कभी खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था खजुराहो
खजुराहो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। कभी यह स्थान खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था। यही कारण है कि इसका नाम खजुराहो पड़। लेकिन खजुराहो आज खजूर के वन नहीं बल्कि कामुक मूर्तियों से सजी मंदिरों के लिए जाना जाता है
कामुक मूर्तियां क्यों बनाई गयी हैं?
मंदिर के बाहर काम क्रिया करती तस्वीरें कई बार श्रद्घालुओं और दर्शनार्थियों को आश्चर्य में डाल देते हैं कि, भोग और मुक्ति का ऐसा मेल क्यों हुआ है। इस विषय में कई कथाएं जिनसे यह भेद खुलता है कि मंदिर की दीवारों पर कामुक मूर्तियां क्यों बनाई गयी हैं।
चन्द्रमा की कामुकता का परिणाम
खजुराहो के मंदिर के निर्माण के बारे मे एक कहानी कही जाती है कि हेमावती एक सुन्दर ब्राह्मण कन्या थी। वह वन में स्थित सरोवर में स्नान कर रही थी। उसे चन्द्रमा ने देख लिया और उस पर मुग्ध हो गया।
चन्द्रमा ने उसे वशीभूत कर उससे संबंध बना लिए। इससे हेमावती ने एक बालक को जन्म दिया। लेकिन बालक और हेमावती को समाज ने अपनाने से मना कर दिया। उसे बालक का पालन-पोषण वन में रहकर करना पड़ा।
बालक का नाम चन्द्रवर्मन रखा गया। बड़ा होकर चन्द्रवर्मन ने अपना राज्य कायम किया। हेमावती ने चन्द्रवर्मन को ऐसे मन्दिर बनाने के लिए प्रेरित किया जिससे मनुष्य के अन्दर दबी हुई कामनाओं का खोखलापन दिखाई दे। जब वह मन्दिर में प्रवेश करे तो इन बुराइयों का छोड चुके हो।
खत्म हो रहा था काम कला में उत्साह
एक मान्यता यह भी है कि गौतम बुद्घ के उपदेशों से प्ररित होकर आम जनमानस में कामकला के प्रति रुचि खत्म हो रही थी। इसीलिए उन्हें इस और आकर्षित करने के लिए इन मंदिरों का निर्माण किया गया होगा।
तंत्र-मंत्र में विश्वास
खजुराहों के संबंध में एक जनश्रुति यह भी है कि उस समय बच्चे गुरुकुल में पढ़ते थे। इसलिए उन्हें सांसारिक बातों का ज्ञान कराने के लिए इन मंदिरों का निर्माण कराया गया।