जैसलमेर रामगढ़ बैंक में पौने छह करोड़ के गबन के मामले में जाँच में दोषी ,बैंक प्रशासन की मिली भगत से कार्यवाही नहीं
जैसलमेर जैसलमेर सेन्ट्रल कॉपरेटिव बैंक की रामगढ़ शाखा में गत वर्ष हुए पौने छह करोड़ के गबन के मामले में धारा 55 के तहत हुई जाँच रिपोर्ट में कार्मिको के दोषी पाए जाने के बावजूद बैंक प्रशासन की मिलीभगत के चलते कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है.
जैसलमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की रामगढ़ शाखा में वर्षों पुराने 5.52 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले में रजिस्ट्रार , सहकारी समितियां जोधपुर द्वारा इस मामले की जाँच सचिव भूमि विकास बैंक जैसलमेर को दी गयी थी ,सचिव भूमि विकास द्वारा पुरे प्रकरण की जांच धरा 55 में कर रिपोर्ट रजिस्टर ,सहकर समितियां जोधपुर को सुपुर्द की ,अतिरिक्त रजिस्टर धन सिंह देवल द्वारा इसी साल आठ जनवरी को जारी जाँच रिपोर्ट में जबकि धारा 55 की में रामगढ़ बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक अमृतलाल , जगदीश देवड़ा ,अश्विनी छंगाणी ,के साथ साथ वर्तमान उप रजिस्टर सहकर समितियां जैसलमेर सुजानाराम भी दोषी पाए गए ,बैंक प्रशासन द्वारा जानबूझकर इन दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही ,मजेदार तथ्य हे की इस गबन प्रकरण के जांच में दोषी पाए गए उप रजिस्टर सहकर समितियां जैसलमेर सुजानाराम को जैसलमेर सेन्ट्रल कॉपरेटिव बैंक के मुख्य प्रबंधक का अतिरिक्त चार्ज दे रखा था। अतिरिक्त रजिस्टर ने तीन माह में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दिए थे ,मगर आरोपी सुजानाराम खुद मुख्य प्रबंधक थे इस उन्होंने अतिरिक्त रजिस्टर द्वारा जारी जांच रिपोर्ट को संस्थापन मारकर कर ठंडे बस्ते में डाल दी ,अन्य दोषी अश्विनी छंगाणी को जिला मुख्यालय मुख्य ब्रांच में प्रबंधक का पद दे रखा था ,पुरे प्रकरण में सात कार्मिक दोषी पाए गए थे ,मगर जांच के 14 महीने बीत जाने के बाद भी बैंक प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की ,
अप्रेल 2019 में रजिस्ट्रार और जनवरी 20 में अतिरिक्त रजिस्टर ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 2 बैंक कार्मिकों को निलम्बित करने और 5अन्य के खिलाफ कठोरतम अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे । इस संबंध में सहकारिता रजिस्ट्रार ने गत 11 अप्रेल तारीख को आदेश जारी किया। यह मामला जैसलमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की रामगढ़ शाखा में वर्ष 2009-10 से 2014-15 के दौरान हुई वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है। अल्पकालीन ऋण वितरण सहित विभिन्न ऋण योजनाओं एवं सावधि जमा खातों में हेरफेर कर करोड़ों रुपयों का गबन कर दिया गया। बैंक की प्रारंभिक जांच में गबन घोटाले की पुष्टि होने के बाद एक के बाद एक, कई बार प्रकरण की जांच हुई,