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बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

पश्चिमी सरहद हाई अलर्ट पर ,गांव खाली कराये जा सकते हे चेतावनी जारी

पश्चिमी सरहद हाई अलर्ट पर ,गांव खाली कराये जा सकते हे चेतावनी जारी 


जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सोमवार रात भारतीय वायुसेना ने सीमा पार छुपे बैठे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. भारतीय वायुसेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार नियंत्रण रेखा के पार आतंकी कैंप्स पर करीब 1000 किलोग्राम के बम बरसाए गए हैं. बताया जा रहा है कि इस हमले में करीब 200-300 आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के पांच जवानों की मौत हो गई. इधर, हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ने की आशंका है, जिसे देखते हुए सीमा पर तैनात सभी सुरक्षाबलों को अलर्ट कर रखा गया है. राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर के बॉर्डर इलाके हाई अलर्ट मोड पर हैं.सरहदी गांव कभी भी खाली कराये जा सकते हे ,सेना ने ग्राम सरपंचो को सूचित किया हे ,

जैसलमेर में भारत के PoK में जैश के आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई के बाद भारत-पाक सीमा पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया. सैन्य सूत्रों के अनुसार, सभी सुरक्षा एजेंसियां बीती रात से हाई अलर्ट पर हैं. जानकारी के अनुसार, बीती रात से सारी डिफेंस हाई अलर्ट पर है. पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई का जवाब देने को लेकर सभी तैयार है. सीमा पर कड़ी नजर रखी जा रही है सीमापार की हर नापाक गतिविधि को मुंहतोड़ जवाब देने को डिफेन्स तैयार. BSF, आर्मी, IAF सभी अलर्ट पर है.बीकानेर बॉर्डर पर भी सुरक्षा एजेंसियां और सेना हाई अलर्ट पर हैं. सीमा क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियां बढ़ गई हैं. बॉर्डर की ओर हो मूवमेंट और अलर्ट को लेकर ग्रामीणों में कौतुहल बना हुआ है. श्रीगंगानगर, बीकानेर जिलों के बॉर्डर से सटे गांवो में लोगों में सेना की कार्रवाई पर कौतुहल की स्थित बनी हुई है.


बाड़मेर में POK में वायुसेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है. बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद किया गया. सीमा के उस पार किसी भी तरह की हलचल पर निगाह रखी गई है. बॉर्डर पर BSF ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई है और प्रशासनिक अमला भी पूरी तरह अलर्ट के मोड पर है.

सोमवार, 28 नवंबर 2016

बाड़मेर, पश्चिमी सरहद पर निकली सदभावना साइकिल रैली



बाड़मेर, पश्चिमी सरहद पर निकली सदभावना साइकिल रैली
बाड़मेर, 28 नवंबर। सीमा सुरक्षा बल की 51वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य मंे आयोजित होने वाले कार्यक्रमांे के सिलसिले मंे सोमवार को 63 वाहिनी की ओर से सदभावना साइकिल रैली निकाली गई। सीमा सुरक्षा बल बाड़मेर सेक्टर के उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम ने गडरारोड़ सीमा चौकी से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

सदभावना साइकिल रैली सीमा चौकी गडरा फारवर्ड से होकर गडरा गांव, गडरा रोड से होती हुई गडरा ऑप्स बेस, सीमा सुरक्षा बल के पास पहुँची। जहाँ पर पहले से मौजूद गडरा और आस- पास के गाँवो के गणमान्य लोगांे ने साइकिल रैली का स्वागत किया। ग्रामीणांे ने जवानांे का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। इस रैली का नेतृत्व 63 वीं वाहिनी के असिस्टेंट कमांडेंट श्रीजीत पी आर ने किया। इस दौरान सीमा सुरक्षा बल के उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम ने पश्चिमी सरहद पर ग्रामीणांे की ओर से मिलने वाले सहयोग के लिए आभार जताया। उन्हांेने कहा कि बीएसएफ सरहद पर हर स्थिति से निपटने मंे समक्ष है। उन्हांेने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस को लेकर आगामी दिनांे मंे भी विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। उन्हांेने कहा कि हम रोजमर्रा के कार्यो में साइकिल का उपयोग करके मोटापा, मधुमेह,अर्थराइट्स जैसी रोगों से बच सकते है। उन्हांेने कहा कि साइकिल के उपयोग से पर्यावरण को बाइक और मोटरगाडि़यों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। इस मौके पर 63 वाहिनी के कमाडेंट आर एस मिन्ज कमांडेंट, तहसीलदार गडरारोड़ कस्तूरीलाल, नायब तहसीलदार मूलाराम, ब्लाक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी रमेश खती, डिप्टी कमाडेंट मोहम्मद आफताब,बी.एस.भाटी समेत विभिन्न अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

सोमवार, 21 नवंबर 2016

बाड़मेर-पश्चिमी सरहद पर सीमा सुरक्षा बल के जवानांे एवं ग्रामीणांे के मध्य मैत्रीपूर्ण मैच का आयोजन




रस्साकस्सी मंे बीएसएफ विजेता,ग्रामीण रहे उप विजेता
बाड़मेर-पश्चिमी सरहद पर सीमा सुरक्षा बल के जवानांे एवं ग्रामीणांे के मध्य मैत्रीपूर्ण मैच का आयोजन

बाड़मेर, 21 नवंबर। सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस के मददेनजर 63 वाहिनी की ओर से सोमवार को ग्रामीणों से भाईचारे एवं आपसी सदभाव बढ़ाने की पहल करते हुए गडरारोड़ कस्बे मंे रस्साकस्सी मैत्रीपूर्ण मैच का आयोजन किया। रस्सा कस्सी प्रतियोगिता ने सीमा सुरक्षा बल के जवानांे ने विजय हासिल की।

गडरारोड़ मंे आयोजित रस्सा कस्सी प्रतियोगिता मंे आमजन एवं सीमा सुरक्षा बल के जवानांे मंे खासा उत्साह देखा गया। ग्रामीणांे से सौहार्दपूर्ण रिश्ता कायम करने के लिए सेक्टर मुख्यालय से सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी भी सरहद पर पहुंचे। इस मैत्रीपूर्ण मैच मंे सीमा सुरक्षा बल के जवानांे ने जीत हासिल की। इस दौरान सेक्टर मुख्यालय के समादेष्टा श्याम कपूर ने ग्रामीणांे की ओर से सरहद की हिफाजत एवं सीमा सुरक्षा बल को समय-समय पर मिले सहयोग के लिए आभार जताया। उन्हांेने कहा कि सीमा सुरक्षा बल की ओर से सरहदी इलाकों मंे नियमित रूप से विभिन्न गतिविधियांे का आयोजन किया जाता है। सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस को लेकर आगामी दिनांे मंे विभिन्न स्पर्द्वाआंे एवं कार्यक्रमांे का आयोजन होगा। उन्हांेने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि ग्रामीण सरहद की हिफाजत एवं सीमा सुरक्षा बल के सहयोग के लिए तत्पर रहते है। अगर किसी तरह की आपातकालीन परिस्थिति हुई तो भी ग्रामीण सीमा सुरक्षा बल का हरसंभव सहयोग देंगे। उन्हांेने कहा कि अगर सरहद पर किसी तरह की संदिग्ध हरकत अथवा व्यक्ति दिखे तो तत्काल समीपस्थ सीमा चौकी पर सूचना दें।

इस अवसर पर सीमा सुरक्षा बल 63 वाहिनी के कमाडेंट आर एस मिन्ज कमांडेंट, तहसीलदार कस्तूरी लाल, विकास अधिकारी गडरारोड़ गणपतराम सुथार, विकास अधिकारी पंचायत समिति रामसर हनुवीर बिश्नोई, नायब तहसीलदार मूलाराम, 151 वाहिनी के डिप्टी कमाडेंट सी.कुंजुर,63 वाहिनी के कंपनी कमांडर मोहम्मद आफताब, बी.एस.भाटी समेत सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। इस दौरान कमाडेंट श्याम कपूर ने विजेता व उपविजेता टीम के खिलाडियों को मैडल व ट्रॉफी देकर सम्मानित किया।

गुरुवार, 26 मई 2016

पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी मूलभूत सुविधाओं से महरूम भारतीय सीमा का अंतिम दलित गांव समेले का तला ,ना सड़क न पानी ना बिजली

पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी

मूलभूत सुविधाओं से महरूम भारतीय सीमा का अंतिम दलित गांव समेले का तला ,ना सड़क न पानी ना बिजली


पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी




सीमावर्ती बाड़मेर जिले के पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र के अंतिम दलित आबादी का गांव समले का तला उर्फ़ कलरो का तला आज़ादी के पेंसठ साल बाद भी मूल भुत सुविधाओं से महरूम हैं ,ना सड़क ,ना पानी ,ना बिजली ,ना सरकारी योजना का कोई लाभ ,जैसे इस गांव के लोग आदिकाल का जीवन जी रहे हैं ,

करीब चौदह सौ मतदाताओं वाले इस दलित गांव में अनुसूचित जाति मेघवाल परिवार रहते हैं ,गाँव में सरकारी बिल्डिंग के नाम पर स्वास्थ्य केंद्र और स्कूल जरूर बनी हैं ,मगर स्कूल में अध्यापक और स्वास्थ्य केंद्र में परिचारिका नहीं ,




सड़कमार्ग ही नहीं




सरहदी इलाके में कहने को ग्रेफ ने सड़कों का जाल बिछा रखा हैं मगर इस गांव को अपनी सड़क तक नसीब नहीं हुई जबकि इस गांव के सत्तर फ़ीट ऊँचे धोरे पर सीमा सुरक्षा बल की अग्रिम पोस्ट कलरो का टला स्थापित हैं ,इस पोस्ट पर भी जाने के लिए कोई सड़क नहीं हैं ,धोरो से गुजरना पड़ता हैं पैदल ,गांव में आने जाने के लिए कोई सड़क मार्ग नहीं




बिजली कुछ घरों में




इस गांव में रहने वाले सारे अनुसूचित जति श्रेणी के हैं ,विद्युत विभाग द्वारा गत चालीस सालो से अनुसूचित जाति परिवारों को बिजली से जोड़ने की दर्जनों योजनाए शुरू की गयी थी ,मगर एक भी योजना का लाभ इस गांव को नहीं मिला ,कुछ बी पी एल परिवार हे जिनके बिजली कनेक्षन हो गए तो बिजली सप्लाई नहीं आती




पानी बेरिया भी जवाब दे चुकी




जलदाय विभाग ने इस गांव में कोई दो साल पहले जी एल आर और उसका आगोर लाखो रुपये खर्च करके बनाया मगर आज तक किसी पेयजल योजना या पाइप लाइन योजना से नहीं जोड़ा ,जी एल आर कबूतरों का आशियाना बन गया ,गांव में करीब एक दर्जन पानी की बेरिया परम्परागत रूप से बनी हुई हैं मगर सभी बेरियो का पानी रीत चूका ,एक विशाल कुआ हैं जो बंद पड़ा हैं ,पानी के लिए गांव की महिलाओं और बच्चों को मिलो का सफर तय कर दो घड़े पानी लाना पड़ता हैं ,या चार सौ रुपये में दस हज़ार लीटर का टेंकर खरीदना पड़ता हैं




खेल सामग्री अध्यापक रखते ताले में




सीमा सुरक्षा बल द्वारा ग्रामीणों के सहयोग के लिए अक्सर चिकित्सा और शिक्षा शिविर लगा ग्रामीणों की मदद की जाती हैं ,सीमा सुरक्षा बल द्वारा छात्रों के लिए उपलब्ध कराई खेल सामग्री प्रधानाध्यापक और अध्यापक अपने घर ले गए ,इन बच्चों के खेल विकास के लिए उस सामग्री का उपयोग होने नहीं दिया




नरेगा में एक भी काम नहीं




रोजगार गारंटी का दावा करने वाली नरेगा योजना से भी इस गाँव को वंचित रखा गया ,नरेगा में एक भी काम इस गाँव में स्वीकृत नहीं हैं ,सरपंच गांव से बीस किलोमीटर दूर नवातला रहता हैं ,जबकि नरेगा में इस गांव को सार्वजनिक ,व्यक्तिगत टाँके और ग्रेवल सड़क का काम आसानी से स्वीकृत किया जा सकता हैं




पशुधन के लिए चारा पानी नहीं




इस गाँव में हर परिवार के पास गोधन हैं ,इस पशुओं के लिए चारे पानी की व्यवस्था में ग्रामीणों का दिन पूरा हो जाता हैं ,हर घर में गाय हैं। इनके लिए पानी की व्यवस्था तो जैसे तेज़ कर लेते हैं मगर चारा की व्यवथा नहीं हो पाती ,अकाल राहत में पशु शिविर की दरकार हैं




सीमा सुरक्षा बल की पोस्ट बिना सड़क




इसी गाँव में करीब सत्तर फ़ीट ऊँचे धोरे पर सीमा सुरक्षा बल की बी ओ पी कलरो का तला के के टी स्थापित हैं ,इस पोस्ट पर जाने के लिए सड़क नहीं हैं ,ग्रेवल भी नहीं ,जवानों द्वारा मार्ग अपने स्तर पर बनाया गया मगर रेतीली आंधियो के चलते इस अस्थायी मार्ग पर पुनः धोरे स्थापित हो जाते हैं सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम या नरेगा में इस गांव और बी ओ पी को सड़क से जोड़ा जा सकता था ,मगर कभी प्रयास नहीं हुए






सोमवार, 23 मई 2016

foto पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी भीषण गर्मी में भी देश सुरक्षा के इरादे अटल ,आर ओ ठीक नहीं कई जगह






पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी भीषण गर्मी में भी देश सुरक्षा के इरादे अटल ,आर ओ ठीक नहीं कई जगह

पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी


पश्चिमी राजस्थान में इन दिनों शरीर को सुखा देने वाली गर्मी पड़ रही है। दिन चढ़ने के साथ-साथ तेजी से तापमान बढ़ता जाता है और दोपहर तक 55 डिग्री को छू जाता है। ऐसी भीषण गर्मी में भी सेना के जवान देश की रक्षा के लिए रेगिस्तान में बॉर्डर के किनारे खड़े हैं।कुछ पोस्टो पर आर ओ प्लांट खराब होने के कारण जवानों को पानी की समस्या से रूबरू होना पड़ रहा हैं


रेगिस्तान में गर्मी कहर बरपा रही है। राजस्थान के कई ज़िले जैसे बाड़मेर, जैसलमेर,भयंकर गर्मी की चपेट में है। यहां दिन में तापमान 55 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे गर्मी में भी जवान देश की सुरक्षा के लिए पहरा दे रहे हैं। भारत-पाक सीमा पर मुनाबाव ,गडरा ,तामलोर ,अमियनी ,मिठडाऊ ,स्वरूप का तल्ला ,देवा ,केलनोर ,नवा तल ,बाखासर ,बी के डी सहित जैसलमेर तनोट और शाहगढ़ इलाकों में गर्मी से हर रोज़ बीएसएफ के जवान जूझ रहे हैं।दो बोतल पनि के सहारे छ छ घंटे की अपनी ड्यूटी के दौरान गर्मी की परवाह किये बिना सजग रहते ,हैं ,

कई चौकियों पर आर ओ प्लांट खराब पड़े

  सीमा सुरक्षा बल की अधिकांश चौकियों पर मीठे पानी की व्यवस्था के लिए आर ओ प्लांट लगे हैं ,यह प्लांट जवानों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं ,सरहद की कई पोस्टो पर आर ओ प्लांट खराब पड़े हैं ,सौ से डेढ़ सौ मीटर ऊँचे धोरो पर स्थापित सीमा चौकियों पर पानी की अनुपब्लद्ध्ता चिंता का विषय हैं ,कई स्थानों पर आर ओ ठीक कराने वित्तीय स्वीकृति मांग गयी हैं जो नहीं मिलने के कारण जवानों को भीषण गर्मी में पेयजल समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं ,इन्हे फ्लोराइड और नाइट्रेट युक्त पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा हैं।


ऐसे करते हैं गर्मी से बचाव
जवान यहां गर्मी से बचने के लिए सिर पर टोपी और कॉटन का कपड़ा बांधकर रखते हैं। ऊंटों पर बैठकर रेगिस्तान में गश्त करते हैं। आंखों पर काला चश्मी लू से बचाता है। पानी की बोतल पर बोरे में लपेट कर रखते हैं, ताकि पानी ठंडा रहे। ड्टूटी पर तैनात होने से पहले ग्लूकोज रूह अफजा और शिकंजी पीकर जाते हैं और साथ भी ले जाते हैं। प्रत्य्रेक जवां पांच लीटर पानी अपने साथ रख रहा हैं ,

नमक युक्त मिटटी से परेशानी जवानों को

जिले की पाकिस्तान और गुजरात के रण कच्छ समुद्र से लगती सीमा स्थित सीमा सुरक्षा बल की अग्रिम पोस्टो पर तैनात जवां आंधियो के इस दौर में गुजरात पाकिस्तान की और से आने वाली नमक युक्त मिटटी से सर्वाधिक परेशां हैं ,दिन भर तेज गर्म हवाओं के साथ नमक युक्त मिटटी जवानों के शहर को पस्त कर देती हैं ,इसके बावजूद सरहद का सैनिक देश सुरक्षा के प्रति निष्ठावान होकर ड्यूटी कर रहे हैं ,


सहायक उप समादेष्टा जितेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया की गर्मी की अधिकता में जवानों की सेहत का पूरा ख्याल रख जा रहा हैं ,जवानों को समय समय पर निम्बू पानी ,ग्लूकोन डी ,रूहअफजा ,और आर ओ का ठंडा पानी उपलब्ध कराया जा रहा हैं व्ही धुप से बचने के उपकरण भी उपलब्ध कराये गए हैं ,