बाडमेर ढाई सौ से अधिक पशु शिविरों में 35 हजार पशुओं का सरंक्षण,
केंद्र सरकार द्वारा लागू लघु सीमांत कृषक नियम बाधा बने शिविर खुलने में
वसुंधरा राजे ने पांच साल के कार्यकाल में एक भी पशु शिविर नहीं खोला
पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिले बाडमेर में गो वंश के सरंक्षण को लेकर बड़ा हल्ला मचा रहा है।।साधु संत सड़को पे उतर आए।।गोवंश पे राजनीति की जा रही है।।बाडमेर जिले में जिला प्रशासन ने त्वरित गति से आपदाग्रस्त गांवो में तीन सौ बाईस पशु शिविर स्वीकृत किये जिनमे 248 पशु शिविर आज संचालित ही रहे है।।इन शिविरों में करीब चालीस हजार गई वंश सरंक्षित हो रहा है।।इन शिविरों की जिला प्रशासन की विभिन टीमें नियमित निरीक्षण कर रही जिसमे चारे की मात्रा और गुणवत्ता प्रमुखता से जांची जा रही है।।लापरवाही बरतने वाले कुछ सरकारी कारिंदे निलंबित भी हुए।।पशु शिविरों के अलावा पचास पंजीबद्ध गो शालाओं में करीब छतीस सौ चार पशुओं के सरंक्षण के लिए नियमित अनुदान दिया जा रहा है।।जिला प्रशासन ने आपदाग्रस्त गांवो में 518 चारा डिपो स्वीकृत किये जिनमे 412 डिपो सुचारू संचालित हो रहे है।।जिला प्रशासन द्वारा 883 नॉन कमीशन्ड गांवो में टेंकरो के जरिये पेयजल सप्लाई कर आमजन को राहत देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।।
जिला प्रशासन द्वारा राज्य सरकार के निर्देशानुसार गो वंश सरंक्षण के हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है इन प्रयासो को अनदेखा नही किया जा सकता।ग्राम पंचायतों से पशु शिविर खोलने के जितने प्रस्ताव जिला प्रशास
न को मिले उन सब मे पशु शिविर खोल दिये ।जिन गांवो से प्रस्ताव आ रहे है उनमें भी प्राथमिकता से खोले जा रहे। ।
केंद्र सरकार का अड़ंगा
पूर्व में पशु शिविर खोलने के लिए पशु का आवारा होने काफी था ।मगर केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंध नियमो में संशोधन कर पशु शिविर सीमांत लघु कृषकों की अनिवार्यता लागू कर दी जिसके कारण पशु शिविर खोलने में दिक्कतें आ रही है जबकि पूर्व में शिविर पटवारी,ग्राम सेवक की रिपोर्ट पर खोले जाते।।इस बार आपदा प्रबंध नियमो के तहत सहकारी समिति,ग्राम पंचायत ही शिविर संचालन के लिए योग्य माने गए।।जबकि पूर्व में स्वयं सेवी संस्थाओं ने सफलतापूर्वक शिविर संचालित किए।
भाजपा राज में एक भी शिविर नही खोला, अब राजनीति कर रहे
पशु शिविरों को लेकर क्षेत्र में राजनीति शुरू हो गई।। कांग्रेस के युवा नेता रिड़मल सिंह दांता ने बताया कि भाजपा के पांच साल के शासन काल मे लगातार अकाल पड़े।।गांवो को आपदाग्रस्त भी घोषित किये।मगर पांच साल में एक भी पशु शिविर या चारा डिपो नही खोला गया।।अब जबकि कांग्रेस सरकार ने शिविर खोल दिये और खुल भी रहे है।पर भाजपा और उनके समर्थित लोग अनावश्यके राजनीति कर रहे है।।केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंध का बजट रोक रखा था।।केंद्र सरकार के नए नियमो के कारन पशु शिविर खोलने में प्रशासन को समस्या आ रही है।।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू ने बताया कि अकालग्रस्त गांवो में पशु शिविर संचालित हो रहे है।इनकी नियमित मोनिटरिंग की जा रही है। चारे की उपलब्धता के साथ गुणवत्ता भी परखी जा रही है।जिन गांवो से शिविर खोलने के प्रस्ताव आये उनमें खोल दिये।।जंहा से प्रस्ताव आ रहे है उनमें भी खोलने की प्रक्रिया हाथों हाथ पूर्ण कर स्वीकृतियां जा की जा रही है। जिले में चार सौ से अधिक चारा डिपो संचालित हो रहे है। पेयजल समस्या से ग्रस्त गांवो में टेंकरो से पानी पहुंच रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा लागू लघु सीमांत कृषक नियम बाधा बने शिविर खुलने में
वसुंधरा राजे ने पांच साल के कार्यकाल में एक भी पशु शिविर नहीं खोला
पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिले बाडमेर में गो वंश के सरंक्षण को लेकर बड़ा हल्ला मचा रहा है।।साधु संत सड़को पे उतर आए।।गोवंश पे राजनीति की जा रही है।।बाडमेर जिले में जिला प्रशासन ने त्वरित गति से आपदाग्रस्त गांवो में तीन सौ बाईस पशु शिविर स्वीकृत किये जिनमे 248 पशु शिविर आज संचालित ही रहे है।।इन शिविरों में करीब चालीस हजार गई वंश सरंक्षित हो रहा है।।इन शिविरों की जिला प्रशासन की विभिन टीमें नियमित निरीक्षण कर रही जिसमे चारे की मात्रा और गुणवत्ता प्रमुखता से जांची जा रही है।।लापरवाही बरतने वाले कुछ सरकारी कारिंदे निलंबित भी हुए।।पशु शिविरों के अलावा पचास पंजीबद्ध गो शालाओं में करीब छतीस सौ चार पशुओं के सरंक्षण के लिए नियमित अनुदान दिया जा रहा है।।जिला प्रशासन ने आपदाग्रस्त गांवो में 518 चारा डिपो स्वीकृत किये जिनमे 412 डिपो सुचारू संचालित हो रहे है।।जिला प्रशासन द्वारा 883 नॉन कमीशन्ड गांवो में टेंकरो के जरिये पेयजल सप्लाई कर आमजन को राहत देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।।
जिला प्रशासन द्वारा राज्य सरकार के निर्देशानुसार गो वंश सरंक्षण के हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है इन प्रयासो को अनदेखा नही किया जा सकता।ग्राम पंचायतों से पशु शिविर खोलने के जितने प्रस्ताव जिला प्रशास
न को मिले उन सब मे पशु शिविर खोल दिये ।जिन गांवो से प्रस्ताव आ रहे है उनमें भी प्राथमिकता से खोले जा रहे। ।
केंद्र सरकार का अड़ंगा
पूर्व में पशु शिविर खोलने के लिए पशु का आवारा होने काफी था ।मगर केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंध नियमो में संशोधन कर पशु शिविर सीमांत लघु कृषकों की अनिवार्यता लागू कर दी जिसके कारण पशु शिविर खोलने में दिक्कतें आ रही है जबकि पूर्व में शिविर पटवारी,ग्राम सेवक की रिपोर्ट पर खोले जाते।।इस बार आपदा प्रबंध नियमो के तहत सहकारी समिति,ग्राम पंचायत ही शिविर संचालन के लिए योग्य माने गए।।जबकि पूर्व में स्वयं सेवी संस्थाओं ने सफलतापूर्वक शिविर संचालित किए।
भाजपा राज में एक भी शिविर नही खोला, अब राजनीति कर रहे
पशु शिविरों को लेकर क्षेत्र में राजनीति शुरू हो गई।। कांग्रेस के युवा नेता रिड़मल सिंह दांता ने बताया कि भाजपा के पांच साल के शासन काल मे लगातार अकाल पड़े।।गांवो को आपदाग्रस्त भी घोषित किये।मगर पांच साल में एक भी पशु शिविर या चारा डिपो नही खोला गया।।अब जबकि कांग्रेस सरकार ने शिविर खोल दिये और खुल भी रहे है।पर भाजपा और उनके समर्थित लोग अनावश्यके राजनीति कर रहे है।।केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंध का बजट रोक रखा था।।केंद्र सरकार के नए नियमो के कारन पशु शिविर खोलने में प्रशासन को समस्या आ रही है।।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू ने बताया कि अकालग्रस्त गांवो में पशु शिविर संचालित हो रहे है।इनकी नियमित मोनिटरिंग की जा रही है। चारे की उपलब्धता के साथ गुणवत्ता भी परखी जा रही है।जिन गांवो से शिविर खोलने के प्रस्ताव आये उनमें खोल दिये।।जंहा से प्रस्ताव आ रहे है उनमें भी खोलने की प्रक्रिया हाथों हाथ पूर्ण कर स्वीकृतियां जा की जा रही है। जिले में चार सौ से अधिक चारा डिपो संचालित हो रहे है। पेयजल समस्या से ग्रस्त गांवो में टेंकरो से पानी पहुंच रहा है।