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बुधवार, 4 मार्च 2020

बाड़मेर,खाद्य सुरक्षा योजना में फर्जीवाड़ा रसद विभाग की जांच में खुलासा, झूठे शपथ पत्र पेश कर नाम जुड़वाएं

बाड़मेर,खाद्य सुरक्षा योजना में फर्जीवाड़ा   रसद विभाग की जांच में खुलासा, झूठे शपथ पत्र पेश कर नाम जुड़वाएं

500 कर्मचारी 2 साल में जीम गए गरीबों का 24 सौक्विंटल गेहूं, 300 नाम हटे, 64.80 लाख की होगी वसूली

बाड़मेर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में बीते दाे साल में जिले के पांच साै कर्मचारी गरीबों का दो हजार चार सौ क्विंटल गेहूं जीम गए। रसद विभाग की जांच में जिले के पांच सौ कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं। योजना के पात्र नहीं होने के बावजूद सांठगांठ कर कर्मचारियों ने खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुड़वा दिए।

जांच रिपोर्ट में खुलासे के बाद करीब 300 कर्मचारियों के नाम खाद्य सुरक्षा योजना से हटा दिए हैं। साथ ही कर्मचारियों से 27 रुपए प्रति किलो के हिसाब से रिकवरी के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं। पांच सौ कर्मचारी बीते दो साल से खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ उठा रहे थे। इस हिसाब से दो साल में करीब दो हजार चार सौ हजार क्विंटल गेहूं कर्मचारियों ने उठा लिया। 27 रुपए प्रति किलो रिकवरी के हिसाब से राशि 64.80 लाख रुपए होती है। रसद विभाग की इस कार्रवाई से कर्मचारियों में हड़कंप का माहौल है। अब कर्मचारी खुद ही विभाग के पास खाद्य सुरक्षा योजना से नाम कटवाने पहुंच रहे हैं।


ऐसे होगी वसूली: ज्वॉइनिंग की तारीख से पता लगाएंगे सरकारी सेवा में आने के बाद कितना उठाया राशन
सबसे पहले पता लगाया जाएगा कि कर्मचारी की राजकीय सेवा की ज्वॉइनिंग डेट क्या थी। इसके बाद उसके राशन कार्ड की जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि कितने राशन का उठाव हुआ है। उसी हिसाब से फिर वसूली की जाएगी। यह सारा रुपया उसे सरकारी कोष में जमा करवाना होगा। नियम के अनुसार सरकारी सेवा में नियुक्त होने के बाद कर्मचारी या उसके परिजन राज्य सरकार की इस योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं। अगर कर्मचारी इन योजनाओं का लाभ लेते हैं तो अपराध है। इसलिए कर्मचारियों को नोटिस जारी कर योजना से नाम हटाए जा रहे हैं और वसूली की जानी है।

झूठे शपथ पत्र से जोड़े नाम, अब होगी 27 रुपए प्रति किलो के हिसाब से वसूली

जिला रसद अधिकारी बाड़मेर अश्वनी गुर्जर ने बताया कि जल्द ही कर्मचारियों की जानकारी कर उनसे राशि वसूली अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए तैयारी कर ली गई है। फिलहाल ऐसे कर्मचारियों को चिन्हित किया जा रहा है जिन्होंने फर्जी तरीके से झूठे शपथ पत्र देकर गरीबों के गेहूं का उठाव किया। अब गरीबों का गेहूं खाने वाले इन सरकारी कर्मचारियों से 27 रुपए प्रति किलो की दर से राशि वसूली जाएगी। इसके लिए राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने राशि वसूलने के आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं। करीब 300 कर्मचारियों के नाम हटा दिए है। शेष रहे कर्मचारियों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। कार्रवाई के बाद कर्मचारी नाम हटवाने आगे आ रहे हैं।
रसूखदारों के भी हटेंगे नाम

खाद्य सुरक्षा योजना में कर्मचारियों के ही नहीं कई रसूखदारों के नाम भी शामिल है। योजना में अपात्र लोगों के नाम भी सामने आए है। जिसमें जनप्रतिनिधि व आर्थिक रूप से सक्षम लोग भी शामिल है। रसद विभाग ने अपात्र लोगों की सूचियां तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। जल्द ही रसूखदारों के नाम हटाएं जाएंगे। इसके अलावा अन्य प्रकार की अनियमितताओं की भी जांच करवाई जा रही है।

यूं समझें राशन के गेहूं के गबन का गणित
एक कर्मचारियों के परिवार में औसत चार सदस्य है। किसी के सदस्य अधिक भी हो सकते हैं। प्रत्येक सदस्य को हर माह 5 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गेहूं मिलता है। 500 कर्मचारियों ने हर माह 100 क्विंटल गेहूं उठाया। एक साल में 12 सौ क्विंटल और दो साल का आंकड़ा दो हजार चार सौ क्विंटल होता है। कर्मचारियों ने एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से गेहूं उठाया। रसद विभाग ने 27 रुपए प्रति किलो के भाव से रिकवरी के आदेश दिए हैं। इस हिसाब से 500 कर्मचारियों से 64 लाख 80 हजार रुपए की वसूली होगी। हालांकि यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।




गुरुवार, 28 नवंबर 2019

जैसलमेर उष्ट्र विकास योजना में जमकर करोड़ो का फर्जीवाड़ा,एक ही अधिकारी ने सत्यापन और भुगतान कर दिया

जैसलमेर  उष्ट्र विकास योजना में जमकर करोड़ो का फर्जीवाड़ा,एक ही अधिकारी ने सत्यापन और भुगतान कर दिया

जैसलमेर सरहदी जिले जेसलमेर के पशु पालन विभाग में सरहदी जिले में ऊँठ सरंक्षण के लिए संचालित उष्ट्र विकास योजना में करोड़ो रूपये की हेराफेरी का मामला सामने आया।जिस पर जिला कलेक्टर के आदेश पर तीन सदस्यीय जांच कमिटी बिताई गई है जो आवेदनों की भौतिक सत्यता की जांच करेगी।

जानकारी के अनुसार पिछले तीन सालों से जिले में उष्ट्र विकास योजना संचालित की जा रही है।इस योजना के तहत ऊंटनी के नवजात बच्चे के सरंक्षण के लिए केंद्र सरकार की तरफ से दस हजार रुपये तीन किस्तों में दिए जाते है। इस योजना में अब तक कोई ढाई करोड़ से तीन करोड़ तक का भुगतान किया जा चुका है।।इस योजना में सनसनी खेज खुलासा हुआ है कि जिले में जितने ऊँठ नहीं उससे अधिक का भुगतान अधिकारी की मिलीभगत से किया गया ।सूत्रानुसार एक ही ऊँठ के बच्चे के अलग अलग ऐंगल से फोटोग्राफ लिए गए।एक ही पशुपालक को एक ऊँठ के स्थान पर दस या अधिक ऊँठ दिखाकर फर्जी भुगतान किया गया।सबसे बड़ा फर्जी वाडा ऊँठ के लगने वाले टैग में किया गया।।एक टैग को दस बार इस्तेमाल किया गया।यहां तक कि दस्तावेज देखने और टैग पर कागज़ चिपका कर नम्बर बदलने के मामले भी सामने आए। इतना ही नही एक ही अधिकारी ने दस्तावेजों का सत्यापन किया उसी अधिकाती ने भुगतान स्वीकृत कर लिया। हमीरा ग्राम पंचायत में पशुधन सहायक द्वारा गांव में जितने ऊँठ नहीं उससे कही गुना अधिक दस्तावेजों के सत्यापन करवा लाखो रुपये का फर्जी भुगतान किया गया।।आश्चर्यजनक बात है कि तीन सालों से योजना में फर्जीवाड़ा चल रहा है किसी अधिकारी ने ध्यान नही दिया।इस बार जिला कलेक्टर नमित मेहता ने मामले की गंभीरता देखते हुए अब तक आये अनुदान के दस्तावेजों की भौतिक सत्यता जांचने के लिए तीन सदस्यीय कमिटी गठित कर दी है जो दस्तावेजों की जांच करेगी।आखिर ऊँटो की जिले में जनसंख्या से अधिक अनुदान भुगतान कैसे हो गया।।

जिला कलेक्टर नमित मेहता ने बताया कि उष्ट्र विकास योजना में अनियमितताओं की जानकारी मिलने पर अनुदान के लिए पशुपालकों द्वारा जमा कराए और उनके सत्यापन संबंधित दस्तावेजों की जांच तीन सदस्यीय कमिटी से करने के निर्देश उप निदेशक पशु पालन को दिए है ।

जिला कलेक्टर के निर्देश पर पशु पालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने आदेश संख्या 10386 के तहत तीन सदस्यीय डॉ अनिल कुमार,डॉ संजीव भोंसले,और डॉ रंजीत सिंह की अगुवाई में उष्ट्र विकास योजना के दस्तावेजों में की गई अनियमितताओं और फर्जी भुगतान की जांच करेगी।