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रविवार, 4 अगस्त 2013

देखिये सरहद के सुल्तान की तस्वीरें ...सरहद का सुल्तान गाजी फकीर

सरहद का सुल्तान गाजी फकीर
 
देखिये तस्वीरों में गाजी फ़क़ीर के रईसी ठाठ ।अशोक गहलोत से सोनिया गाँधी तक पहुँच 


 

अगर नोएडा में दुर्गा शक्ति नागपाल की बर्खास्तगी की खबर न उठती तो बाड़मेर के एसपी पंकज चौधरी की बर्खास्तगी भी कोई मुद्दा नहीं पाती। पंकज चौधरी ही वह शख्स हैं जिन्होंने सरहदी जिले जेसलमेर में उस व्यक्ति पर हाथ डालने की जुर्रत की जिसे सरहद का सुल्तान कहा जाता है। जिसकी सल्तनत सीमा के आर पार दोनों ओर चलती है। इसी सल्तनत के सुल्तान गाजी फकीर की बंद पड़ी फाइल को पंकज चौधरी ने खोलने की जुर्रत की जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है। आखिर कौन है गाजी फकीर जिसके रसूख के आगे पंकज चौधरी को सरकार ने पटखनी दे दी?














पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी ने आज स्पष्ट कहा की गाजी फ़क़ीर राष्ट्रविरोधी गतिविधिओं में शामिल रहे हें .उङ्के पाकिस्तान के तस्करों के साथ तालुकात रहे हें . उनकी हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश उच्च अधिकारियो द्वारा ही दिए गए थे . गाजी फ़क़ीर हिस्ट्रीशीटर हें इसके बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर श्रीमती सोनिया गाँधी तक उनके रसूखात हें . कांग्रेस के साथ साथ उनकी चौखट पर भाजपा के नेता भी जाते रहे हें .पंकज चौधरी  ने गाजी फ़क़ीर की आज़ादी के बाद सरहद पर निर्विवाद चली आरही सल्तनत को चुनौती दे डाली . हिस्ट्रीशीटर गाजी फ़क़ीर के राजनितिक रसूख किसी राष्ट्राध्यक्ष से कम नहीं हें .तस्वॆरोन में साफ़ दिखाती हें गाजी की सल्तनत 
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सरहदी जिलों बाड़मेर, जैसलमेर के सिन्धी मुस्लिमों के धर्मगुरु के रूप में ख्याति प्राप्त गाजी फ़क़ीर सरहदी जिलों की राजनीति के दाता हैं। पूरे सरहदी क्षेत्र की राजनीति उनके रहमो करम पर चलती है, खासकर कांग्रेस की राजनीति में गाजी फ़क़ीर परिवार के बिना कोई। एक तरह से कांग्रेस का रहनुमा हें गाजी फ़क़ीर। जैसलमेर से बीस किलोमीटर दूर भागु का गाँव गाजी फ़क़ीर की राजधानी है। उनके रहबरों ने उन्हें गाजी की पदवी दे राखी हें। सिन्धी मुसलमान उनके आदेश के बगैर कदम नहीं भरते।

गाजी फ़क़ीर सरहदी क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हैं। उनका एक पुत्र पोकरण से विधायक है तो दूसरा जैसलमेर जिला प्रमुख है। उनके परिवार से आधा दर्जन लोग जिला परिषद् और पंचायत समितियों के सदस्य भी हैं। सरहदी इलाके के इन दो जिलों में कांग्रेस की राजनीति गाजी फकीर से शुरू होकर उन्हीं के परिवार पर खत्म हो जाती है। जैसलमेर के एसपी द्वारा गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट सार्वजनिक करने के बाद उनके बारे में अपराधी होने की बात सामने आई है नहीं तो अब तक गाजी फकीर को लेकर ऐसी कोई बात कभी सामने नहीं आई थी। सत्तर पार के हो चुके गाजी फकीर का नाम किसी दौर में तस्करी के प्रकरणों में शामिल था।

गाजी फकीर का राजनीतिक रसूख कितना अधिक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर चुनाव से पहले इलाके के उनके समर्पित अनुयाई उनके फतवे का इंतजार करते हैं। गाजी फकीर का दावा है कि उन्हें सरहद पार से संदेश आता है जिसके बाद ही वे फतवा जारी करते हैं। उनके समर्थक गाजी के फतवे के अनुरूप ही किसी पार्टी के पक्ष में एकमुश्त मत डालते हें। गाजी फकीर की यही राजनीतिक ताकत उनके दुश्मन भी पैदा कर चुकी है।

हाल में ही एक गुट ने गाजी फकीर की ताकत को खत्म करने की कोशिश शुरू की है, और समझा जा रहा है कि गाजी फकीर की बंद पड़ी हिस्ट्रीशीट खोलना भी उसी कोशिश का हिस्सा है। नहीं तो इलाके में रहनेवाले लोग जानते हैं कि नेता ही नहीं अधिकारी भी गाजी के दर पर सलाम बजाने पहुंचते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सरहदी इलाके के पांच लाख सिन्धी मुसलमानों के मन पर गाजी की सल्तनत चलती है। लेकिन अचानक गाजी की पुरानी हिस्ट्रीशीट सामने आई तो सब हैरान रह गये। हैरानी इसलिए और अधिक बढ़ गई क्योंकि सत्तर पार के गाजी फकीर रसूखदार आदमी तो हैं ही, अब तक किसी आपराधिक गतिविधि में उनके शामिल होने का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है। ऐसे में ऐन चुनाव से पहले पुराने पड़ चुके मामलों को दोबारा खोलना कहीं न कही किसी राजनीतिक साजिश का अंदेशा भी पैदा करता है।

वैसे तो पुलिस रिकार्ड में गाजी फकीर जैसलमेर का हिस्ट्रीशीटर अपराधी है जिसकी फाइल बीते दो साल पहले बंद कर दी गई थी। लेकिन सीआईडी के आला अधिकारी के आदेश पर गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट एक बार फिर खुली तो हंगामा खड़ा हो गया। गाजी फकीर की हिस्टीशीट खोनेवाले अधिकारी का नाम है एसपी पंकज चौधरी। गाजी फकीर की फाइल खोने का हुक्म उन्हें सीआईडी एडीजी कपिल गर्ग ने दिया था। उच्चाधिकारियों के आदेश के बाद एसपी पंकज चौधरी ने गोपनीय जानकारियां व पुराने रिकार्ड खंगालकर गाजी फकीर की बंद हुई हिस्ट्रीशीट को फिर से खोल दिया। पंकज चौधरी का कहना है कि गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट 12 मई 2011 को नियम विरूद्ध तरीके से बंद कर दी गई थी। इस मामले में उच्चाधिकारियों के आदेश मिलने के बाद जांच की गई और गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट दोबारा खोल दी गई है।

गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट 31 जुलाई 1965 को खुली थी। उसके बाद 1984 में फकीर की हिस्ट्रीशीट गायब हो गई। 31 जुलाई 1990 को एसपी सुधीर प्रताप ने फिर हिस्ट्रीशीट खोली। उस समय शहर कोतवाल पहाड़ सिंह थे। 12 मई 2011 को एएसपी तथा कार्यवाहक एसपी गणपतलाल ने गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी। इस समय उप अधीक्षक पहाड़ सिंह थे जिन्होंने इनके पक्ष में टिप्पणी की। जबकि पहाड़ सिंह 1990 में शहर कोतवाल थे जिस समय हिस्ट्रीशीट वापस खुली थी। 12 मई को एसपी की अनुपस्थिति में जब गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बंद की गई थी तब तत्कालीन अपराध सहायक ने हिस्ट्रीशीट बंद करने के विरूद्ध टिप्पणी लिखी थी।

दूसरी बार बंद हुई हिस्ट्रीशीट खुलने पर एक और एसपी का तबादला जैसलमेर से हो गया है। पिछले हफ्ते ही एसपी पंकज चौधरी ने गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोली और बीते शुक्रवार को उनका यहां से तबादला हो गया। यह पहली बार नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार 1990 में तत्कालीन एसपी सुधीर प्रतापसिंह ने गाजी फकीर की 1984 में गायब हुई हिस्ट्रीशीट को वापस खुलवाया था। जिसके बाद उनका भी तबादला हो गया था।