ग्रामीण अंचलों में दूर-दूर तक छितराई ढाणियां, सिर पर मटका लिए हुए पानी के लिए मशक्कत करतीं महिलाएं और ब\'चे, ये नजारे इन दिनों सुबह के साथ गांवों में देखने को मिलते हंै। गांवों में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, जबकि जलदाय विभाग विभिन्न पेयजल योजनाओं के तहत प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन गांवों में पेयजल के हालात और स्थितियों को देख जलदाय विभाग की सारी योजनाएं फेल साबित हो रही हंै। अगर हालात ऐसे ही रहे तो जून और जुलाई माह की गर्मी में गांवों में स्थितियां और भी खराब हो सकती हैं।
जीएलआर सूखे, पानी का इंतजार
ग्रामीण अंचलों में जलदाय विभाग की योजनाओं के तहत आमजन के हलक तर करने के लिए बनाई गई होदिया वर्षों से सूखी पड़ी हंै। लेकिन जलदाय विभाग हर साल आकस्मिक पेयजल योजना सहित अन्य योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए की नई स्वीकृतियां जारी कर रहा है। ऐसे में पानी पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद भी स्थितियां शर्मसार है।
पानी के लिए मच जाती है होड़: ग्रामीण क्षेत्रों में जब सूखी पड़ी होदियों में पानी आने की खबर मिलती है तो ग्रामीणों में पानी के लिए होड़ मच जाती है। ग्रामीण महिलाएं, ब\'चें और पुरुष ऊंटों पर पखाल डालकर पानी के लिए दौड़ पड़ते हैं। गर्मी के साथ पानी की डिमांड बढऩे से ग्रामीण सुबह से शाम तक पानी के लिए मशक्कत करते रहते हंै। महिलाएं सिर पर मटका लिए हुए दूर-दराज के जलस्रोतों से पानी के जुगाड़ में व्यस्त नजर आती है।
पानी के लिए मच जाती है होड़: ग्रामीण क्षेत्रों में जब सूखी पड़ी होदियों में पानी आने की खबर मिलती है तो ग्रामीणों में पानी के लिए होड़ मच जाती है। ग्रामीण महिलाएं, ब\'चें और पुरुष ऊंटों पर पखाल डालकर पानी के लिए दौड़ पड़ते हैं। गर्मी के साथ पानी की डिमांड बढऩे से ग्रामीण सुबह से शाम तक पानी के लिए मशक्कत करते रहते हंै। महिलाएं सिर पर मटका लिए हुए दूर-दराज के जलस्रोतों से पानी के जुगाड़ में व्यस्त नजर आती है।
यहां स्थितियां खराब : बाड़मेर जिले में लगातार गिर रहा भू जल स्तर भी चिंता का विषय बना हुआ है। सबसे \'यादा स्थिति सिवाना क्षेत्र में खराब है, जहां सिवाना ब्लॉक को अतिसंवेदनशील माना गया है। कई ट्यूबवैल और हैंडपंप जल स्तर गिरने से सूख गए। वहीं चौहटन, पचपदरा और बालोतरा में भी स्थिति सामान्य से कम है।
केवल एक मात्र बाड़मेर ब्लॉक ही सुरक्षित है।
करोड़ों रुपए खर्च: जलदाय विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गत वर्ष 2012 में 100 नए ट्यूबवैल और 700 के करीब हैंडपंप खुदवाएं गए। वहीं 14 अप्रेल 2013 को जलदाय विभाग की ओर से गर्मी के मध्य नजर 34 करोड़ रुपए की और स्वीकृतियां जारी की गई है, जिसके तहत 90 ट्यूबवैल और 250 हैंडपंप खोदे जाएंगे। सरहदी गडरारोड व चौहटन क्षेत्र में भी पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।
950 ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति: तेज गर्मी के साथ गांवों में पेयजल संकट से जूझ रही 950 ढाणियों को चिन्हित कर जलदाय विभाग की ओर से टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। इनमें ऐसी ढाणियां हंै, जहां आसपास में कोई जल स्त्रोत नहीं है या फिर वहां पानी खारा है। इन ढाणियों में प्रतिदिन 150 टैंकर पेयजल सप्लाई कर रहे हंै।
950 ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति: तेज गर्मी के साथ गांवों में पेयजल संकट से जूझ रही 950 ढाणियों को चिन्हित कर जलदाय विभाग की ओर से टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। इनमें ऐसी ढाणियां हंै, जहां आसपास में कोई जल स्त्रोत नहीं है या फिर वहां पानी खारा है। इन ढाणियों में प्रतिदिन 150 टैंकर पेयजल सप्लाई कर रहे हंै।
॥बाड़मेर जिले के गांवों में गर्मी के साथ ही पेयजल समस्याएं उत्पन्न होती हैं, लेकिन इनके लिए समय-समय पर योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए की स्वीकृतियां जारी की जाती है। 14 अप्रेल 2013 को पेयजल योजनाओं के 34 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए। वहीं जहां पेयजल संकट है वहां टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है।
-ओपी व्यास, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग बाड़मेर
-ओपी व्यास, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग बाड़मेर