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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

जैसलमेर छह साल में जोधपुर रेल मंडल में 10 अफसरों ने किया 360 करोड़ रु का घोटाला, सीबीआई जांच शुरू

 जैसलमेर से लाइम स्टोन लोडिंग कर सेल तक पहुंचाने के बीच यह घोटाला हुआ है। (फाइल फोटो)

जैसलमेर छह साल में जोधपुर रेल मंडल में 10 अफसरों ने किया 360 करोड़ रु का घोटाला, सीबीआई जांच शुरू

राजस्थान में रेलवे का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। जैसलमेर से सरकारी कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया को लाइम स्टोन (चूना पत्थर) पहुंचाने में उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल और राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल) के पांच-पांच अफसरों और माइनिंग काॅन्ट्रेक्टर ने हर साल 60 करोड़ रु. का घोटाला किया। छह साल से यह घोटाला होता रहा। यानी 360 करोड़ रुपए का घोटाला हो चुका है। छह महीने पहले यह घोटाला रेलवे की जानकारी में आया। रेलवे ने जांच सीबीआई को सौंप दी।

सीबीआई का कहना, इससे कहीं ज्यादा हो सकता है घपला

सीबीआई की अब तक की जांच में घोटाले की पुष्टि भी हो गई। सीबीआई सूत्रों की मुताबिक घोटाला इससे कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है। यह घोटाला वे-ब्रिज के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी कर किया गया है। वे-ब्रिज भार तौलने का सॉफ्टवेयर है। आरएसएमएमएल के लोडिंग कंट्रोलर ने ठेका कंपनी डिजिटल वेइंग सिस्टम के इंजीनियर को मुनाफे का लालच दिया। इंजीनियर ने सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की। इससे वैगन में 75 टन माल भरने पर भी 90 टन रीड हुआ, तौला गया। जोधपुर मंडल के एक अफसर को पता भी चल गया। उसने भी ठेकेदार से मुनाफा आधा बांटने पर समझौता कर लिया। जिस इंजीनियर ने सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की, उसके पास जोधपुर मंडल के पांच और जयपुर मंडल का एक (जोबनेर) वे ब्रिज है। इससे जुड़े अफसर घोटाले में शामिल हो गए।

सेल को कम माल भेजकर ले रहे थे पूरा भुगतान

जैसलमेर से लाइम स्टोन लोडिंग कर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) तक पहुंचाने के बीच यह घोटाला हुआ है। सेल वर्ष 2013 से खान विभाग से यह लाइम स्टोन ले रहा है। तब से माइंस विभाग के अधिकारी, ठेकेदार और रेलवे अधिकारी मिलीभगत कर सेल को कम माल भेजकर पूरा भुगतान ले रहे थे। ठेकेदार 58 डिब्बों की मालगाडी के प्रत्येक डिब्बे में 90 टन की बजाय 75 टन ही भेजता था। भुगतान पूरे 90 टन का लिया जाता था। ये खेल पिछले छह साल से चल रहा था, पिछले दिनों ही शिकायत मिलने पर जांच की गई, तो मामले का खुलासा हुआ।

घोटाले का पत्थर- ट्रैक है, फिर भी गोदाम तक ट्रकों से लाए चूना

सेल एवं आरएसएमएम के बीच 10 साल लाइम स्टोन खरीदने का कांट्रैक्ट हुआ। लाइम स्टोन मालगाड़ी के जरिए सेल तक पहुंचाया जा रहा था। रेलवे ने आरएसएमएम की माइंस तक रेलवे ट्रैक बिछा दिया था, इसके बावजूद माइंस से रेलवे गोदाम तक (करीब 60 किमी. दूर) ट्रकों से लदान कराया गया। यानी...यहां भी लदान घोटाला। आरएसएमएमएल ने माइंस से रेलवे के मालगोदाम तक माल पहुंचाने का काम निजी फर्म करणी ट्रेडर्स को दिया था। इसका मालिक बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद का भतीजा है। जितना माल माइंस से लाया जाता था, उतना माल ट्रेन में लोड नहीं किया जाता। सिस्टम और कागजों में तो माल पूरा सप्लाई किया जाता था। इससे सेल को हर महीने करीब 5 करोड़ रुपए का माल कम मिलता था। रेलवे और आरएसएमएम सेल से पूरे माल का भुगतान ले रहे थे। आरएसएमएम का ठेकेदार और रेलवे के अधिकारी मुनाफा बांट रहे थे।

जांच के बाद करेंगे कार्रवाई: रेलवे महाप्रबंधक

उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आनंद प्रकाश ने कहा- मामला मेरी जानकारी में है। हमारी विजिलेंस विंग ने पहले इस मामले की विस्तृत जांच की, जिसमें बड़ा घोटाला सामने आया है। अब हमने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी है। जांच पूरी होने के बाद दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बुधवार, 13 जुलाई 2016

जैसलमेर के वांछित आरोपी चुतरसिंह की हत्या की जांच सीबीआई को सौंपी


जैसलमेर के वांछित आरोपी चुतरसिंह की हत्या की जांच सीबीआई को सौंपी

गृह मंत्री की मंजूरी के बाद गृह विभाग ने जारी किया नोटिफिकेशन , केंद्र को भेजा पत्र
{परिजनों ने लगाया था फर्जी एनकाउंटर का आरोप


| जयपुर
राज्यसरकार ने जैसलमेर के वांछित अपराधी चुतर सिंह के पुलिस एनकाउंटर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया की मंजूरी के बाद गृह विभाग ने मंगलवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। राज्य सरकार की तरफ से जांच का सिफारिशी पत्र केंद्र सरकार को भिजवा दिया गया है। मृतक के रिश्तेदारों एवं स्थानीय लोगों ने पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की थी। इसको लेकर प्रदेश भर में प्रदर्शन भी किए जा रहे थे। विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने करीब एक सप्ताह पहले ही प्रकरण की जांच सीबीआई कराने की घोषणा की थी।
गृह विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने को लेकर राज्य पुलिस की अपराध शाखा के आईजी संजीब कुमार नार्जरी का सिफारिशी पत्र सोमवार को ही गृह विभाग को मिला। गृह विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को इसमें तेजी दिखाई। गृह मंत्री कटारिया के घर जाकर प्रकरण से संबंधित पत्रावली पर उनकी मंजूरी ली गई। फिर रात को ही इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किए जाने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया। यह पूरा वाकया गत 25 जून की रात का है। जैसलमेर जिले की रामगढ़ पुलिस एक सूचना के आधार पर स्कॉर्पियो का पीछा कर रही थी। मोकला गांव के पास पुलिस की फायरिंग में बचिया निवासी चुतर सिंह पुत्र नरपतसिंह की मौत हो गई थी। जबकि, बैण सिंह गणपत सिंह घायल हो गए। पुलिस का कहना था कि आरोपी चुतर सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस ने गाड़ी के टायर पर फायर किए, लेकिन मिस फायर की वजह से बोनट से टकराकर गोली आरोपी के जा लगे। वहीं, मृतक के साथियों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया। इस घटना को लेकर अगले ही दिन जिले भर में तनाव व्याप्त हो गया था। हालात के मद्देनजर पुलिस ने 26 जून की रात गोली मारने के आरोपी कांस्टेबल राजेंद्र चौधरी को सस्पेंड कर उसके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया। मामले की जांच बाड़मेर के डिप्टी ओपी उज्जवल को सौंपी गई। पुलिस ने दावा किया कि मृतक के खिलाफ कई पुलिस थानों में अलग-अलग करीब 15 मामले दर्ज हैं।