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शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

जैसलमेर,फलौदी में आज होगा रम्मत का मंचन


    जैसलमेर,फलौदी में आज होगा रम्मत का मंचन

संस्कृति और आध्यात्म की धर्मस्थली फलौदी में आज शनिवार 8 अगस्त को सती सावित्री रम्मत का मंचन होगा।

स्थानीय संयोजक संजय बोहरा ने बताया कि फलौदी में रम्मत का मंचन गोलोकवासी श्री बद्रीनारायण चाण्डा, संस्थापक, महालक्ष्मी टेन्ट हाउस की स्मृति में किया जा रहा है। शनिवार रात 9 बजे जैसलमेरीय शैली में पहली बार सती सावित्री रम्मत खेली जाएगी, जिसकी मंचन महालक्ष्मी कटला उम्मेदपुरा में किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि जैसलमेर से दो बसें निःश्षुल्क रवाना होगी। जिसमें से एक बस सुबह 10बजे तथा दूसरी बस अपरान्ह 3 बजे किला पार्किग से रवाना होगी।

फलौदी स्थित आयोजन समिति ने जैसलमेर व पोकरण आदि स्थानों से समय पर फलौदी पहुचने वाले रम्मत प्रेमियों के लिए आवास व भोजन पानी की निःषुल्क व्यवस्था की है। अतः समस्त रम्मत प्रेमियों से अनुरोध किया गया है कि वे समय पर 9 बजे से पूर्व फलौदी पहुंचकर मेहमान नवाजी का आनंद लें।

उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर रम्मत की समस्त तैयारियां पूरी कर ली गई है। तालीम व पूर्वाभ्यास पूरा हो चुका है। रम्मत के वरिष्ठ व पुराने अनुभवी खिलाडियों ने भी फलौदी पहुंचने की सहमति व इच्छा जताई है।

संयोजक बोहरा ने बताया कि उस्ताद प्रेमराज सेवग के निर्देषन व वासुदेव बिस्सा, मुकनलाल जगाणी तथा नखतमल शर्मा व वल्लभदास व्यास के सहयोग से रम्मत की तालीम पूरी की गई है। इस रम्मत में प्रेमराज सेवग व मुकनलाल जगाणी मिठू व यष शर्मा मिठूडी, षिवजी व्यास छैला व जयंत पुरोहित तम्बोलन का पार्ट निभायेंगे।

इसी प्रकार यष व प्रवीण व्यास नटी सूत्रधार, कमल खेतपालिया हलकारा, नवल पुरोहित अष्वपति, राजेष पुरोहित राणी मालवी, प्रवीण व्यास, चमन पुरोहित, राकेष जोषी व बृजवल्लभ व्यास ऋषि की भूमिका निभाएंगे।

उन्होने बताया कि कमल आचार्य सावित्री का, दिलीप शर्मा मंत्री का, जयेष शर्मा देवी का, रमेष बिस्सा सत्यवान का, शेखर व्यास नारद का, राणीदान सेवग राजा धुमत्सेन का, जयंत पुरोहित रानी का किरदार निभांएगें। इसी प्रकार हीरालाल शर्मा, नटवर आचार्य, कमल खेतपालिया व षिवजी व्यास यमदूत का अभिनय करेंगे। नरेन्द्र पुरोहित धर्मराज का रोल करेंगे।

बोहरा ने बताया कि गोविन्द गोपाल जगाणी तबले से, बृज बिस्सा व राजेन्द्र व्यास ढोलक से टेरियों की संगत करेंगे। उम्मेद व्यास भोपत के नेतृत्व में टेरिए रम्मत का रंग जमाएगें।

सोमवार, 19 अगस्त 2013

राजा भर्तृहरि अटल न्याय पर पांव धरे' का मंचन

राजा भर्तृहरि अटल न्याय पर पांव धरे' का मंचन

रम्मत का किया मंचन, युवा कलाकारों ने भी दिखाई प्रतिभा 




जैसलमेर 
राजा भर्तृहरि के ख्याल की रम्मत का मंचन शनिवार रात को गोपा चौक में किया गया। रम्मत का लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी उमड़े। पूरी रात चले इस कार्यक्रम में रम्मत प्रेमी जमे रहे। सुबह रम्मत की समाप्ति के पश्चात सभी कलाकारों ने लक्ष्मीनाथजी के दर्शन किए तथा रम्मत समाप्ति की घोषणा की। 

रम्मत में कलाकारों ने सभी पात्रों को जीवंत कर दिया। इसके साथ ही टेरियों ने भी रंग को दुगुना किया। रम्मत के स्थापित कलाकारों के साथ-साथ युवा कलाकारों ने भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। युवा कलाकारों ने भी स्थापित कलाकारों के साथ संगत की।

युवा कलाकारों ने मनमोहा

शनिवार रात को हुई रम्मत में स्थापित कलाकारों के साथ युवा कलाकारों ने भी अपनी प्रतिभा के जौहर दिखाए। फराश के किरदार में गिरधर पुरोहित, रानी पिंगला के किरदार में नरेन्द्र खेतपालिया ने अपनी प्रतिभा के बलबूत रम्मत का रंग जमाया।

इनके साथ ही अन्य युवा कलाकारों ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई। रम्मत में राजा भर्तृहरि की रम्मत में राजा भर्तृहरि का किरदार नवल पुरोहित ने, रानी पिंगला नरेन्द्र खेतपालिया, भर्तृहरि के भाई विक्रम कमल आचार्य, गुरु गोरखनाथ रमेश बिस्सा, दीवान राणीदान सेवक, मि_ू हरिवल्लभ शर्मा, बिस्ती कमल खेतपालिया, फराश गिरधर, हलकारा तुषार, कोचवान शेखर डावाणी, दासी नरेन्द्र व्यास, ब्राह्मण महेश पुरोहित, मृग कमल खेतपालिया, मृगनियां पिंटू, पिन्नू तथा जयंत, गणिका का किरदार राजन, बेटी का किरदार हिना ने निभाया। इसके साथ ही टेरियों में प्रमुख रुप से उम्मेद आचार्य, नवल व्यास तथा उम्मेद भोपताणी द्वारा संगत दी गई।

देर रात तक जमे रहे दर्शक: तीन वर्षों बाद हुई रम्मत का शहरवासियों ने जम कर लुत्फ उठाया।

पूरे रात चलने वाले इस लोक नाट्य को देखने के लिए दर्शक पूरी रात जमे रहे तथा कलाकारों का मनोबल बढ़ाया। रात 9 बजे प्रारंभ हुई रम्मत सुबह 5 बजे तक चली। 

शनिवार, 17 अगस्त 2013

मरणोपरांत सम्मानित होंगे रम्मत के लोक कलाकार खेत सिंह जंगा


बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक की पहल रंग लाई


मरणोपरांत सम्मानित होंगे रम्मत के लोक कलाकार खेत सिंह जंगा 

खेत सिंह के बिना अधूरी है रम्मत


जैसलमेर.जैसलमेर की प्रसिद्ध लोक नाट्य रम्मत के मंझे लोक कलाकार खेत सिंह जंगा को मरणोपरांत जैसलमेर स्थापना दिवस पर यु आई टी सम्मानित करेगी। पहली बार खेत सिंह जंगा को लेकर बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक ने उनकी जीवनी के साथ मुहीम। एक होनहार कलाकार को वो सम्मान नहीं मिला जिसके हकदार थे। बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक सहित देश की कई पत्र पत्रिकाओ में खेत सिंह जंगा की जीवनी प्रकाशित हुई थी। 

जैसलमेर स्थापना दिवस पर खेत सिंह जंगा को मरणोपरांत सम्मान दिया जा रहा हें। यह सम्मान उनके पुत्र रमण जंगा ग्रहण करेंगे 

जीवन परिचय खेत सिंह जंगा 

राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर में होली के समय आयोजित नाट्यशैली का कार्यक्रम "रम्मत" लोकप्रिय कलाकार खेत सिंह जंगा के बिना अधूरी लगने लगी है. ऐतिहासिक एवं पौराणिक अख्यानों पर रचित काव्य रचनाओं कामंचीय अभिनय "रम्मत" की शुरुआत बीकानेर क्षेत्र में करीब 100 साल पहले होली एवं सावन आदि के अवसर पर होने वाली लोक काव्य प्रतियोगिताओं से हुई थी. आरंभ में रम्मत को पाठशालाओं में खेला जाता था. बीकानेर में रम्मत होलाष्टक के प्रारंभ से चतुर्दशी या पूर्णिमा तक खेली जाती है. जैसलमेर के अलावा रम्मतें बीकानेर, पोकरण, फलौदी और आसपास के क्षेत्रों में खेली जाती है. लोक कवियों ने राजस्थान के विख्यात ऐतिहासिक एवं धार्मिक लोक नायकों एवं महापुरुषों पर काव्य रचनाएं की जिससे रम्मत और ख्यात के कलाकार सिर्फ मनोरंजनकर्ता ही नहीं थे अपितु समाज में हो रही क्रांति के प्रति पूरी तरह से जागरुक भी थे. रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगा जैसलमेर के प्रसिद्व कलाकार थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में कई बार यादगार अभिनय किया. जैसलमेर में हजुरी समाज के साधारण परिवार में लाधू सिंह जंगा के यहां जन्मे खेत सिंह जंगा को बचपन से ही रम्मत देखने का शौक था. रम्मत के बढ़ते आकर्षण ने उन्हें एक बेहतरीन कलाकार बना दिया. उनकी फाग गायकी को तो जैसलमेर के राजदरबार ने भी मान्यता दे रखी थी. इसके बावजूद उनको वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे. -

रविवार, 10 मार्च 2013

रम्मत के लोकप्रिय खिलाड़ी रहे खेत सिंह जंगा

रम्मत के लोकप्रिय खिलाड़ी रहे खेत सिंह जंगा

चन्दन सिंह भाटी
जैसलमेर ' रम्मत ' खेल को ही कहते हैं। ऐतिहासिक एवं पौराणिक आख्यानों पर रचित काव्य रचनाओं का मंचीय अभिनय की बीकानेर - जैसलमेर शैली को रम्मत के नाम से अभिहित किया गया है। जैसलमेर की रम्मतों का अपना अलग ही रंग है।जैसलमेर के अलावा रम्मतें बीकानेर पोकरण, फलौदी, और आस-पड़ोस के क्षेत्र में खेली जाती हैं। ये कुचामन, चिड़ावा और शेखावटी के ख्यालों से भिन्न होती है। 100 वर्ष पूर्व बीकानेर क्षेत्र में होली एवं सावन आदि के अवसर पर होने वाली लोक काव्य प्रतियोगिताओं से ही इनका उद्भव हुआ है। कुछ लोक कवियों ने राजस्थान के सुविख्यात ऐतिहासिक एवं धार्मिक लोक - नायकों एवं महापुरुषों पर काव्य रचनाएँ की।इससे प्रकार रम्मत और ख्याल के खिलाड़ी सिर्फ मनोरंजनकर्ता ही नहीं थे, अपितु वे समाज में हो रही क्रांति के प्रति पूरी तरह से जागरूक भी थे।आरंभ में रम्मत को पाठशालाओं में खेलाया जाता था। इसे खेलने वाले 'खेलार' कहलाते थे। बीकानेर में रम्मत होलाष्टक के प्रारंभ अर्थात फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से चतुर्दशी या पूर्णिमा तक खेली जाती है। बीकानेर के लगभग प्रत्येक चौक में रम्मत घाली जाती है।रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगास्वर्णनगरी -- जैसलमेर की रम्मत कला,के ख्यातिनाम कलाकार खेत सिंह जंगाका नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हें ,। जैसलमेर के इतिहास में अपना एकउल्लेखनीय स्थान रखते हैं। रम्मत कला के भी वह धुरंधर थे। जैसलमेर मेंसमय समय पर आयोजित रम्मतो के आयोजन खेत सिंह जंगा के बिना अधूरी मानीजाती थी ,उन्हें रम्मत से ख़ास लगाव रहा .अपने जीवनकाल पर्यंत रम्मत के आयोजन से लेकर पात्र निभाने तक सक्रीय रहे .बेहतरीन लोक कलाकार होने केबावजूद उन्हें वो मान सम्मान नहीं मिला जिनके वो हकदार थे ,जैसलमेर कृष्णकंपनी द्वारा रम्मतों का आयोजन किया जाता रहा हें । जिसमे खेत सिंह जंगाद्वारा यादगार अभिनय किया गया .जैसलमेर का गोपा चौक उनके अभिनय क्षमता कागवाह बना कई बार .अभी भी जैसलमेर में जब भी रम्मत का आयोजन होता हें खेतसिंह जंगा की तस्वीर साक्षी होती हें ,रम्मत कलाकार के रो में उन्होंने जो ख्याति अर्जित की वो हर एक को नसीब नहीं होती ,किले उपर कोटड़ी पाड़ा निवासी खेत सिंह जंगा हजुरी समाज के साधारण परिवार में लाधू सिंह जंगा केयहाँ जन्मे थे ,शिक्षा दीक्षा के अभाव में स्व रोजगारसे घर परिवारचलते थे.उन्हें बचपन से रम्मते देखने का शौक था ,उनके इसी शौक नेउन्हें रम्मतो में अभिनय के लिए आकर्षित किया .छोटे छोटे किरदार निभाकरअपने अभिनय की छाप छोड़ी ,ब्वाद में तो उनके किरदार के बिना रम्मत के मंचनकी कल्पना भी जैसलमेरवासी नहीं कर सकते ,खेत सिंह जैसलमेर में जोरशोर से माने जाने वाले होली पर्व की पहली जरुरत थे ,उनकी फाग गायकी का कोई सानी नहीं था ,जब वो फाग गाने में तल्लीन होते तब जैसलमेर के वासिंदो काहुजूम उमड़ पड़ता .उनकी फाग गायकी को जैसलमेर राज दरबार ने ख़ास मान्यता देरखी थी.होली के दिन जंगा अपनी फाग टोली दरबार के यंहा जरुर ले जाते,राज दरबार के यंहा उनकी खास आवभगत होती ,फाग गायिकी का दौर खेत सिंह जंगा केसाथ ख़त्म हो गया .हेड़ाऊ री रम्मत,अमरसिंह री रम्मत,पूरन भक्त री रम्मत,मोरध्वज री रम्मत,डूंगजी जवाहर जी री रम्मत,राजा हरिशचन्द्र री रम्मतऔर गोपीचन्द भरथरी री रम्मत।--काफी लोकप्रिय थी .