विधानसभा क्षेत्र गुड़ा मालानी
हेमाराम चौधरी की सियासती बादशाहत को वसुंधरा की चुनौती ..भाजपा को कूटनीति अपनानी होगी
वसुंधरा राजे हर हाल में गुडा सीट जितना चाहती हें
चन्दन सिंह भाटी
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की गुड़ा मालानी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता हें ,जन्हा राज्य सरकार में राजस्व मंत्री हेमा राम चौधरी की सियासती बादशाहत कायम हें .हेमाराम चौधरी ने कभी इस विधानसभा सीट को इक्यावन हज़ार से अधिक रिकोर्ड मतों से जित कर परचम लहराया था मगर गत दो चुनावों में जीत का अंतर मात्र दस हज़ार रहा .जो साफ़ करता हें की उनकी सियासती जमीन खिसक रही हें , वे कमज़ोर आज भी नहीं लगते उनका विधानसभा के मतदाताओ से सीधा संपर्क उन्हें मज़बूत बनता हें ,हालांकि चर्चे हें की इस बार हेमाराम चौधरी बायतु से चुनाव लड़ सकते हें .मगर हमारा आंकलन हें की हेमाराम गुडा से ही चुनाव लड़ेंगे .इस बार भी उनके सामने चिरपरिचित उम्मीदवार भाजपा के लाधुराम विश्नोई होंगे .लादुराम विश्नोई ने हाल ही में सुराज यात्रा के दौरान वसुंधरा राजे की जिले में सफलतम सभा कराई .इस सभा में पचीस हज़ार से अधिक की भीड़ जुटा उन्होंने साबित करने में कोई कसार नहीं छोड़ी की इस बार हेमाराम चौधरी के लिए उनसे मुकाबला आसान नहीं होगा .लादुराम को वसुंधरा राजे ने पुरे नंबर दिए .इधर हेमाराम चौधरी के साथ भाजपा के पूर्व मंत्री और पचपदरा के पूर्व विधायक अमर राम का जाटकलबी वोटो का पेक्ट वसुंधरा राजे के हस्तक्षेप के बाद ख़त हो जाने से हेमाराम की जमीन खिसकती नज़र आ रही हें .पेक्त ख़त्म होने के अंदेशे से ही उन्होंने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की .चोङ्ग्रेस्स के दिग्गज नेता भी चाहते हें की हेमाराम चौधरी सरीखे नेता को उनकी पसंद की सीट से चुनाव लड़वाना चाहिए मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहते की हेमाराम बाड़मेर से चुनाव लदे ।हेमारम चुनावों में खर्चा कम करते हें ,लाधुराम ने हेमाराम चौधरी को चुनाव में खर्च करना अवश्य सिखा दिया मगर सियासी चालो में अक्सर मात खा जाते हें .हेमाराम चौधरी भावुक और संवेदनशील हें जिसका फायदा उन्हें चुनावो में मिलाता हें ,लाधुराम विश्नोई बिना किसी रणनीति के चुनाव लड़ते रहे हें ,चुनावों में पैसा पानी की तरह बहा देने से वोट नहीं मिलते यह पिछले दो चुनावों में जनता ने साबित कर दिया .लाधुराम विश्नोई की सबसे बड़ी कमजोरी भाजपा कार्यकर्ताओ पर कमज़ोर पकड़ हें ,वे दूसरो के भरोशे चुनाव लड़ते रहे हें जिसके कारन उन्हें मात मिली .कार्यकर्ताओ तथा विश्नोई जाती का विशवास हासिल नहीं कर पाए ,रही सही कसार पचपदरा के भाजपा के वरिष्ट नेता अमराराम पूरी कर देते हें ,अमराराम कलबी जाती के सशक्त नेता हें ,लाधुराम अमराराम का दिल जितने में नाकाम रहे थे मगर इस बार वसुंधरा राजे ने हस्तक्षेप किया जिसका असर आने वाले चुनाव में नज़र आयेगा . जिसके चलते कलबी मतदाताओ का झुकाव हेमाराम की तरफ रहा वही सिन्धासवा हरनियां में लाधुराम काफी कमज़ोर रहे जो की विश्नोई जाती का गढ़ हें दुधु ,सूरते की बेरी जैसे गाँवो में लाधुराम की कोई पकड़ नहीं हें .लाधुराम को एक सशक्त जात नेता की भी दरकार रहेगी जो जात मतदाताओ का मानस भाजपा की और मोड़ सके .गुडा से पूर्व में चुनाव लड़ चुके कैलाह बेनीवाल का उपयोग इस चुनावों में भाजपा को करना होगा तभी यह सीट निकल पाएगी .लाधुराम विश्नोई के आलावा भाजपा किसी और उम्मीदवार के बारे में सोच भी नहीं रही .इस बार भाजपा अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने गुडा सीट को प्राथमिकता देकर हर हालत में जीतने का मुख्य नेताओ को निर्देश दिए हें ,बाड़मेर और गुडा सीट पर वसुंधरा की ख़ास नज़र हें .बहरहाल कांग्रेस के पास तुरुप के पत्ते के रूप में हेमाराम चौधरी मौजूद हें ,गत चार सालो में हेमाराम का कद बढ़ा हें उनका नाम मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तक के लिए आगे आया ,कांग्रेस हेमाराम को राजस्थान के जाट नेता के रूप में प्रस्तुत करेगी .यह तय माना जा रहा हें ,लाधुराम विश्नोई को पहले भाजपा तथा विश्नोई जाती पर पकड़ बनाने के साथ मतदाताओ से सीधा संपर्क स्थापित करना होगा तभी वो हेमाराम के सामने टिक पायेंगे।इस बार परिस्थितिया बदल रही हें . वसुंधरा राजे की सभा में आई भीड़ को वोटों में बदलना ही लादूराम के सामने सबसे बड़ी चुनौती हें .वसुन्धर राजे की सभा ने खासा प्रभाव छोड़ा हें
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हेमाराम चौधरी की सियासती बादशाहत को वसुंधरा की चुनौती ..भाजपा को कूटनीति अपनानी होगी
वसुंधरा राजे हर हाल में गुडा सीट जितना चाहती हें
चन्दन सिंह भाटी
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की गुड़ा मालानी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता हें ,जन्हा राज्य सरकार में राजस्व मंत्री हेमा राम चौधरी की सियासती बादशाहत कायम हें .हेमाराम चौधरी ने कभी इस विधानसभा सीट को इक्यावन हज़ार से अधिक रिकोर्ड मतों से जित कर परचम लहराया था मगर गत दो चुनावों में जीत का अंतर मात्र दस हज़ार रहा .जो साफ़ करता हें की उनकी सियासती जमीन खिसक रही हें , वे कमज़ोर आज भी नहीं लगते उनका विधानसभा के मतदाताओ से सीधा संपर्क उन्हें मज़बूत बनता हें ,हालांकि चर्चे हें की इस बार हेमाराम चौधरी बायतु से चुनाव लड़ सकते हें .मगर हमारा आंकलन हें की हेमाराम गुडा से ही चुनाव लड़ेंगे .इस बार भी उनके सामने चिरपरिचित उम्मीदवार भाजपा के लाधुराम विश्नोई होंगे .लादुराम विश्नोई ने हाल ही में सुराज यात्रा के दौरान वसुंधरा राजे की जिले में सफलतम सभा कराई .इस सभा में पचीस हज़ार से अधिक की भीड़ जुटा उन्होंने साबित करने में कोई कसार नहीं छोड़ी की इस बार हेमाराम चौधरी के लिए उनसे मुकाबला आसान नहीं होगा .लादुराम को वसुंधरा राजे ने पुरे नंबर दिए .इधर हेमाराम चौधरी के साथ भाजपा के पूर्व मंत्री और पचपदरा के पूर्व विधायक अमर राम का जाटकलबी वोटो का पेक्ट वसुंधरा राजे के हस्तक्षेप के बाद ख़त हो जाने से हेमाराम की जमीन खिसकती नज़र आ रही हें .पेक्त ख़त्म होने के अंदेशे से ही उन्होंने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की .चोङ्ग्रेस्स के दिग्गज नेता भी चाहते हें की हेमाराम चौधरी सरीखे नेता को उनकी पसंद की सीट से चुनाव लड़वाना चाहिए मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहते की हेमाराम बाड़मेर से चुनाव लदे ।हेमारम चुनावों में खर्चा कम करते हें ,लाधुराम ने हेमाराम चौधरी को चुनाव में खर्च करना अवश्य सिखा दिया मगर सियासी चालो में अक्सर मात खा जाते हें .हेमाराम चौधरी भावुक और संवेदनशील हें जिसका फायदा उन्हें चुनावो में मिलाता हें ,लाधुराम विश्नोई बिना किसी रणनीति के चुनाव लड़ते रहे हें ,चुनावों में पैसा पानी की तरह बहा देने से वोट नहीं मिलते यह पिछले दो चुनावों में जनता ने साबित कर दिया .लाधुराम विश्नोई की सबसे बड़ी कमजोरी भाजपा कार्यकर्ताओ पर कमज़ोर पकड़ हें ,वे दूसरो के भरोशे चुनाव लड़ते रहे हें जिसके कारन उन्हें मात मिली .कार्यकर्ताओ तथा विश्नोई जाती का विशवास हासिल नहीं कर पाए ,रही सही कसार पचपदरा के भाजपा के वरिष्ट नेता अमराराम पूरी कर देते हें ,अमराराम कलबी जाती के सशक्त नेता हें ,लाधुराम अमराराम का दिल जितने में नाकाम रहे थे मगर इस बार वसुंधरा राजे ने हस्तक्षेप किया जिसका असर आने वाले चुनाव में नज़र आयेगा . जिसके चलते कलबी मतदाताओ का झुकाव हेमाराम की तरफ रहा वही सिन्धासवा हरनियां में लाधुराम काफी कमज़ोर रहे जो की विश्नोई जाती का गढ़ हें दुधु ,सूरते की बेरी जैसे गाँवो में लाधुराम की कोई पकड़ नहीं हें .लाधुराम को एक सशक्त जात नेता की भी दरकार रहेगी जो जात मतदाताओ का मानस भाजपा की और मोड़ सके .गुडा से पूर्व में चुनाव लड़ चुके कैलाह बेनीवाल का उपयोग इस चुनावों में भाजपा को करना होगा तभी यह सीट निकल पाएगी .लाधुराम विश्नोई के आलावा भाजपा किसी और उम्मीदवार के बारे में सोच भी नहीं रही .इस बार भाजपा अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने गुडा सीट को प्राथमिकता देकर हर हालत में जीतने का मुख्य नेताओ को निर्देश दिए हें ,बाड़मेर और गुडा सीट पर वसुंधरा की ख़ास नज़र हें .बहरहाल कांग्रेस के पास तुरुप के पत्ते के रूप में हेमाराम चौधरी मौजूद हें ,गत चार सालो में हेमाराम का कद बढ़ा हें उनका नाम मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तक के लिए आगे आया ,कांग्रेस हेमाराम को राजस्थान के जाट नेता के रूप में प्रस्तुत करेगी .यह तय माना जा रहा हें ,लाधुराम विश्नोई को पहले भाजपा तथा विश्नोई जाती पर पकड़ बनाने के साथ मतदाताओ से सीधा संपर्क स्थापित करना होगा तभी वो हेमाराम के सामने टिक पायेंगे।इस बार परिस्थितिया बदल रही हें . वसुंधरा राजे की सभा में आई भीड़ को वोटों में बदलना ही लादूराम के सामने सबसे बड़ी चुनौती हें .वसुन्धर राजे की सभा ने खासा प्रभाव छोड़ा हें
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