बॉर्डर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बॉर्डर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 20 मई 2020

बाड़मेर------आग बरसाती गर्मी में सरहद पर मुस्तैद हैं सीमा सुरक्षा बल के जवान

बाड़मेर------आग  बरसाती गर्मी में सरहद  पर मुस्तैद हैं सीमा सुरक्षा बल के जवान

बाड़मेर  सूरज आग उगल रहा है, गर्मी से लोगों का हाल-बेहाल है, वहीं तपते रेगिस्तान में तापमान में बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है। सुबह से ही सड़कें तवे की तरह तप रही हैं, लू के थपेड़ों से आमजन का जीना बेहाल हो गया है। गर्मी से लोगों का हाल इतना बुरा है कि घरों में एसी, कूलर और पंखे की हवा से भी लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। तेज धूप के चलते लोग घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, लेकिन इसी के बीच सीमा पर बीएसएफ के जवान देश की सीमा की सुरक्षा के लिए 50 डिग्री तापमान में बॉर्डर पर चाैकसी कर रहे हैं। आग उगलती गर्मी से जहां आमजन परेशान हैं वहीं देश के जवान इस गर्मी में भी अपने फर्ज को को पूरा करने के लिए डटे हुए हैं। एक तरफ सूरज शोले बरसा रहा है तो दूसरी तरफ धरती अंगारों की तरह गर्म हो चुकी है, लेकिन सीमा सुरक्षा बल के जवानों की हिम्मत के आगे यह गर्मी भी हारती नजर आ रही है। तपती धरा पर कदम ताल करते हुए जवानों की ये तस्वीरें राजस्थान से सटी भारत पाक सीमा की पश्चिमी सरहद मुनाबाव की है जहां बीएसएफ के जवान इस 50 डिग्री तापमान में भी सीमा की निगहबानी कर रहे हैं। दूर-दूर तक न पेड़ की छांव न इंसान, न ही पानी की एक बूंद, लेकिन बीएसएफ के जवान सीमा पार की हर हरकत का जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं, बीएसएफ जवानों के इस जज्बे को देश सलाम करता है।


देश की सीमाओं की रक्षा का जज्बा सबसे बड़ा

जवानों को ग्लूकोज, नींबू पानी एवं सलाद में खीरा, प्याज दे रहे हैं, ताकि शरीर में पानी की कमी एवं लू से बचाया जा सके। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए राष्ट्र सेवा का जज्बा सबसे बड़ा है, यहां मौसम की मार असर नहीं करती। -

कोरोना से बचाव के लिए हैंड सैनेटाइजर, हर स्तर पर सतर्कता

ड्यूटी कर रहे जवानों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए हैंड सैनेटाइजर दिया जा रहा है। ओपी पर ड्यूटी के दौरान भी हर वक्त हाथों को सैनेटाइज कर सकें। ड्यूटी से वापस लौटने पर पहले हाथ धोने के लिए व्यवस्था की है। इसके बाद ही नियत स्थान तक पहुंच सकेंगे। उसके बाद ही भोजन हो सकेगा। बीएसएफ जवानों को कोरोना से महफूज रखने के लिए हर स्तर पर जतन कर रही है।

बॉर्डर पर गर्मी रिकॉर्ड तोड़ने पर आमादा है, यहां का पारा 50 डिग्री के निकट है। देश की रक्षा के लिए जवान इतने तापमान में तपते रेगिस्तान में सरहद की रक्षा कर रहे हैं। भारी गर्मी में बीएसएफ के जवान मुंह पर कॉटन का कपड़ा लपेट कर गश्त कर सीमा पर नापाक हरकत को रोके हुए हैं। यहां मौसम की मार कभी हावी नहीं होती, देश सेवा का जज्बा सर्दी, गर्मी एवं बरसात पर भारी है। जवान हर परिस्थिति में दुश्मन को ठिकाने लगाने के लिए बेताब हैं। गर्मी में पांव घुटनांे तक रेत के धोरों में दब जाते हैं, फिर भी जवान अपने फर्ज को बखूबी निभा रहे हैं। गश्त के दौरान ऊंट का सहारा लिया जा रहा है।






बुधवार, 20 जुलाई 2016

उदयपुर/नई दिल्ली देश के रक्षक बन बॉर्डर पर तैनात हैं 'महाराणा प्रताप', दुश्मनों को चटाएंगे धूल



उदयपुर/नई दिल्ली देश के रक्षक बन बॉर्डर पर तैनात हैं 'महाराणा प्रताप', दुश्मनों को चटाएंगे धूलदेश के रक्षक बन बॉर्डर पर तैनात हैं 'महाराणा प्रताप', दुश्मनों को चटाएंगे धूल

अपनी जांबाजी -दिलेरी कभी हार ना मानने और विपरीत परिस्थितियों में भी दुश्मन को धूल चटाने के गुणों ने मेवाड़ के वीर शिरोमणि 'महाराणा प्रताप' को भारत के महानतम वीर योद्धा का दर्जा दिया था। अब 'महाराणा प्रताप' एक बार फिर दुश्मनों को धूल चटाने के लिए चीन बॉर्डर पर जा डटे हैं।


दरअसल, भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन बॉर्डर पर जिन जंगी टैंकों को तैनात किया है, उसमें से एक 'महाराणा प्रताप' टैंक है। बॉर्डर के पास ही करीब 100 टैंक तैनात किए गए हैं और अभी कुछ और टैंक आने बाकी हैं। महाराणा प्रताप के साथ ही टीपू सुल्तान और औरंगजेब टैंक यूनिट भी यहां तैनात हैं। टैंकों का नाम महान योद्धाओं पर दिया गया है।

जानकारी के अनुसार, करीब आठ महीने पहले से इन टैंकों को चीन के साथ लगती भारत की काफी ऊंची सीमा पर तैनात किया गया है। साल 1962 में चीन के साथ लड़ाई में इस तरह को टैंकों का इस्तेमाल किया गया था। युद्ध के वक्त पांच टैंक तो हवाई जहाजों के जरिए उतारा गया था। युद्ध में चीन से हार के बाद भारत ने इन टैंकों को यहां से हटा लिया था। लेकिन, अब एक बार फिर इन टैंकों को यहां पहुंचाया गया है।

15 हजार फीट की ऊंचाई पर टैंकों को संभालना आसान नहीं है क्योंकि यहां मौसम काफी विपरीत होता है और ऑक्सीजन की समस्या भी बनी रहती है। यहां तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है जिसका असर टैंकों के प्रदर्शन में साफ देखने को मिलता है। इसलिए इन हालातों में टैंकों के लिए दूसरे तरह के ईंधन और लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करना पड़ता है। यहीं नहीं, टैंक को गर्म रखने के लिए रात में दो बार उन्हें स्टार्ट करना होता है।

रविवार, 20 अक्तूबर 2013

जो गए बॉर्डर पार, उनसे नहीं सरोकार?

बाड़मेर। भगु, टीला और साहू की एक छोटी-सी गलती वर्षाें की सजा बन गई। वे पाकिस्तान की जेलों में सजा भुगत रहे हैं और उनके परिजन यहां हिन्दुस्तान में जुदाई की पीड़ा भोग रहे हैं। परिजनों की पीड़ा यह जानकर और बढ़ जाती हैकि उनकी पैरोकारी करने वाला कोई नहीं है। हालत यह हैकि राज्य सरकार ने इन मामलों को इस तरह केन्द्र सरकार के भरोसे छोड़ दिया है, जैसे उसे इनसे कोई सरोकार ही नहीं है।जो गए बॉर्डर पार, उनसे नहीं सरोकार?
केस-1

चौहटन तहसील के धनाऊ गांव का रहने वाला भगुसिंह पुत्र होथीसिंह रावणा राजपूत वर्ष 1984 से पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में निरूद्ध है। बॉर्डर पर तारबंदी होने से करीब एक दशक पहले वह गलती से पाक सीमा में चला गया। पाक रैंजर्स ने उसे पकड़ लिया और जेल में डाल दिया।

केस-2

चौहटन तहसील के ही बींजराड़ थाना क्षेत्र के निम्बाला गांव का रहने वाला टीलाराम पुत्र किरताराम भील वर्ष 198 7 में अपनी बकरियां ढूंढते हुए पाक सीमा में चला गया। पाक रैंजर्स ने उसे पकड़ लिया। उसके बाद उसका क्या हुआ, वह किस जेल में बंद है, इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है।

केस-3

बींजराड़ थाना क्षेत्र के सरूपे का तला गांव का रहने वाला साहूराम पुत्र रूपाराम मेघवाल वर्ष 1992 में जंगल में लकडियां लेने के लिए गया था। वह पाकिस्तान सीमा में चला गया। पाक रैंजर्स ने उसे पकड़ लिया। साहूराम की कहानी भी टीलाराम की ही तरह है। वह किस जेल में है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।


राज्य सरकार ने पल्ला झाड़ा

बायतु विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी ने इन मामलो को लेकर विधानसभा में प्रश्न उठाया तो राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ दिया। जवाब में बताया कि पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय नागरिकों को पुन: देश लाने संबंधी कार्यवाही भारत सरकार के स्तर पर सम्पादित की जाती है। 21 मई 2008 को भारत व पाक सरकार के मध्य हुए अनुबंध के तहत दोनों देशों की सरकारों द्वारा प्रतिवर्ष एक जनवरी व एक जुलाई को दोनों देशों के बंदियों की सूचियो का आदान-प्रदान किया जाता है। सूची में अंकित बंदियों की सजा समाप्त होने एवं नागरिकता निर्घारित होने के बाद उन्हें अपने देश में प्रत्यावर्तित किए जाने का निर्णय संबंधित देश की सरकार द्वारा किया जाता है।

टीला व साहू सूची में नहीं

हैरत की बात यह हैकि टीलाराम व साहूराम पाकिस्तान सरकार की सूची में ही नहीं है। पाकिस्तान सरकार भारतीय बंदियों की जो सूची भारत सरकार को उपलब्ध करवाती है, उसमें टीला व साहू का कभी नाम नहीं आया। आश्चर्यजनक पहलू है कि राजस्थान की सरकारों ने अपने इन नागरिकों का पता लगाने के लिए कभी ठोस पैरवी नहीं की। जहां तक भगुसिंह का प्रश्न हैतो राज्य का गृह विभाग प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय को वर्ष में एकाध बार पत्र भेजकर अपने कत्तüव्य की इतिश्री कर रहा है।

मजबूत पैरवी करे सरकार

पाक जेलों में निरूद्ध निर्दाेष भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए राज्य सरकारों को मजबूत पैरवी करनी चाहिए। जिनके बारे में कोईजानकारी नहीं है, उनका पता लगाना चाहिए।
-कर्नल सोनाराम चौधरी, विधायक, बायतु

पैरवी करता रहा हूं

पाक जेलों में निरूद्ध भारतीय नागरिकों की वतन वापसी के लिए पैरवी करता रहा हूं। बाड़मेर-जैसलमेर के कुछ लोगों की वापसीभी हुई है। जिनकी वापसी नहीं हो सकी है, उनकी वापसी के लिए पूरी पैरवी करूंगा।
-मानवेन्द्रसिंह, पूर्व सांसद