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रविवार, 9 जून 2013

चन्दन सिंह भाटी को राजस्थानी रत्न सम्मान





राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति महोत्सव बाड़मेर में राजस्थानी भाषा के लिए उल्लेखनीय पत्रकारिता के लिए राजस्थानी रत्न का सम्मान सी डी साब ,बी डी कल्ला ,ओंकार सिंह लखावत ,अर्जुनदान देथा द्वारा प्रदान किया गया --

शनिवार, 8 जून 2013

पच्चीस जनों को राजस्थानी रत्न सम्मान

पच्चीस जनों को  राजस्थानी रत्न सम्मान

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की मांग को लेकर शनिवार   को बाड़मेर के महात्मा ईसरदास चारण छात्रावास परिसर में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति महोत्सव के पहले दिन राजस्थानी भाषा के साहित्य ,सरंक्षण और प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पच्चीस विद्वानों का सम्मान राज्य वित् आयोग के अध्यक्ष डॉ बी डी कल्ला .भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ,पूर्व विधायक तथा पूर्व आईएएस सीडी देवल ,कार्यक्रम संयोजक अर्जुन दान देथा और  राजस्थानी साहित्यकार तथा शिक्षाविद् प्रो. भंवरसिंह सामौरद्वारा शॉल ओढाकर ,माल पहा ,कर किया गया .विद्वानों को श्रीफल भी भेंट किये गए .

संघर्ष समिति के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह बारहट ने बताया कि महोत्सव में राजस्थानी भाषा-साहित्य व संस्कृति के क्षेत्र के में उल्लेखनीय कार्य करने वाले चौबीस जनों का राजस्थानी रत्न पुरुष्कार से श्रीफल .शॉल ,स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया .राजस्थानी रत्न का सम्मान पाने वालो में  जनों को राजस्थानी रत्न सम्मान दिया जाएगा। यह सम्मान पद्मश्री विजयदान देथा, संघर्ष समिति के संस्थापक तथा अंतरराष्ट्रीय संगठक लक्ष्मणदान कविया, राजस्थानी साहित्यिक पत्रिका 'अपरंच' के संपादक पारस अरोड़ा, 'कथेसर' के संपादक रामस्वरूप किसान, राजस्थानी मासिक 'माणक' के संपादक पदम मेहता, राजस्थानी दैनिक 'राजस्थान री पाती' के संपादक आनंद कुमार  पुरोहित, वरिष्ठ मीडियाकर्मी तथा राजस्थानी आंदोलन के नेता चंदनसिंह भाटी, प्रसिद्ध लेखक व इतिहासकार नाहरसिंह जसोल, शिक्षाविद् व साहित्यकार डॉ. शक्तिदान कविया तथा राजस्थानी शास्त्रीय कविता के ज्ञाता साहित्यकार क्रमश: डूंगरदान आसिया, महादान सिंह भादरेस, रामदान सांगड़, अम्बादान घूहड़, खीमदान बारहठ, साहित्यकार मूलाराम बेनीवाल,  जेठ मल पुरोहित किंकर  ,ओम प्रकाश गर्ग मधुप  ,खुशाल नाथ स्वामी धीर ,नखत दान बारहट भगवान् दान भियांड ,भंवर दान माडवा ,रिडमल दान भियांड ,अखेदान देथा और  बाबूसिंह राठौड़ को प्रदान किया गया  ।