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मंगलवार, 12 जून 2012

दर्शन सावित्री मंदिर - पुष्‍कर


दर्शन सावित्री मंदिर - पुष्‍करपुष्‍कर के प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिरों में से एक, देवी सावित्री भगवान ब्रह्मा जी की पहली पत्‍नी हैसावित्री मंदिर पुष्‍कर के प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। देवी सावित्री भगवान ब्रह्मा जी की पहली पत्‍नी है। सावित्री मंदिर रत्‍नागिरी पर्वत पर स्थित है। ऐसा माना जाता है‍ कि माता सावित्री ने इसी पर्वत पर विश्राम किया था। प्रत्‍येक वर्ष काफी संख्‍या में श्रद्धालु यहां पर देवी सावित्री के दर्शनों के लिए विशेष रूप से यहां आते हैं।

मंदिर तक पहुंचने के लिए काफी सीढि़यां चढ़नी पड़ती है। ऊंचे पर्वत पर बसे होने के कारण मंदिर से पुष्‍कर के आस-पास का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। सावित्री मंदिर ब्रह्मा मंदिर के पीछे की ओर स्थित है। पुष्‍कर स्थित ब्रह्मा स्थित विश्‍व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। सावित्री मंदिर देवी सावित्री को समर्पित है।

निर्माण
सावित्री मंदिर का निर्माण सन् 1687 ई. में हुआ था। सावित्री मंदिर का निर्माण संगमरमर से किया गया है।

पौराणिक कथा
ऐसा माना जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी को शीघ्र ही यज्ञ करना पड़ा। जिसमें उनकी पत्‍नी का साथ होना अत्‍यंत आवश्‍यक था। अपने इस उद्देश्‍य को पूर्ण करने के लिए ब्रह्मा जी ने एक सामान्‍य दूधवाली गायत्री से विवाह किया था। तब ब्रह्मा जी की प्रथम पत्‍नी सावित्री उन्‍हें खोजते हुए यहां आ पहुंची। वह जानती थी कि ब्रह्मा जी वर्ष में एक बार पूजा करते हैं और वह भी पुष्‍कर में। अत: उन्‍हें ढूंढते हुए देवी सावित्री रत्‍नागिरी पर्वत पर पहुंची थी। मंदिर में देवी सावित्री की बेहद ही सुंदर प्रतिमा स्‍थापित है।

आस-पास के दर्शनीय स्‍थल:
ब्रह्मा मंदिर: ब्रह्मा मंदिर पुष्‍कर के प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में से एक है। यह विश्‍व का एकमात्र मंदिर है जहां पर भगवान ब्रह्मा जी की पूजा होती है। ब्रह्मा जी को समर्पित यह मंदिर पुष्‍कर झील के किनारे स्थित है। प्रत्‍येक वर्ष हजारों की संख्‍या में भक्‍त यहां ब्रह्मा जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर के समीप ही पुष्‍कर झील है। ऐसा माना जाता है कि इस झील पर ब्रह्मा जी के हाथों से कमल का फूल गिरा था। इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्‍दी में हुआ था। मंदिर का निर्माण संगमरमर से किया गया है।

वराह मंदिर: मूल वराह मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्‍दी में हुआ था। मगर मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्‍वस्‍त करवा दिया था। भगवान वराह का शरीह मनुष्‍य का तथा सिर जंगली सुअर का था। लेकिन 1727 ई. में जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने इस मंदिर का पुर्नर्निर्माण करवाया। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान वराह की मूर्ति स्‍थापित है।

महादेव मंदिर: इस मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्‍दी में हुआ था। मंदिर में भगवान महादेव की पांच सिरों वाली मूर्ति है। यह मूर्ति पूर्णत: सफेद संगमरमर पत्‍थर से निर्मित है। इस मंदिर को अजमेर तथा पुष्‍कर में स्थित सभी मंदिरों में सबसे सुंदर माना जाता है।

गायत्री मंदिर: यह मंदिर सावित्री मंदिर के बगल में स्थित है। यह मंदिर देवी गायत्री को समर्पित है। गायत्री को भी ब्रह्मा की पत्‍नी होने का गौरव प्राप्‍त है।

रघुनाथ मंदिर: पुष्‍कर में दो रघुनाथ मंदिर हैं। एक मंदिर पुराना है तो दूसरा अपेक्षाकृत नया। पुराने मंदिर का निर्माण 1823 ई. में हुआ था। इस मंदिर में वेणुगोपाल, भगवान नरसिंह तथा धन की देवी लक्ष्‍मी की मूर्ति स्‍थापित है। लेकिन विदेशियों को इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है।

पाप मोचिनी मंदिर: यह मंदिर पुष्‍कर शहर के उत्तरी भाग में स्थित है। यह मंदिर न तो अपने वास्‍तुशिल्‍प के लिए और ना ही किसी देवता के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन काल में विश्‍वास किया जाता था कि जिस व्‍यक्‍ित ने ब्राह्मण की हत्‍या की हो तो इस मंदिर में आने से उसके पाप दूर हो जाते थे। इसलिए इस मंदिर का नाम पाप मोचिनी मंदिर पड़ा।

पुष्‍कर झील: इसी झील के किनारे पुष्‍कर शहर बसा हुआ है। हिन्‍दू धर्म में इसे एक पवित्र झील माना गया है। माना जाता है कि यह झील उतना ही पुराना है जितना कि विश्‍व। इस झील में स्‍नान करने के 52 घाट हैं। माना जाता है इस झील में स्‍नान करने से मनुष्‍य के पाप दूर हो जाते हैं।