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शनिवार, 6 जुलाई 2013

जैसलमेर ख़त्म होती संस्कृति और परम्पराओं से घटे पर्यटक



विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष 

जैसलमेर पर्यटन सीजन पर विशेष लेख भाग 1 


आखिर क्यों आये विदेशी पर्यटक .....


ख़त्म होती संस्कृति और परम्पराओं से घटे पर्यटक 
जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान का रेगिस्तानी ऐतिहासिक जिला जैसलमेर अपने पर्यटन व्यवसाय से लिए विश्व भर में मशहूर हें .कभी पर्यटकों की रेलम पेल बारहमास रहने लगी थी असि और नब्बे के दशक में इस जिले में प्रयातकों का काफी जोर था .खासकर विदेशी सैलानी थार क्षेत्र की लोक कला ,संस्कृति और ग्रामीण जीवन करीब से देख अभिभूत हो जाते थे .एक साल में करीब पांच से सात लाख देशी विदेशी प्रयातकों का जैसलमेर आना होता था जो अब घटकर तीन लाख तक पहुँच गया .विदेशी सैलानियों का जैसलमेर से मोहभंग सा हो गया .पूर्व में जन्हा विदेशी पर्यटक जैसलमेर जिले को औसत दस दिन देते थे अब पर्यटक एक दो दिन में ही जैसलमेर की सैर कर निकल जाते हें .विदेशी पर्यटकों के जैसलमेर से मोहभंग होने का मुख्य कारन चाहे कोई कुछ बताये मगर वास्तव में जब से जैसलमेर में आधुनिकता ने घर किया तभी से विदेशी पर्यटकों से मूंह मोड़ना आरम्भ कर दिया .


ग्रामीण जीवन शैली में बदलाव

पूर्व में जैसलमेर आने वाला पर्यटक अपना अधिकांस समय ग्रामीण जन जीवन को जानने में लगाते थे .गाँवो का स्वछन्द वातारण ,पानी से भरे तालाब ,अलमस्त जीवन ,ग्रामीण वेशभूषा , रेगिस्तानी धोरे और कच्चे मकान एक गाँव के सुखद वातावरण का अहसास पर्यटकों को करते थे .थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं ,और जीवन शैली से वे खासे प्रभावित होते थे .आज गाँव गाँव नहीं रहे .गाँव शहरों को मात देते नज़र आते हें ,कच्चे झोंपड़ो की जगह पक्के मकान ,घरो में आधुनिकता की साड़ी सुख सुविधाए ,रेफ्रिजेटर ,कूलर एयर कंडीशनर ,घरो के आस पास लगे मोबाइल टावर .जींस पहने ग्रामीण ,शहरी पोशाको में सजी महिलाए ....विदेशी पर्यटक भारत की असली तस्वीर जैसलमेर के गाँवों में तलाशने आते थे जो अब गायब सी हो गयी हें .पर्यटक गांवों में दो दो तीन तीन दिन ग्रामीणों के साथ रह कर उनकी जीवन शैली को अपने कमरों में कैद करते थे .शाम को जंगल से वापस गाँवों की और आने वाली भेड़ बकरियों की एवड उन्हें लुभाती थी ,तो सुहानी रात में रेगिस्तानी धोरो की शीतलता में खो जाता था एक दम शांत वातावरण पर्यटकों को लुभाता
था .अब गाँवो में शोर गुल के अलावा कुछ बचा नहीं रही सही कसर विंड पवार के टावरों के पूरी कर दी ,जैसलमेर के पर्यटन उद्योग को विंड पोवार ने ख़त्म सा कर दिया .


चिर निंद्रा में पर्यटन विभाग
विदेशी शैलानियों के जैसलमेर से मोह भंग होने के बावजूद पर्यटन विभाग को कोई परवाह नहीं .सालाना करोड़ों रुपयों का कारोबार देने वाले विदेशी पर्यटकों को वापस जैसलमेर की और रुख करने को लेकर कोई योजना नहीं .पर्यटन विभाग के पास जैसलमेर आने जाने वाले देशी विदेशी पर्यटकों के संख्यात्मक आंकड़े तक उपलब्ध नहीं हें .पर्यटन विभाग में कोई फोन अटेंड करने वाला नहीं .पर्यटन विभाग की अनदेखी भी विदेशी शैलानियो के जैसलमेर तक ना आना प्रमुख कारण हें .


जिला प्रशासन लूटने में लगा हें

जैसलमेर आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों को सर्वाधिक परेशानी जिला प्रशासन की कार्यवाही से होती . डेजर्ट नेशनल पार्क घूमने के लिए जिला प्रशासन से विशेष अनुमति लेनी होती हें .इसके लिए इतनी कागज़ी कार्यवाही होती हें की पर्यटक आखिर कर इरादा बदल देता हें .जिसको स्वीकृति मिल जाती हें उसे इसके लिए बहूत .सा पैसा दलालों के माध्यम से देना पड़ता हें ,कई स्थान जिले में ऐसे हें जहां जाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जरुरी होती हें इसके लिए उन्हें भारी रकम चुकानी पड़ती हें .नगर पालिका ,पुलिस थाना ,पार्किंग स्थल ,जैसलमेर विकास समिति ,सहित कैयो को सुविधा शुल्क देने के बाद भी काम नहीं होते ,फिल्म शूटिंग वाले इस लूट के चलते जैसलमेर में शूटिंग करना भी अब पसंद नहीं करते ,


राजस्थानी लोक संस्कृति के अनवरत अनदेखी और पाश्चात्य संस्कृति की नक़ल ने जैसलमेर को विदेशी पर्यटकों से दूर कर रखा हें .

हम लोग जैसलमेर के इतिहास ,संस्कृति और लोक जीवन को जानने समझने और सीखने आते हें ,जैसलमेर में अब पहले वाला माहौल नहीं रहा .जब जैसलमेर जैसा वातावरण मुंबई और दिल्ली में मिल रहा हें तो लोग क्यूँ आये .हम भी यंहा आके निराश हें ,जैसा हमने जैसलमेर के बारे में पढ़ा हमें वैसा कुछ नहीं दिखा .जेम्स हेनरी ..जर्मन पर्यटक