एमएलए दीया कुमारी के लिए महल से विधानसभा का सफर आसान नहीं था। पूर्व जयपुर राजघराने की इस पूर्व राजकुमारी ने सवाई माधोपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गईं। उनका वैवाहिक जीवन भी चर्चित रहा है।दीयाकुमारी की शादी अगस्त 1997 में हुई थी। शादी के साथ ही एक विवाद भी शुरू हुआ। उन्होंने नरेंद्र सिंह से प्रेम विवाह किया था। विवाद इसलिए हुआ कि दोनों एक ही गोत्र के थे। इसे लेकर राजपूत समाज में एकबारगी तो आक्रोश भी नजर आया। सगोत्री शादी को लेकर खिलाफत भी शुरू हुई, लेकिन वे अपने निर्णय पर अडिग रहीं।शादी के बाद उनके तीन बच्चे हुए। उनके पहली संतान बेटा हुआ। 2 जुलाई 1998 को पद्मनाभ ने जन्म लिया। पद्मनाभ पूर्व महाराजा भवानी सिंह द्वारा 22 नवम्बर 2002 को उनका युवराज घोषित किया गया और 27 अप्रैल 2011 को जयपुर की गद्दी पर विराजमान हुए। इसके बाद दूसरा पुत्र लक्ष राज सिंह है और उनकी पुत्री गौरवी कुमारी हैं।
दीया कुमारी ने राह चुनी राजनीति की। अपनी दादी पूर्व राजमाता गायत्री देवी की तरह ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। दीया कुमारी ने हाथ थामा भाजपा का। सितम्बर 2013 में जयपुर में हुई रैली के दौरान भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस रैली में वर्तमान प्रधानमंत्री व गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, वसुंधरा राजे समेत कई नेता मौजूद थे।
इसके बाद दीया कुमारी को भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला। उन्होंने खूब मेहनत की और सीट के साथ ही लोगों का दिल जीतने में भी कामयाबी पाई। वे जहां आम जनता के साथ खेतों में फावड़े चलाती दिखीं तो रोटी बेलती भी नजर आईं। वहीं लोगों के साथ खाना भी खाया। दीया कुमारी फिल्मी कलाकारों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक पहचानी जाती है।
मकर संक्रांति पर भी सिटी पैलेस में सैलानियों का खासा जमावड़ा रहता है। जयपुर के पुराने शहर में पतंगबाजी का अपना अलग मजा है। सैलानियों व अपने परिवार के साथ दीया कुमारी पतंगबाजी भी करती नजर आती हैं।
जयपुर की तीज और गणगौर की प्रसिद्धी दुनिया भर में है। तीज माता की सवारी की शुरुआत पूर्व राजपरिवार की पूजा से ही होती है। वे इस परम्परा को पूरी आस्था के साथ निभाती हैं। तीज माता की पूजा करती नजर आती हैं।