*थार की चुनाव रणभेरी 2018*
*चुनावी चौपालो पर जमने लगेगी अफीम डोडा पोस्त की रंगत*
*क्विंटलों अफीम कि खफत हो होगी बाड़मेर के विधानसभा चुनावो में*
बाड़मेर आगामी एक दिसंबर को होने वाले सात विधानसभा क्षेत्रो में चुनावी चौपालो पर अफीम और डोडा कि रंगत नज़र आने लगी हें। अब तक बाड़मेर जिले के सात और जैसलमेर जिले कि विधानसभा क्षेत्रो में सैकड़ों क्विंटल अफीम और डोडा पोस्त उठ चुका हें। जो उम्मीदवार जितना अधिक अफीम चुनावों में फेंकेगा उसका उतना ही अधिक माहौल बनेगा। चुनाव आयोग के आचार संहिता कि सरे आम धज्जिया उड़ाते विभिन दलो के सभी प्रत्यासी मतदाताओ और कार्यकर्ताओ को लुभाने के लिए अफीम का इस्तेमाल कर रहे हें।
*चुनावी चौपालों में अफीम डोडा पोस्त की होगी रंगत।*
प्रत्यासियो के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रो में आयोजित की जाने वाली सभाओ से पहले कार्यकर्ता बड़े बुजुर्गो के साथ जम कर अफीम का सेवन करते हें। अफीम का सुरूर होने पर अधिक भागदौड़ करते हें ,बड़ी बड़ी बैठको के आयोजन कि जिम्मेदारी निभाते हें। टिकट मिलने से लेकर नामांकन भरने तक ही प्रत्यासियो कि एक एक क्विंटल अफीम का उठाव हो जाता हें। फिर प्रत्यासियो के खुलने वाले कार्यालयो में भी जमकर अफीम का उपयोग होता हें प्रत्येक बूथ पर एक पाव भर से आधा किलो अफीम मतदान के दिन भेजी जाती हें। राजनितिक दलों द्वारा आयोजित होने वाली सभाओ में भी अफीम और डोडा पोस्त का छककर इस्तेमाल होता हें। बाड़मेर जिले में सामान्यतः अफीम का सेवन अत्यधिक होता हें , चुनावो के समय उपयोग सामान्य से तीन गुना अधिक हो जाता हें
*तस्करी से आता हें।*
बाड़मेर जिले में डोडा पोस्त की अधिकृत बिक्री नही है।।राज्य सरकार द्वारा डोडा पोस्त की बिक्री बन्द कर दी गई।।बावजूद इसके जिले में धड़ले से डोडा पोस्त बिकता है।अफीम का दूध भी खुले आम बिकता है।।हज़ारो क्विंटल डोडा पोस्त और सेकड़ो किलो अफीम का उठाव चुनाव के दौरान होता है।
चुनावो के दौरान अफीम तस्कर , उम्मीदवार से अफीम और डोडा का लेते हें। पुलिस कि आँखों में आसानी से धूल झोंक कर अफीम कि तस्करी मध्यप्रदेश और राजस्थान के चित्तोड़ जिले से कि जाती हें ,अफीम माफियो के लिए सीजन का समय होता है चुनावी वक़्त। अफीम का दूध भी खूब लाया जा रहा हें।
*आचार संहिता धज्जिया*
।चुनावों के दौरान उठने वाले सेकड़ो क्विंटल अफीम और डोडा पोस्त सामान्यतः तस्करी के जरिये आता हें ,डोडा पोस्त पर पूर्णत प्रतिबन्ध है।।चुनाव आयोग ने वैसे किसी भी चुनावी कार्यक्रम में नशा प्रवर्ति को बढ़ावा देने पर आयोग कि आचार संहिता कि रोज धज्जिया उड़ती हें।
*पुलिस चुनाव पूर्व हुई सक्रिय शराब और डोडा पोस्त बड़ी मात्रा में बरामद*
*एक किलो अफीम भी बरामद नहीं हुई*
चुनावो में अफीम के बांटने कि जानकारी पुलिस विभाग को होती हें ,उन्हें यह भी पता हें कि अफीम माफिया इन दिनों दिन रात। जरिये तस्करी अफीम ला रहे हे।इस बार पुलिस काफी सक्रिय है।।।चुनावव से पूर्व पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल ने विशेष अभियान मादक और नशीले पदार्थो के खिलाफ चला रखा है जिसमे उसको उल्लेखनिय सफलता मिली है।।बड़ी मात्रा में अवैध शराब और डोडा पोस्त बरामद किए मगर अब तक बाड़मेर पुलिस अफीम बरामद करने में सफल नहीं हो पाये। पुलिस शिकायत का इंतज़ार करती है शिकायते होती नही।।चुनाव में जो प्रत्यासी सबसे ज्यादा अफीम कार्यकर्ताओ में बांटेगा उसे ही विजेता माना जाता हैं।।
*चुनावो में रियाणं का महत्व*
चुनावो के दौरानअक्सर नाराज कार्यकर्ताओ को मनाने गाँवों में पहुँचाने वाले प्रत्यासी अफीम कि मनुहार से ही कार्यकर्ता कि नाराजगी दूर करते हें। इस दरें गाँवों में रियान का आयोजन कर गांव के वरिस्थ लोगो कि उपस्थिति में राजी नामा होता हें ,राजीनामे के बाद जमती हें रियान इसके लिए गाँव में रियान का आयोजन होता हें जिसमे गांव के वरिष्ठ लोग शिरकत करते हें ,फिर शुरू होता हें अफीम कि मनुहार का दौर। एक रियान में पचास किलो तक अफीम का उठाव हो जाता हें।
*प्रचार में अफीम का उपयोग।*
प्रत्यासियो के प्रचार में जाने वाले कार्यकर्ता अपने साथ मन मनुहार कि समस्त वस्तुए अफीम ,डोडा ,सुपारी ,बीड़ी ,सिगरेट ,पान मसला ,गुटखा आदि का पेकेट बना कर साथ रखते हें।