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शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

रेत में खिल रही हें सिविल सेवा की नई पोध

रेत में खिल रही हें सिविल सेवा की नई पोध


विश्व भर में अपने काम के चलते पहचना जाने वाला संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम एक बार फिर बाड़मेर के हालातो और हर से वाकिफ हुआ . जहा भर में इस कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए राष्ट्रिय स्तर पर हुई एक महत्वपूर्ण सेमिनार में एक बार फिर चोहटन प्रधान शम्मा खान को आमंत्रित किया गया .और इस सेमिनार में इस सेमिनार में चोहटन प्रधान का राजस्थान में विशेषकर रेतीले इलाके में सिविल सेवा को लेकर युवाओ का नजरिया विषय पर उदबोधन भी रखा . शम्मा खान ऩे जहा अपनी बात में डाक्टर ललित के पवार और सागाराम जागिड को सहरा के युवाओ के आदर्श बताया तो आज के हालातो पर सरकार के कामो को सराहा .बाड़मेर एक जमाना हुआ करता था जब रेतीले इलाके के लोग अपनी जिन्दगी और अपनी काम को खेती बड़ी और घर की चार दिवारी तक ही सिमित रखा करते है . अगर कोई इस इलाके में पढ़ लिख भी गया तो शायद उस्सने कभी भी बेहद आगे जाने के बारे में कभी नही सोच लेकिन सरकार द्वारा रेतीले इलाके में तेजी से करवाए जा रहे कार्यो और आम आदमी के बच्चों को दी जा रही तालीमी मदद आज हरे परिवार के बच्चे में सिविल सेवा का सपना भर चुकी है . जिस रेतीले इलाके में बामुश्किल खेती होती है उस इलाके में बीते कुछ बरसो में उच्च्च प्र्शश्निक अधिकारियो की पोध तयार हो चुकी है . बरसों पहले बाड़मेर के सांगाराम जागिड और डाक्टर ललित के पवार ऩे जो करवा शुरू किया वह आज सरकार द्वारा द्नाये गए सुगुम माहोल के चलते रेत में सिविल सेवा की नई पोध खड़ी कर चुकी है . यह कहना है चोहत्न प्रधान शम्मा खान का . चोहत्न प्रधान ऩे यह बात मुल्क की राजधानी दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के उस राष्ट्रिय सेमिनार में कही जो सेमिनार देश भर में 21 वीं सदी में शासन और सिविल सेवा में नेतृत्व का विकास के लिए मिल का पत्र साबित होने वाला रहेगा . सीनियर आईएस अधिकारी कुश वर्मा ऩे बताया कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा हर इलाके में आम जनता के हितो से जुड़े हें कार्यो को करवाया जाता है और ईन कामो के सफल संचालन के लिए देश के विद्वानों और उच्च अधिकारियो से राय और मशवरा लिया जाता रहा हें उस क्रम में देश की राजधानी दिल्ली में गुरुवार से दो दिन तक 21 वीं सदी में शासन और सिविल सेवा में नेतृत्व का विकास विषय पर अलग अलग बाते और विचार मुखर हुए . जिसमे बाड़मेर के चोहटन की प्रधान शम्मा खान को विशेष तोर से आमंत्रित किया गया था . इस सेमिनार में लोगो के सामने रेतीले इलाके के तालीम के हालात के साथ साथ बीते कुछ बरसो में इस क्षेत्र में तेजी से हुए बदलाव पर शम्मा खान ऩे बड़ी बेबाकी से अपनी राय राखी . उन्ह्होने कहा की शासन तंत्र की रीढ़ कही जाने वाली सिविल सर्विस ग्लैमर और प्रतिष्ठा से परिपूर्ण सेवा है, जिसमें शामिल होने का ख्वाब अधिकतर युवाओं की आंखों में रहता है। हर कोई सिविल सर्विसेज में शामिल होकर देश के विकास में अपना योगदान देने का सपना देखता हैं, लेकिन वर्तमान परिवेश में इस क्षेत्र में कई चुनोतिया आ चुकी है जिससे निपटना आज कि जरूरत है. सरकार जहा आम आदमी के होनहार बच्चों को उच्च पदों पर देखने के सपने को हकीकत का रूप दे चुकी है वही आज हर दूसरा बच्चों आने वाला सिविल सेवा का अधिकारी मानते हुए तालीम ले रहा है . इस सेमिनार में राजस्थान से चोहटन प्रधान के आलावा राजस्थान मेडिकल कोर्परेशन के निदेशक डाक्टर समित शर्मा ऩे भी भाग लिया . .

शनिवार, 14 जुलाई 2012

देखिये तस्वीरों में ....दिल्ली में छाया रेतिला बाड़मेर, चौहटन प्रधान शम्मा खान ने बदली काले पानी की कहानी


देखिये तस्वीरों में..... दिल्ली में छाया रेतिला बाड़मेर, चौहटन प्रधान शम्मा खान ने बदली काले पानी की कहानी 





बाड़मेर । सहरा के गांव के वाशिन्दों की मुश्किलात और यहां की जिन्दगी के फलसे से बहुत कुछ सीखने वाले एक बार फिर थार के इस बियबान की बात मुल्क की राजधानी में राष्ट्रीय स्तर पर रख गये। यहां के लोगो ने बिना बरखा और नव सरकारी पेयजल आपूर्ति के बिना इस तरह पानी को रजत बून्दो की तरह सहेजा है और पानी को जीवन का एक अंग नहीं बिल्कुल जीवन का आधार माना है। इस बात को यूनाईटेंड नेशनल डवलपमेन्ट प्रोग्राम के राष्ट्रीय स्तरीय बैठक में रखकर एक बार फिर बाड़मेर का नाम और सिर फक्र से ऊंचा करने का काम चौहटन प्रधान शम्मा खान ने किया हैं। गुरूवार और शुक्रवार को देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित हुई यूएनडीपी की राष्ट्रीय बैठक में राजस्थान की बात रखने वालो में शामिल रहे दो लोग। जिनमें जिला प्रमुख और बाड़मेर की चौहटन प्रधान शम्मा खान शामिल रहे। नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में देशभर से पहुचे विभिन्न अधिकारियों के बीच पश्चिमी राजस्थान के रेतिले ईलाके में विभिन्न आधारों पर हुए विकास कार्य के साथसाथ तेजी से बदलते परिवेश के अलावा इस क्षैत्र में पुख्ता जल प्रबंधन को लेकर चौहटन प्रधान ने अपनी बात रखी। तय समय सीमा के तहत दिये गये पांच मिनट के वक्त को चौहटन प्रधान के प्रस्तुतिकरण को देखते हुए ब़ा दिया गया। अपने 30 मिनट के उद्बोधन में उन्होने पश्चिमी राजस्थान के वाशिन्दो की बेहद कम वर्षा में भी वर्षो से चली आ रही पानी को लेकर सफल मित्तव्ययता की भावना और शानदार पेयजल संग्रहण की विधियों को बेहद सलीके से रखा। उन्होने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में पानी को सहजना किसी धर्म, जात और वर्ग से ब़कर एक परम्परा हैं। और बरसों से इस परम्परा का निर्वाहन करना यहां के लोगो का फर्ज बन पड़ा है। यहां के जल प्रबंधन से ना केवल देश भर को बल्कि सात समन्दर पार से आने वाले शोधार्थियों को भी प्रभावित किया है। उन्होने कहा कि जिस रेतीले इलाके को काले पानी का दर्जा दिय गया है और यहां के लोगो को रेत से नहाते है इस बात को जहां भर में फैलाया गया हैं। उसी बाड़मेर में पानी के तलाबो के नाम पर पार के गांव, जैसलमेर में सागर के गांव और बीकानेर में समन्दर का अर्थ वाले सर के नाम के गांव सबसे ज्यादा है। प्याऊ बनाना यहा की परम्परा रही है। यह आज भी जारी है। ऐसे में पानी को लेकर इस ईलाके को काला पानी कहना बेमानी है। पानी की कमी से पहचाने जाने वाले इलाके से बदनाम पश्चिमी राजस्थान के एक जनप्रतिनिधि की इन बातो पर ना केवल यूएनडीपी के हर सदस्य सकारात्मक सहमति देता नजर आया वहीं इस राष्ट्रीय बैठक में चौहटन प्रधान की इस बात को नई पहल में लेते हुए यूएनडीपी के नवीन वित्तिय वर्ष में राजस्थान को एक खास राज्य का दर्जा देने की बात को सहमति प्रदान की गई। चौहटन प्रधान ने अपनी पूर्ण प्रस्तुति और अपनी बात को बाड़मेर की आवाज का दर्जा दिया और कहा कि सही बात को हर जगह रखना आज की महत्ती आवश्यकता हैं। --