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मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

बाड़मेर ग्रुप फॉर पीपुल्स की पहल पर डी इन सी का रिकॉर्ड होगा दर्ज अस्पतालों में

बाड़मेर नवजातों की हत्या के खिलाफ जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन

बाड़मेर ग्रुप फॉर पीपुल्स की पहल पर डी इन सी का रिकॉर्ड होगा दर्ज अस्पतालों में


शहर में लगातार नवजातों के भ्रूण और शव मिलने के खिलाफ आज ग्रुप फॉर पीपुल्स के बैनर तले जिला कलेक्टर मधुसूदन शर्मा को संयोजक चन्दन सिंह भाटी के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा ,कलेक्टर में मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनील कुमार सिंह बिष्ट को बुला कर डेलिडेशन के साथ विस्तृत चर्चा की की शहर में नवजात की हत्या कैसे रोकी जाए ,प्रतिनिधि मंडल में नरेश देव सारण रमेश सिंह इन्दा ,रमेश कड़वासरा ,स्वरुप सिंह भाटी ,ओम भाटिया ,सफी खान तमालियार छगन सिंह चौहान ,,नरेंद्र खत्री , हिन्दू सिंह तामलोर ,,ललित छाजेड़ ,यशपाल सिंह ,सहित कई लोग थे ,


प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर से मांग की कि सभी अस्पतालों में डी इन सी का रिकॉर्ड संधारित करवाया जाए ताकि ऐसे मामलो पर अंकुश लगे ,जिला कलेक्टर ने प्रतिनिधि मंडल के साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ चर्चा कर निर्देश दिए की इस पर पूर्ण कार्यवाही कर आदेश जारी करे ,


ज्ञापन में लिखा हे की सीमावर्ती बाड़मेर-जैसलमेर जिले मंे बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्याआंे की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा। सदियांे से कन्या वध के लिए कुख्यात रहे इस जिलांे मंे गत एक दषक से कन्याआंे के जन्म पर थालियां बजनी षुरू हुई है। घृणित कन्या वध की परंपरा को त्याग लोग षिक्षा के प्रति जागरूक होने के साथ कन्या को जन्म देने के आदी हो रहे है।

बाड़मेर मंे अब कन्याएं प्रत्येक क्षेत्र मंे अग्रणी हो रही हैं। अकाल की मार के बावजूद कन्याआंे का भविष्य इस क्षेत्र मंे उज्जवल देख माता-पिता उन्हंे उच्च षिक्षा दिलाने के साथ सरकारी नौकरियांे की राह प्रषस्त कर रहे हैं। ऐसे मंे पिछले कई सालांे मंे बाड़मेर जिला मुख्यालय पर नवजात कन्याआंे के षव मिलने का सिलसिला बढ़ रहा है। यह उन्हीं क्षेत्रांे मंे मिल रहे हैं जहां निजी चिकित्सालयांे का जाल बिछा है। बाड़मेर एवं बालोतरा जैसे अपेक्षाकृत छोटे षहरांे मंे ये निजी चिकित्सालय कन्या भ्रूण हत्याआंे के दम पर ही चल रहे हैं। अन्यथा कोई कारण नहीं कि जिला मुख्यालय पर समस्त सुविधायुक्त राजकीय चिकित्सालय को छोड़कर सभी इन चिकित्सालयांे की ओर से आकर्षित हो रहे है।

उक्त निजी चिकित्सालयांे में अवैध गर्भ गिराने का कारोबार धड़ल्ले से होता है। वहीं कन्या के जन्म पर उसकी हत्या के मामलांे मंे बढ़ोतरी हुई है। जिसे पुलिस रिकार्ड से तस्दीक किया जा सकता है। पिछले छह माह मंे जिला मुख्यालय पर दस से अधिक कन्या भू्रण एवं नवजात कन्याआंे के षव लावारिस हालात मंे सार्वजनिक स्थानांे से पुलिस बरामद कर चुकी है। लगातार नवजात कन्याआंे तथा कन्या भू्रण मिलने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग निरूतर होकर बैठा है। बाड़मेर मंे कन्या भू्रण हत्या का प्रतीक बने निजी चिकित्सालयांे मंे गुजरात के स्त्री रोग विषेषज्ञ अपनी सेवाएं देकर अवैध गर्भपात से लेकर कन्या भ्रूणांे की हत्या तक कर मोटी रकम ग्रामीणांे से ऐंठ रहे है। जीवन ज्योति अस्पताल के चिकित्सक डा.साईमन मेकवान को राज्य सरकार द्वारा पूर्व मंे दोषी ठहराकर उसे हवालात भी भेजा था। उसके उपर कानूनी कार्यवाही भी की गई थी। दो माह तक जेल मंे भी रहा।

वर्तमान मंे डा.स्नेहल कटूड़िया पिछले एक दषक से विभिन्न निजी चिकित्सालयांे मंे इस घिनौने कार्य को अंजाम दे रहा है। उक्त चिकित्सक के खिलाफ कन्या भ्रूण के संदर्भ मंे न्यायालय मंे भी प्रकरण विचाराधीन है। उक्त चिकित्सक पर कड़ी निगरानी रखी जाए।

आपसे निवेदन है कि स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देष देते हुए इन निजी अस्पतालांे पर कड़ी नजर रखने के साथ उनकी समय-समय पर मौका मुआयना करते रहे। इन अस्पतालांे मंे अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सोनोग्राफी की मषीनांे का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है।

आपके कार्यकाल मंे कन्याआंे के विकास के लिए काफी कार्य हो रहा है। ऐसे मंे इन भ्रष्ट चिकित्सकांे एवं कन्या भ्रूण हत्याआंे सरीखे पाप मंे षरीक बाड़मेर जिले के इन चिकित्सकांे के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। आप स्वयं व्यक्तिगत रूचि लेकर निजी चिकित्सा सेवा मंे अवैध कारोबार तथा नवजात कन्याआंे के वध के प्रतीक इन अस्पतालांे के संचालन पर रोक लगाई जाए। अथवा इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।

बुधवार, 25 मई 2011

30 साल में हुए 1.21 करोड़ अबोर्शन

30 साल में हुए 1.21 करोड़ अबोर्शन 
 
नई दिल्ली। भारत में कन्या भ्रूण हत्या किस कद पैर पसार चुका है इसका एक घिनौना चेहरा सामने आया है। सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च (सीजीएचआर) के शोध के अनुसार भारत में पिछले तीन दशक में लगभग 1.21 करोड़ कन्या भ्रूण के अबोर्शन करवाए गए। इससे भी बुरी बात यह है कि 21वीं सदी के पहले दशक में ही 60 लाख अबोर्शन करवाए गए हैं।
 

लैंसेट मैग्जीन में छपे सीजीएचआर के शोध के अनुसार 1980 से 2010 के दौरान भारत में 12 मिलियन अबोर्शन हुए हैं। इसमें से पिछले दशक के दौरान ही 6 मिलियन अबोर्शन कराए गए। खास बात यह है कि संभ्रांत व पढ़े लिखे परिवारों में बेटे की चाह में महिलाओं के दूसरे भ्रूण का अबोर्शन करवाया। शोध के अनुसार उत्तर भारत में भू्रण हत्या करने की कुरीति अब दक्षिण और पश्चिम भारत मे भी तेजी से फैल रही है।
 

रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारत की अधिकांश जनसंख्या ऎसे राज्यों में रहती है जहां भ्रूण हत्या आम बात है। ऎसे परिवारों में कन्या भ्रूण हत्या के ज्यादा मामले सामने आए हैं जहां पहली संतान के तौर पर बेटी होती है। रिपोर्ट के अनुसार 1980 के दशक में कन्या भ्रूण हत्या के 20 लाख मामले सामने आए थे जो 1990 के दशक में बढ़कर 40 लाख हो गए। लेकिन पिछले एक दशक में आpर्यजनक रूप से कन्या भ्रूण हत्या के करीब 60 लाख मामले पाए गए।