thar festival लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
thar festival लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

हसन ने शाम को हसीन बना दिया अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया..


हसन ने शाम को हसीन बना दिया
अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया..

बाड़मेर  थार महोत्सव के दूसरे दिन आदर्श स्टेडियम में हसन ने शाम को हसीन बना दिया। दूधिया रोशनी के बीच मधुर सूर में ‘अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया.. की प्रस्तुति पर बच्चे, युवा व युवतियां ने जमकर डांस किया। देर रात सूरों की महफिल जमी रही। प्रभा साधुवानी ने केसरिया बालम आओ नी..व गजरा मोहब्बत वाला.. गीत प्रस्तुत खूब तालियां बटोरी। आदर्श स्टेडियम में गुरुवार शाम आयोजित राजा हसन नाइट में फिल्मी गीत व गजलों पर जनता झूम उठी। सैकड़ों श्रोताओं की मौजूदगी में जब राजा हसन ने ‘टूटा टूटा एक परिंदा..फिर न उड़ पाया’ पेश किया तो तालियां की गडगड़़ाहट से स्टेडियम परिसर गूंज उठा। इसके बाद ख्वाबों में भी बादल ही थे.. अल्हा के बंदे हंस ले सुनाया। इस दौरान हसन गुनगुनाते हुए श्रोताओं के बीच पहुंचे तो हर कोई हसन के साथ ठुमके लगाने को आतुर हो गया। हसन के आह्वान पर बच्चे व युवतियां मंच पर आ गए। जहां हसन के सुरों की धुन पर नाचने लगे। जोश का जुनून इतना जबरदस्त था कि कुछ ही पलों में बड़ी तादाद में युवा मंच पर नाचने को पहुंच गए। हसन ने तेरे बिन नहीं लगता मन.., होगा हमसे प्यारा कौन.., कैसे बताएं तुमको चाहे..,की शानदार प्रस्तुति देकर झूमने को मजबूर कर दिया। इस तरह एक से बढ़कर एक शानदार प्रस्तुतियां ने श्रोताओं का मन मोह लिया। यह सिलसिला यही नहीं थमा, देर रात तक सुरों के सरताज को सुनने के लिए श्रोता जमे रहे। हसन ने लोक देवता बाबा रामदेव को याद करते हुए बाबा थांसू आस लगी है. पेश कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस मौके पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल, जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके,जिला प्रमुख मदनकौर, नगरपालिका अध्यक्ष उषा जैन समेत तमाम आला अधिकारी, जनप्रतिनिधि व बाड़मेर के नागरिक मौजूद थे। गूंज उठे राजा के जयकारें.हसन नाइट में राजा का जादू सिर चढ़कर बोला। कलाकारों की जुगलबंदी का अद्भुत करिश्मा देखने को मिला। हसन के प्रत्येक गीत की गूंज पर जयकारें गूंज उठे

मंगलवार, 22 मार्च 2011

थार महोत्सव’’थाने उडीके बाड़मेर’’




थार महोत्सव’’थाने उडीके बाड़मेर’’
बाड़मेर जिला लोक संस्कृति से परिपूर्ण हैं। गांव ढाणी पगपग पर लोक कला बिखरी पडी हैं। लोक कला को समेटने का प्रयास बाड़मेर थार महोत्सव के जरिए किया गया। यह महोत्सव आगे जकार थार महोत्सव बना।
थार की थली में तीन दिवसीय थार महोत्सव का आगाज 11वीं तथा 12 शताब्दी के ऐतिहासिक प्रस्त नगरी किराडू में होता हैं। शास्त्रीय संगीत से शाम सजती हैं। गजल गायकी के साथसाथ भजन की स्वर लहरियां इन प्राचीन भग्नावेशों में गुंजायमान होती हैं। विश्व पर्यटन मानचित्र में पहचान कायम करने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा थार महोत्सव के जरिए किया जा रहा हैं। देशी विदेशी शैलानियों को थार की थली की तरफ आकर्षिक करने के लिये इस महोत्सव में नए, रोचक एवं दिलचस्प कार्यक्रमों का समावेश किया गया। लोक संस्कृति से रूबरू कराते ख्यातनाम देशी कलाकारों को आमंत्रित किया जाता हैं।
इस महोत्सव में हस्त शिल्प मेले का आयोजन किया जाता हैं। जिसमें स्थानीय हस्तशिल्पकारों के हाथों से तैयार काष्ठ कला के फर्नीचर, कांच कशीदाकारी के वस्त्र, खादी वस्त्र, कम्बलें, पट्टु जैसे उत्पादन मेले की शोभा ब़ाते हैं। शोभा यात्रा का दिलकश नजारा सजेधजे युवकयुवतियां, पारम्परिक वेशभूषा पहने बालाएं जो सिरों पर कलश लेकर शोभा यात्रा की अगुवाई करती हैं। इसी संस्कृति से रूबरू कराती हैं। यह शोभायात्रा आदर्श स्टेडियम जाकार समाप्त होती हैं। इसके साथ ही थार की संस्कृति से रूबरू कराती विभिन्न प्रतियोगिताओं का दौर आरम्भ होता हैं। सर्वाधिक लोकप्रिय प्रतियोगिता थारश्री तथा थार सुन्दरी के प्रति दर्शको का जबदस्त रूझान हैं। थारश्री प्रतियोगिता में सुन्दर, छैल, छबीले नौजवान तथा थार सुन्दरी प्रतियोगिता में मृगनयनी अनुपम सौन्दर्य प्रतीक नव युवतियां चाव से भाग लेती हैं।
युवको की बडीबडी नशीली आंखे, रोबदार चेहरा, बी हुई दा़ी व रोबीली मूंछे थार संस्कृति का पहनावा कुर्ता, धोती एवं साफा पहना वीर लगते हैं। गले में परम्परागत आभूषण इनके चेहरे की सुन्दरता ब़ाते हैं।
परम्परागत मारवाड़ी वेशभूषा में सजी धजी युवतियां शीरी, लैला, भारमली मूमल, जूलिएट के अनुपम सौन्दर्य की याद ताजा कर देती हैं। इस दिन पगडी बांधो प्रतियोगिता, दादा पोता दौड, भागता बाराती, छीना झपटी, रस्सा कस्सी जैसी प्रतियोगिताओं के साथ ऊंट श्रंृगार प्रतियोगिता दर्शको में रोमांच भरती हैं। वहीं परम्परागत ोल वादन प्रतियोगिता में ोल वादक दर्शको को थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। दूसरे दिन महाबार थार की थली में लोक संस्कृति से सजी धजी गीत संगीत की सुरमई शाम का आनन्द लेते हैं। स्थानीय लोक संस्कृति लोकगीत, लोक गायकों द्वारा अविस्मरणीय प्रस्तुतियां दी जाती हैं। दमादम मस्त कलन्दर, निम्बुडा, होलियों में उड़े रे गुलाल, जवांई जी पावणा, जैसी प्रस्तुतियां लोक कलाकारों द्वारा रेतीले धोरो के मध्य चान्दनी रात में दी जाती हैं, जो दर्शको को झूमने पर मजबूर करती हैं। तीसरे व अंतिम दिन वीर दुर्गादास की कर्मस्थली कनाना में शीतला सप्तमी का विशाल मेला लगता हैं। जहां गैर नृतक सूर्योदय की पहली किरण के साथ माटी की सोंधी महक में अपनी स्वर लहरियां बिखेरते हैं। श्रेष्ठ गैर नृतक दलों को पुरस्कृत किया जाता हैं।

विदेशी पर्यटकों को अधिकाधिक जोड़ने के लिए इन्टरनेट पर थार महोत्सव के नाम से एक बेबवाईट भी डाली गई हैं। जिसके लिए विभिन्न पर्यटन एजेन्सियों से सम्पर्क साध अधिकाधिक विदेशी सैलानियों को जोड़ने का प्रयास किया। वहीं मनीष सोलंकी द्वारा निर्मित प्रतीक चिन्ह को चयन किया। थार के रेतीले धोरे, रेगिस्तान का जहाज ऊंट, उमंग भरे नृत्य इतिहास के साक्षी किराडू मन्दिर तथा रंगाई छपाई को दर्शाते इस प्रतीक में थार संस्कृति समाहित हैं। मनीष सोलंकी ने इसका शीर्षक ’’थाने उडीके बाड़मेर’’ दिया। 

गुरुवार, 17 मार्च 2011

थार महोत्सव 2011 अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा होगी उजागरथार थार की




थार महोत्सव 2011
अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा होगी उजागरथार थार  की

बाडमेर, 17 मार्च। होली के बाद आयोजित होने वाले तीन दिवसीय थार महोत्सव के दौरान बाडमेर की अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा को साक्षात उजागर किया जाएगा। महोत्सव के समापन पर सीतला सप्तमी को कनाना में आयोजित विख्यात परम्परागत गैर थार की अनमोल कला की कहानी कहेगी। गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने महोत्सव के दौरान कार्यक्रमों में सांस्कृतिक परम्परा की झलक के साथ साथ भरपूर रोचकता एवं मनोरंजन को भी समाहित करने के निर्दो दिए है।
इस मौके पर जिला कलेक्टर गोयल ने कहा कि थार महोत्सव में रोचक एवं मनोरंजक कार्यक्रमों के जरिये अधिकाधिक लोगों को भामिल किया जाए। उन्होने 23 से 25 मार्च तक आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय थार महोत्सव के संबंध में आयोजित विभिन्न व्यवस्थाओें से जुडे अधिकारियों से अब तक की तैयारियों की समीक्षा की।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर गोयल ने कहा कि बाडमेर जिले की कला, संस्कृति, हस्तिल्प को जग जाहिर करने तथा पर्यटन विकास के मकसद से आयोजित किए जाने वाले थार महोत्सव में सभी की भागीदारी जरूरी है। उन्होने कहा कि कार्यक्रमों को रोचक एवं मनोरंजन रूप प्रदान किया जाए तथा अधिकाधिक दोी विदोी पर्यटकों को महोत्सव में आमन्ति्रत करने के प्रयास किए जाए। इस सबंध में उन्होने व्यापक प्रचार प्रसार करने के संबंधित अधिकारियों को निर्दो दिए।
उन्होने बताया कि तीन दिवसीय थार महोत्सव का आगाज 23 मार्च को प्रातः 830 बजे निकाली जाने वाली भव्य भाोभा यात्रा के साथ होगा। भाोभा यात्रा गांधी चौक से प्रारम्भ होकर भाहर के प्रमुख मार्गो से गुजरती हुई आदार स्टेडियम पहुचेगी जहां पर विभिन्न प्रकार की विचित्र एवं रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन सायं को महाबार में पतंग प्रतियोगिता, कैमल सफारी, सांस्कृतिक संध्या एवं आतिबाजी के कार्यक्रम आयोजित किए जाएगे। वहीं 24 मार्च को प्रातः 9 से 12.00 बजे तक किराडू में सांस्कृतिक यात्रा आयोजित होगी। इसी दिन साय काल में आदार स्टेडियम में ख्यातनाम कलाकार राजा हसन द्वारा आकशर्क कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। थार महोत्सव के आखिरी दिन 25 मार्च को बालोतरा में भाोभा यात्रा एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के अलावा भगत सिंह स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन कनाना में गैर नृत्य का भी आयोजन किया जाएगा।
थार श्री तथा थार सुन्दरी के प्रतियोगिताओं के पंजीयन के लिए आवेदन उपखण्ड अधिकारी गुडामालानी मुख्यालय बाडमेर में प्रस्तुत करने होंगे। इससे पूर्व जिला कलेक्टर ने थार महोत्सव के पोस्टर का विमोचन किया। 

रविवार, 6 मार्च 2011

थार महोत्सव का आगाज 23 मार्च से होगा।





थार महोत्सव का आगाज 23 मार्च से होगा।
ऐसे होंगे ठाट उड़ेगी पंतगें, सजेगी हाट



 बाड़मेर

थार महोत्सव का आगाज 23 मार्च से होगा। इस बार थार महोत्सव को
 रोचक बनाने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इस बार महोत्सव में गायक कलाकार राजा हसन भी प्रस्तुति देंगे। वहीं फुड फेस्टिवेल, महाबार के धोरों पर पतंग प्रतियोगिता होगी। हॉट बाजार की स्थापना से हस्तशिल्प को बढ़ावा मिलेगा। 
जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने थार महोत्सव के कार्यक्रमों में रोचक एवं मनोरंजक कार्यक्रम शामिल करने के निर्देश दिए है, ताकि अधिकाधिक लोग कार्यक्रमों में शामिल हो सकें।
कला, संस्कृति, हस्तशिल्प को मिलेगा बढ़ावा
 
कलेक्टर गोयल ने कहा कि जिले की कला, संस्कृति, हस्तशिल्प को जग जाहिर करने तथा पर्यटन विकास के मकसद से आयोजित किए जाने वाले थार महोत्सव में सभी की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों को रोचक एवं मनोरंजक रूप प्रदान किया जाए तथा अधिकाधिक देशी विदेशी पर्यटकों को महोत्सव में आमंत्रित करने के पुरजोर प्रयास किए जाएं। इस संबंध में उन्होंने व्यापक प्रचार-प्रसार करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।

आगाज शोभायात्रा से
तीन दिवसीय थार महोत्सव का आगाज 23 मार्च को सुबह 8.30 बजे निकाली जाने वाली शोभायात्रा के साथ होगा। शोभायात्रा गांधी चौक से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती हुई आदर्श स्टेडियम पहुंचेगी।
रोचक प्रतियोगिताएं होगी
आदर्श स्टेडियम में बेस्ट मूंछ प्रतियोगिता, साफा बांध प्रतियोगिता, दादा पोता दौड़, देशी व विदेशी महिलाओं के बीच रस्सा कस्सी, बेस्ट पति-पत्नी दौड़ सहित विभिन्न प्रकार की विचित्र एवं रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।
 
बालोतरा में होंगे विभिन्न कार्यक्रम
 
थार महोत्सव के आखिरी दिन 25 मार्च को बालोतरा में शोभायात्रा एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के अलावा भगतसिंह स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन कनाना में गैर नृत्य का भी आयोजन किया जाएगा। बैठक में नगरपालिका अध्यक्षा उषा जैन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी एल कंदोई, भूमि अवाप्ति अधिकारी एम एल नेहरा एवं महेन्द्रसिंह, उपखंड अधिकारी शिव नखतदान बारहठ, सहायक लेखाधिकारी चूनाराम पूनड़ सहित पर्यटन, केयर्न इंडिया, राजवेस्ट के अधिकारी, व्यवसायी एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
सजेगा हॉट बाजार, होगा
 
फुड फेस्टिवल
24 मार्च को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक शिल्पग्राम में हॉट बाजार, फुड फेस्टिवल के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 24 को शाम 6 बजे आदर्श स्टेडियम के प्रांगण में ख्यातनाम कलाकार राजा हसन की ओर से आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा