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शुक्रवार, 20 मार्च 2020

जैसलमेर तेरह करोड़ का टाउन हॉल हुआ २२ करोड़ का फिर भी अधूरा

तेरह करोड़ का टाउन हॉल हुआ २२ करोड़ का फिर भी अधूरा 

राज्य सरकार ने भेजा विशेषग्यो का दल,टाउन हॉल की कर रहे री वेल्युशन


जैसलमेर लम्बे समय से विवादो में पड़े नगर परिषद के निर्माणाधीन टाउन हॉल में भरष्टाचार का मामला राज्य सरकार तक पहुंचने पर राज्य सरकार द्वारा तकनीकी विशेषग्यो की बिशेष टीम जेसलमेर भेजी।इस टीम में अधिशाषी अभियंता,अधीक्षण अभियंता  जेयपुर से आये इनके साथ नगर परिषद जेसलमेर के तकनीकी अधिकारी,सार्वजनिक निर्माण विभाग के तकनीकी अधिकारी शामिल है।यह टीम निर्माणाधीन टाउन हॉल की री वेल्युशन करेंगे।जिसमे अब तक टाउन हॉल निर्माण में व्यय  राशी के साथ इसको पूरा करने में लगने वाली राशि  की वैल्यू निकालेंगे ।।इसी आधार पर वर्तमान ठेकेदार के बकाया भुगतान पर निर्णय होगा।।राज्य सरकार ने बजट में जेसलमेर में टाउन हॉल की  घोषणा कर रखी है।।स्वायत शासन बिभाग ने इसे प्राथमिकता से लिया तथा जयपुर से बिशेष दल भेज दिया जो टाउन हॉल का अवलोकन के साथ इस पर अब तक किये खर्च का तकमीना तैयार करने के साथ   इसे पूरा करने में लगने वाले व्यय की राशि का ऑस्टिमेन्ट तैयार करेंगे।।

नगर परिषद सभापति हरिवल्लभ कल्ला ने बताया कि राज्य सरकार ने जेसलमेर में टाउन हॉल निर्माण की घोषणा की थी।।वर्तमान में टाउन हॉल निर्माणाधीन है।जिसकी अनियमितताओं की  शिकायते थी।जयपुर सचिवालय से तकनीकी विशेषग्यो की टीम टाउन हॉल का तकनीकी निरिक्षण कर इसकी री वेल्युशन निकालेंगे।इस दल की रिपोर्ट के आधार पर टाउन हॉल को पूरा करने का कार्य किया जाएगा।।इस दल में नगर परिषद और सार्वजनिक बिभाग के तकनीकी अधिकारी भी शामिल है।।


 अब मुख्यमंत्री बजट घोषणा में इसे जल्द से जल्द पूरा करने की घोषणा की गई है। इसके तहत नए सिरे से काम शुरू कर टाउन हॉल का निर्माण पूरा किया जाएगा। नए सिरे से बने तकमीना में अब टाउन हॉल पहले से भी बेहतर होगा। यहां एमपी थियेटर, लेंड स्केपिंग, आर्ट गैलेरी, 12 आधुनिक कमरे और 800 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। अब शहरवासियों को आगामी साल में टाउन हॉल की सौगात मिलने की उम्मीद है। वर्ष 2018 में अतिरिक्त कार्य के कारणों की जांच के लिए कमेटी गठित की और कमेटी ने मामले की पूरी जांच की।

अतिरिक्त तकनीकी स्वीकृति चाही गई तो हुई जांच

13.06 करोड़ की जगह संपूर्ण लागत 22.35 करोड़ हो जाने पर 2016 में टाउन हॉल निर्माण कार्य के अतिरिक्त एवं अधिक आयटमों की अंतरिम तकनीकी स्वीकृति चाही गई। यहां प्रस्तावित कार्य से अधिक कार्य 70 प्रतिशत अधिक था। इस पर विभाग द्वारा मूल डिजाइन में परिवर्तन करने एवं निर्माण कार्य में की गई अनियमितताओं की जांच करवाने का निर्णय लिया गया। इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के साथ साथ मूल ड्राइंग व डिजाइन में परिवर्तन करने व निर्माण कार्य में बरती गई अनियमितताओं के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई व न्यायिक जांच भी होगी।

13 करोड़ के टाउन हॉल को अपने स्तर पर 22.35 करोड़ का कर दिया

वर्ष 2013 में टाउन हॉल का निर्माण शुरू हुआ। शुरुआत में 13.6 करोड़ की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जारी हुई। लेकिन नगरपरिषद ने अपने स्तर पर टाउन हॉल के निर्माण स्थल में परिवर्तन करने एवं भवन की मूल ड्राइंग व डिजाइन में परिवर्तन कर दिया, जिससे मूल तकमीना लागत में बढ़ोतरी हो गई। बाद में पूरी लागत 22.35 करोड़ हो गई। मूल डिजाइन में परिवर्तन करने से संपूर्ण लागत 22.35 करोड़ हो गई। जांच के दौरान सामने आया कि अब तक काम पूरा नहीं हुआ है और भुगतान 9.36 करोड़ ही हुआ है। ऐसे में अब इसी स्तर पर काम को नए सिरे से आगामी निर्माण कार्य करवाने का निर्णय लिया।

बुधवार, 31 जुलाई 2019

जैसलमेर*भारत माला जैसा महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पेटी कॉन्टेक्ट पर नोसिखिया ठेकेदारों के हवाले* *मूल ठेकेदार कौन है किसी को मालूम नहीं, घटिया निर्माण का जिम्मेदार कौन,विभाग चुप*

*भारत माला प्रोजेक्ट जेसलमेर बाडमेर में भरष्टाचार 3*

जैसलमेर*भारत माला जैसा महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पेटी कॉन्टेक्ट पर नोसिखिया ठेकेदारों के हवाले*

*मूल ठेकेदार कौन है किसी को मालूम नहीं, घटिया निर्माण का जिम्मेदार कौन,विभाग चुप*

*राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और  परिवहन मंत्रालय तक पहुंची भारत माला में भरष्टाचार की गूंज*

*बाडमेर न्यूज ट्रैक के लिए चन्दन सिंह भाटी*

जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान के चार सरहदी जिलो में सड़कों को उच्चतम गुणवत्ता के निर्माण के लिए चल रहे भारत माला प्रोजेक्ट की जगह जगज भद्द पिट रही है।।भारत माला प्रोजेक्ट में भरष्टाचार की खबरों की गूंज राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और परिवहन विभाग तक पहुंच गई।।बाखासर से आरंभ हुई भारत माला की सड़कों के निर्माण में पहले पायदान पर ही  अनियमितता बरती गई।इस प्रोजेक्ट का मूल ठेकेदार कौन है किसी को पता नही।मूल ठेकेदार ने नियम विरुद्ध कार्य सबलेट किया।।सबलेट ठेकेदारों ने पेटी कॉन्टेक्ट के जरिये छोटे छोटे ब्लॉक नोसिखिये ठेकेदारों को दे दिए।जबकि भारत माला की गाइड लाइन में निविदा में मुख्य शर्त थी कि कार्य आगे सबलेट नहीं किया जाएगा।ऐसा होता है तो निविदा निरस्त की जा सकती है।अलबत्ता गुणवत्ता कार्य करवाने के लिए भारत माला प्रोजेक्ट के जगह जगह जिलो में कार्यालय खोले गए है।मगर इन कार्यालयों में कोई हलचल दिखाई नही देती।।साइट पर चल रहे कार्य के निरीक्षण समय समय पर करने की बजाय शहरी क्षेत्र में गाड़ी घोड़े दौड़ाए जा रहे है। सूत्रानुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को शुरू से ही ग्रहत लगा है।।किसी भी क्षेत्र में गुणवत्ता का कार्य नही हो रहा।।इसका मुख्य कारण पेटी कॉन्टेक्ट पे कार्य कर रहे अनाधिकृत ठेकेदार है जिन्होंने कभी पी डब्यू डी की सड़कें नही बनाई उन्हें भारत माला जैसे महत्वपूर्ण सड़को का कार्य आवंटन कर दिया ।जिसके चलते सड़को के निर्माण की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।।मौके पर जाकर सक्षम अधिकारी सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता और तकनीकी देखे तो सारा माजरा समझ आ जायेगा।।भारत माला प्रोजेक्ट छोटे छोटे ठेकेदारों के पनपने में जरूर सहायक सिद्ध हो रही। जेसलमेर बॉर्डर पर चल रहे कार्यो में जमकर भरष्टाचार हो रहा। मोदी सरकार लाख भरष्टाचार रोकने की बात कहै मगर यह जेसलमेर बाडमेर के ठेकेदारों पर लागू नही होती।।यहां तक कि ठेकेदारों के पास साइट प्लान तक उपलब्ध नही है।।

*भारत माला प्रोजेक्ट लाइव लगातार*

बुधवार, 24 जुलाई 2019

जैसलमेर भारत माला प्रोजेक्ट में भरष्टाचार 2* *गाइड लाइन के अनुसार सड़को की न चौड़ाई है न स्ट्रेंथ,सुरक्षा कवच को खतरा पैदा कर रहे है ठेकेदार*

*जैसलमेर भारत माला प्रोजेक्ट में भरष्टाचार 2*

*गाइड लाइन के अनुसार सड़को की न चौड़ाई है न स्ट्रेंथ,सुरक्षा कवच को खतरा पैदा कर रहे है ठेकेदार*

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक के लिए चन्दन सिंह भाटी की खास रिपोर्ट*

जैसलमेर भारत माला में बन रही सरहद पर सड़क निर्माण में जमकर धांधलियां हो रही है।प्रभावी मोनिटरिंग के अभाव में ठेकेदार निरंकुश हो गए।।प्रोजेक्ट की गाइड लाइन के अनुसार राजस्थान की चार जिलो की सरहद पर बन रही करीब 1300 किलोमीटर सड़क निर्माण में 650 करोड़ रुपये प्रथम चरण में खर्च किये जाने है ।इन सड़कों को नेशनल हाई वे की सड़कों की गुणवत्ता से सौ फीसदी अधिक गुणवत्ता गाइड लाइन में रखी गई।गाइड लाइन के अनुसार नेशनल हाई वे की सड़कों की चौड़ाई जंहा 7 मीटर होती है भारत माला की सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर रखी गई है वही नेशनल हाई वे की सड़कों की स्ट्रेंथ 20 सेंटीमीटर के मुकाबले भारत माला की सड़कों की स्ट्रेंथ 50 सेंटीमीटर रखी गई।मगर जेसलमेर और बाडमेर जिले में बन रही सड़को में गाइड लाइन की पूरी अनदेखी कर सार्वजनिक निर्माण विभाग की तर्ज पर सड़के बनाई जा रही है।घटिया गुणवत्ता की निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हो रह है मगर सड़को के निर्माण की गुणवत्ता की जांच करने सक्षम तकनीकी अधिकारी साइट पर नही आये।।इन सड़कों पर गाइड लाइन में न्यूनतम रफ्तार नेशनल हाई वे के 60 किलोमीटर के मुकाबले 90 किलोमीटर प्रति घंटे रखी गई।मगर जिस तरह सड़को का निर्माण हो रहा है उससे इन सड़कों पर बीस से तीस किलोमीटर की रफ्तार वाहन पकड़ नही पाएंगे जबकि इन सड़कों का उपयोग आपातकालीन सेना को करना है।।इन सड़कों पर फाइटर प्लेन उतारने की बात बेमानी लगती है ।निर्माण सामग्री निर्धारित मात्रा में उपयोग में नही ली जा रही।।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में जमकर ठेकेदार और भारत माला प्रोजेक्ट में लगे अधिकारी मालामाल हो रहे है। आज ही खुईयाला के पास डीजल से भरा टैंकर पलटी खा गया तीन जने घायल हो गए।।भारत माला प्रोजेक्ट में जेसलमेर बाडमेर जिलो में निर्माणाधीन सड़को की जांच सुरक्षा एजेंसियों के तस्कनिकी विभाग से कराई जानी चाहिए। इस संबंध में भारत माला प्रोजेक्ट के लाइजनिं अधिकारी प्रशांत गुप्ता से बात करने के लिए बार बार फोन लगाए उन्होंने नहीं उठाए।।बाद में किसी के माध्यम से फोन करवाया की साहब बीमार है ठीक होने के बाद बात करेंगे।

बुधवार, 10 सितंबर 2014

बाड़मेर एन आर एच एम में हेराफेरी भाग 2 .करोडो का काम एक कॉल पर क्यों दिया आखिर ?

बाड़मेर एनआरएचएम में हेराफेरी भाग 2 .करोडो का काम एक कॉल पर क्यों दिया आखिर ?


बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर भरष्टाचार का अड्डा बन गया हैं ,जिला ग्रामीण स्वाथ्य समिति कुछ कार्मिको की रखेल बन गयी हैं ,इस योजना में आने वाला सरकारी बजट की बन्दर बाँट कर्मचारी अधिकारियो की मिली भगत से का रहे हैं ,पिछले पांच साल से याग भरष्टाचार का खुला खेल खेला  जा रहा हैं। कार्मिको ने इसके लिए बाकायदा कुछ स्वयं सेवी संस्थाओ और प्लेसमेंट एजेंसियों से सांठ गाँठ कर राखी हैं 

इन योजनाओ में आने वाले समस्त बजट का निस्तारण इन कार्मिको द्वारा निस्तारित किया जाता हैं ,बाजार डरो से छ गुना अधिक ड्रॉ से सामन खरीदने   जाते हैं ,योजनाओ में हुए खर्च और खरीद का भौतिक सत्यापन कराया जाये तो साड़ी पोल खुल कर सामने आ जाएगी। बहरहाल मामला प्लेसमेंट एजेंसी का हैं ,एन  आर एच एम  योजना में वर्ष २०११ -१२ में विभाग में विभिन पदो के लिए कार्मिक लगाने की भर्ती के मामले में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया। तत्कालीन सरकार ने जिले की समस्त स्वास्थ्य उप स्वास्थ्य और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर परिचारिका ,वाहन चालक ,कंप्यूटर ऑपरेटर ,चिकित्सक लगाने का आदेश दिया जिसके चलते विभाग के कार्मिको ने अपने लोगो को फायदा देने के उद्देश्य से किसी तरह की निविदा समाचार पत्रो में जारी करने की बजाय भरष्टाचार के लिए बदनाम एक स्वयं सेवी संस्था और प्लेसमेंट एजेंसी रेड्डी संस्था को सम्बंधित लिपिक ने कॉल कर रातो रात बुलाया तथा उसके नाम करोडो रुपयो के काम का आदेश जारी किया जबकि नियमानुसार निविदा निकाल कर विभिन एजेंसियों से आवेदन मांगे जाने थे मगर विभाग के अधिकारियो की शाह पर कार्मिको ने भरष्टाचार को शाह देते हुए इस प्लेसमेंट एजेंसी को काम का आदेश जारी कर दिया। मजे की बार हे की इस प्लेसमेंट एजेंसी का पंजीयन रोजगार निदेशालय से वर्ष 2010 में ख़त्म हो गया था ,पंजीयन नवीनीकरण  के आभाव में स्वत निरस्त मन जाता हे ,एजेंसी संचालक द्वारा पंजीयन प्रमाण पात्र पर कान्त छंट कर उसे २०१० के स्थान पर २०१८ कर कुरचित दस्तावेज षड्यंत्र पूर्वक पेश कर काम ,लिया अधिकारियो और  एजेंसी के पंजीयन का नवीनीकरण नहीं होने की जानकारी के बावजूद मिलीभगत से काम दिया। इस संस्था द्वारा तत्कालीन वित्तीय वर्ष में एक भी कार्मिक नहीं लगाने की बात सामने आई। विभागीय सूत्रानुसार प्रति माह कार्मिको की तँकखवह का भुगतान संस्था और कार्मिक मिल बाँट के हज़म कर जाते चूँकि यह कार्य लगभग  का था किसी को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी ,मगर सूचना के अधिकार में प्राप्त सूचना मिलने पर इस गड़बड़ झाले का पर्दाफास हुआ मगर इस भरदष्टाचार की  कार्यवाही जिला या राज्य स्तर पर नहीं हुई ,तत्कालीन सांसद  हरीश चौधरी की दखल अन्दाजी के बाद दो जाँच दल राज्य और केंद्र से आये मगर उन्हें मोटी रकम अदा कर बिना जाँच किये बेरंग भेज दिया ,अब इस आशय की शिकायत राज्य सरकार और केंद्र सरकार के कर पुरे मामले की जांच सी बी आए से करने की मांग संगठनो द्वारा की गयी हैं। ग्रुप फॉर पीपुल्स के संयोजक चन्दन सिंगफह भाटी ने बताया की बाड़मेर एन  आर एच एम में गत पांच साल में तीन सौ करोड़ से अधिक की हेराफेरी की गयी हैं जिसकी सी बी आई स्तर से जांच होनी चाहिए ताकि गरीब जनता के लिए आये पैसे का दुरूपयोग का कच्चा चिट्टा खुल कर सामने आये ,

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सोमवार, 8 सितंबर 2014

बाड़मेर एन आर एच एम में करोड़ों की हेराफेरी ,सी बी आई जांच की मांग

बाड़मेर  एन आर एच एम में करोड़ों की हेराफेरी ,सी बी आई जांच की मांग 
सरकार ने बंद की प्लेसमेंट संस्थाए।स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ झाला। करोडो की हेराफेरी

निरस्त प्लेसमेंट को करोडो का काम देने की तयारी में चिकित्सा विभाग बाड़मेर

बाड़मेर बाड़मेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में लम्बे समय से चल रहे भरष्टाचार के चलते न केवल सरकारी नियम ताक पर रखे जा रहे हे बल्कि सरकार द्वारा निरस्त की गयी प्लेसमेंट संस्था को मिली भगत से करोडो रुपयो का काम आवंटित किया गया। हैं जिसमे स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण स्वास्थ्य समिति के अनुबंधित कार्मिको की खुली मिली भगत शामिल हे।


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा गत दिनों जिला ग्रामीण स्वास्थ्य समिति के माध्यम से प्लेसमेंट संस्थाओ से निविदाए मांगी गयी। इसी विभाग में गत तीन सालो से अधिकारियो और कार्मिको की मिलीभगत से एक ऐसी संस्था को काम नियम ताक में रख कर दिया जा रहा था जिसका पंजीयन रोजगार सेवा निदेशालय द्वारा 2010 में निरस्त किया जा चूका। हैं चूँकि राज्य सरकार के आदेश के पश्चात नई रोजगार एजेंसियों का पंजीयन और पुरानी एजेंसियों नवीनीकरण पिछले डेढ़ साल से बंद हे। ऐसे में फिल वक्त कोई रोजगार एजेंसी वैध नहीं ,हैं। मगर इन आर एच एम बाड़मेर के अधिकारियो और कार्मिको की मिलीभगत से एक ऐसी एजेंसी को काम गत तीन साल से दिया हैं जिसका पंजीयन २०१० में समाप्त हो चूका हे। इस एजेंसी ने रोजगार निदेशालय द्वारा जारी पंजीयन प्रमाण पात्र में कूटरचना के तहत पंजीयन वर्ष अवधि बढाकर २०१८ कर फर्जी और काटछांट वाला प्रमाण पात्र पेश कर धोखाधड़ी से कार्मिको और अधिकारियो मिलीभगत से कार्य आवंटन करा लिया ,जबकि राज्य में मौजूदा समय में कोई रोजगार सेवा एजेंसी कार्यरत नहीं। इसी संस्था को विभागीय भरष्ट कार्मिको ने दो साल पूर्व लाखो रुपयो का कार्य बिना किसी निविदा के नियमो की धज्जिया उड़ा कर दिया गया। इस संस्था से इन आर एच एम के कार्मिको और अनुबंधित अधिकारी की भागीदारी हे जिसके कारन एक ही एजेंसी को सारे नियम ताक में रख कार्य आवंटित किया जा रहा हे।


गत तीन साल के इन आर एच एम कार्यो का भौतिक सत्यापन के साथ उच्च स्तरीय जाँच कराई जाए तो सारी पोल खुल के सामने आ जाएगी ,इस आशय का एक पात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिख पुरे कार्यकाल के सी बी आई जाँच की मांग संगठनो द्वारा की गयी हैं। 


रोजगार सेवा निदेशालय के अधिकारियो ने स्पष्ट किया हे की राज्य सरकार की प्लेसमेंट की नै पॉलिसी आने के बाद रोजगार एजेंसियों के पंजीकरण का कार्य नए सिरे से किया जायेगा ,तब तक राज्य की समस्त रोजगार सेवा एजेंसिया निरस्त कर दी गयी हे जिसकी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर दर्ज हे।

रविवार, 2 मार्च 2014

जैसलमेर जलदाय विभाग भरष्टाचार मामले में कब कार्यवाही करेगी वसुंधरा सरकार

लोकसभा चुनाव 2014 में मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार का रहेगा 




जैसलमेर जलदाय विभाग भरष्टाचार मामले में कब कार्यवाही करेगी वसुंधरा सरकार 


भ्रष्टाचार के लंबित मामलों में गम्भीरता को लेते हुए सख्त हो सकती है सरकार 



जैसलमेर, 2मार्च / दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गैस की कीमत के मुद्दे पर रिलायंस के खिलाफ भले ही प्राथमिकी दर्ज की हो,  लेकिन यह एक सरकार या विभाग की औपचारिक कार्यवाही हो सकती है परन्तु इसके बाद न्याय की दहलीज पर क्या फल है इस पर अभी देश की जनता को विश्वास में लाना होगा तभी इसी प्राथमिकों के कुछ मायने निकल सकते हैं ।

एसीबी ने केजी बेसिन से निकलने वाली गैस के मामले में इस केस को दर्ज किया है। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, आरआईएल प्रमुख मुकेश अंबानी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा और सेवानिवृत हाइड्रोकार्बन निदेशक वीके सिब्बल के नामों का दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा रिलायंस गैस मुद्दे पर दर्ज प्राथमिकी में उल्लेख किया गया। मीडिया के माध्यम से यह कार्यवाही जनता को लुभा सकती है कि सरकार कार्यवाही कर रही है, लेकिन उन प्राथामिकों क्या जिन्हें दर्ज हुए सालों हो गए और नतीजा सिफर। अफसर/कर्मचारी सेवानिवृत होकर पेंशन तक पा लेते है और ये कार्यवाहियां धूल चाटती नजर आती है।

ऐसा ही एक मामला जैसलमेर भ्रष्टाचार निरोधक विभाग द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने का है।  इस प्राथमिकी को दर्ज हुए दो साल होने को है लेकिन इस प्राथमिकी में दर्ज अफसर/कर्मचारियों पर रती भर फर्क नहीं पडा है। अलबता तो इसमें नामदर्ज रूपाराम धनदे तत्कालीन अधीक्षण अभियंता को तो सरकार ने पदौन्नति भी दे दी और बा-ईज्जत राज्य सेवा से सेवानिवृत होकर जैसलमेर विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ लिया। यह अलग बात है कि वे अपने प्रतिद्वंदी भाजपा के उम्मीदवार से महज 2700 वोटों से हार गए।

गौरतलब है कि एसीबी जैसलमेर ने प्राथमिकी जांच संख्या 10/07 विरुद्ध रूपाराम अधीक्षण अभियंता (तत्कालीन), पीएचईडी जैसलमेर व अन्य के खिलाफ की गहन जांच पड़ताल करने के उपरांत थाना सीपीएस जयपुर में प्रथम इत्तिला रिपोर्ट संख्या 271/  दिनांक 13.7.2012 से ऍफ़आईआर दर्ज करवाकर, अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान के आदेश मांगे गए। यह प्राथमिकी धारा 13 (1) डी, 13(2) पीसी एक्ट 1988 सपठित धारा 420, 467, 468, 471, एवं 120 बी भादंसं में प्रथम द्रष्टया प्रमाणित पाए जाने पर की गई।

ये है ज्ञात/अज्ञात संदिग्ध अभियुक्तों का ब्यौरा 

रूपाराम धनदे तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत जैसलमेर वक्त FIR मुख्य अभियंता, विशेष परियोजना जलदाय विभाग जयपुर (वर्त्तमान में सेवानिवृत), रविन्द्रपाल सिंह कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग वृत जैसलमेर एवं अधीशाषी अभियंता नगरखंड जैसलमेर वक्त FIR अधीशाषी अभियंता जलदाय विभाग नगरखंड हनुमानगढ़ , भंवरलाल जाटोल तत्कालीन अधीशाषी अभियंता जिलाखंड जलदाय  विभाग जैसलमेर, देवकृष्ण पंवार सहायक लेखाधिकारी PHED जैसलमेर, ओमप्रकाश तत्कालीन तकनीकी सहायक कार्यालय अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग जैसलमेर, श्रीवल्लभ ओझा तत्कालीन क्रय लिपिक कार्यालय अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग जैसलमेर, मनोज झामेरिया तत्कालीन क्रय लिपिक के साथ ही तीन फार्मों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज हो रखी है। 

हालांकि इसके बाद की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है कि, इस प्रकरण में आगे क्या होगा ? क्या अभियोजन की स्वीकृति ली जा सकती है या फिर कोर्ट में चालान पेश किया जा सकता है। लेकिन इस प्रक्रिया में एक अधिकारी राजकीय लाभ लेकर सेवानिवृत हो चुका है और अन्य भी तैयारी में है।  फैसला आने में देर हो जाती है तो फ़ायदा दोषियों को मिलता है।

मजेदार बात यह है कि,  इस मामले में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग द्वारा भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है और न ही स्थानीय विभाग के अधिकारियों को तो इस प्राथमिकी के बारे में भी जानकारी नहीं है।  सचिवालय स्तर से भी इस प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उपशासन सचिव से इस प्रकरण में की गई कार्यवाही सूचना के अधिकार के तहत माँगी गई तो उलटे दोषी से ही पूछ लिया कि, "अमुक ने सूचना मानी है दी जाए या नहीं स्वीकृति दें।' दोषी की अस्वीकृती की सूचना मिली। 

मामला दर्ज हुआ उस समय कांग्रेस सरकार थी और अंत में इस प्रकरण का दोषी अधिकारी कांग्रेस की टिकट से विधानसभा का चुनाव लड़ गया है।  इसके यह मायने निकल सकते हैं कि कांग्रेस ने भ्रश अधिकारी को न केवल बचाया वरन उसे विद्यायाक के लिए टिकट देकर विधानसभा में भेजने के लिए भ्रष्ट आदमी को टिकट दिया।  अब चूँकि राजस्थान में भाजपा की सरकार है तो इस मामले में अनुसंधान हो दोषियों को सजा मिल सकती है। 

शनिवार, 16 मार्च 2013

कलेक्टर को गुमराह कर लाखो रुपयों का आवंटन किया रिश्तेदारों की संस्था को आयुक्त ने

कलेक्टर को गुमराह कर लाखो रुपयों का आवंटन किया रिश्तेदारों की संस्था को आयुक्त ने

बाड़मेर नगर परिषद् बाड़मेर भरष्टाचार का अड्डा बन गया ,आयुक्त से लेकर कर्मचारी बेखौफ होकर सरकारी योजनाओ को चुना लगा रहे हें .स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना में कलेक्टर को गुमराह कर आयुक्त ने अपने गृह जिले की संस्थाओ को लाखो रुपयों का फायदा पहुँचाया .आयुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय के जांच आदेशो की परवाह किये बिना अपने गृह जिले की स्वजातीय संस्था सहिक कई बेनामी संस्थाओ को कार्य आवंटित किया जबकि इस संस्थाओ का सी एस डी की बैठक में अनुमोदन नहीं हें .नगर परिषद् बाड़मेर द्वारा जिला कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता में जनवरी माह में डूडा की बैठक का आयोजन कर स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के तहत संस्थाओ के चयन का अनुमोदन किया गया था .उक्त बैठक में मात्र दो संस्थाओ का अनुमोदन जिला कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा किया गया था .जबकि इसके बाद आयुक्त नगर परिषद् और दुदा के सचिव द्वारा कुछ संस्थाओ से मिली भगत कर इस सूचि में चार नै संस्थाओ को जोड़ा गया जिसमे आयुक्त के गृह नगर गंगानगर जिले की एक संस्था शामिल हें ,कुछ संस्थाओ को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से आयुक्त नगर परिषद् तथा डूडा के सचिव द्वारा नियमो के विरुद्ध श्रीमान को गुमराह कर लगभग स्तर लाख रुपये के कार्य आवंटन किये गए .आश्चर्यजनक पहलु हें की डूडा की बैठक में बिना अनुमोदन के बिना मानदंड के इन संस्थाओ को घर से बुलाकर कार्य दिया गया जबकि बाड़मेर जिले में राष्ट्रीय स्तर की तीस से अधिक संस्थाए कार्य कर रही हें ,सबसे बड़ी बात नगर परिषद् द्वारा संस्थाओ से इस कार्य हेतु आमंत्रित करने के लिए निविदा का प्रकाशन समाचार पत्रों में नहीं किया .आयुक्त के रिश्तेदारों की संस्था को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से सरकारी योजना को चुना लगाया गया .इस बारे में आपको पूर्व में भी सूचित किया गया था की नगर परिषद् के आयुक्त और कार्मिको की संस्थाओ के साथ मिलीभगत हे काम करने वाली स्थानीय संस्थाओ को दरकिनार कर रेड्डी संस्था को काम गत पांच सालो से दिया जा रहा हें ,इस संस्था द्वारा काम भी नहीं किया जाता मिलीभगत और आपसी बाँट के चलते भुगतान उठा लिया जाता हें ,इस बार भी यही .इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा पंचायत राज सचिव को जांच के आदेश भी दिए गए थे ,मगर आयुक्त द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशो की अनदेखी कर नियमो के विरुद्ध अपनी मनमर्जी से चहेती संस्थाओ को कार्य आवंटित किया हें .उक्त प्रकरण की प्रशासनिक अधिकारी से तत्काल जांच करा कार्य आवंटन पर रोक लगाई जाये तथा आयुक्त और कार्मिको के खिलाफ सरकारी राशी के दुरूपयोग पर नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जाए .ग्रुप फॉर पीपुल्स ने इस आशय का ज्ञापन जिला कलेक्टर तथा मुख्यमंत्री को भेजा हें