बाड़मेर जैसलमेर चुनाव घमासान 2018
जेसलमेर राजपरिवार और जसोल परिवार की बहू चित्रा सिंह की राजनीति दस्तक से बाड़मेर तपते धोरो में आया उबाल
चन्दन सिंह भाटी
पश्चिमी राजस्थान की तपती धरती में इन दिनों उबाल आया हुआ है।ये उबाल बाड़मेर जैसलमेर में दो परिवारों के कारण आया। जिसके चलते दोनो प्रमुख दलों के संभावित उम्मीदवार मायूस हो गए।।राजनीति के समीकरण आने वाले दिनों में किस करवट बैठेंगे यह तो समय के गर्भ में है मगर इस बार दोनो जिलो की राजनीति महिला सशक्तिकरण का अहसास कराने वाली होगी।।
पाकिस्तान की सीमा से सटे दोनो जिलो में जसवंत सिंह परिवार और जैसलमेर के राजपरिवार ने थार की राजनीति को दो राहै पर लाकर खड़ा कर दिया।।कारण स्पष्ठ है कि शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह ने भाजपा का दामन छोड़ दिया।।वही जेसलमेर की महारानी राशेश्वरी राज्यलक्ष्मी अपना प्रचार शुरू कर ताल चुनावी रण में ताल ठोक दी।।दोनो इस वक़्त किसी पार्टी में नही है।।संशय बरकार है।।महारानी सा का सीधा जवाब की चुनाव लड़ना है।।इधर मानवेन्द्र सिंह खुद विधानसभा चुनाव से शायद दूर रहे मगर इन दो महीनों में उनकी धर्म पत्नी चित्रा सिंह एक राजनैयिक के रूप में उभर कर सामने आई है।।लोगो की अपेक्षा चित्रा सिंह से काफी बढ़ी है।।।उनका आक्रामक राजनीतिक रवैया लोगो को पसंद आया है।।यह स्वाभिमान रैली में आये लाखो लोगो में चित्रा सिंह के क्रेज से साफ हो गया।।यह भी तय है अभी भले की ये दोनों परिवार किसी राजनैतिक दल में नही है मगर आने वाले दिनों में किसी एक प्रमुख दल का दामन थामेंगे इसमे कोई शक नही है।।
महारानी के चुनाव प्रचार में उतरते ही उन्हें शहरी क्षेत्र में उनका जोरदार स्वागत और ख्याला मठ के दर्शन कर ग्रामीणों के साथ जब वो बैठी तो ग्रामीणों के चेहरों पर उनके प्रति आदर भाव साफ झलक रहा था। ग्रामीण अपने बीच राजपरिवार की बहू को पाकर अचंभित भी थे और खुश भी थे।।जैसलमेर में आज भी राजपरिवार के प्रति लोगो में जबरदस्त आस्था है। यही आस्था दोनो दलों के संभावित प्रत्यासियो पर भारी पड़ रही है।।महारानी किस दल से चुनाव लड़ेगी यह अभी स्पस्ट नही होने से राजनीतिक शतरंज में मोहरे फिट करने में दोनो दलों को पसीना आएगा।।यह तय है कि इस बार बाड़मेर जैसलमेर की टिकटें दोनो दल इन वक्त पर घोषित करेंगे।।कांग्रेस का इस वक़्त एक ही ध्येय है कि भाजपा से नाराज चल रहे क्षत्रियों को कांग्रेस में जोड़ के राजस्थान की राजनीति में आज़ादी के बाद से परंपरागत रूप से चल रहे समीकरणों को ध्वस्त कर नए समीकरण बनाये जाए।।।कांग्रेस के लिए जेसलमेर सीट सर दर्द भरी होगी।।इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार रूपाराम धनदे है।मौजूदा स्थति में वो नम्बर एक के दावेदार है।।क्योंकि कांग्रेस जानती है कि रूपाराम की अनुसूचित जाति के वोट पर बेहतर पकड़ है।।आठ सीट पर अपना प्रभाव रखते है।।महारानी राशेश्वरी राज्य लक्ष्मी कांग्रेस में आती है तो टिकट की शर्त पर ही आएगी।।इससे कांग्रेस को रूपाराम धनदे को किसी दूसरी प्रभावी विधानसभा क्षेत्र में भेजना पड़ेगा। महारानी निर्दलीय लड़ती है तो उनके सामने रूपाराम ही उम्मीदवार होंगे। ऐसे में भाजपा के पास विकल्प बहुत कम बचते है।।उनके पास वर्तमान विधायक छोटू सिंह भाटी और बाड़मेर भाजपा जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर अपने गृह जिले की सेवा करने के उद्देश्य से जेसलमेर को कर्मभूमि बनाने आये डॉ जालम सिंह रावलोत मजबूत दावेदार होंगे।।महारानी के सामने कांग्रेस दलित मुस्लिम गठजोड़ को ध्यान में रख कर ही टिकट तय करेगी।।तो भाजपा उस नेता को टिकट देगी जो राजपूत वोटो में महारानी के सामने अच्छी सेंध लगा सके। भाजपा के परंपरागत वोट और राजपूत समीकरण रहेंगे।
ऐसे में जेसलमेर के चुनाव दिलचस्प होने के पूरे आसार है।।चूंकि कांग्रेस को अपने परंपरागत वोटर और मुस्लिम मेघवाल गठजोड़ पे भरोसा है मगर रूपाराम धनदे के साथ पिछले चुनाव की तरह भीतर्भात की संभावनाओं से इनकार नही किया जासकता।।फ़क़ीर परिवार के साथ भले ही हो समझौता कर बेठे इसके बावजूद वो रूपाराम को आने से रोकने के प्रयास करेंगे।।फकीर परिवार जेसलमेर सीट पर अपनी पकड़ बनाये रखना चाहते है।।
महारानी के लिए भी यह चुनाव चुनोतिपूर्ण होगा।।राजनीति में नई होने के साथ आखरी मतदाता तक पहुंचना सबसे बड़ी चुनोती है। वो अपने वोटों पर भरोसा कर सकती है साथ ही शहरी क्षेत्र में उन्हें प्राथमिकता मिलेगी सामने चाहे कोई भी हो।।क्योंकि राजपरिवार के प्रति आस्था और पहली बार चुनाव लड़ने के कारण उन्हें फायदा मिल सकता है।।कुल मिलाकर जेसलमेर की राजनीति फिल वक़्त संशय से भरी है।।
इधर शिव विधायक खुद चुनें नही लड़ेंगे मगर उनकी धर्मपत्नी चित्रा सिंह को राजनीति में प्रवेश करने के पुरजोर प्रयास होंगे।।मानवेन्द्र सिंह खुद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।।चित्रा सिंह को किस सीट से उतरेंगे यह भी तय है। इस बार जसवंत सिंह परिवार शिव सीट से चुनाव नही लड़ेंगे यह मुस्लिम प्रत्यासी के लिए छोड़ेंगे।।चित्रा सिंह को सिवाना या पचपदरा से मैदान में उतारने की संभावना बलवती है। चित्रा सिंह के लिए राजनीति नई नही है।।जसवंत सिंह के मंत्री रहते उनके कामकाज में हाथ बंटाने के अलावा मानवेन्द्र सिंह के सभी चुनाव में उन्होंने जनता के बीच जाकर वोट मांगे जसवंत सिंह के चुनाव के समय भी उन्होंने पूरा दम लगाया था । आम ग्रामीणों खासकर महिलाओं के बीच उनके घूंघट में जाने की परंपरा के कारण काफी प्रभावित है।हाल ही में उन्होंने स्वाभिमान सभा के लिए सौ से अधिक जन सभाए कर लोगो के बीच गई।।उन्हें जनता का पूरा समर्थन मिला यह स्वाभिमान रैली में राजनीतिक विशेषग्यो ने साफ तौर पे देखा। अब तक चित्रा सिंह का शांत और सहज रूप लोगो ने देखा था मगर इस बार स्वाभिमान रैली की सभाओं में उनका आक्रामक रवैया लोगो को खूब भा रहा।।अक्सर मीटिंगों में राजस्थानी भाषा मे अपना उद्बोधन देने वाली चित्रा सिंह को पहली बार लोगो ने राष्ट्रीय मीडिया को फर्राटेदार इंग्लिश में इंटरव्यू देते देखा।।चित्रा सिंह में काबिल राजनेत्री के तमाम गुण है जो उनके पक्ष में जाते है।।जनता की मांग पर उन्हें मैदान में उतारा जाएग।।
बाड़मेर जेसलमेर की राजनीति प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करने वाली है।।
जेसलमेर राजपरिवार और जसोल परिवार की बहू चित्रा सिंह की राजनीति दस्तक से बाड़मेर तपते धोरो में आया उबाल
चन्दन सिंह भाटी
पश्चिमी राजस्थान की तपती धरती में इन दिनों उबाल आया हुआ है।ये उबाल बाड़मेर जैसलमेर में दो परिवारों के कारण आया। जिसके चलते दोनो प्रमुख दलों के संभावित उम्मीदवार मायूस हो गए।।राजनीति के समीकरण आने वाले दिनों में किस करवट बैठेंगे यह तो समय के गर्भ में है मगर इस बार दोनो जिलो की राजनीति महिला सशक्तिकरण का अहसास कराने वाली होगी।।
पाकिस्तान की सीमा से सटे दोनो जिलो में जसवंत सिंह परिवार और जैसलमेर के राजपरिवार ने थार की राजनीति को दो राहै पर लाकर खड़ा कर दिया।।कारण स्पष्ठ है कि शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह ने भाजपा का दामन छोड़ दिया।।वही जेसलमेर की महारानी राशेश्वरी राज्यलक्ष्मी अपना प्रचार शुरू कर ताल चुनावी रण में ताल ठोक दी।।दोनो इस वक़्त किसी पार्टी में नही है।।संशय बरकार है।।महारानी सा का सीधा जवाब की चुनाव लड़ना है।।इधर मानवेन्द्र सिंह खुद विधानसभा चुनाव से शायद दूर रहे मगर इन दो महीनों में उनकी धर्म पत्नी चित्रा सिंह एक राजनैयिक के रूप में उभर कर सामने आई है।।लोगो की अपेक्षा चित्रा सिंह से काफी बढ़ी है।।।उनका आक्रामक राजनीतिक रवैया लोगो को पसंद आया है।।यह स्वाभिमान रैली में आये लाखो लोगो में चित्रा सिंह के क्रेज से साफ हो गया।।यह भी तय है अभी भले की ये दोनों परिवार किसी राजनैतिक दल में नही है मगर आने वाले दिनों में किसी एक प्रमुख दल का दामन थामेंगे इसमे कोई शक नही है।।
महारानी के चुनाव प्रचार में उतरते ही उन्हें शहरी क्षेत्र में उनका जोरदार स्वागत और ख्याला मठ के दर्शन कर ग्रामीणों के साथ जब वो बैठी तो ग्रामीणों के चेहरों पर उनके प्रति आदर भाव साफ झलक रहा था। ग्रामीण अपने बीच राजपरिवार की बहू को पाकर अचंभित भी थे और खुश भी थे।।जैसलमेर में आज भी राजपरिवार के प्रति लोगो में जबरदस्त आस्था है। यही आस्था दोनो दलों के संभावित प्रत्यासियो पर भारी पड़ रही है।।महारानी किस दल से चुनाव लड़ेगी यह अभी स्पस्ट नही होने से राजनीतिक शतरंज में मोहरे फिट करने में दोनो दलों को पसीना आएगा।।यह तय है कि इस बार बाड़मेर जैसलमेर की टिकटें दोनो दल इन वक्त पर घोषित करेंगे।।कांग्रेस का इस वक़्त एक ही ध्येय है कि भाजपा से नाराज चल रहे क्षत्रियों को कांग्रेस में जोड़ के राजस्थान की राजनीति में आज़ादी के बाद से परंपरागत रूप से चल रहे समीकरणों को ध्वस्त कर नए समीकरण बनाये जाए।।।कांग्रेस के लिए जेसलमेर सीट सर दर्द भरी होगी।।इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार रूपाराम धनदे है।मौजूदा स्थति में वो नम्बर एक के दावेदार है।।क्योंकि कांग्रेस जानती है कि रूपाराम की अनुसूचित जाति के वोट पर बेहतर पकड़ है।।आठ सीट पर अपना प्रभाव रखते है।।महारानी राशेश्वरी राज्य लक्ष्मी कांग्रेस में आती है तो टिकट की शर्त पर ही आएगी।।इससे कांग्रेस को रूपाराम धनदे को किसी दूसरी प्रभावी विधानसभा क्षेत्र में भेजना पड़ेगा। महारानी निर्दलीय लड़ती है तो उनके सामने रूपाराम ही उम्मीदवार होंगे। ऐसे में भाजपा के पास विकल्प बहुत कम बचते है।।उनके पास वर्तमान विधायक छोटू सिंह भाटी और बाड़मेर भाजपा जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर अपने गृह जिले की सेवा करने के उद्देश्य से जेसलमेर को कर्मभूमि बनाने आये डॉ जालम सिंह रावलोत मजबूत दावेदार होंगे।।महारानी के सामने कांग्रेस दलित मुस्लिम गठजोड़ को ध्यान में रख कर ही टिकट तय करेगी।।तो भाजपा उस नेता को टिकट देगी जो राजपूत वोटो में महारानी के सामने अच्छी सेंध लगा सके। भाजपा के परंपरागत वोट और राजपूत समीकरण रहेंगे।
ऐसे में जेसलमेर के चुनाव दिलचस्प होने के पूरे आसार है।।चूंकि कांग्रेस को अपने परंपरागत वोटर और मुस्लिम मेघवाल गठजोड़ पे भरोसा है मगर रूपाराम धनदे के साथ पिछले चुनाव की तरह भीतर्भात की संभावनाओं से इनकार नही किया जासकता।।फ़क़ीर परिवार के साथ भले ही हो समझौता कर बेठे इसके बावजूद वो रूपाराम को आने से रोकने के प्रयास करेंगे।।फकीर परिवार जेसलमेर सीट पर अपनी पकड़ बनाये रखना चाहते है।।
महारानी के लिए भी यह चुनाव चुनोतिपूर्ण होगा।।राजनीति में नई होने के साथ आखरी मतदाता तक पहुंचना सबसे बड़ी चुनोती है। वो अपने वोटों पर भरोसा कर सकती है साथ ही शहरी क्षेत्र में उन्हें प्राथमिकता मिलेगी सामने चाहे कोई भी हो।।क्योंकि राजपरिवार के प्रति आस्था और पहली बार चुनाव लड़ने के कारण उन्हें फायदा मिल सकता है।।कुल मिलाकर जेसलमेर की राजनीति फिल वक़्त संशय से भरी है।।
इधर शिव विधायक खुद चुनें नही लड़ेंगे मगर उनकी धर्मपत्नी चित्रा सिंह को राजनीति में प्रवेश करने के पुरजोर प्रयास होंगे।।मानवेन्द्र सिंह खुद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।।चित्रा सिंह को किस सीट से उतरेंगे यह भी तय है। इस बार जसवंत सिंह परिवार शिव सीट से चुनाव नही लड़ेंगे यह मुस्लिम प्रत्यासी के लिए छोड़ेंगे।।चित्रा सिंह को सिवाना या पचपदरा से मैदान में उतारने की संभावना बलवती है। चित्रा सिंह के लिए राजनीति नई नही है।।जसवंत सिंह के मंत्री रहते उनके कामकाज में हाथ बंटाने के अलावा मानवेन्द्र सिंह के सभी चुनाव में उन्होंने जनता के बीच जाकर वोट मांगे जसवंत सिंह के चुनाव के समय भी उन्होंने पूरा दम लगाया था । आम ग्रामीणों खासकर महिलाओं के बीच उनके घूंघट में जाने की परंपरा के कारण काफी प्रभावित है।हाल ही में उन्होंने स्वाभिमान सभा के लिए सौ से अधिक जन सभाए कर लोगो के बीच गई।।उन्हें जनता का पूरा समर्थन मिला यह स्वाभिमान रैली में राजनीतिक विशेषग्यो ने साफ तौर पे देखा। अब तक चित्रा सिंह का शांत और सहज रूप लोगो ने देखा था मगर इस बार स्वाभिमान रैली की सभाओं में उनका आक्रामक रवैया लोगो को खूब भा रहा।।अक्सर मीटिंगों में राजस्थानी भाषा मे अपना उद्बोधन देने वाली चित्रा सिंह को पहली बार लोगो ने राष्ट्रीय मीडिया को फर्राटेदार इंग्लिश में इंटरव्यू देते देखा।।चित्रा सिंह में काबिल राजनेत्री के तमाम गुण है जो उनके पक्ष में जाते है।।जनता की मांग पर उन्हें मैदान में उतारा जाएग।।
बाड़मेर जेसलमेर की राजनीति प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करने वाली है।।