भारत रत्न सितारवादक पंडित रविशंकर का निधन
सितारवादक पंडित रविशंकर का अमेरिका के सैन डियागों में निधन हो गया. वो 92 साल के थे. उन्हें गुरुवार को ही ला जोला के स्क्रिप्स मेमोरियल हॉस्पिटल में सांस की तकलीफ की शिकायत होने पर भर्ती किया गया था. उन्होंने स्थानीय समयानुसार सुबह 4.40 मिनट पर अंतिम सांस ली.
पंडित रविशंकर भारत के संगीत राजदूत थे और शास्त्रीय संगीत की अद्भुत कृति थे. उनका जन्म 7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में हुआ था. उन्होंने कई नये राग बनाए. वे राज्य सभा के भी सदस्य रहे. पंडित रविशंकर को 1999 में भारत रत्न से नवाजा गया.
अपने सितार वादन के जरिए पंडित रविशंकर को भारतीय संगीत को पश्चिमी दुनिया तक पहुंचाने का श्रेय प्राप्त है.
तीन बार के ग्रैमी पुरस्कार विजेता पंडित रविशंकर इस साल भी 55वें ग्रैमी पुरस्कारों के लिए नामांकित हुए थे. उन्हें उनके एलबम ‘द लिविंग रूम सीजन्स पार्ट-1’ के लिये नामांकित किया गया है. सर्वश्रेष्ठ संगीत एलबम श्रेणी में उनके साथ ही उनकी बेटी अनुष्का को भी एलबम ‘ट्रैवलर’ के लिये नामांकित किया गया है.
मशहूर गज़ल लेखक आलोक श्रीवास्तव ने उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा, ‘उन्होंने ही पहली बार पूरी दुनिया को बताया कि भारत का संगीत पूरी दुनिया के साथ कदमताल कर सकता है. उनके निधन से भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व संगीत को अपूरणीय क्षति हुई है.’
पंडित रविशंकर ने पश्चिमी देशों को भारत के संगीत से रुबरु कराया. उनके निधन से लगता है मानो संगीत की दुनिया में बड़ा जलजला आ गया है. शायद 21 दिसंबर को दुनिया खत्म होने की आशंका से पहले संगीत की दुनिया उजड़ गई.
पंडित रविशंकर कुछ समय से बीमार थे अमेरिका में आपरेशन के लिये गये हुये थे. जहां सेन डियागो में उनका निधन हुआ.