*भारतीय जनता पार्टी दो समानांतर संगठन से दुविधा में,अब मुख्य संगठन को मिली जिम्मेदारी,वसुंधरा राजे फिर आहत*
*लम्बे समय से भारतीय जनता पार्टी में चल रही वर्चस्व की लड़ाई अब लोगो की जुबान पर आ गई तो आलाकमान को भी अब दो समानांतर संगठन स्पस्ट नजर आनेवलगे तो डोर भाजपा के मुख्य संगठन के विश्वासपात्रों को सौंप दी।।जिससे वसुंधरा राजे आहत हैं।
लम्बे समय से वसुंधरा राजे और भाजपा अपने अपने समानांतर संगठन के जरिये चुनावी गतिविधियां चला रहे थे।वसुंधरा राजे अपने विश्वास पात्र अशोक परनामी,राजेन्द्र राठौड़,यूनुस खान आदि के साथ तो मदनलाल सैनी ,ओमप्रकाश माथुर, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल अमित मोदी की टीम में थे। रणकपुर में रायशुमारी के नाम पर जो खेल वसुंधरा राजे ने रचा उससे अमित शाह खफा बताये जा रहे।रणकपुर में प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी की पूरी उपेक्षा की गई। कार्यकर्ताओ और नेताओं के साथ भेदभाव की खबरे अमित शाह तक पहुंची तो उन्होंने रायशुमारी के लिए अलग अलग जॉन बना ओमप्रकाश ममथुर को कमान सौंप दी।।वसुंधरा राजे के बाड़मेर जोधपुर दौरे में व्यस्त होने के बावजूद ओमप्रकाश माथुर टीम ने जयपुर में उम्मीदवारों से रायसुमारी जारी रखी।यानी वसुंधरा राजे की अनुपस्थिति में रायसुमारी करवा ली। दो समानांतर संगठन चलने की वजह से भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता असमंज की स्थति में थे।आखिर किसके हुकुम माने। अपने क्षेत्र की दावेदारियों आखिर किस गट के नेताओ को दे।कसुंधर राजे गुट को या मदनलाल सैनी गुट को। अब विभिन क्षेत्रो के वसुंधरा राजे द्वारा दरकिनार किये भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को फील्ड में भेजा गया है जिताऊ उम्मीदवार की रायसुमारी के लिए।।ये वरिष्ठ नेता पांच साल ठाले बेठे थे एकाएक माथुर और गजेंद्र सिंह ने ऐसे नेताओं को सक्रिय कर वसुंधरा राजे पर नकेल कसने की कवायद शुरू की है।पार्टी की बुरी स्थति को भांप लिया।कई स्थानों पर पार्टी को अपेक्षानुरूप दावेदार नही मिल रहे। टिकट चयन के अंतिम दौर में अमित शाह वीटो का इस्तेमाल कर सर्वाधिकार अपने गुट के विश्वनीय नेताओ को कमान सौंपी है।ये सभी कभी न कभी वसुंधरा राजे के विरोधी रहे।।वसुंधराराजे की हिटलिस्ट में रहे।।इन तमाम बातों से भाजपा को कितना फायदा होगा यह भविष्य के गर्भ में है मगर एक बार फिर वसुंधरा राजे को अमित शाह ने देर से सही आहत जरूर किया।।केंद्र संगठन से अविनाश पांडे और प्रकाश जावड़ेकर भी काफी सक्रिय दिख रहे है।
*लम्बे समय से भारतीय जनता पार्टी में चल रही वर्चस्व की लड़ाई अब लोगो की जुबान पर आ गई तो आलाकमान को भी अब दो समानांतर संगठन स्पस्ट नजर आनेवलगे तो डोर भाजपा के मुख्य संगठन के विश्वासपात्रों को सौंप दी।।जिससे वसुंधरा राजे आहत हैं।
लम्बे समय से वसुंधरा राजे और भाजपा अपने अपने समानांतर संगठन के जरिये चुनावी गतिविधियां चला रहे थे।वसुंधरा राजे अपने विश्वास पात्र अशोक परनामी,राजेन्द्र राठौड़,यूनुस खान आदि के साथ तो मदनलाल सैनी ,ओमप्रकाश माथुर, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल अमित मोदी की टीम में थे। रणकपुर में रायशुमारी के नाम पर जो खेल वसुंधरा राजे ने रचा उससे अमित शाह खफा बताये जा रहे।रणकपुर में प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी की पूरी उपेक्षा की गई। कार्यकर्ताओ और नेताओं के साथ भेदभाव की खबरे अमित शाह तक पहुंची तो उन्होंने रायशुमारी के लिए अलग अलग जॉन बना ओमप्रकाश ममथुर को कमान सौंप दी।।वसुंधरा राजे के बाड़मेर जोधपुर दौरे में व्यस्त होने के बावजूद ओमप्रकाश माथुर टीम ने जयपुर में उम्मीदवारों से रायसुमारी जारी रखी।यानी वसुंधरा राजे की अनुपस्थिति में रायसुमारी करवा ली। दो समानांतर संगठन चलने की वजह से भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता असमंज की स्थति में थे।आखिर किसके हुकुम माने। अपने क्षेत्र की दावेदारियों आखिर किस गट के नेताओ को दे।कसुंधर राजे गुट को या मदनलाल सैनी गुट को। अब विभिन क्षेत्रो के वसुंधरा राजे द्वारा दरकिनार किये भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को फील्ड में भेजा गया है जिताऊ उम्मीदवार की रायसुमारी के लिए।।ये वरिष्ठ नेता पांच साल ठाले बेठे थे एकाएक माथुर और गजेंद्र सिंह ने ऐसे नेताओं को सक्रिय कर वसुंधरा राजे पर नकेल कसने की कवायद शुरू की है।पार्टी की बुरी स्थति को भांप लिया।कई स्थानों पर पार्टी को अपेक्षानुरूप दावेदार नही मिल रहे। टिकट चयन के अंतिम दौर में अमित शाह वीटो का इस्तेमाल कर सर्वाधिकार अपने गुट के विश्वनीय नेताओ को कमान सौंपी है।ये सभी कभी न कभी वसुंधरा राजे के विरोधी रहे।।वसुंधराराजे की हिटलिस्ट में रहे।।इन तमाम बातों से भाजपा को कितना फायदा होगा यह भविष्य के गर्भ में है मगर एक बार फिर वसुंधरा राजे को अमित शाह ने देर से सही आहत जरूर किया।।केंद्र संगठन से अविनाश पांडे और प्रकाश जावड़ेकर भी काफी सक्रिय दिख रहे है।