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गुरुवार, 18 अगस्त 2016

जैसलमेर बेटी बचाओ अभियान के लिए आदर्श बने कन्या वध वाले बसिया क्षेत्र के गांव ,सरकार आदर्श गांव घोषित करे



जैसलमेर बेटी बचाओ अभियान के लिए आदर्श बने कन्या वध वाले बसिया क्षेत्र के गांव ,सरकार आदर्श गांव घोषित करे

चन्दन सिंह भाटी की रिपोर्ट 

बाडमेर बाडमेर जैसलमेर जिलों की सरहद पर बसे देवडा सहित बसिया क्षेत्र के सत्रह गाँवो में अब किसी भाई की कलाई सूनी नही हैं।कई सदियों तक इस गांव के ठाकुरों के परिवारों में किसी कन्या का जन्म नही होने दिया,मगर बदलाव और जागरूकता की बयार के चलतें इस गांव में अब हर आंगन बेटी की किलकारियॉ गूॅज रही हैं।इस गांव के भाईयों की कलाईयॉ सदियों तक सूनी रही।सामाजिक परम्पराओं और कुरीतियों के चलते इस गॉव सहित आसपास के दर्जनों गांवों सिंहडार,रणधा,मोडा,बहिया,कुण्डा,गजेसिंह का गांव,तेजमालता,झिनझिनियाली,मोघा,चेलक में कन्या के जन्म लेते ही उसें मार दिया जाता था।जिसके चलतें ये गांव बेटियों से वीरान थे।कोई एक दशक पहलें गांव में ठाकुर इन्द्रसिह के घर पहली बारात आई थी।जो पूरे देश में सूर्खियों में छाई थी। बेटी बचाओ जागरूकता के लिए एक आदर्श उदहारण बने हे कन्या वध वाले गांव,




गांव के दुर्जन सिंह भाटी बेटी बचाओ अभियान के लिए पुरोधा साबित हुए ,उन्होंने अपनी बिटिया को उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए गांव से बाहर अन्य जिले में भेज आदर्श स्थापित किया तो अन्य परिवारों में जन जागरण का शंखनांद किया ,आज हर घर और स्कूल बेटी से रोशन हैं ,




उन्होंने बताया की कन्या वध का कलंक बीते समय की बात हुई ,बेटी बचाओ अभियान के लिए देश भर में इन गाँवो से अधिक कोई आदर्श गांव नही हो सकते ,राज्य सरकार को इन गाँवो को आदर्श गांव घोषित कर बालिकाओ के उच्च शिक्षा की व्यवस्था गाँवो में करने की पहल करनी चाहिए ,




कन्या भ्रूणहत्या के लिए बदनाम राजस्थान के देवड़ा गांव के युवकों की कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। यहां की साठ से अधिक कन्याओं ने जात-पांत, ऊंच-नीच और भेदभाव से ऊपर उठकर गांव के 250 युवकों को राखी बांधने का संकल्प लिया है। इससे उन युवाओं के चेहरे में खुशी लौट आई है, जिनके बहनें नहीं हैं।



टेलीविजन में कन्या भू्रणहत्या के खिलाफ चल रहे सीरियलों को देखकर इन लड़कियों ने यह संकल्प लिया है। गांव की पूजा कंवर कहती हैं कि सगा भाई हो या दूर का रिश्तेदार, किसी की भी कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। पूजा ने बताया कि हाल ही में गांव में बारात आई थी। यह इस इलाके में बहुत दिनों बाद देखने को मिला था।

गांव के मूल सिंह भाटी कहते हैं कि मेरे कई दोस्तों की बहनें हैं, लेकिन मैं अकेला महसूस करता था। इसलिए मूल सिंह उन जैसे कई लोग गांव की लड़कियों के इस फैसले खुश हैं। इस बार सब लोग इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मनाएंगे।


जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने बताया कि गांव में शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के कारण कन्या भ्रूण हत्याकी कुप्रथा ख़त्म हो गयी हैं है। देवड़ा गांव की लड़कियों का यह फैसला कन्याओं की हत्या करने की मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।मगर दुखद स्थति यह हे की अनपढ़ अभिभावक जागरूक होक बालिकाओ को पढना चाहते हैं मगर स्कूल में शिक्षक नही ,तीन से सात किलोमीटर दुरी पर स्कूल भेजने से पहले अभिभावकों को सुरक्षा का सोचना पड़ता हनन ,जिले की प्राथमिक स्कूल में करीब दो हजार पड़ रिक्त पड़े हैं ,कोई शक नही इन गाँवो में बेटियो के प्रति जबरदस्त जागरूकता आई हैं मगर सरकार सुविधाएं भी नही दे रही। नईमबली गांव के ग्रामीण स्कूल में अध्यापक लगाने के लिए रोज जिला मुख्यालय पर चक्कर काट रहे हैं ,कोई समाधान नही ,इन गाँवो को बालिका बचाओ अभियान के लिए आदर्श गांव सरकार को घोषित कर बालिकाओ को यही उच्च शिक्षा के लिए पैकेज देना चाहिए


देवड़ा गाँव में पुराणी कुरीतियों तो त्यागने का सिलसिला ठाकुर इन्दर सिंह ने किया जब सदियों बाद भाटी परिवार में पहली बार बारात आई ,इन सालो साल में गाँव में बदलाव की बयार हें आज गाँव में चार दर्जन से अधिक बालिकाए हें जो भाटी परिवारों की हें ,


कन्या हत्या के लिए बदनाम रहा देवड़ा सहित सत्रह गांवों के लोगो ने कन्या वध के कलंक को धोने की ठान ली हें . वे अब बालिकाओ को न केवल जन्म लेने दे रहे बल्कि उनको शिक्षा भी दिल रहे हैं ..बाड़मेर जैसलमेर की सरहद पर बसे बसिया क्षेत्र जो भाटी राजपूत बाहुल्य हें में बालिका शिक्षा के प्रति ज़बरदस्त जागरूकता आई हें .सरकारी स्कूलों में बड़ी तादाद में पढ़ रही बालिकाए सुखद बदलाव को ब्यान करती हें.

सिह्डार गाँव के दुर्जन सिंह भाटी ने बताया की ग्रामीण क्षेत्रो में अब पुरानी परम्पराए लगभग ख़तम सी हो गई हें आज बालिका हर राजपूत के घर में हें मेरे खुद की दो बालिकाए दिव्या कंवर प्रथम वर्ष तथा नेमु कंवर दशवीकक्षा में हें जो उच्चतर कक्षाओ में बाहर जिलो में पढ़ती हें .


रक्षा बन्धन पे गांव आई दिव्या सिंह भाटी ने बताया की विद्यावाडी खीमेल पाली में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं ,पिछली कक्षा में पिचानवे प्रतिशत अंको के साथ उतीर्ण हुई ,अब में अपना ध्यान आर्मी में आने के लिए शिक्षा पर केंद्रित कर रही हूँ ,मुझे आर्मी अफसर बनाना हैं



शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

जैसलमेर बेटी बचाओ अभियान के लिए आदर्श बने कन्या वध वाले बसिया क्षेत्र के गांव ,सरकार आदर्श गांव घोषित करे


जैसलमेर बेटी बचाओ अभियान के लिए आदर्श बने कन्या वध वाले बसिया क्षेत्र के गांव ,सरकार आदर्श गांव घोषित करे 

चन्दन सिंह भाटी

बाडमेर बाडमेर जैसलमेर जिलों की सरहद पर बसे देवडा सहित बसिया क्षेत्र के सत्रह गाँवो में अब किसी भाई की कलाई सूनी नही हैं।कई सदियों तक इस गांव के ठाकुरों के परिवारों में किसी कन्या का जन्म नही होने दिया,मगर बदलाव और जागरूकता की बयार के चलतें इस गांव में अब हर आंगन बेटी की किलकारियॉ गूॅज रही हैं।इस गांव के भाईयों की कलाईयॉ सदियों तक सूनी रही।सामाजिक परम्पराओं और कुरीतियों के चलते इस गॉव सहित आसपास के दर्जनों गांवों सिंहडार,रणधा,मोडा,बहिया,कुण्डा,गजेसिंह का गांव,तेजमालता,झिनझिनियाली,मोघा,चेलक में कन्या के जन्म लेते ही उसें मार दिया जाता था।जिसके चलतें ये गांव बेटियों से वीरान थे।कोई एक दशक पहलें गांव में ठाकुर इन्द्रसिह के घर पहली बारात आई थी।जो पूरे देश में सूर्खियों में छाई थी। बेटी बचाओ जागरूकता के लिए एक आदर्श उदहारण बने हे कन्या वध वाले गांव,


गांव के दुर्जन सिंह भाटी बेटी बचाओ अभियान के लिए पुरोधा साबित हुए ,उन्होंने अपनी बिटिया को उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए गांव से बाहर अन्य जिले में भेज आदर्श स्थापित किया तो अन्य परिवारों में जन जागरण का शंखनांद किया ,आज हर घर और स्कूल बेटी से रोशन हैं ,

उन्होंने बताया की कन्या वध का कलंक बीते समय की बात हुई ,बेटी बचाओ अभियान के लिए देश भर में इन गाँवो से अधिक कोई आदर्श गांव नही हो सकते ,राज्य सरकार को इन गाँवो को आदर्श गांव घोषित कर बालिकाओ के उच्च शिक्षा की व्यवस्था गाँवो में करने की पहल करनी चाहिए ,


कन्या भ्रूणहत्या के लिए बदनाम राजस्थान के देवड़ा गांव के युवकों की कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। यहां की साठ से अधिक कन्याओं ने जात-पांत, ऊंच-नीच और भेदभाव से ऊपर उठकर गांव के 250 युवकों को राखी बांधने का संकल्प लिया है। इससे उन युवाओं के चेहरे में खुशी लौट आई है, जिनके बहनें नहीं हैं।

टेलीविजन में कन्या भू्रणहत्या के खिलाफ चल रहे सीरियलों को देखकर इन लड़कियों ने यह संकल्प लिया है। गांव की पूजा कंवर कहती हैं कि सगा भाई हो या दूर का रिश्तेदार, किसी की भी कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। पूजा ने बताया कि हाल ही में गांव में बारात आई थी। यह इस इलाके में बहुत दिनों बाद देखने को मिला था।

गांव के मूल सिंह भाटी कहते हैं कि मेरे कई दोस्तों की बहनें हैं, लेकिन मैं अकेला महसूस करता था। इसलिए मूल सिंह उन जैसे कई लोग गांव की लड़कियों के इस फैसले खुश हैं। इस बार सब लोग इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मनाएंगे।


जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने बताया कि गांव में शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के कारण कन्या भ्रूण हत्याकी कुप्रथा ख़त्म हो गयी हैं है। देवड़ा गांव की लड़कियों का यह फैसला कन्याओं की हत्या करने की मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।मगर दुखद स्थति यह हे की अनपढ़ अभिभावक जागरूक होक बालिकाओ को पढना चाहते हैं मगर स्कूल में शिक्षक नही ,तीन से सात किलोमीटर दुरी पर स्कूल भेजने से पहले अभिभावकों को सुरक्षा का सोचना पड़ता हनन ,जिले की प्राथमिक स्कूल में करीब दो हजार पड़ रिक्त पड़े हैं ,कोई शक नही इन गाँवो में बेटियो के प्रति जबरदस्त जागरूकता आई हैं मगर सरकार सुविधाएं भी नही दे रही। नईमबली गांव के ग्रामीण स्कूल में अध्यापक लगाने के लिए रोज जिला मुख्यालय पर चक्कर काट रहे हैं ,कोई समाधान नही ,इन गाँवो को बालिका बचाओ अभियान के लिए आदर्श गांव सरकार को घोषित कर बालिकाओ को यही उच्च शिक्षा के लिए पैकेज देना चाहिए


देवड़ा गाँव में पुराणी कुरीतियों तो त्यागने का सिलसिला ठाकुर इन्दर सिंह ने किया जब सदियों बाद भाटी परिवार में पहली बार बारात आई ,इन सालो साल में गाँव में बदलाव की बयार हें आज गाँव में चार दर्जन से अधिक बालिकाए हें जो भाटी परिवारों की हें ,

कन्या हत्या के लिए बदनाम रहा देवड़ासहित सत्रह गांवों के लोगो ने कन्या वध के कलंक को धोने की ठान ली हें . वे अब बालिकाओ को न केवल जन्म लेने दे रहे बल्कि उनको शिक्षा भी दिल रहे हैं ..बाड़मेर जैसलमेर की सरहद पर बसे बसिया क्षेत्र जो भाटी राजपूत बाहुल्य हें में बालिका शिक्षा के प्रति ज़बरदस्त जागरूकता आई हें .सरकारी स्कूलों में बड़ी तादाद में पढ़ रही बालिकाए सुखद बदलाव को ब्यान करती हें.

सिह्डार गाँव के दुर्जन सिंह भाटी ने बताया की ग्रामीण क्षेत्रो में अब पुरानी परम्पराए लगभग ख़तम सी हो गई हें आज बालिका हर राजपूत के घर में हें मेरे खुद की दो बालिकाए दिव्या कंवर प्रथम वर्ष तथा नेमु कंवर दशवीकक्षा में हें जो उच्चतर कक्षाओ में बाहर जिलो में पढ़ती हें .


रक्षा बन्धन पे गांव आई दिव्या सिंह भाटी ने बताया की विद्यावाडी  खीमेल पाली में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं ,पिछली कक्षा में पिचानवे प्रतिशत अंको के साथ उतीर्ण हुई ,अब में अपना ध्यान आर्मी में आने के लिए शिक्षा पर केंद्रित कर रही हूँ ,मुझे आर्मी अफसर बनाना हैं