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शनिवार, 7 मई 2011

, के समाचार पत्र दैनिक मरु महिमा का स़त्रहवाँ स्थापना दिवस समारोह आतंकवाद का खात्मा करने बहुआयामी प्रयास जरूरी



जैसलमेर के समाचार पत्र दैनिक मरु महिमा का स़त्रहवाँ स्थापना दिवस समारोह
आतंकवाद का खात्मा करने बहुआयामी प्रयास जरूरी
       जैसलमेर, 7 मई/आतंकवाद हमारे आस-पास से लेकर दुनिया में पांव पसार रहा है। इसके समूल उन्मूलन के लिए दुराग्रहों और पूर्वाग्रहों से मुक्त कार्यवाही, दृढ़ इच्छाशक्ति और राष्ट्रीय चरित्र के साथ मानवधर्म को व्यापक दुनियावी प्रसार जरूरी है।
       यह विचार जैसलमेर कलाकार कॉलोनी स्थित वृद्धाश्रम में शनिवार को दैनिक मरु महिमा के सत्रहवें स्थापना दिवस पर ‘‘प्रायोजित आतंकवाद की चुनौती’’ विषयक विचार गोष्ठी में प्रबुद्धजनों ने व्यक्त किए।
       जिला कलक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा गोष्ठी में मुख्य अतिथि थे जबकि अध्यक्षता पूर्व विधायक गोवर्द्धन कल्ला ने की। विशिष्ट अतिथियों के रूप में लुधियाना(पंजाब) में यूआईटी के चैयरमेन मदनमोहन व्यास, भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष पूरणसिंह भाटी, जैसलमेर नगरपालिकाध्यक्ष अशोक तँवर एवं जैसलमेर पंचायत समिति के प्रधान मूलाराम चौधरी उपस्थित थे। अतिथियों के साथ ही विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता एसबीके राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. उम्मेदसिंह इंदा थे। गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्य चिंतक दीनदयाल ओझा, मनीषी शिक्षाशास्त्री बालकृष्ण जोशी आदि ने विचार रखे।
      कई चेहरे लिए है आतंकवाद
       विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि, जिला कलक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा ने स्थानीय परिप्रेक्ष्य से लेकर वैश्विक धरातल तक न्यूनाधिक पसरे हुए आतंकवाद को मौजूदा पीढ़ी के लिए चुनौती बताया और कहा कि इसके खात्मे के लिए डर का माहौल समाप्त करते हुए इसकी जड़ों पर प्रहार करने की जरूरत है।
       जिला कलक्टर ने कहा कि आतंकवाद के लिए पैसा ही सबसे बड़ा प्रायोजक है और ऐसे में आतंकवादियों तक पहुंचने वाले पैसे को रोका जाना जरूरी है। उन्होंने आतंकवाद के लिए जिम्मेदार कारकों की चर्चा की और कहा कि एक-दूसरे के प्रति दुर्भावना का व्यापक विस्तार, धर्मान्धता, धर्माडम्बर और साम्राज्यवादी दृष्टिकोण ही इसके जनक हैं।
       कुशवाहा ने कहा कि आतंकवाद वह ही नहीं हैं जिसे प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है बल्कि आतंकवाद हमारे आस-पास भी कई-कई चेहरे लिए घूम रहा है और हमारी आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है। उन्होंने कहा कि समाज-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी ड्यूटी के प्रति वफादारी नहीं निभाने से आने वाली पीढ़ियों के निर्माण और समग्र विकास के स्वप्नों पर आघात पहुंचता है और यह भी एक तरह का आतंकवाद है जिसके प्रति हमें चिंतन करना होगा।
      भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संवहन से ही आतंकवाद का खात्मा
       जिला कलक्टर ने कहा कि जहां कहीं शिक्षा और समझ की कमी अथवा प्रभुत्व की होड़ है, जहां नकारात्मक चिन्तन और संस्कारहीनता का माहौल है वहीं आतंकवाद के अंकुर पनप सकते हैं। ऐसे में हमें नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के कालजयी मूल्यों और आदर्शों से जोड़ने पर सर्वाधिक ध्यान देना होगा और अच्छी तरह यह समझ पैदा करनी होगी कि धर्म और विविधताएं इस देश की विशेषताएं हैं लेकिन भारतीय संस्कृति सर्वत्र समान है। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं रहा है।
      मीडिया सकारात्मक चिंतन करे
       जिला कलक्टर ने दुनिया में आतंकी हमलों के बाद मीडिया की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया को ऐसी घटनाओं के बाद वीभत्स चित्र दिखाकर भय का माहौल पैदा करने की बजाय देश हित में सकारात्मक चिंतन के साथ काम करना होगा ताकि लोगों में भय पैदा करने के मकसद से होने वाले आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार लोग हतोत्साहित हो सकें।
      मुख्य वक्ता डॉ. इंदा की ओजस्वी वार्ता
       विचार गोष्ठी में ‘‘प्रायोजित आतंकवाद की चुनौती’’ विषय पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ता विभागाध्यक्ष(राजनीति विज्ञान) डॉ. उम्मेदसिंह इंदा ने आतंकवाद को शक्तिशाली के विरूद्ध शक्तिहीन की रणनीति बताते हुए कहा कि आतंकवाद को सामान्य घटना की संज्ञा देने वाले आकाओं को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले से अच्छी तरह पता चल गया कि इसके घातक असर से एशिया कितना प्रभावित है।
       उन्होंने कहा कि प्रायोजित आतंकवाद से आज पूरी दुनिया त्रस्त है। ‘जिहाद इनसाइक्लोपीडिया’ के कई तथ्यों को रेखांकित करते हुए डॉ. इंदा ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद पर सियासत करने के स्थान पर संवेदना की रणनीति अपनानी चाहिए। राह भटके हुए लोगों और लक्ष्य केन्द्रित आतंकवादियों के बीच अंतर को साफ किया जाना चाहिए और आतंकवाद को कहीं भी मज़हबी नज़रिये नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि दुनिया का कोई भी मजहब निर्दोषों की हत्या की आज्ञा नहीं देता।
      आतंकियों के मददगारों पर शिकंजा कसे
       डॉ. इंदा का मत था कि आतंकवादी कारिन्दों को दण्ड मिलना चाहिए लेकिन इससे कई गुना दण्ड उन लोगों को मिलना चाहिए जो इनके संगठनों से संबंध रखते हैं और धन की मदद करते हैं। इसके लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश मेें अनुमति देते समय भी इन विषयों पर गंभीर ध्यान देना जरूरी है।
       उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आतंकवाद की मान्य परिभाषा सामने आनी चाहिए वहीं आतंकी देशों को शेष दुनिया से बहिष्कृत किया जाना चाहिए। उन्होंने साइबर और नार्कों आतंकवाद पर तुरन्त रोक लगाने पर जोर दिया और मीडिया को राय दी कि होड़ की प्रवृत्ति छोड़ कर संजीदा रूप में पेश आए।
    


      आतंकवाद मानव सभ्यता पर कलंक
       पूर्व विधायक गोवर्द्धन कल्ला ने आतंकवाद को वैश्विक समस्या बताते हुए कहा कि यह मानव सभ्यता के लिए कलंक है जिस पर काबू पाना वर्तमान पीढ़ी का फर्ज है। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन और संस्कृति तथा जीवनपद्धति में आध्यात्मिक रसांे का इस कदर समावेश है कि दूरदराज की झोंपड़ी में बैठा देहाती भी मस्ती के साथ जिन्दगी जीता है जबकि दूसरी ओर अमरीका का महानतम धनाढ्य भी पग-पग पर असन्तोष की मानसिकता में उलझा रहता है।
       कल्ला ने कहा कि अव्यवस्थाओं से व्यवस्था तलाशने और हिंसा के सहारे प्रभुत्व पाने के परिणाम सदैव घातक रहे हैं और इनसे समाज का भला कभी नहीं हो सकता है। आज संस्कारों और परम्परागत मूल्यों के बूते सामाजिक क्रांति लाकर तथा गांधीवाद को अपना कर ही आतंकवाद का खात्मा किया जा सकता है।
      शैशव से ही हो संस्कारों का संवहन
       लुधियाना यूआईटी के चैयरमेन मदनमोहन व्यास ने कहा कि देश के सम्मान को चोट पहुंचाने वाले आतंकवाद का खात्मा सबसे प्राथमिक जरूरत होनी चाहिए। देश हितों को सर्वोपरि रखते हुए सुरक्षा के प्रबन्ध सुनिश्चित करने के साथ ही आतंकवाद को आरंभिक अवस्था में ही खत्म कर देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि शैशव में ही देशभक्ति और संस्कारों की भावनाओं का संवहन किया जाए तो व्यक्ति कभी भटकता नहीं।
       जैसलमेर पंचायत समिति के प्रधान मूलाराम चौधरी एवं जैसलमेर नगरपालिकाध्यक्ष अशोक तँवर तथा भूमि विकास बैंक चैयरमेन पूरणसिंह भाटी और द लिटल हार्ट स्कूल प्रबन्धक श्रीमती सुनीता एस. भाटी ने भी विचार रखे और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
       शिक्षाशास्त्री बालकृष्ण जोशी ने आतंकवाद को समाप्त करने के लिए दोहरे मानदण्ड समाप्त करने, उपद्रवियों को समाज से बहिष्कृत करने, आतंकी देशों को विश्व बिरादरी से अलग करने आदि पर जोर दिया।
       आरंभ में वरिष्ठ साहित्य चिंतक दीनदयाल ओझा ने दैनिक मरु महिमा के 16 वर्ष के सफर पर प्रकाश डाला और कहा कि जैसलमेर के विकास तथा जनाकांक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरते हुए अखबार ने अपना अहम स्थान बनाया है। निरन्तरता और निष्पक्षता के साथ जन सेवा का आदर्श स्थापित करने में अग्रणी भूमिका की बदौलत यह लोगों के दिलों में घर कर चुका है।
       दैनिक मरु महिमा के प्रधान संपादक श्याम सुन्दर व्यास ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया और कहा कि आदर्श पत्राकारिता और लोक जागरण का लक्ष्य सामने रखकर पत्र ने जन-जन में अमिट छवि कायम की है इसके लिए सुधी पाठकों के प्रति उन्होंने आभार ज्ञापित किया।  विचार गोष्ठी का संचालन रंगकर्मी विजय बल्लाणी ने किया जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म पत्र के संपादक शरद व्यास ने अदा की। कार्यक्रम में साहित्यकार, शिक्षाविद्, मीडियाकर्मी, समाजसेवी और शहर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।
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