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शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

बिग ब्रेकिंग जोधपुर के बालेसर के पास सड़क दुर्घटना में13 की मृत्यु एक दर्जन घायल

बिग ब्रेकिंग

जोधपुर के बालेसर के पास सड़क दुर्घटना में 13 की मृत्यु एक दर्जन घायल

बालेसर! बालेसर थाना क्षेत्र ढाढणिया के पास एनएसआई 125 पर बस एवं बोलेरो 13लोगों की मृत्यु एवं एक दर्जन घायल होने की सूचना है पुलिस पहुंची मौके पर घायलों को लाया राजकीय  अस्पताल बालेसर !
 टक्कर इतनी भीषण है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती हैं
 मृतक एवं घायलों के नामों की सूची बना रही है पुलिस

शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

जोधपुर फर्ज निभाते शहीद हुआ जोधपुर का लाल, सैन्य सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार



जोधपुर फर्ज निभाते शहीद हुआ जोधपुर का लाल, सैन्य सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
फर्ज निभाते शहीद हुआ जोधपुर का लाल, सैन्य सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

जोधपुर के बालेसर के बिराई गांव का एक बेटा देश के लिए अपना फर्ज निभाते हुए गुरुवार अलसुबह शहीद हो गया। शहीद की पार्थिव देह हवाई मार्ग से कलकत्ता के रास्ते जोधपुर लाई गई। शहीद का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के बेटे ने अंतिम संस्कार के ठीक पहले अपने पिता को पहले सैल्यूट किया।

जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर में पोस्टेड बीएसएफ के जवान उम्मेद सिंह कविया पुत्र लखदान कविया गुरुवार सुबह पांच बजे रूटीन प्रैक्टिस में हिस्सा ले रहे थे। तबीयत खराब लगने के कारण कविया ने आराम करना चाहा और कमरे में जाकर लेट गए। इसके बाद जब उनके साथी प्रैक्टिस के बाद उन्हें देखने पहुंचे तो उनकी मौत हो चुकी थी। उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है। बीएसएफ कमांडेंट से मिली जानकारी के अनुसार ड्यूटी पर प्रैक्टिस के दौरान उनकी मौत हुई थी, इसलिए उन्हें शहीद माना गया और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

कविया की शहादत की खबर जैसे ही गांव में पहुंची यहां शोक की लहर दौड़ गई। गांव के हर युवक का सीना गर्व से फूल गया था, लेकिन नम आंखें दुख का अहसास भी करा रही थीं। बिराई गांव में बालेसर पुलिस मौके पर मौजूद है।

संताप में डूबे ग्रामीणों ने शहीद के सम्मान में पूरा बाजार बंद कर दिया। शहीद के घर बाहर ग्रामीणों का तांता लगा हुआ है। शाम करीब चार बजे शहीद का पार्थिव शरीर गांव लाया गया। शहीद के पहुंचते ही पूरा गांव उनके अंतिम दर्शन को उमड़ पड़ा। तिरंगे में लिपटे अपने बेटे को देख मां मूलकंवर की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। शहीद की बेटी सरोज और बेटे प्रदीप ने पिता को देख पहले सलाम किया और फिर फूट-फूट कर रोने लगे।

52 वर्षीय कविया बीएसएफ के 26 बटालियन में पिछले 30 वर्षों से देश की सेवा में लगे थे। खास बात ये है कि कविया 30 साल से एक ही बटालियन में तैनात थे। वे एएसआई के पद पर थे।