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शनिवार, 3 सितंबर 2016

बाड़मेर आज़ादी के दीवाने रहे सादी खान का वंशज सरदार खान खोसो नगरपारकर सिंध पाकिस्तान का चेयरमेन बना ,



 बाड़मेर आज़ादी के दीवाने रहे सादी खान का वंशज सरदार खान खोसो नगरपारकर सिंध पाकिस्तान का चेयरमेन बना ,



बाड़मेर 1833 में अंग्रेजो के खिलाफ भारत को आज़ाद करने की लड़ाई लड़ चुके आज़ादी के दीवाने बलोच सादी खान खोसो के वंशज सरदार खान खोसो ने पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के मिट्ठी तालुका के नगरपारकर के चेयरमेन बनाने के बाद पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के सीमावर्ती गाँवो में ख़ुशी की लहार हैं ,इनके वंशज बाड़मेर जिले के चौहटन के भलगांव के सामी का पर में में रहते हुए स्वतंत्रता सैनानी श्याम सिंह राठौड़ के साथ आज़ादी की लड़ाई लड़ी ,बाद में विभाजन के दौरान एक गांव में खींची लकीर से वो पाकिस्तान चले गए ,


साधी खान खोसो की आज़ादी की लड़ाई


हिम्मत बंदा मदद खुदा घोड़े जी पुठ तलवार जी मुठ]

इतिहास में राजस्थान के बलोचों का स्थान सदैव गौरवशाली रहा हैं।यहां के बलोचों को कहा जाता है कि वीरता सदैव बलोचों की चेरी बनकर रहीं हैं इतने वीर सपूत होने पर भी यहां के कुछ रण रसियों ने बिना लड़े अंग्रेजो की अधिनता स्वीकार कर ली थी, लेकिन बाड़मेर जिले के चौहटन के बलोचों ने अंग्रेजों को बलोची तलवारों का चिरस्मरणीय जौर दिखाया था। किंतु दुर्भाग्य से उनके इस रण कौशल के इतिहास के स्वर्गिय पन्ने अपने में नहीं समेट सकें बात उस समय की है जब जोधपुर रियासत का मालाणी क्षेत्र स्वयं भू. भाग था। जोधपुर नरेश ने बलोचों को अपने-अपने क्षेत्र की सत्ता का अधिकार सौंप रखा था। के जागीदार ही अपने-अपने क्षेत्र में हासल इकठ्ठी करके उनमें से थोड़ा सा हिस्सा जोधपुर का नजराना के रूप में पैश कर देते थे। इन बलोचों पर अंग्रेज सरकार का नाम मात्र का अंकुश रहता था। सिंध के क्षेत्र एंव जैसलमेर के कुच्छ हिस्सों में लूटपाट करना ही इनका काम था।विक्रम सवंत 1890 इस घटना के अनुसार जैसलमेर के नरेश ने जोधपुर के नरेश के पास मालाणी के बलोचों की शिकायत की उसमें भी बाड़मेर एंव चौहटन के जागीरदारों की शिकायत की, की रईस उनके राज्य में लूटपाट करके प्रजा को तंग करते हैं।स्वजातिय स्वगोगीय भाई होने के कारण जोधपुर महाराजा ने शिकायत की कोई प्रवाह नहीं की अब उन्होंने अंग्रेजों के राजनीतिक एजेंट के पास माउंट आबु शिकायत भेजी। अंग्रेजों के राजनीतिक एजेंट ने मालाणी के खोसो को दबाने के लिए एरनपुरा छावनी से 10 कंपनियाँ भेजी, जिसमें 5 कंपनियों ने बाड़मेर को घेरा एंव 5 कंपनियों ने चौहटन को बाड़मेर के राजपूतों ने अंग्रेजों से समझौता कर लिया लेकिन चौहटन के अधिक बलोच अपने नित्य कार्य लूटपाट व वसूली पर गये थे" गांव में रईस शादीखान खोसो जिनको अंग्रेजों की फौज के कर्नल ने बातचीत के लिए प्रातःकाल जल्दी बुलाया।शादीखान के मन में अंग्रेजों की लूट खसोट जबर्दस्ती हिंदुस्तान पर आधिपत्य जमाने के कारण तीव्र क्षोभ और रोष था।प्रातः जानबूज कर कैंप तक जानें में उन्होंने देखा गांव के रिवाज के अनुसार शादीखान ने रियाण की अफीम लीया और दिया। उसके बाद अपनी 32 विश्वास पात्र लड़ाकू व्यक्तियों के साथ पुरी तैयारी करके अंग्रेज कर्नल से मिलने चलें।32 विश्वास पात्र बसाया खान बलोच, अहमद बलोच, बलोच फेरुखान, बलोच छोटू खान,बलोच मोहमद हमद, बलोच फतेहमोहमद, बाघा भील, लउआ भील, चांदिया कामदार शेरसिंह बीखर राजाखान, गंगाराम सेठिया शादीखान ने सबके सामने कहा की हम किसी के सामने मस्तिष्क नहीं झुकाएगें..यदी हम एसा करेंगे तो चौहटन के ऊँचे पहाड़ लज्जित हो जाएंगें।[जब 32 वीरों ने पांच सौ फिरगियों को धूल चटा दी] उन्होंने राजा खान बलोच को अंग्रेजो को पुनः लौट जाने का संदेश देकर भेजा।राजा खान वहां जाते ही संतरी से साहब का पूछा।संतरी ने कहा की साहब अंदर हैं !! राजाखान अंदर जानें लगा तो संतरी ने रोका कि, किसका हुक्म हैं।और क्या व्यवहार हैं ?? राजाखान बोला की हुक्म अल्लाह जो अहै व्यवहार असांवठ लठ जो अहै(आदेश अल्लाह का है और व्यवहार लाठी का) तब संतरी ने रोका और राजाखान ने जवाब दिया की बलोच शादीखान खोसा के सिवाय मुझे हुक्म देने वाला कौन हैं।संतरी ने अंदर जानें से रोका तो राजाखान ने जौर से धका देकर गिरा दिया, और मयान से तलवार निकालकर कर्नल को सूचना देने अंदर घुसा। अंग्रेज कर्नल ने जब नंगी तलवार देखकर खान को आते देखा तो उसने अपनी पिस्तौल राजा पर दाग दी।लेकिन राजा गोली खाकर गीरा नहीं बल्कि तलवार लेकर कर्नल पर झपटा उसका काम तमाम कर दिया....बलोच शादीखान को पता अंग्रेज कंपनी को इस घटना लग गया, रईस ने अपने सभी वीर साथियों को ललकारा।सभी 32 व्यक्ति अंग्रेज फौज के 500 व्यक्तियों पर टूट पड़े।अंग्रेज सैनिकों के पास बंदूके थी"घमासान लड़ाई हुई बलोची तलवारों से टोपी वालों की लाशे कट कटकर गिरने लगीं..इधर बाधा, लऊआ, प्राण हथेली पर लेकर लड़ रहें थे।अचानक बंदूक की गोली बसाया खान की टांग में घुस गई थी। शादीखन ने बसाया को लगंड़ाते हुए कहा बसाया खान थु पड़े जद धरा लाजे तु लंगड़ी टांग लड़ अर्थात बसाया तुम गिरोगे तो यह धरती शर्म से लाल हो जाएगी।इस लिए लंगड़ी टांग से लड़ो बसाया खान वीर था यह सब सुनकर खून उबाल खाने लगा और तलवार चमकने लगी एक ही टांग पर लड़कर कई अंग्रेज सैनिकों को मौत की नींद सुला दिया... अंग्रेज सैनिकों के पाँव उखड़ गए" उनके घोड़े भाग खड़े हुए इस तरह अंग्रेजों की सैना को मान मर्दन करके चौहटन के बलोचों ने यश कमाया और आज जो चौहटन के इस ऊँचे पर्वत के आँचल के समस्त बलोचों के यशमे बलोच शादीखान ने चार चाँद लगा दिए।चौहटन के मुठी भर बलोचों अंग्रेज सैना के 500 बंदूक धारियों को लोहे के चन्ने चबाने को मजबूर कर दिया, तब अंग्रेज अफसर ने शादीखान/ इज्जत अली खान खोसो गांव चौहटन जितनी तक इनकी औलाद और वंश रहेगा उतनी तक बिना लाइसेन्स का हथियार लेकर घुमेगा यह आदेश जारी कर प्रमाण-पत्र दिया था।शादीखान खोसो की कब्र आज भी चौहटन के अंदर है वहां हर सोमवार हिंदू मुस्लिम जाते है और दिल से वीर शहीद को याद करते हैं।




नोट :-समस्त राजस्थान

क्रांतिकारियों और इतिहास की किताब आज भी चौहटन वकील श्री रुपसिंह जी के पास सुरक्षित है और पूर्व विदेश मंत्री श्री जसवंत सिंह जी को यह बातें सब याद है इसका उल्लेख भी वह ग्यारह साल पहले लोकसभा चुनाव सेड़वा चुनावी दौरे के वक्त कर चुके हैं और मैंने भी ध्यान लगाकर सुना था...