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रविवार, 8 नवंबर 2015

कहानी शृंग ऋषि और भगवान राम की बहन "शांता" की


कहानी शृंग ऋषि और भगवान राम की बहन "शांता" की
श्रीराम के माता-पिता, भाइयों के बारे में तो प्रायः सभी जानते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि राम की एक बहन भी थीं जिनका नाम शांता था। वे आयु में चारों भाइयों से काफी बड़ी थीं। उनकी माता कौशल्या थीं। उनका विवाह कालांतर में शृंग ऋषि से हुआ था। आज हम आपको शृंग ऋषि और देवी शांता की सम्पूर्ण कहानी बताएँगे।


शृंग ऋषि राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थी शांता
ऐसी मान्यता है कि एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी अयोध्या आए। उनके कोई संतान नहीं थी। बातचीत के दौरान राजा दशरथ को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने कहा, मैं मेरी बेटी शांता आपको संतान के रूप में दूंगा।

रोमपद और वर्षिणी बहुत खुश हुए। उन्हें शांता के रूप में संतान मिल गई। उन्होंने बहुत स्नेह से उसका पालन-पोषण किया और माता-पिता के सभी कर्तव्य निभाए।

एक दिन राजा रोमपद अपनी पुत्री से बातें कर रहे थे। तब द्वार पर एक ब्राह्मण आया और उसने राजा से प्रार्थना की कि वर्षा के दिनों में वे खेतों की जुताई में शासन की ओर से मदद प्रदान करें। राजा को यह सुनाई नहीं दिया और वे पुत्री के साथ बातचीत करते रहे।

द्वार पर आए नागरिक की याचना न सुनने से ब्राह्मण को दुख हुआ और वे राजा रोमपद का राज्य छोड़कर चले गए। वे इंद्र के भक्त थे। अपने भक्त की ऐसी अनदेखी पर इंद्र देव राजा रोमपद पर क्रुद्ध हुए और उन्होंने पर्याप्त वर्षा नहीं की। अंग देश में नाम मात्र की वर्षा हुई। इससे खेतों में खड़ी फसल मुर्झाने लगी।

इस संकट की घड़ी में राजा रोमपद शृंग ऋषि के पास गए और उनसे उपाय पूछा। ऋषि ने बताया कि वे इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ करें। ऋषि ने यज्ञ किया और खेत-खलिहान पानी से भर गए। इसके बाद शृंग ऋषि का विवाह शांता से हो गया और वे सुखपूर्वक रहने लगे।

कश्यप ऋषि पौत्र थे शृंग ऋषि
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋष्यशृंग विभण्डक तथा अप्सरा उर्वशी के पुत्र थे। विभण्डक ने इतना कठोर तप किया कि देवतागण भयभीत हो गये और उनके तप को भंग करने के लिए उर्वशि को भेजा। उर्वशी ने उन्हें मोहित कर उनके साथ संसर्ग किया जिसके फलस्वरूप ऋष्यशृंग की उत्पत्ति हुयी। ऋष्यशृंग के माथे पर एक सींग (शृंग) था अतः उनका यह नाम पड़ा।



शृंग ऋषि का आश्रमबाद में ऋष्यशृंग ने ही दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था। जिस स्थान पर उन्होंने यह यज्ञ करवाये थे वह अयोध्या से लगभग 39 कि.मी. पूर्व में था और वहाँ आज भी उनका आश्रम है और उनकी तथा उनकी पत्नी की समाधियाँ हैं।


शृंग ऋषि की समाधी
हिमाचल प्रदेश में है शृंग ऋषि और देवी शांता का मंदिर



हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में शृंग ऋषि का मंदिर भी है। कुल्लू शहर से इसकी दूरी करीब 50 किमी है। इस मंदिर में शृंग ऋषि के साथ देवी शांता की प्रतिमा विराजमान है। यहां दोनों की पूजा होती है और दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

बहन की हत्या का पश्चाताप करने पूर्वजों की कब्र पर पाक पहुंचा बाड़मेर का व्यक्ति

बहन की हत्या का पश्चाताप करने पूर्वजों की कब्र पर पाक पहुंचा बाड़मेर का व्यक्ति

बाड़मेर -- बाड़मेर जिले की पाकिस्तान सरहद के पास स्थित अमियानी गाँव का एक व्यक्ति अपनी बहन की हत्या का पश्चाताप करने अवेध रूप से तारबंदी पार कर पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के गोगासर गाँव स्थित अपने पूर्वजो की कब्रगाह पर पहुँच गया। करीब तीस फिट उन्न्ची कंटीली लोहे की तारबंदी फांदते वक्त उसका पाँव जख्मी हो गया। पाकिस्तान के गोगासर पहुँचाने पर ग्रामीणों ने उसे पाक रेंजरो के हवाले किया।

राजस्थान के बाड़मेर जिले की पाकिस्तान की सरहद से सटे गाँव अमियानी निवासी 50 वर्षीय अबू बकर नामक यह व्यक्ति मानसिक रुप से बीमार है. उसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया. अमीर नोहरी के बेटे अबू बकर ने गोगासर पाकिस्तान के लोगों को बताया कि उसने 1988 में अपनी बहन की हत्या कर दी थी, इसके लिए माफी मांगने वह गोगासार में अपने दादा-परदादा की क्रब पर आया था.उसके अनुसार उसकी बहन की हत्या की सज़ा 2011 में ख़त्म हो गयी थी। उसके बासद उसने फिर परिजनों पर हमला किया था जिसके लिए उसे फिर सजा हुई। चार पांच रोज पहले ही भारतीय जेल से बरी हुआ। बरी होने के बाद वह सरहद पर पहुंचा और रात्रि को अन्तराष्ट्रीय तारबंदी फंड पाकिस्तान आया। पाकिस्तान के गडारो सिटी से सीधा गोगासर अपने पूर्वजो की कब्र पर अपने गुनाह की माफ़ी मांगने आया। फिलहाल उसे पाक रेंजरो ने कब्ज़े कर रखा हें उससे पूछताछ चल रही हें ,उसके द्वारा बताये तथ्यों की जांच और पते की पुष्टि करने के प्रयास किये जा रहे हें।
वह राजस्थान में बाड़मेर जिले में तामलोर रेलवे स्टेशन के समीप अमयानी गांव का रहने वाला है. गोगासार के किसानों के अनुसार अबू बकर ने उन्हें बताया कि उसने 1988 में कुल्हाड़ी से वार कर अपनी बहन को मार डाला था.