जैसलमेर रामगढ़ सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा भारतीय सीमा की चौकसी के साथ साथ तनोट माता के दर्शनार्थ आने वाले भक्तों की सेवा भी की जा रही है। मुख्य द्वार से माता के मंदिर तक पैदल चलकर पहुंचने में असमर्थ भक्तों को बीएसएफ के जवान व्हील चेयर पर बिठा कर माता के दर्शन करवा रहे हैं। जवानों की इसी भक्ति भावना से माता के दर्शनार्थ आने वाला हर श्रद्धालु प्रभावित है। 62वीं वाहिनी सीमा सुरक्षा बल के समादेष्टा मनोज कार्की के निर्देशन में जवानों द्वारा तनोट में व्यवस्था सुचारू रूप से चलाई जा रही है। प्रतिदिन दो समय चलने वाले माता के भण्डारे में जवानों की ओर से मान मनुहार कर भक्तों को भोजन करवाया जाता है। जवान सीमा की चौकसी के साथ तनोट मंदिर का जिम्मा बखूबी निभा रहे हैं। तनोट आने वाला हर भक्त सीमा सुरक्षा बल के जवानों के सेवा भावना से किए जा रहे कार्य की सराहना करता है। बीएसएफ द्वारा रात्रि विश्राम करने वाले भक्तों को बिस्तर आदि मुहैया करवाए जा रहे हैं वहीं मंदिर परिसर में निशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ पुलिसथाना रामगढ़ के सहायक उप निरीक्षक देवीसिंह मय जाब्ते के मौजूद है।
तनोट में जमता है आरती का अनूठा रंग
सीमा क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। नवरात्र के मौके पर तनोट में इन दिनों माहौल भक्तिमय बना हुआ है। मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में प्रतिदिन सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा की जाने वाली आरती में भक्ति भावना के साथ जोश का अनूठा रंग नजर आता है। आरती के दौरान मंदिर परिसर में उपस्थित हर श्रद्धालु झूमने पर विवश हो जाता है। मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में प्रतिदिन तीन समय आरती होती है इस दौरान समूचा मंदिर परिसर खचाखच भर जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले माता तनोट के मेले में दूर दराज से हजारों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं वहीं सैकड़ों श्रद्धालु पैदल यात्रा कर माता के दरबार में पहुंच रहे हैं।
दैनिक हवन में दी आहुतियां
सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में आस्था का ज्वार उमड़ रहा है। तनोट में माता के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो जाता है। मंदिर में सोमवार को हुए हवन में भक्तजनों ने आहुतियां देकर देश में खुशहाली की कामना की। सांयकालीन आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शरीक हुए तथा आरती के बाद माता के भण्डारे में प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया। बाहरी जिलों से आए भक्तों ने तनोट में रात्रि विश्राम किया।