तारबंदी किसके जिम्मे..रख रखाव के अभाव में देश की सुरक्ष पर खतरा ?
बाड़मेर - राजस्थान के चार जिलों की पाकिस्तान से सटी सरहद पर पड़ौसी मुल्क की ओर से राष्ट्र विरोधी गतिवधियों पर अंकुश के उद्देश्य से की गई कांटेदार तारबंदी के रखरखाव की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है। यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय की फाइलों में अटका है। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग ने बाड़मेर,जैसलमेर,श्रीगंगानगर और बीकानेर में तारबंदी का काम वर्ष1990 से वर्ष1997 तक पूरा कर लिया, लेकिन बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) को सुपुर्द नहीं हो सका।
वर्ष 1994 तक बॉर्डर के चार जिलों में लगभग अस्सी फीसदी कार्यपूरा कर लिया था। इस दौरान जैसलमेर और बीकानेर के कुछ हिस्सों में कार्य शेष रह गया। यह कार्य भी वर्ष1997 तक पूरा हो गया। सीपीडब्ल्यूडी ने कार्य पूरा कर इसे बीएसएफ को हैण्डओवर कर दिया, लेकिन बीएसएफ ने गृह मंत्रालय से कोई निर्देश नहीं मिल पाने के कारण इसे स्वीकार नहीं किया।
अब हो रही है दिक्कत: चारों जिलों में एक हजार किलोमीटर से अधिक लम्बी इस तारबंदी के रख-रखाव को लेकर बीएसएफ के सामने परेशानियां खड़ी हो रही है।
लोहे की तारबंदी कई स्थानों पर जंग लगने, आंधियों व पशुओं के कारण टूटने, धोरों में दबने के कारण चौकसी में दिक्कते आ रही है। बीएसएफ में भी तारबंदी ठीक करने के लिए अलग से तकनीकी कार्मिक सरहद पर तैनात नहीं हैं। मेंटेनेंस के बड़े कार्य के लिए सीपीडब्ल्यूडी को पत्र भेजा जाता है। इसके बाद वह कार्य शुरू करता है।
यह है स्थिति
वर्तमान में इस समस्याओं से निपटने के लिए बीएसएफ और सीपीडब्ल्यूडी सामूहिक प्रयास कर रहा है। तारबंदी के मेंटेनेंस के दौरान कम खर्चे का कार्य बीएसएफ कर रहा है और बड़ा कार्य सीपीडब्ल्यूडी के जरिए करवाया जाता है।
लोहे की तारबंदी कई स्थानों पर जंग लगने, आंधियों व पशुओं के कारण टूटने, धोरों में दबने के कारण चौकसी में दिक्कते आ रही है। बीएसएफ में भी तारबंदी ठीक करने के लिए अलग से तकनीकी कार्मिक सरहद पर तैनात नहीं हैं। मेंटेनेंस के बड़े कार्य के लिए सीपीडब्ल्यूडी को पत्र भेजा जाता है। इसके बाद वह कार्य शुरू करता है।
यह है स्थिति
वर्तमान में इस समस्याओं से निपटने के लिए बीएसएफ और सीपीडब्ल्यूडी सामूहिक प्रयास कर रहा है। तारबंदी के मेंटेनेंस के दौरान कम खर्चे का कार्य बीएसएफ कर रहा है और बड़ा कार्य सीपीडब्ल्यूडी के जरिए करवाया जाता है।