पंचमुखी हनुमान
ऊं पंचवक्त्राय हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा ॥
मान्यता है कि भक्तों का कल्याण करने के लिए ही पंचमुखी हनुमान का अवतार हुआ। इस वर्ष यह तिथि 10 नवंबर है।
ेहनुमानजी का एकमुखी, पंचमुखी और एकादशमुखी स्वरूप प्रसिद्ध है। चार मुख वाले ब्रह्मा, पांच मुख वाली गायत्री, छह मुख वाले कार्तिकेय, चतुर्भुज विष्णु, अष्टभुजी दुर्गा, दशमुखी गणेश के समान पांच मुख वाले हनुमान की भी मान्यता है। पंचमुखी हनुमानजी का अवतार मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी को माना जाता है। शंकर के अवतार हनुमान ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। इसकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता बढ़ती है। आनंद रामायण के अनुसार, विराट स्वरूप वाले हनुमान पांच मुख, पंद्रह नेत्र और दस भुजाओं से सुशोभित हैं। हनुमान के पांच मुख क्रमश: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊर्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित हैं। पंचमुख हनुमान के पूर्व की ओर का मुख वानर का है। जिसकी प्रभा करोड़ों सूर्यो के समान है। पूर्व मुख वाले हनुमान का स्मरण करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है। पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड़ का है। ये विघ्न निवारक माने जाते हैं। गरुड़ की तरह हनुमानजी भी अजर-अमर माने जाते हैं। हनुमानजी का उत्तर की ओर मुख शूकर का है। इनकी आराधना करने से सकल सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए हनुमान भगवान नृसिंह के रूप में स्तंभ से प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु का वध किया। यही उनका दक्षिणमुख है। उनका यह रूप भक्तों के भय को दूर करता है।
श्री हनुमान का ऊर्ध्वमुख घोड़े के समान है। ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर उनका यह रूप प्रकट हुआ था। मान्यता है कि हयग्रीव दैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए। कष्ट में पड़े भक्तों को वे शरण देते हैं। ऐसे पांच मुंह वाले रुद्र कहलाने वाले हनुमान बड़े दयालु हैं। हनुमत महाकाव्य में पंचमुखी हनुमान के बारे में एक कथा है। एक बार पांच मुंह वाला एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ। उसने तपस्या करके ब्रह्माजी से वरदान पाया कि मेरे रूप जैसा ही कोई व्यक्ति मुझे मार सके। ऐसा वरदान प्राप्त करके वह भयंकर उत्पात मचाने लगा। सभी देवताओं ने भगवान से इस कष्ट से छुटकारा मिलने की प्रार्थना की। तब प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमानजी ने वानर, नरसिंह, गरुड़, अश्व और शूकर का पंचमुख स्वरूप धारण किया।
मान्यता है कि पंचमुखी हनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना का फल मिलता है। हनुमान के पांचों मुखों में तीन-तीन सुंदर आंखें आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक तीनों तापों को छुड़ाने वाली हैं। ये मनुष्य के सभी विकारों को दूर करने वाले माने जाते हैं। शत्रुओं का नाश करने वाले हनुमानजी का हमेशा स्मरण करना चाहिए।