भगवान श्रीकृष्ण के प्रति बुल्ले शाह के मन में अपार श्रध्दा और प्रेम था। वे कहते हैं :
मुरली बाज उठी अघातां,
मैंनु भुल गईयां सभ बातां।
लग गए अन्हद बाण नियारे,
चुक गए दुनीयादे कूड पसारे,
असी मुख देखण दे वणजारे,
दूयां भुल गईयां सभ बातां।
असां हुण चंचल मिर्ग फहाया,
ओसे मैंनूं बन्ह बहाया,
हर्ष दुगाना उसे पढ़ाया,
रह गईयां दो चार रुकावटां।
बुल्ले शाह मैं ते बिरलाई,
जद दी मुरली कान्ह बजाई,
बौरी होई ते तैं वल धाई,
कहो जी कित वल दस्त बरांता।