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मंगलवार, 27 सितंबर 2016

बाड़मेर सिवाना की ऐतिहासिक धरोहरों के सरंक्षण की मांग-प्रधान ने राज्य की मुख्यमंत्री को लिखा खत




बाड़मेर सिवाना की ऐतिहासिक धरोहरों के सरंक्षण की मांग-प्रधान ने राज्य की मुख्यमंत्री को लिखा खत


सुनील दवे 
सैकड़ो सालों के इतिहास और पराक्रम के प्रतीकों की धरा रही सिवाना आज अपने ऐतिहासिक स्थलों की दुर्दशा होते हुए देख रही है।सिवाना के आस-पास के ऐतिहासिक स्थल आज सरंक्षण की बाट देख रहे है। सिवाना प्रधान ने राज्य सरकार से सिवाना के आस पास की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की मांग की है। सिवाना प्रधान गरिमा राजपुरोहित ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पत्र लिख कर कहा है कि राज्य सरकार ने प्रदेश को विश्व पर्यटन का एक प्रमुख हब बनाने की दिशा में राजस्थान पर्यटन की सफल ब्रान्डिंग, पर्यटन को बढावा देने की नीति, पुरास्मारकों के संरक्षण सहित पर्यटक सुविधाओं के विस्तार के लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे है। इसी का परिणाम है कि राजस्थान आज विश्व मानचित्र पर और अधिक तेजी से उभर रहा है।लेकिन सिवाना के ऐतिहासिक सिवाना फोर्ट,वीर दुर्गादास प्रोल की हालत काफी खराब है।हालाँकि सरकार द्वारा बीते 5 साल में सिवाना दुर्ग पर 1 करोड़ 31 लाख खर्च करने की बात कही गई है लेकिन आज भी इस जगह को राहत के लिए काफी काम की जरूरत है। वीर दुर्गादास प्रोल को बीते मानसून की बारिस से काफी नुकसान पहुँचा है उन्होंने लिखा है कि प्रोल की मुख्य दिवार बीते माह कई जगहों से टूट गई है जिसके जीर्णोद्वार की जरूरत है। अपने पत्र में प्रधान ने जिक्र किया कि केंद्र सरकार की तरफ से राजस्थान के पर्यटन के लिए 500 करोड़ की योजनाओं पर सहमति की मुहर लगी है ।इस सहमति में बाड़मेर को मिनी डेजर्ट सर्किट में शामिल किया गया है। जानकारी के मुताबित बांसवाड़ा, डूंगरपुर, जालोर और सिरोही ट्राइबल सर्किट में, जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर मिनी डेजर्ट सर्किट में शामिल किए जाएंगे ।ऐसे में सिवाना का दुर्ग,विरदुर्गादास प्रोल और ऐतिहासिक हल्देश्वर को मिनी डेजर्ट सर्किट में शामिल किया जा सकता है जिससे यहाँ की धरोहरों को संबल मिलने के साथ साथ पर्यटक भी इससे जुड़ पाएंगे। प्रधान राजपुरोहित ने सरकार के साथ साथ जिलेवासियों का आह्वान किया है कि वे सिवाना और बाड़मेर को देश भर के पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बिन्दू बनाने की दिशा में होने वाले प्रयासों में सहभागी बने। उन्होंने कहा कि अपनी विविधतापूर्ण संस्कृति, गौरवशाली इतिहास को समेटे किलों, हवेलियों, रेतीले धोरों, कला, लोक संगीत, तीज-त्यौहार एवं मेलों की अनूठी विरासत के कारण राज्य की तरह बाड़मेर पर्यटकों के दिलों में विशिष्ट स्थान बना सकता है,बस सकारात्मक कदमो को उठाने की जरूरत है।

गुरुवार, 11 अगस्त 2016

सिवाना। आफत की बरसात , कई गाँवो में बाढ़ की स्थति

सिवाना। आफत की बरसात , कई गाँवो में बाढ़ की स्थति  

रिपोर्ट :- सिवाना से सुनील दवे/तगाराम मोतीसरा 

सिवाना उपखण्ड के राजस्व गांव मोतीसरा, डाबली व रोजियों की ढाणी में पड़ौसी जालोर जिले के भवरानी और रायथल गांवों की ओर से भारी मात्रा में पानी की आवक शुरु होने से इन तीनों गांवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. खेत जलमग्न हेने से खड़ी फसल बरबाद हो गई है पहले से लबालब मोतीसरा का गंवाई तालाब में बाढ़ का पानी आने से तालाब ओवर फ्लो होकर खेतों में राखी की तरफ जा रहा है. मोतीसरा- मोकलसर सम्पर्क सड़क रपट पर दो फुट तक तेज वेग से पानी बह रहा है.





पानी का वेग धीरे- धीरे बढ रहा है

इधर डाबली - मोतीसरा के मध्य सड़क रपट पर पानी आ जाने से डाबली गांव का मोतीसरा से सड़क सम्पर्क अवरुद्ध हो गया है़, बाढ़ के पानी ने डाबली की सरकारी स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र को घेर दिया है उप सरपंच शैतान सिंह ने बताया कि गां की स्कूल में 3-4 फुट पानी घुस गया है ग्रामीणों के आग्रह पर प्रधानाध्यापक तुलसाराम चौधरी ने बाढ़ को देखते हुए आज स्कूल नही खोली. तालाब के नजदीक रह रहे हीराराम भील , मोहनलाल भील का घर बाढ़ की चपेट में आने से गिर गया है ग्रामीणों की मदद से इनके परिजनों को घरों से बाहर निकाला. दोनो बीपीएल परिवारों ने प्रशासन से तुरन्त घरेलु सामान व आर्थिक सहायता मुहैया करवाने की मांग की है़.


रोजियों की ढ़ाणी पानी से घिरी-जालोर जिले की सरहद से सटा मोतीसरा ग्राम पंचायत का राजस्व गांव रोजियों की ढाणी बाढ (खेरवा) से घिर गई है. ग्रामिण दुर्गसिंह ने बताया कि भवरानी की ओर से पानी बड़ी मात्रा में सुबह से ही आना शुरु हुआ था अब भी आ रहा है पानी घरों में घुस सकता है हालांकी ग्रामीणों ने नीजी स्तर से पाल बनाकर रोक दिया है गांव के लाटों मे चार- चार फुट पानी बह रहा है . केशरसिंह ने ढाणी में गैस सिलेण्डर व केरोसीन आपूर्ती की मांग की है. ढाणी का दुसरे गांवों से सड़क सम्पर्क टुट गया है.

तीनों गांव डूब क्षेत्र में- इन तीनों गांवों की भौगोलिक स्थिति डूब एरिये में आती है मोतीसरा निवासी शिक्षा शास्त्री तगाराम बामणिया का कहना है कि पड़ौसी जालोर जिले के गांवों का प्राकृतिक बहाव इन गांवों की ओर है ऐसे में बारिश ज्यादा होने पर मोतीसरा, रोजियों की ढाणी और डाबली टापू बन जाते है


प्रशासन अलर्ट-.
मोतीसरा हल्का पटवारी कमलेश सुथार, सरपंच गिरधारीलाल उप सरपंच शैतानसिंह, सचिव नाथुसिंह ने बाढग्रस्त गांवों का जायजा लिया. पटवारी कमलेश सुथार ने पानी बढोतरी की आशंका जताई है लोगो को पानी से सतर्क रहने को कहा है।।

रविवार, 23 नवंबर 2014

इतिहास जब सिवाना नरेश ने मरोड़ी अपनी मूंछे. . .और तिलमिला उठे सम्राट अकबर

इतिहास 
जब सिवाना नरेश ने मरोड़ी अपनी मूंछे. . .और तिलमिला उठे सम्राट अकबर
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राव कल्ला रायमलोत की गौरवगाथा
जीत जाँगिड़ सिवाणा
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आगरा के किले में अकबर का खास दरबार लगा हुआ था | सभी राजा, महाराजा, राव, उमराव, खान आदि सभी खास दरबारी अपने अपने आसनों पर जमे हुए थे | आज बादशाह अकबर बहुत खुश था,सयंत रूप से आपस में हंसी-मजाक चल रहा था| तभी बादशाह ने अनुकूल अवसर देख बूंदी के राजा भोज से कहा - "राजा साहब हम चाहते है

आपकी छोटी राजकुमारी की सगाई शाहजादा सलीम के साथ हो जाये |"

राजा भोज ने तो अपनी पुत्री किसी मलेच्छ को दे दे ऐसी कभी कल्पना भी नहीं की थी | उसकी कन्या एक मलेच्छ के साथ ब्याही जाये उसे वह अपने हाड़ावंश की प्रतिष्ठा के खिलाफ समझते थे | इसलिए राजा भोज ने मन ही मन निश्चय किया कि- वे अपनी पुत्री की सगाई शाहजादा सलीम के साथ हरगिज नहीं करेंगे |

यदि ऐसा प्रस्ताव कोई और रखता तो राजा भोज उसकी जबान काट लेते पर ये प्रस्ताव रखने वाला भारत का सम्राट अकबर था जिसके बल, प्रताप, वैभव के आगे सभी राजा महाराजा नतमस्तक थे | राजा भोज से प्रति उत्तर सुनने के लिए अकबर ने अपनी निगाहें राजा भोज के चेहरे पर गड़ा दी | राजा भोज को कुछ ही क्षण में उत्तर देना था वे समझ नहीं पा रहे थे कि - बादशाह को क्या उत्तर दिया जाये | इसी उहापोह में उन्होंने सहायता के लिए दरबार में बैठे राजपूत राजाओं व योद्धाओं पर दृष्टि डाली और उनकी नजरे सिवाना के शासक कल्ला रायमलोत पर जाकर ठहर गयी |

कल्ला रायमलोत राजा भोज की तरफ देखता हुआ अपनी भोंहों तक लगी मूंछों पर निर्भीकतापूर्वक बल दे रहा था| राजा भोज को अब उतर मिल चुका था उसने तुरंत बादशाह से कहा - "जहाँपनाह मेरी छोटी राजकुमारी की तो सगाई हो चुकी है|"

"किसके साथ ?" बादशाह ने कड़क कर पूछा |

"जहाँपनाह मेरे साथ, बूंदी की छोटी राजकुमारी मेरी मांग है |" अपनी मूंछों पर बल देते हुए कल्ला रायमलोत ने दृढ़ता के साथ कहा | यह सुनते ही सभी दरबारियों की नजरे कल्ला को देखने लगी इस तरह भरे दरबार में बादशाह के आगे मूंछों पर ताव देना अशिष्टता ही नहीं बादशाह का अपमान भी था | बादशाह

भी समझ गया था कि ये कहानी अभी अभी गढ़ी गयी है पर चतुर बादशाह ने नीतिवश जबाब दिया _

"फिर कोई बात नहीं | हमें पहले मालूम होता तो हम ये प्रस्ताव ही नहीं रखते |" और दुसरे ही क्षण बादशाह ने वार्तालाप का विषय बदल दिया|

यह घटना सभी दरबारियों के बीच चर्चा का विषय बन गयी| कई दरबारियों ने इस घटना के बाद बादशाह को कल्ला के खिलाफ उकसाया तो कईयों ने कल्ला रायमलोत को सलाह दी आगे से बादशाह के आगे मूंछे नीची करके जाना बादशाह

तुमसे बहुत नाराज है | पर कल्ला को उनकी किसी बात की परवाह नहीं थी | लोगों की बातों के कारण दुसरे दिन जब कल्ला दरबार में हाजिर हुआ तो केसरिया वस्त्र (युद्ध कर मृत्यु के लिए तैयारी के प्रतीक) धारण किये हुए था | उसकी मूंछे आज और भी ज्यादा तानी हुई थी| बादशाह उसके रंग ढंग देख समझ गया था और मन ही मन सोच रहा था - "एेसा बांका जवान बिगड़ बैठे तो क्या करदे |" दुसरे ही दिन कल्ला बिना छुट्टी लिए सीधा बूंदी की राजकुमारी हाड़ी को ब्याहने चला गया और उसके साथ फेरे लेकर आगरा के लिए रवाना हो गया | हाड़ी ने भी कल्ला के हाव-भाव देख और आगरा किले में हुई घटना के बारे में सुनकर अनुमान लगा लिया था कि -उसका सुहाग ज्यादा दिन तक रहने वाला नहीं| सो उसने आगरा जाते कल्ला को संदेश भिजवाया - "हे प्राणनाथ ! आज तो बिना मिले ही छोड़ कर आगरा पधार रहे है पर स्वर्ग में साथ चलने का सौभाग्य जरुर देना |"

"अवश्य एेसा ही होगा |" जबाब दे कल्ला आगरा आ गया | उसके हाव भाव देखकर बादशाह अकबर ने उसे काबुल के उपद्रव दबाने के लिए लाहौर भेज दिया,लाहौर में उसे केसरिया वस्त्र पहने देख एक मुग़ल सेनापति ने व्यंग्य से कहा - "कल्ला जी अब ये केसरिया वस्त्र धारण कर क्यों स्वांग बनाये हुए हो ?" "राजपूत एक बार केसरिया धारण कर लेता है तो उसे बिना निर्णय के उतारता नहीं | यदि तुम में हिम्मत है तो उतरवा दो |" कल्ला ने कड़क कर कहा |

इसी बात पर विवाद होने पर कल्ला ने उस मुग़ल सेनापति का एक झटके में सिर धड़ से अलग कर दिया और वहां से बागी हो सीधा बीकानेर आ पहुंचा | उस समय

बादशाह के दरबार में रहने वाले प्रसिद्ध कवि बीकानेर के राजकुमार पृथ्वीराजजी जो इतिहास में पीथल के नाम से प्रसिद्ध है बीकानेर आये हुए थे,कल्ला ने उनसे कहा - "काकाजी मारवाड़ जा रहा हूँ वहां चंद्रसेनजी की अकबर के विरुद्ध सहायतार्थ युद्ध करूँगा | आप मेरे मरसिया (मृत्यु गीत) बनाकर सुना दीजिये|" पृथ्वीराज जी ने कहा -"मरसिया तो मरने के उपरांत बनाये जाते है तुम तो अभी जिन्दा हो तुम्हारे मरसिया कैसे बनाये जा सकते है|"

"काकाजी आप मेरे मरसिया में जैसे युद्ध का वर्णन करेंगे मैं आपको वचन देता हूँ कि मैं उसी अनुरूप युद्ध में पराक्रम दिखा कर वीरगति को प्राप्त होवुंगा।" कल्ला ने दृढ निश्चय से कहा |

हालाँकि पृथ्वीराजजी के आगे ये एक विचित्र स्थिति थी पर कल्ला की जिद के चलते उन्होंने उसके मरसिया बनाकर सुनाये | कल्ला अपने मरसिया गुनगुनाता जब मारवाड़ के सिवाने की तरफ जा रहा था तो उसे सूचना मिली कि अकबर की एक सेना उसके मामा सिरोही के सुल्तान देवड़ा पर आक्रमण करने जा रही है| कल्ला उस सेना से बीच में ही भीड़ गया और बात की बात में उसने अकबर की उस सेना को भागकर लुट लिया | इस बात से नाराज अकबर ने कल्ला को दण्डित करने जोधपुर के मोटा राजा उदयसिंह को सेना के साथ भेजा |

मोटाराजा उदयसिंह ने अपने दलबल के साथ सिवाना पर आक्रमण किया जहाँ कल्ला अद्वितीय वीरता के साथ लड़ते हुए

वीरगति को प्राप्त हुआ | कहते है कि "कल्ला का लड़ते लड़ते सिर कट गया था फिर भी वह मारकाट मचाता रहा आखिर घोड़े पर सवार उसका धड़ उसकी पत्नी हाड़ी के पास गया,उसकी पत्नी ने जैसे गंगाजल के छींटे उसके धड़ पर डाले उसी वक्त उसका धड़ घोड़े से गिर गया जिसे लेकर हाड़ी चिता में प्रवेश कर उसके साथ स्वर्ग सिधार गयी| आज भी उनकी स्मृति में सिवाना दुर्ग पर हर वर्ष मेला लगता हैं और सिवानावासी उनकी समाधी पर श्रद्धा से शीश झुकाते हैं|

आज भी राजस्थान में मूंछों की मरोड़ का उदाहरण दिया जाता है तो कहा जाता है-

"मूंछों की मरोड़ हो तो कल्ला रायमलोत

जैसी |"

रविवार, 23 फ़रवरी 2014

बाड़मेर सिवाना।नौ दिन से फरार कैदी को धर दबोचा

बाड़मेर सिवाना। सिवाना के बस स्टैण्ड पर नौ दिन पहले चालानी गार्डो को चकमा देकर फरार हुए कैदी तरूणपालसिंह को पुलिस ने शुक्रवार रात जोधपुर के बासनी थाना क्षेत्र के सांगरिया इलाके में धर दबोचा। सांगरिया चौकी के कांस्टेबल सोमताराम लुहार ने एक अन्य कांस्टेबल भागीरथराम के सहयोग से तरूणपालसिंह को गिरफ्तार किया।

सूचना पर सिवाना थानाधिकारी सुमेरसिंह राठौड़, समदड़ी थानाधिकारी अमरसिंह मय जाप्ता बासनी थाना पहुंचे। आरोपित कैदी को गिरफ्तार कर सिवाना लाया गया। थानाधिकारी सुमेरसिंह राठौड़ के अनुसार फरार कैदी तरूणपालसिंह अपनी महिला साथी से मिलने की फिराक में सांगरिया क्षेत्र से गुजर रहा था। इसी दौरान कांस्टेबल सोमताराम लुहार ने उसे देख लिया। उसने सांगरिया चौकी के कांस्टेबल भागीरथराम के सहयोग से उसे धर दबोचा।

अवकाश के बावजूद निभाई ड्यूटी
फरार कैदी को लेकर बासनी पुलिस थाना क्षेत्र को भी हिदायत थी। सांगरिया चौकी का कांस्टेबल सोमताराम लुहार शुक्रवार को अवकाश पर था। इसी दौरान उक्त कांस्टेबल की नजर फरार कैदी पर पड़ी। उसने इसकी सूचना साथी कांस्टेबल भागीरथराम को देकर उसके सहयोग से कैदी तरूणपालसिंह को पकड़ लिया।

जेल में मोबाइल पर रचा षड्यंत्र

कैदी तरूणपालसिंह ने पेशी की तारीख से पहले बालोतरा के उप जिला कारागृह में अपनी महिला साथी विनोद कंवर उर्फ सपना पुत्री लालसिंह निवासी धुंधाड़ा हाल सांगरिया जोधपुर तथा मुरलीधर उर्फ मुकेश पुत्र गणपताल गुर्जर गौड़ ब्राह्मण निवासी नाडी मौहल्ला पाली हाल नवचौकिया मौहल्ला जोधपुर के साथ 13 फरवरी को मोबाईल पर बात कर भागने का षड्यंत्र रचा था। 14 फरवरी को पेशी के दिन पूर्वनियोजित षड्यंत्र के तहत मुरलीधर उर्फ मुकेश अपनी मोटर साईकिल से पाली पहुंचा। यहां से महिला सहयोगी विनोद कंवर उर्फ सपना के साथ दूसरी बाइक से 14 फरवरी की सुबह सिवाना पहुंचा। विनोद कंवर को उतारने के बाद वह हेलमेट पहनकर तेज रफ्तार से बाइक लेकर बस स्टैण्ड पहुंचा। यहां ब्रेक करते ही कैदी तरूणपालसिंह चालानी गार्ड प्रहलादराम को धक्का देकर बाइक के पीछे बैठकर फरार हो गया था। गौरतलब रहे कि पुलिस ने घटना के दूसरे दिन ही आरोपित महिला सहयोगी को सांगरिया से दस्तयाब कर पूछताछ की तो सारा मामला खुल गया।

भगाने का सहयोगी भी आला नकबजन

कैदी तरूणपालसिंह को भगाने का आरोपी मुरलीधर उर्फ मुकेश भी आला दर्जे का चोर व नकबजन है। उसके खिलाफ जोधपुर सहित अन्य कई थानों में चोरी व नकबजनी के 8-10 मामले दर्ज है। कैदी को भगाने की मुख्य सूत्रधार विनोद कंवर उर्फ सपना एक बच्चे की मां है। देबावास गांव में उसकी शादी हुई थी, लेकिन बाद में तलाक हो गया। उसने जालोर के करड़ा थानांतर्गत सांवलावास निवासी हिस्ट्रीशीटर महेन्द्रसिंह पुत्र हंजाराम राजपुरोहित के साथ दूसरी शादी कर ली थी। बीते छह माह से यह महिला तरूणपालसिंह के सम्पर्क में थी।

सम्मानित होंगे कांस्टेबल

फरार कैदी को पकड़ने में मुख्य भूमिका निभाने वाले संागरिया चौकी के कांस्टेबल सोमताराम लुहार व भागीरथराम को सम्मानित किया जाएगा। थानाधिकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक हेमंत कुमार शर्मा ने दोनों कांस्टेबलों को एक-एक हजार रूपए नगद इनाम देने की घोषणा की।

करेंगे जांच

कैदी को भगाने के षड्यंत्र में सहयोगकर्ताओं का पता लगाया जा रहा है। जेल में रचे षड़यंत्र के लिए सिम कार्ड जेल में कैसे पहुंची, इसकी जांच की जाएगी। सुमेरसिंह राठौड़, थानाधिकारी, सिवाना

शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

थार चुनावी रणभेरी २०१३। । सिवाना महेंद्र टाइगर के पक्ष में हें कांग्रेस की जीत के समीकरण

थार चुनावी रणभेरी २०१३। । सिवाना महेंद्र टाइगर के पक्ष में हें कांग्रेस की जीत के समीकरण



बाड़मेर राज्य में विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ ही राज्य के दोनों प्रमुख दलों में विधानसभा के उम्मीदवार तय करने को लेकर तेज़ी आई हें। मुख्यमंत्री संभावित उम्मीदवारों की सूचि के साथ दिल्ली जा रहे हें। बाड़मेर में कांग्रेस हर हाल में पिछले परिणाम लाने की फिराक में हें मगर यहाँ व्यक्तिगत स्वार्थो के चलते स्थापित नेता प्रभावशाली नेता को मैदान में उतरने की बजे अपनी जीत के लिए फिर फिसड्डी उम्मीदवार उतरने की जिद पाल रहे हें। सिवान में कांग्रेस के पास उम्मीदवारों के ढेर लगे। कोई त्रिपें लोगो ने अपनी दावेदारी पेश की मगर उनमे योग्यतम तीन चार ही थे जो विधानसभा चुनाव का मतलब भी जानते थे। सिवान में गत चुनावो में बसपा से सिवान में चुनाव मैदान में उतर कांग्रेस उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर खिसकने वाले महेंद्र टाइगर कांग्रेस को जीत दिलाने में एक मात्र शक्षम उम्मीदवार हें। मगर जाट नेताओ की मज़बूरी बालाराम चौधरी हें जो गत चुनावो में तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस की गॉइड लाइन के हिसाब से बालाराम को टिकट मिलना मुश्किल हें। ऐसे में कांग्रेस के पास महेंद्र टाइगर ,संत निर्मलदास और गणपत सिंह के बीच चुनाव करना हें। गनपत सिंह राजपूत होने से होड़ से बहार हो गए। निर्मलदास और महेंद्र टाइगर में से आम जन महेंद्र टाइगर के समर्थन में हें। महेंद्र को जैन समाज के थोक वोट मिलाने के साथ अनुसूचित जाती ,रबारी , राजपूतो के वोट भी मिलने की संभावना हें। महेंद्र टाइगर कांग्रेस को सीट दिला सकते हें ,कांग्रेस उनकी दावेदारी पर गंभीरता के विचार भी कर रहा हें मगर बाड़मेर विधानसभा से भी जैन उम्मीदवार मेवाराम हें इसीलिए कांग्रेस के सामने दो जैन को टिकट देने की मज़बूरी हें। बाड़मेर से उम्मीदवार बदलने की चर्चे जोरो पर हें। महेंद्र टाइगर के सशक्त रूप से दावेदार के रूप में उभरने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेताओ में खलबली मची हें। अनुसूचित जाती आयोग के अध्यक्ष और सिवाना के पूर्व विधायक गोपाराम मेघवाल भी महेंद्र टाइगर को उम्मीदवार के रूप में चाहते हें। लम्बे समय से कांग्रेस सिवान सीट से वंचित हें। ऐसे में कांग्रेस महेंद्र टाइगर के रूप में रिस्क ले सकती हें .इधर महेंद्र टाइगर को लेकर भाजपा भी सक्रीय हो गयी हें। टाइगर को भाजपा में लेन के प्रयास उच्च स्तर पर शुरू हुए हें। टाइगर गत चुनावो में अपना जनाधार बढ़ने के बरकरार रखने में सफल हुए हें। कांग्रेस के नेताओ ने उन्हें कांग्रेस में इसी शर्त पर शामिल किया था की अगली विधानसभा चुनावो में सिवाना उन्हें उम्मीदवारी दी जाएगी ,मगर नेता जातिगत राजनीती के चलते टाइगर की अनदेखी कर रहे हें मगर उनके बढ़ाते प्रभाव के चलते उनकी दावेदारी सभी पर भारी पड़ रही हें।

रविवार, 29 सितंबर 2013

बाड़मेर,सिवाना हल्देश्वर महादेव तीर्थ जगह-जगह बहते झरनो के बीच बिराजमान है

हल्देश्वर महादेव तीर्थ जगह-जगह बहते झरनो के बीच बिराजमान है  

हल्देश्वर महादेव तीर्थ  बाड़मेर जिले के  सिवाना से दस किलामीटर दूर स्थित पीपलून गांव की तलहटी में छप्पन की मनोरम पहाडिय़ों में रचा-बसा है हल्देश्वर महादेव तीर्थ। अरावली पर्वत श्रृंखला के अंतिम छोर पर स्थित है हल्देश्वर महादेव तीर्थ, जहाँ मनोरम पहाडिय़ा, कलरव करते पक्षी, जगह-जगह बहते झरनो के बीच बिराजमान है भगवान भोलेनाथ।
हल्देश्वर महादेव तीर्थ जाने के लिए श्रद्धालुओं कोहल्देश्वर महादेव तीर्थबालोतरा से सिवाना के रास्ते जाना पड़ता हैं। सिवाना से दस किलोमीटर पीपलून गांव की तलहटी से करीब 9 किलोमीटर 7 दुर्गम पहाडिय़ों के टेडे-मेडे व संकरे रास्तों से जाना पड़ता है। यहा हर श्रावण मास में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं। भोले बाबा के दर्शनार्थ दूर-दूर से मन में आस्था लेकर शिव के दरबार में पहुंचते हैं। यहा आने वाले भक्तों के पैर भी पैदल चलते-चलते जवाब देने लगते है फिर भीहल्देश्वर महादेव तीर्थ भक्तों व कावड़ीयों का विश्वास कायम रहता हैं। शिव भक्त सैकड़ो की तादाद में यहा हर साल दर्शन करने के लिए आते हैं। यहा हल्देश्वर महादेव का अपना रूप ही निराला हैं। भक्त दर्शन करने के पश्चात मन्नते मांग कर पूजा अर्चना करते है तथा क्षेत्र में खुशहाली की कामना करते है।हल्देश्वर महादेव तीर्थ
यह है मान्यता : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों के अज्ञातवास में कुंती पुत्र पांडवों ने इस मंदिर को स्थापित किया था। इस मंदिर के इर्द-गिर्द स्थित छप्पन की पहाडिय़ों में हल्दिया राक्षस रहता था और उसने यहां पर आतंक फैला रखा था। उस वक्त हल्दिया राक्षस के आतंक की वजह से ग्रामीणों ने भगवान भोलेनाथ को याद किया तब शंकर भगवान इसी स्थान पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे प्रकट हूए और हल्दिया राक्षस का वध किया था। उसी दिन से यह स्थान हल्देश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के उत्तर में एक बड़ी शिखर टेकरी है उसमें गुरू गोरक्षनाथ महाराज की धूणी व गुफा है यहा पर गुरू गोरक्षनाथ ने कई वर्षो तक तपस्या की थी। पहाडों में सबसे उंची चोटी पर मॉ भवानी का मंदिर भी हैं। यहां पर पहुंचना बहुत ही कठिन हैं।
हल्देश्वर महादेव तीर्थअनूठी है पूंगला-पूंगली की पोल : हल्देश्वर महादेव मंदिर पर जाने वाले रास्ते में पहाडिय़ों के मध्य भाग में स्थित है पूंगला-पूंगली पोल। इस पाले की पौराणिक मान्यता है कि यहा पर सत्रहवीं सदी में कनाना के शासक आसकरण के पुत्र वीर दुर्गादास राठौड़ ने बनवाई थी। तत्कालीन महाराजा जसवंतसिंह को जोधपुर की गद्दी पर बिठाने के लिए दिल्ली औरंगजेब से वीर दुर्गादास राठौड़ ने अनुरोध किया तब औरंगजेब ने जोधपुर को शाही रियासत के अंदर सम्मिलित करने को कहा और अजीतसिंह को महाराजा बनाने से इंकार कर दिया। तब वीर दुर्गादास ने अपने सैनिकों के साथ दिल्ली प्रस्थान किया एवं दुर्गादास की बात मानने से मना कर दिया तत्पश्चा दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब के पुत्र व पुत्री ( पूंगला-पूंगली) का अपहरण कर मारवाड़ में सिवाना के समीप छप्पन की पहाडिय़ों में लाकर छुपा दिया। फिर यहा पर वीर दुर्गादास ने पत्थरों की कारीगरी से एव विशाल पोल का निर्माण करवाया। इस पोल के अंदर दो कमरे बनाए उसमें औरंगजेब के पुत्र व पुत्री को गुप्त रूप से रखा गया था। आखिर अपने पुत्रों की खातिर औरंगजेब ने वीर दुर्गादास की बात मान ली और अजीतसिंह को मारवाड़ का राजा बना दिया। तब वीर दुर्गादास ने औरंगजेब के दोनो बच्चों को सकुशल वापस लौटा दिया। इस पोल की खासियत यह भी है कि पोल को सिर्फ पत्थरों से बनाया गया है इसमें चूना व सिमेंट का कही नामों निशान तक नही हैं।
बनाया जा सकता है पर्यटन स्थल : यहां वर्ष में दो माह तक श्रद्धालुओं का आवागमन रहता हैं। यहा आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु का यही कहना है कि प्रकृति का यहा एक अनोखा आनंद भी है। भगवान भोले बाबा का दरबार भी तो सरकार या पर्यटन विभाग पहल करे तो इस स्थान पर मूलभूत सुविधाएं व दुर्गम व उबड़-खाबड़ रास्तों को ठीक करे और विद्युत व्यवस्था करवाई जाएं तो सरकार के लिए नया आमदनीहल्देश्वर महादेव तीर्थ का रास्ता खुल सकता हैं। हल्देश्वर महादेव मंदिर को देवस्थान विभाग व पर्यटन विभाग मिलकर इस तीर्थ को विकसित करे तो हर साल अच्छी आमदनी भी हो सकती हैं।
पिकनिक स्थल भी : शिव भक्त बड़ी संख्या में यहा दर्शनार्थ तो आते है लेकिन भक्त यहा मनोरम पहाडिय़ों के बीच बहते झरने व पहाडिय़ों के बीच बने कई तालाबों में नहाने का भी भरपूर आनंद लेते हैं। चारों ओर हरियाली की ओट में बसे इस तीर्थ पर भक्त श्रावण व भाद्रपद्र मास में सैकड़ो की तादाद में पिकनिक भी मनाने आते हैं।
मिल सकती है जड़ी बुटियां : छप्पन की पहाडिय़ों में कई तरह की जड़ी बुटियां व अमूल्य खनिज के भंड़ार हो सकते हैं। बुजुर्गो का मानना है कि यहा पर कई तरह की जड़ी-बुटियां होती थी और उन्हें घरेलू उपचार व गंभीर बिमारियों के इलाज के लिए काम में लिया जाता था। जानकारों का कहना है कि सरकार गंभीर विचार कर इसे पर्यटन स्थल घोषित करे तो यहां विकास के नए आयाम स्थापित हो सकते है तथा इस पहाडी पर कई तरह के खनिज के भंड़ार भी हो सकते हैं।

सोमवार, 1 अप्रैल 2013

ख़ास रिपोर्ट सिवाना विधानसभा क्षेत्र ...पृथ्वी सिंह रामदेरिया कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार हो सकते हें


सिवाना विधानसभा क्षेत्र .......विधायक की सादगी के कायल हें क्षेत्र के लोग


राजपूतो को कोंग्रेस से जोड़ने के प्रयास हो सकते हें
पृथ्वी सिंह रामदेरिया कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार हो सकते हें

बाड़मेर सरहदी बाड़मेर जिले की जालोर जिलो से लगती सिवाना विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में भाजपा के कान सिंह कोटड़ी विधायक हें ,कान सिंह कांग्रेस शासन में कुछ ख़ास काम क्षेत्र के लिए नहीं करा पाए .अपनी सादगी और सहज स्वाभाव के कारण बेहद सम्मानित कान सिंह सिवान के लोगो के लिए आज भी आदरणीय हें अलबता उनका कार्यकाल कोई विकास के हिसाब से ख़ास नहीं रहा इसके बावजूद भाजपा एक बार फिर उन्हें मौका देगी हालांकि यंहा से नरपत सिंह राजवी और केशर सिंह राठोड टिकट की कतार में हें मगर भाजपा अध्यक्षा वसुन्धरा राजे कान सिंह को एक और अवसर देने के मूड में हें ,कांग्रेस ने क्षेत्र के पूर्व विधायक गोपाराम मेघवाल को अनुसूचित आयोग का अध्यक्ष बना कर उनका कद जनता के बीच बढ़ने का प्रयास किया हें ,गोपाराम को समदडी को तहसील बनाने का श्रेय जाता हें ,हालांकि विधायक भी इसका श्रेय लेने की जुगाड़ में हें ,इस बार आगामी विधानसभा चुनावों में कड़े मुकाबले की संभावना हें ,गत बार बालाराम चौधरी तीसरे स्थान पर रहे थे ,दुसरे स्थान पर महेंद्र टाइगर रहे थे ,महेंद्र टाइगर को कांग्रेस टिकट देगी इसमे संशय हें ,कांग्रेस से पिछली बार उम्मीदवारी माँगने वाले पृथ्वी सिंह रामदेरिया इस बार सशक्त दावेदारी के मूड में हें ,क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक और पूर्व सांसद तन सिंह जी के पुत्र पृथ्वी सिंह पर कांग्रेस तन सिंह जी की राजपूत समाज में लोकप्रियता के आधार पर डाव खेल सकती हें ,गत बार पृथ्वी सिंह के नाम पर मुहर लग चुकी थी मगर हेमा राम चौधरी के प्रबल विरोध के कारण उनकी दावेदारी को ऐनवक्त खारिज कर बालाराम को टिकट दिया गया .इस बार कांग्रेस राजपूतो को कांग्रेस के साथ जोड़ने की निति के चलते उन्हें प्राथमिकता दे सकती हें ,पृथ्वी सिंह की दावेदारी से कांग्रेस को बाड़मेर जिले के साथ साथ पाली ,जोधपुर ,सिरोही और जालोर में राजपूत मतों का फायदा होगा जन्हा तन सिंह जी घर घर पूजे जाते हें ,सिवान विधान सभा क्षेत्र गत चुनावो में आरक्षित से सामान्य हुआ था .कांग्रेस के पास इस वक्त गोपाराम मेघवाल और पृथ्वी सिंह प्रबल दावेदार हें वाही भाजपा के पास कान सिंह ,हमीर सिंह भायल ,मूल सिंह भायल जैसे सशक्त दावेदार हें ,भाजपा बाहरी उम्मीदवार पर भी डाव खेल सकती हें ,राजपूत बाहुल्य सिवान में अनुसूचित जाती के थोक वोट हे जिसे नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता .रबारी ,कलबी और जैन मतदाता भी अपनी अच्छी खासी उपस्थिति रखते हें ,.बाड़मेर जिले की राजनीति में भाजपा में खासे बदलाव होने की संभावना हें वही अशोक गहलोत सिवान में नए समीकरणों का इजाद करने के चलते राजपूत उम्मीदवार पर दाव खेल सकते हें --

शनिवार, 16 जुलाई 2011

शौर्य साक्षी सिवाना किलो अण्खलो यूं कहै आव कला राठौड़। मो सिर उतर महैंणो, तो सिर बान्ध मौड़।
























शौर्य साक्षी सिवाना
किलो अण्खलो यूं कहै आव कला राठौड़।
मो सिर उतर महैंणो, तो सिर बान्ध मौड़।।



मारवाड़ के पर्वतीय दुर्गो में सिवाणा के किले का विशेष महत्व है। यह किला बाड़मेर से लगभग 160 मील दक्षिण में पर्वत शिखरो के मध्य अवस्थित है। सिवाना के इस प्राचीन दुर्ग का निर्माण वीरनारायण पंवार ने दसवी शताब्दी में करवाया था। वह प्रतापी पंवार शासक राज भोज का पुत्र था।
उस समय पंवार बहुत शक्तिशाली थे और उनका एक विशाल क्षेत्र पर आधिपत्य था जिसमें मालवा, चन्द्रावती, जालोर, किराडू, आबू सहित अनेक प्रदेश शामिल थें। तदान्तर सिवाना जालोर के सोनगरा चौहानो के अधिकार में आ गया। ये सोनगरे बहुत वीर और प्रतापी हुए तथा इन्होने ऐबक और इल्तुतमिश सरीखे शक्तिशाली गुलामवंशी सुल्तानो का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया और अपनी स्वत्रन्त्रता अक्षुण्ण बनायी रखी लेकिन सिवाना को सबसे प्रबल चुनौति मिली सुल्तान अलाउदीन खिलजी से। अलाउदीन के आक्रमण के समय सिवाना का आधिपति सालत देव था जो जालोर के शासक कान्हड़देव का भतीजा था। सिवाणा पर अलाउदीन की सेना का पहला आक्रमण 1305 ई में हुआ। तब वीर सातल और सोम (सम्भवतः उसका पुत्र सोमेश्वर) ने कान्हड़देव की सहायकता से खिलजी सेना का डटकर मुकाबला किया। विजय की कोई आशा न देखकर खिलजी की सेना को घेरा उठाने के लिए बाध्य होना पड़ा। राजपुतो की इस प्रारम्भिक सफलता और अपनी पराजय के क्षुब्ध होकर अलाउदीन खिलजी ने 1310 ई. के लगभग स्वंय एक विशाल सेना लेकर सिवाना पर चढाई की और दुर्ग का घेरा। सातलदेव ने बड़ी वीरता के साथ उनका मुकाबला किया तथा शत्रु शिविरो पर छापामार आक्रमणों के साथ किले पर से ढेकुली यन्त्रों के द्वारा निरनतर पत्थर बरसाने और शत्रु सेना के होंसले पस्त कर दिये। लेकिन इस बार अलाउदीन सिवाना पर अधिकार करने के लिए दृढ प्रतिज्ञ था अतः उसने हर संभव उपाय का आश्रय लिया। उसने एक विशाल और ऊंची पाशीब (चबूतरा) बनवायी जिसके द्वारा खिलजी सेना दुर्ग तक पहुचने में सफल हो गयी। अलाउदीन ने वहां के प्रमुख पेयजल स्त्रोत भोडेलाव तालाब को गोमांस से दूषित करवा दिया। कहा जाता है कि इसमें भायल, पंवार नामक व्यक्ति ने विश्वासघात किया। दुर्ग की रक्षा का कोई उपाय न देख वीर सातल सोम सहित अन्य क्षत्रिय योद्वा केसरिया वस्त्र धारण कर शत्रु सेना पर टूट पड़े तथा वीरगति को प्राप्त हुए। 23वीं उल अव्वल मंगलवार को खिलजी सैनिको ने सातलदेव का क्षत-विक्षत शव अलाउदीन के सामने प्रस्तुत किया, जिसने दुर्ग को खैराबाद का नाम दिया। लेकिन अलाउदीन खिलजी की मृत्यु के साथ  ही सिवाणा पर उसके वंश का आधिपत्य समाप्त हो गया। तत्पश्चात् सिवाना पर राव मल्लीनाथ राठौड़ के भाई जैतमाल और उसके वंशजों का आधिपत्य रहा। सन् 1538 में राव मालदेव ने सिवाना के तत्कालिन आधिपति राठौड़ डूंगरसी को पराजित कर इस दुर्ग पर अपना अधिकार कर लिया। मालदेव के अधिपत्य का सूचक एक शिलालेख वहां किले के भीतर आज भी विद्यमान है। राव मालदेव ने सिवाना की रक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया तथा वहां परकोट (शहरपनाह) का निर्माण करवाया। अपने दुर्भेद्य स्वरुप के कारण सिवाना का दुर्ग संकटकाल में मारवाड़ के राजाओं की शरण स्थली रहा। राव मालदेव ने गिरी सुमेल के युद्व के बाद शेरशाह की सेना द्वारा पीछा किये जाने पर सिवाना किले में आश्रय लिया था तद्नन्तर उनके यशस्वी पुत्र चन्द्रसेन ने सिवाना के किले को केन्द्र बनाकर शक्तिशाली मुगल बादशाह अकबर की सेनाओं का लम्बे अरसे तक प्रतिरोध किया। मुगल आधिपत्य में आने के बाद अकबर ने राव मालदेव के एक पुत्र रायमल को सिवाना दिया। लेकिन कुछ अरसे बाद ही रायमल की मृत्यृ हो गयी और सिवाना उसके पुत्र कल्याणदास (कल्ला) के अधिकार में आ गया।
इस राठौड़ वीर कल्ला रायमलोत की वीरता और पराक्रम से सिवाना को जो प्रसिद्वि और गौरव मिला उससे इतिहास के पृष्ठ आलोकित है। उक्त अवसर उस समय उपस्थित हुआ जब बादशाह अकबर कल्ला राठौड़ से नाराज हो गया और उसने जोधपुर के मोटा राजा उदयसिंह को आदेश दिया वह कल्ला को हटाकर सिवाना पर अधिकार कर ले। अकबर की नाराजगी का मामूली सी बात पर अप्रसन्न होकर बादशाह के एक छोटे मनसबदार को मार दिया था। वीर विनेद में इसका कारण दूसरा बताया गया है। उक्त ग्रन्थ के अनुसार मोटा राजा उदयसिंह ने शहजादे सलीम के साथ अपनी पुत्री का विवाह कर दिया था। कल्ला इस विवाह सम्बन्ध को अनुचित एवं आपत्तिजनक मानता था और उदयसिंह से झगड़ा करता था। वास्तविक कारण चाहे जो भी रहा हो मोटा राजा उदयसिंह ने शाही सेना की सहायता से सिवाना पर आक्रमण किया। कल्ला राठौड़ ने स्वाभिमान और वीरता को उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मोटा राजा उदयसिंह की सेना के साथ भीषण युद्व किया और लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की। कल्ला की पत्नी हाड़ी रानी (बूंदी के राव सुरजन हाड़ा की पुत्री) ने दूंर्ग की ललनाओं के साथ जौहर का अनुष्ठान किया। कल्ला रायमलोत की वीरता और पराक्रम से सम्बन्धित दोहे प्रसिद्व है। वीरता और शौर्य की रोमांचक घटनाओं का साक्षी सिवाना का किला काल के क्रूर प्रवाह को झेलता हुआ आज भी शान से खड़ा है।



शाका एवं जौहर
सिवाना का पहला साका 1310 में हुआ जब वीरसातालदेव और (सोमेश्वर) ने अलाउदीन खिलजी के भीषण आक्रमण का प्रतिरोध करते हुए प्राणोत्सर्ग किया तथा वीरागनाओं ने जौहर की ज्वाला प्रज्ज्वलित की। विजयी के पश्चात दुर्ग का नाम खैराबाद रखा गया।
दूसरा शाका अकबर के शासन काल में हुआ। जब मोटा राजा उदयसिंह ने शाही सेना की सहायता से सिवाना दुर्ग पर आक्रमण किया। वहां के स्वाभिमानी शासक वीर कल्ला राठौड़ ने भीषण युद्व करते हुए वीरगति पायी और महिलाओं ने जौहर किया।

गुरुवार, 19 मई 2011

युवक की मौत शव उठाने से किया इंकार, हत्या का मामला दर्ज


 युवक की मौत के बाद बिफरे परिजन
गिरफ्तारी की मांग को लेकर शव उठाने से किया इंकार, हत्या का मामला दर्ज, दिन भर चले समझाइश के प्रयास
  सिवाना
क्षेत्र के धीरा गांव के एक युवक की तबीयत बिगडऩे के बाद जालोर में उपचार के दौरान मौत हो जाने पर मृतक के परिजनों ने हत्या का अंदेशा जताते हुए आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर शव उठाने से इंकार कर दिया।पुलिस प्रशासन की ओर से निरंतर परिजनों से समझाइश किए जाने के बावजूद कोई परिणाम नहीं निकला।

थानाधिकारी रामवीर जाखड़ ने बताया कि थानी देवी पत्नी बाबूराम भील निवासी धीरा ने मामला दर्ज करवाया कि 16 मई को सुबह ९ बजे उसका पति खेत में काम कर रहा था।इस दौरान धीरा के ही रहवासी शेरसिंह पुत्र सवाईसिंह राजपूत ने उसे कुछ पिला दिया जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई।तबीयत बिगडऩे पर उसे उपचार के लिए रमणिया चिकित्सालय लाया गया।उसके बाद उसे जालोर ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मृतक की पत्नी की ओर से दी गई रिपोर्ट के आधार पर हत्या का मामला दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ कर दिया है।मृतक का शव अभी भी जालोर मोर्चरी में पड़ा है।

परिजनों ने शव लेने से किया इंकार: धीरा गांव के बाबूराम की हत्या के अंदेशे के साथ परिजनों ने जालोर मोर्चरी में रखा मृतक का शव लेने से मना कर दिया।बुधवार को पूरे दिन मृतक के परिजन अपनी मांग पर अड़े रहे।परिजनों ने बालोतरा पुलिस उपअधीक्षक रामेश्वरलाल को बताया कि जब तक हत्या के आरोपी गिरफ्तार नहीं किए जाते तब तक किसी सूरत में उनके द्वारा शव नहीं उठाया जाएगा।वृत्ताधिकारी ने दिन भर सिवाना थाने में डेरा डाल परिजनों को समझाने का प्रयास किया लेकिन नतीजा सिफर रहा।

ज्ञापन भेजकर आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की: मृतक के परिजनों ने सिवाना तहसीलदार के मार्फत प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग की है।परिजनों ने आरोप लगाया कि हत्या को तीसरा दिन होने के बावजूद आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर कोईप्रयास नहीं किया जा रहा है।स्थानीय भील समाज के लोगों ने भी प्रशासन को अवगत करवाया कि यदि नामजद आरोपी को समय रहते गिरफ्तार नहीं किया गया तो समाज के नेतृत्व में जिला स्तर पर आंदोलन किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की रहेगी।मृतक की पत्नी ने रमणिया चिकित्सालय में उसके पति का सुचारू उपचार नहीं होने का भी आरोप लगाया है।

समाज के लोगों से भी की समझाइश: मृतक के परिजनों को शव उठाने के लिए राजी करने को लेकर पुलिस उपअधीक्षक, नायब तहसीहलदार शंकरराम गर्ग व थानाधिकारी ने सिवाना में भील समाज के गणमान्य लोगों से समझाइश कर समाधान निकालने का प्रयास किया लेकिन परिजनों के साथ-साथ समाज के लोग भी आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग पर अड़े रहे।