कमला गोइन्का फाउण्डेशन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कमला गोइन्का फाउण्डेशन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

व्यंग्य संगोष्ठी तथा गोइन्का साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह सम्पन्न

व्यंग्य संगोष्ठी तथा गोइन्का साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह सम्पन्न

कमला गोइन्का फाउण्डेशन एवं मुंबई विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्यंग्य संगोष्ठी तथा गोइन्का पुरस्कार वितरण समारोह सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार तथा 'व्यंग्य-यात्रा' के संपादक डाॅ. प्रेम जनमेजय के संयोजन में गद्य व्यंग्य पर चर्चा हुई। डाॅ. प्रेम जनमेजय ने अपने वीज व्याख्यान में गद्य व्यंग्य की वर्तमान स्थिति तथा संभावनाओं के बारे में जानकारी दी तथा व्यंग्यपाठ की परम्परा को अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रोफेसर डाॅ. करूणाशंकर उपाध्याय, हिन्दी विभागाध्यक्ष मुंबई विश्वविद्यालय एवं प्रसिद्ध आलोचक ने व्यंग्य साहित्य के विकास व समाज में इसके बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डाला। व्यंग्य पर विमर्श के बाद डाॅ. हरि जोशी, श्री यज्ञ शर्मा, डाॅ. सूर्यबाला, डाॅ. अनंत श्रीमाली, श्री संजीव निगम, श्री सुभाष काबरा, श्री विष्णु नागर, श्री लालित्य ललित, डाॅ. प्रेम जनमेजय तथा श्याम गोइन्का के व्यंग्य पाठ से श्रोता मंत्र-मुग्ध हो गये।
द्वितीय सत्र में वरिष्ठ व्यंग्यकार डाॅ. हरि जोशी को "गोइन्का व्यंग्य साहित्य सारस्वत सम्मान" से सम्मानित किया व संग-संग श्री यज्ञ शर्मा को "स्नेहलता गोइन्का व्यंग्यभूषण पुरस्कार" से, श्रीमती ममता कालिया को "रत्नीदेवी गोइन्का वाग्देवी पुरस्कार" से, श्री विष्णु नागर को "रामनाथ गोइन्का पत्रकार शिरोमणि पुरस्कार" से पुरस्कृत किया गया।
न्यायमूर्ति पद्मभूषण चन्द्रशेखर धर्माधिकारीजी की अध्यक्षता में आयोजित पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ. राजन वेलूकर, कुलपति मुंबई विश्वविद्यालय थे तथा सम्माननीय अतिथि श्री विश्वनाथ सचदेव, संपादक 'नवनीत' थे। कमला गोइन्का फाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का ने सम्मानमूर्ति साहित्यकारों व अतिथियों का स्वागत किया। पुरस्कृत साहित्यकारों ने आभार व्यक्त करते हुए सारगर्भित व्याख्यान दिए। अध्यक्षीय भाषण में न्यायमूर्ति पद्मभूषण चन्द्रशेखर धर्माधिकारीजी ने फाउण्डेशन द्वारा हिन्दी साहित्य के प्रति किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। डाॅ. राजन वेलूकर ने पुरस्कृत साहित्यकारों को बधाई दी तथा साहित्य को समाज का दर्पण बताया। श्री विश्वनाथ सचदेव ने व्यंग्य संगोष्ठी की परंपरा को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया तथा फाउण्डेशन को साहित्य सेवा में अग्रसर बने रहने का सुझाव दिया। समारोह का संचालन समाजसेवी श्री कन्हैयालाल सराफ ने किया। श्रीमती ललिता गोइन्का ने उपस्थित विभूतियों व श्रोताओं का आभार ज्ञापन किया।