जैसलमेर ,बिना धणी धोरी का महिला बाल विकास विभाग,कैसे होगा महिलाओ का उत्थान*
जैसलमेर पश्चिमी सरहदी जिले जेसलमेर की महिलाओ का उत्थान करने वाले महिला बाल विकास विभाग की स्थति बिना धणी धोरी की होकर रह गई है।।इस विभाग में आज दिनांक में कोई एक कार्मिक कार्यरत नही है।।एक मात्र अधिकारी उप निदेशक के पद पर कार्य कर रहे राजेन्द्र कुमार चौधरी भी अंडर ट्रांसफर है।।उनका स्थानांतरण सिरोही हो रखा है।।बाकी बचे विभाग में सभी पद रिक्त चल रहे।।महिलाओ के विकास और उत्थान की बाते और दावे करने वाले विभाग की वर्तमान स्थति देख जिले की महिलाओ के उत्थान की सही तस्वीर सामने आ जाती है।लम्बे समय से पद रिक्त पड़े है।।संविदा आधारित चंद कार्मिकों को छोड़ दे तो विभाग को भले ताला लगा दिया जाए।।जन प्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी का शायद अहसास नहीं।।पदरिक्तता का असर जिले में सेकड़ो की तादाद में स्थित आंगनवाड़ियों पर तो पड़ ही रहा है।।साथ ही सखी केंद्र का कागज़ों में संचालन,महिला सहायता केंद्र का न खुलना,महिला हेल्प डेस्क का नही खुलना भी इसी का असर है।।विभाग में गत माह कार्यरत लेखाकार का स्थानांतरण हो गया।।वाहन चालक सेवा निवृत्त हो गए।बाकी पोस्ट खाली बोल रही है।।महिला अधिकारिता विभाग के तो और बुरे हाल हो रखे हे ,इस विभाग में एक भी कार्मिक, कार्यरत नहीं हैं ,सभी पद लम्बे आरसे से रिक्त चल रहे हैं,यह विभाग महिला बाल विकास विभाग के अधीन आता हैं ,पदरिक्तता की मार के चलते सरकारी योजनाएं ठप्प पड़ी हैं ,मगर कोई जन प्रतिनिधि इस और ध्यान नहीं दे रहा ,जबकि
विभाग के उप निदेशक राजेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि महिला बाल विकास बिभाग में 37 सुपर वाइजर में से मात्र पांच कार्यरत है 32 पोस्ट खाली है।बाकी मंत्रालयिक कर्मचारियों की पोस्ट रिक्त है।।महिला अधिकारिता में एक भी व्यक्ति पोस्टेड नही है।।सौ फीसदी पोस्ट खाली है।।उन्होंने बताया कि महिलाओ और बाल विकास की कई नई योजनाए लागू की गई है ।योजनाओं के क्रियान्वयन में बिना कार्मिक के दिक्कतें आ रही है।।मैं खुद अंडर ट्रांसफर हूं।।
जैसलमेर पश्चिमी सरहदी जिले जेसलमेर की महिलाओ का उत्थान करने वाले महिला बाल विकास विभाग की स्थति बिना धणी धोरी की होकर रह गई है।।इस विभाग में आज दिनांक में कोई एक कार्मिक कार्यरत नही है।।एक मात्र अधिकारी उप निदेशक के पद पर कार्य कर रहे राजेन्द्र कुमार चौधरी भी अंडर ट्रांसफर है।।उनका स्थानांतरण सिरोही हो रखा है।।बाकी बचे विभाग में सभी पद रिक्त चल रहे।।महिलाओ के विकास और उत्थान की बाते और दावे करने वाले विभाग की वर्तमान स्थति देख जिले की महिलाओ के उत्थान की सही तस्वीर सामने आ जाती है।लम्बे समय से पद रिक्त पड़े है।।संविदा आधारित चंद कार्मिकों को छोड़ दे तो विभाग को भले ताला लगा दिया जाए।।जन प्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी का शायद अहसास नहीं।।पदरिक्तता का असर जिले में सेकड़ो की तादाद में स्थित आंगनवाड़ियों पर तो पड़ ही रहा है।।साथ ही सखी केंद्र का कागज़ों में संचालन,महिला सहायता केंद्र का न खुलना,महिला हेल्प डेस्क का नही खुलना भी इसी का असर है।।विभाग में गत माह कार्यरत लेखाकार का स्थानांतरण हो गया।।वाहन चालक सेवा निवृत्त हो गए।बाकी पोस्ट खाली बोल रही है।।महिला अधिकारिता विभाग के तो और बुरे हाल हो रखे हे ,इस विभाग में एक भी कार्मिक, कार्यरत नहीं हैं ,सभी पद लम्बे आरसे से रिक्त चल रहे हैं,यह विभाग महिला बाल विकास विभाग के अधीन आता हैं ,पदरिक्तता की मार के चलते सरकारी योजनाएं ठप्प पड़ी हैं ,मगर कोई जन प्रतिनिधि इस और ध्यान नहीं दे रहा ,जबकि
विभाग के उप निदेशक राजेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि महिला बाल विकास बिभाग में 37 सुपर वाइजर में से मात्र पांच कार्यरत है 32 पोस्ट खाली है।बाकी मंत्रालयिक कर्मचारियों की पोस्ट रिक्त है।।महिला अधिकारिता में एक भी व्यक्ति पोस्टेड नही है।।सौ फीसदी पोस्ट खाली है।।उन्होंने बताया कि महिलाओ और बाल विकास की कई नई योजनाए लागू की गई है ।योजनाओं के क्रियान्वयन में बिना कार्मिक के दिक्कतें आ रही है।।मैं खुद अंडर ट्रांसफर हूं।।