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बुधवार, 3 अप्रैल 2013

कनाना में शीतला सप्तमी पर मेले का आयोजन,





मेले सद्भावना के प्रतीक : जिला प्रमुख 

कनाना में शीतला सप्तमी पर मेले का आयोजन, 

दर्जनों गांवों से आए गेर दलों ने मचाई धमचक,हाट बाजार में खरीदारी को उमड़े ग्रामीण, माता के धोक लगाई 
 बालोतरा'मेले में मनोरंजन के साथ आपसी भाईचारा, सद्भावना व मेलजोल बढ़ता है। मेले हमारी संस्कृति के अंग है। मेले न केवल हमारी वैभवपूर्ण संस्कृति में परिचायक है, वरन पुराने समय से चली आ रही लोक परंपराओं को जीवित रखने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।' ये उद्बोधन मुख्य अतिथि जिला प्रमुख मदन कौर ने मंगलवार को शीतला सप्तमी पर ग्राम पंचायत कनाना की ओर से आयोजित शीतला माता मेला एवं गेर नृत्य पुरस्कार वितरण समारोह में दिया। उन्होंने कहा कि मेला स्थल वर्तमान समय में छोटा पड़ रहा है। इसके लिए प्रशासन को कुछ सोचना चाहिए।

जनता ने किया हल्ला- 

उन्होंने कहा कि हमारे जिले से सरकार को इतनी रॉयल्टी मिल रही है, जिसका राजस्थान के खजाने में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि हर जगह-जगह राजनीति नहीं करनी चाहिए, जिससे बिखराव व उग्रता आए। जिला प्रमुख ने जैसे ही सरकार की विभिन्न योजनाओं को गिनाना शुरू किया तो समारोह में उपस्थित जनसमूह ने हल्ला करना शुरू कर दिया। इससे मजबूर होकर जिला प्रमुख ने अपना उद्बोधन बंद कर दिया। विधायक मदन प्रजापत ने कहा कि मेलों के आयोजन से संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ छत्तीस कौम के लोगों को एक जाजम पर बैठने का भी अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि मेले के आयोजन से हमारे क्षेत्र में छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर भी प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि एक सांस्कृतिक कला केंद्र बनाए जाए तो मेरी तरफ से पूरा सहयोग प्रदान किया जाएगा। पूर्व गृह राज्यमंत्री अमराराम चौधरी ने कहा कि मेले हमारे देश की संस्कृति को जीवंत रखे हुए है। बुजुर्गों ने जो परंपरा बनाई है, उसका हम सब निर्वाह करते हुए बिना भेदभाव मेल जोल करते हैं। इससे प्रेमभाव बढ़ता है। स्वागत भाषण राजेंद्रकरण ने प्रस्तुत करते हुए क्षेत्र की पेयजल समस्या से अतिथियों को अवगत कराया। मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रधान जमनादेवी गोदारा, कार्यवाहक एसडीएम विवेक व्यास, डीएसपी रामेश्वरलाल मेघवाल, महिला कांग्रेस प्रदेश संयुक्त सचिव शारदा चौधरी, भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष भवानीसिंह टापरा, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष भंवरलाल भाटी, पालिका प्रतिपक्ष नेता रतन खत्री आदि मौजूद थे। समारोह में पूर्व अतिथियों ने शीतला माता मंदिर में पूजा-अर्चना कर मेले का अवलोकन किया। समारोह के दौरान अतिथियों की ओर से ग्राम पंचायत कनाना के सौजन्य से 21 गेर दलों को नकद पुरस्कार व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। मंच का संचालन वार्ड पंच जेपी दवे ने किया। 

मेलार्थियों ने उठाया लुत्फ 

कनाना स्थित शीतला माता मंदिर के समीप प्रसादी की दुकानों के साथ हाट बाजार, खिलौनों की दुकानों पर भारी भीड़ खरीदारी करते हुए देखी गई। मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए जादूगर, सर्कस, हवाई झूले व मौत का कुआं भी लगाया गया। जिसका मेलार्थियों ने खूब लुत्फ उठाया। शीतला सप्तमी को लेकर घरों में शीतला माता की पूजा-अर्चना करने के साथ ठंडा भोजन प्रसादी के रूप में ग्रहण किया। वहीं शहर के अनेक मंदिरों में शीतला माता की कथा का गुणगान महिलाओं ने सामूहिक रूप से किया। 

इन्होंने की मेले में शिरकत 

मेले में भाजपा प्रदेश समिति सदस्य मालाराम बावरी, पूर्व जिला परिषद सदस्य देवेंद्रकरण, पंचायत समिति सदस्य भैराराम भील, सरपंच गुणेशाराम चौधरी, उप सरपंच चंद्रकरण, सरपंच नारायण मेघवाल, हेमाराम चौधरी, श्रीराम गोदारा, केवल माली, पूर्व सरपंच ईश्वरसिंह चौहान, गोकलराम, लिखमाराम मेघवाल, खेताराम प्रजापत, यूथ कांग्रेस लोकसभा क्षेत्र अध्यक्ष ठाकराराम माली, चुन्नीलाल मेघवाल, घीसुलाल चौपड़ा, समाजसेवी मोहम्मद युसुफ भांतगर, बसंत शर्मा, रतनलाल चौधरी, इम्तियाज अली, मगनाराम चौधरी, नरसिंगदान राव सहित बड़ी संख्या में मेलार्थी मौजूद थे।

गुरुवार, 28 मार्च 2013

शीतला सप्तमी ...इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलता ...ठंडा खाते हें


थार में मेलों की धमचक शुरू


शीतला सप्तमी ...इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलता ...ठंडा खाते हें

बाड़मेर अपनी लोक कला ,संस्कृति और परम्पराओ के लिए विशिष्ठ पहचान बनाने वाले बाड़मेर िले में होली की समाप्ति के बाद लोक मेलो और त्योहारों की धमचक शुरू हो चुकी है .आने वाला एक माह तक थार नगरी त्योहारों के उल्लास से सरोबार हो गी .गणगौर का त्यौहार होली के साथ ही शुरू हो चुका हें ,जिले में शीतला सप्तमी से पूर्व विभिन क्षेत्रो में गैर नृत्य मेलो के आयोजन आरम्भ हो गए ,शीतला सप्तमी या अष्टमी का व्रत केवल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है और यही तिथि मुख्य मानी गई है। किंतु स्कन्द पुराण के अनुसार इस व्रत को चार महीनों में करने का विधान है। इसमें पूर्वविद्धा अष्टमी (व्रतमात्रेऽष्टमी कृष्णा पूर्वा शुक्लाष्टमी परा) ली जाती है। चूँकि इस व्रत पर एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन किया जाता है अतः इस व्रत को बसौड़ा, लसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। शीतला को चेचक नाम से भी जाना जाता है।

यह व्रत कैसे करें

व्रती को इस दिन प्रातःकालीन कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।

स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-

मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये


संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।

इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएँ।

यदि आप चतुर्मासी व्रत कर रहे हों तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएँ। जैसे- चैत्र में शीतल पदार्थ, वैशाख में घी और शर्करा से युक्त सत्तू, ज्येष्ठ में एक दिन पूर्व बनाए गए पूए तथा आषाढ़ में घी और शक्कर मिली हुई खीर।

तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और यदि यह उपलब्ध न हो तो शीतला अष्टमी की कथा सुनें।

रात्रि में जगराता करें और दीपमालाएँ प्रज्वलित करें।

विशेष : इस दिन व्रती को चाहिए कि वह स्वयं तथा परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के गरम पदार्थ का भक्षण या उपयोग न करे।