांगड़ा शैली के लोक गीतों, भजनों, लोक वाणी और सुफियाना शैली का प्रशिक्षण देकर नई पौध तैयार कर रहे हैं। फकीरा ने हाल में ही ‘वर्ल्‍ड म्यूजिक फैस्टिवल’, शिकागो द्वारा आयोजित 32 देशों के 57 ख्यातिनाम कलाकारों के साथ लोक संगीत की प्रस्तुतियां दे कर परचम लहराया। फकीरा खान को ‘दलित साहित्य अकादमी’ द्वारा सम्मानित किया गया। राज्य स्तर पर कई मर्तबा समानित हो चुके फकीरा खान के अनुसार, लोक संगीत खून में होता है, घर में जब बच्चा जन्म लेता है और रोता है, तो उसके मुंह से स्वर निकलते हैं।

उनके अनुसार, लोक गीत संगीत की जांगड़ा, डोढ के दौरान लोक-कलाकारों के साज बाढ में बह गए थे। फकीरा खान ने खास प्रयास कर लगभग दो हजार लोक कलाकारों को सरकार से निःशुल्क साज दिलाए।