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गुरुवार, 25 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी। । मुख्यमंत्री निशुल्क जाँच योजना में कार्मिको की भर्ती में हुई थी धांधली


बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी। । मुख्यमंत्री निशुल्क जाँच योजना में कार्मिको की भर्ती में हुई थी धांधली

बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अंधेरगर्दी का आलम हे ,अधिकारियो पर कार्मिक हावी हे जो भरष्टाचार के जरिये विभाग को खोखला बनाने में जूता हैं। गत वर्ष राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के तहत एक संता के माध्यम से लगाये गए कार्मिको की भर्ती में जैम कर फर्जीवाड़ा किया गया था ,


मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने तत्काल चिकितसलयो में लेब टेक्नीशियन ,रेडिओग्राफर ,जी इन एम ,ए इन एम सहित कई पदो पर भर्ती के आदेश दिए थे ,जिसके तहत जालोर की एक संस्था जो विभाग के एक कार्मिक के रिश्तेदार की थी को काम दिया गया ,उक्त संस्थाको कार्मिको की भर्ती अनुबंध आधार पर करनी थी ,

संस्था द्वारा विभागीय कार्मिको को ओब्लाइज करने के उद्देश्य से गैर योग्यताधारियों को नियुक्त कर दिया ,जिन लोगो ने आवेदन किया था उनके दस्तावेजो की जांच किसी स्तर पर करने की बजाय सीधे नियुक्ति आदेश थमा दिए ,इन कार्मिको से संस्था पन्द्र फीसदी सुविधा शुल्क भी वसूल कर रही थी ,जिसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लिखित में देने के बाद भी संस्था के कार्यवाही नहीं हुई ,कार्मिको की बिना योग्यता फर्जी दस्तावेजो के आधार पर नियुक्ति की पोल तब खुली जब बाड़मेर के रानीगाँव में एक रेडिओग्राफर की नियुक्ति की गयी ,इस नियुक्त रेडियोग्राफर की ग्रामीणो द्वारा शिकायत की गयी की यह रिडिओग्राफर पद पर कार्य करने वाला वास्तव में दशवी कक्षा भी पास नहीं कर पाया कभी ,ग्रामीणो ने दशवी फेल के दस्तावेज तक प्रस्तुत कर दिए थे ,इसी तरह जिले में फर्जी दस्तावेज के आधार पर लेब टेक्नीशियनों रेडिओग्राफर ,जी इन एम और ए इन एम की भारतीय की गयी ,




इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री को ग्रुप फॉर पीपुल्स के कार्यकर्ताओ में मुख्यमंत्री को पात्र भेज कर मुख्य मंत्री निशुल्क जांच योजना के दौरान अनुबंध पर लगे गए तकनिकी कार्मिको के दस्तावेजो की जांच की मांग की हैं।




सूत्रों ने बताया फर्जी दस्तावेज उपलब्ध करने के लिए बाड़मेर में एक गिरोह सक्रीय हे जिनकी विभागीय कार्मिको से मिलीभगत हैं ,मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना की भर्ती प्रक्रिया की पूर्ण जांच की जाए तो बहुत बड़ी साज़िश सामने आ सकती हैं

शनिवार, 20 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी भाग 5 निशुल्क दवा योजना में स्टोरकीपर द्वारा की खरीद की जांच ठन्डे बस्ते में क्यों ?



बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी भाग 5


निशुल्क दवा योजना में स्टोरकीपर द्वारा की खरीद की जांच ठन्डे बस्ते में क्यों ?


बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर में भरस्टाचार की जड़े गहरी होती जा रही हे। आठ माह पूर्व निःशुल्क दवा योजना में विभाग के स्टोरकीपर द्वारा दवा खरीद में की गयी अनियमितताओं के मामले की जांच के आदेश तत्कालीन प्रबंध निदेशक ,आर एम एस सी एवं पदेन संयुक्त शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग विभाग डॉ समित शर्मा ने स्थानीय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए थे मगर अधिकारी ने राजनितिक दबाव के चलते जांच को ठन्डे बस्ते में डाल दिया।


निशुल्क दवा योजना के जिला परियोजना समन्वयक डॉ बी एस गहलोत ने प्रबंध निदेशक जयपुर को अधिकृत पत्र क्रमांक ddw /2013 /307 दिनांक 19 /11 /2013 को लिख सनसनी खेज खुलासा करते हुए बताया की की जिला अौषध भंडार में कुछ दवाईयां की भंडार में पूर्ण और अधिकता में उपलब्धता के बावजूद स्थानीय कार्यालय द्वारा स्थानीय स्तर पर क्रय कर चिकित्सा संस्थानों को उनकी जानकारी के बिना भिजवा दी जिसके कारन चिकित्सा संस्थान दवाईयो की मांग नहीं कर रहे जिसके चलते भंडार में में उपलब्ध दवाईया अवधि पार हो रही हे। ऐसी दवाईया बड़ी मात्रा में उपलब्ध हे ,उन्होंने स्पष्ट लिखा की इस अनियमित खरीद में मुख्य चिकित्सा विभाग के स्टोरकीपर द्वारा सारे नियम ताक में रख खरीद की गयी हे।


परियोजना समन्वयक ने लिखा था की उनके द्वारा चिकित्सा संस्थानों में किये निरिक्षण से इस अनियमित खरीद का खुलासा हुआउङ्के द्वारा सिनधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरिक्षण करने पर उन्हें वहा dompreridone 10mg diclofine gel nifedipine और cotrimoxazole मिली जो औषध भंडार से नहीं भेजी गयी। यह दवाईया भंडार में उपलब्ध होने के बावजूद बाज़ार से क्रय की गयी थी। उन्होंने निदेशक से पुरे मामले की जांच के लिए लिखा था। जिस पर तत्कालीन प्रबंध निदेशक समित शर्मा में अपने पत्र क्रमांक 6303/21/11/2013 के तहत विभागीय अधिकारियो को लिखा की यह मामला बहुत गंभीर हे। इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बाड़मेर से लेकर तत्काल कार्यवाही करे।

प्रबंध निदेशक के आदेश के बावजूद स्टोरकीपर के खिलाफ ना कोई जांच हुई न ही कार्यवाही। इससे विभाग में फेली भरष्टाचार पर उंगली उठाना स्वाभाविक हें।

प्रश्न यह उठता हे की औषध भंडार में दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्टोरकीपर ने जिला परिजोयाजना समन्वयक को अँधेरे में रख लाखो रुपयों की दवाईयों की खरीद खुले बाज़ार से क्यों की ।इनके उपलब्ध दवाइयां खरीदने से भंडार में उपलब्ध दवाईयों की मांग ना आने से लाखो रुपयों की दवाईया अवधिपार हो गयी। जिसके जिम्मेदार कौन हे। स्वास्थ्य विभाग की अंधेरगर्दी का यह आलम हे की विभाग में क्या कुछ हो रहा हे उसकी जानकारी तक चिकित्सा अधिकारी को नहीं हे।

स्वास्थ्य विभाग में घोटाले दर घोटाले हो रहे हें ।खुद विभाग जे अधिकारी हैरान हे की उनके द्वारा राज्य सरकार को लिखे जाने के बाद भी कार्यवाही नहीं होती।

सोमवार, 8 सितंबर 2014

बाड़मेर एन आर एच एम में करोड़ों की हेराफेरी ,सी बी आई जांच की मांग

बाड़मेर  एन आर एच एम में करोड़ों की हेराफेरी ,सी बी आई जांच की मांग 
सरकार ने बंद की प्लेसमेंट संस्थाए।स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ झाला। करोडो की हेराफेरी

निरस्त प्लेसमेंट को करोडो का काम देने की तयारी में चिकित्सा विभाग बाड़मेर

बाड़मेर बाड़मेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में लम्बे समय से चल रहे भरष्टाचार के चलते न केवल सरकारी नियम ताक पर रखे जा रहे हे बल्कि सरकार द्वारा निरस्त की गयी प्लेसमेंट संस्था को मिली भगत से करोडो रुपयो का काम आवंटित किया गया। हैं जिसमे स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण स्वास्थ्य समिति के अनुबंधित कार्मिको की खुली मिली भगत शामिल हे।


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा गत दिनों जिला ग्रामीण स्वास्थ्य समिति के माध्यम से प्लेसमेंट संस्थाओ से निविदाए मांगी गयी। इसी विभाग में गत तीन सालो से अधिकारियो और कार्मिको की मिलीभगत से एक ऐसी संस्था को काम नियम ताक में रख कर दिया जा रहा था जिसका पंजीयन रोजगार सेवा निदेशालय द्वारा 2010 में निरस्त किया जा चूका। हैं चूँकि राज्य सरकार के आदेश के पश्चात नई रोजगार एजेंसियों का पंजीयन और पुरानी एजेंसियों नवीनीकरण पिछले डेढ़ साल से बंद हे। ऐसे में फिल वक्त कोई रोजगार एजेंसी वैध नहीं ,हैं। मगर इन आर एच एम बाड़मेर के अधिकारियो और कार्मिको की मिलीभगत से एक ऐसी एजेंसी को काम गत तीन साल से दिया हैं जिसका पंजीयन २०१० में समाप्त हो चूका हे। इस एजेंसी ने रोजगार निदेशालय द्वारा जारी पंजीयन प्रमाण पात्र में कूटरचना के तहत पंजीयन वर्ष अवधि बढाकर २०१८ कर फर्जी और काटछांट वाला प्रमाण पात्र पेश कर धोखाधड़ी से कार्मिको और अधिकारियो मिलीभगत से कार्य आवंटन करा लिया ,जबकि राज्य में मौजूदा समय में कोई रोजगार सेवा एजेंसी कार्यरत नहीं। इसी संस्था को विभागीय भरष्ट कार्मिको ने दो साल पूर्व लाखो रुपयो का कार्य बिना किसी निविदा के नियमो की धज्जिया उड़ा कर दिया गया। इस संस्था से इन आर एच एम के कार्मिको और अनुबंधित अधिकारी की भागीदारी हे जिसके कारन एक ही एजेंसी को सारे नियम ताक में रख कार्य आवंटित किया जा रहा हे।


गत तीन साल के इन आर एच एम कार्यो का भौतिक सत्यापन के साथ उच्च स्तरीय जाँच कराई जाए तो सारी पोल खुल के सामने आ जाएगी ,इस आशय का एक पात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिख पुरे कार्यकाल के सी बी आई जाँच की मांग संगठनो द्वारा की गयी हैं। 


रोजगार सेवा निदेशालय के अधिकारियो ने स्पष्ट किया हे की राज्य सरकार की प्लेसमेंट की नै पॉलिसी आने के बाद रोजगार एजेंसियों के पंजीकरण का कार्य नए सिरे से किया जायेगा ,तब तक राज्य की समस्त रोजगार सेवा एजेंसिया निरस्त कर दी गयी हे जिसकी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर दर्ज हे।