राजस्थान में जन्म के समय शिशु लिंगानुपात बढ़कर हुआ 948,सर्वाधिक वृद्धि बाड़मेर जिले में, बाड़मेर में लिंगानुपात 954 से बढ़कर 982 हो गया।
-वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान गत वर्ष की तुलना में सर्वाधिक वृद्धि बाड़मेर जिले में, बाड़मेर में लिंगानुपात 954 से बढ़कर 982 हो गया।
बाड़मेर, 04 जुलाई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रारंभ किए गए प्रिग्नेंसी एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत दर्ज आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में जन्म के समय का बाल लिंगानुपात बढ़कर 948 हो गया है। इसी तरह प्रदेश में पीसीटीएस के आंकड़ों के अनुसार जन्म के समय बाल लिंगानुपात वित्तीय वर्ष 2015-16 में 929, वर्ष 2016-17 में 938 एवं वर्ष 2017-18 में 944 रहा था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यह मात्र 888 था। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 17 लाख प्रसव होते हैं तथा इनमें से 14 लाख 50 हजार संस्थागत प्रसव के आंकड़े पीसीटीएस के तहत ट्रेक किए जाते हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि जन्म के समय के बाल लिंगानुपात की दृष्टि से प्रदेश का बांसवाड़ा जिला सर्वोच्च स्थान पर रहा है। बांसवाड़ा जिले में वर्ष 2018-19 के दौरान हुए शिशु जन्म में 1000 बालकों की तुलना में 1003 बालिकाओं ने जन्म लिया। जिले में वर्ष 2015-16 में लिंगानुपात 941, वर्ष 2016-17 में 964, वर्ष 2017-18 में 954 था। डॉ. शर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान जन्म के समय बाल लिंगानुपात चूरू में 986, बाड़मेर 982, हनुमानगढ़ में 977 एवं जालोर में 974 रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान गत वर्ष की तुलना में सर्वाधिक वृद्धि बाड़मेर जिले में हुई है। बाड़मेर में 954 से बढ़कर 982 हो गया। इसी प्रकार जालोर में 950 से 974, भीलवाड़ा में 933 से बढ़कर 951, प्रतापगढ़ में 921 से 938 एवं जोधपुर में 947 से बढ़कर 963 हो गया।
अब तक 152 डिकॉय ऑपरेशनः चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में पीसीपीएनडीटी एक्ट की सख्ती से अनुपालना करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि इस एक्ट का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। अब तक 152 डिकॉय ऑपरेशन तथा इस वर्ष अब तक 11 डिकॉय ऑपरेशन किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2019 के दौरान अब तक 978 सॉनोग्राफी केन्द्रों का निरीक्षण किया जा चुका है।
45 इंटरस्टेट डिकॉय ऑपरेशन:डा.ॅ शर्मा ने बताया की प्रदेश की पीसीपीएनडीटी इकाई द्वारा वर्ष 2015 से 2018 के दौरान 45 इंटरस्टेट डिकॉय ऑपरेशन किये गये। गुजरात में 16, दिल्ली में 1, उत्तर प्रदेश में 12, हरियाणा में 4, पंजाब में 8 तथा मध्य प्रदेश में 4 इंटरस्टेट डिकॉय ऑपरेशन किये गए है। इन डिकॉय ऑपरेशन तथा पीसीपीएनडीटी एक्ट की अनुपालना में सख्ती के कारण दलालों ने पडौसी राज्यों में जाकर भ्रूण लिंग परीक्षण के तरीकों में बदलाव किया है। प्रदेश की पीसीपीएनडीटी इकाई द्वारा अगस्त में पडौसी राज्यों के अधिकारियों के साथ इंटरस्टेट कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर अवैध रूप से भ्रूण लिंग परीक्षण करवाने वालों के विरूद्ध नए सिरे से प्रभावी रूपरेखा बनायी जाएगी।
-वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान गत वर्ष की तुलना में सर्वाधिक वृद्धि बाड़मेर जिले में, बाड़मेर में लिंगानुपात 954 से बढ़कर 982 हो गया।
बाड़मेर, 04 जुलाई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रारंभ किए गए प्रिग्नेंसी एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत दर्ज आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में जन्म के समय का बाल लिंगानुपात बढ़कर 948 हो गया है। इसी तरह प्रदेश में पीसीटीएस के आंकड़ों के अनुसार जन्म के समय बाल लिंगानुपात वित्तीय वर्ष 2015-16 में 929, वर्ष 2016-17 में 938 एवं वर्ष 2017-18 में 944 रहा था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यह मात्र 888 था। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 17 लाख प्रसव होते हैं तथा इनमें से 14 लाख 50 हजार संस्थागत प्रसव के आंकड़े पीसीटीएस के तहत ट्रेक किए जाते हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि जन्म के समय के बाल लिंगानुपात की दृष्टि से प्रदेश का बांसवाड़ा जिला सर्वोच्च स्थान पर रहा है। बांसवाड़ा जिले में वर्ष 2018-19 के दौरान हुए शिशु जन्म में 1000 बालकों की तुलना में 1003 बालिकाओं ने जन्म लिया। जिले में वर्ष 2015-16 में लिंगानुपात 941, वर्ष 2016-17 में 964, वर्ष 2017-18 में 954 था। डॉ. शर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान जन्म के समय बाल लिंगानुपात चूरू में 986, बाड़मेर 982, हनुमानगढ़ में 977 एवं जालोर में 974 रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान गत वर्ष की तुलना में सर्वाधिक वृद्धि बाड़मेर जिले में हुई है। बाड़मेर में 954 से बढ़कर 982 हो गया। इसी प्रकार जालोर में 950 से 974, भीलवाड़ा में 933 से बढ़कर 951, प्रतापगढ़ में 921 से 938 एवं जोधपुर में 947 से बढ़कर 963 हो गया।
अब तक 152 डिकॉय ऑपरेशनः चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में पीसीपीएनडीटी एक्ट की सख्ती से अनुपालना करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि इस एक्ट का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। अब तक 152 डिकॉय ऑपरेशन तथा इस वर्ष अब तक 11 डिकॉय ऑपरेशन किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2019 के दौरान अब तक 978 सॉनोग्राफी केन्द्रों का निरीक्षण किया जा चुका है।
45 इंटरस्टेट डिकॉय ऑपरेशन:डा.ॅ शर्मा ने बताया की प्रदेश की पीसीपीएनडीटी इकाई द्वारा वर्ष 2015 से 2018 के दौरान 45 इंटरस्टेट डिकॉय ऑपरेशन किये गये। गुजरात में 16, दिल्ली में 1, उत्तर प्रदेश में 12, हरियाणा में 4, पंजाब में 8 तथा मध्य प्रदेश में 4 इंटरस्टेट डिकॉय ऑपरेशन किये गए है। इन डिकॉय ऑपरेशन तथा पीसीपीएनडीटी एक्ट की अनुपालना में सख्ती के कारण दलालों ने पडौसी राज्यों में जाकर भ्रूण लिंग परीक्षण के तरीकों में बदलाव किया है। प्रदेश की पीसीपीएनडीटी इकाई द्वारा अगस्त में पडौसी राज्यों के अधिकारियों के साथ इंटरस्टेट कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर अवैध रूप से भ्रूण लिंग परीक्षण करवाने वालों के विरूद्ध नए सिरे से प्रभावी रूपरेखा बनायी जाएगी।