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मंगलवार, 29 जनवरी 2019

बीकानेर कलेक्टर गौतम पाल को सलाम।।रात दिन जनहित कार्यो के लिए निकल पड़ते है सड़को पे।।*

बीकानेर कलेक्टर गौतम पाल को सलाम।।रात दिन जनहित कार्यो के लिए निकल पड़ते है सड़को पे।।*

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक के लिए खास रिपोर्ट*

*प्रशासनिक अधिकारियों की अपनी काम करने की शैली होती है अपना अंदाज़ होता है।।हर अधिकारी अपने क्षेत्र में बेहतरीन करने काप्रयास करते है। इसी कड़ी में बीकानेर कलेक्टर कुमार गौतम पाल ने अपनी अलग पहचान बनाई है।।बीकानेर कलेक्टर लगने के बाद पहले दिन से अपने को सक्रिय रखाहे।।शहर  का निरीक्षण कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रातः करने निकल जाते है।।ऐसा कई बार हो गया।।उन्होंने शहर की व्यवस्थाओं को पैदल ही नाप दिया।।एक कलेक्टर द्वारा शहर की व्यवस्थाओं का आकस्मिक निरीक्षण करने से नीचे की प्रशासनिक मशीनरी स्वतः सक्रिय हो जाती है।।कलेक्टर के निरीक्षण के ख़ौफ़ कार्मिकों में बरकरार रहना जरूरी है। कुमार गौतम पाल बखूबी यह कार्य कर रहे है।।गत रात कुमार पाल स्ट्रिंग पे निकले। राज्य सरकार ने हाल ही में शराब के ठेकों पर रात आठ बजे के बाद के बाद कड़ाई से पाबंदी लागू करने के निर्देश दिए।। ठेकों के बारे में सब जानते है कि आठ बजे के बाद ही ठेके ज्यादा सक्रिय होते है।।शटर के नीचे से या पीछे की तरफ छोटी खिड़की निकाल आर्म से शराब अबैध रूप से बेचते है।।आबकारी और पुलिस विभाग जान कर अनजान बनते है ऐसे में सवाल उठता है कि गलत को रोकेंगे कौन। कल रात कुमार पाल देर रात अचानक बीकानेर के ठेकों के स्ट्रिंग पे निकल पड़े।।यह बड़ा रिस्की भी था। कलेक्टर की जिन्दगि महत्वपूर्ण होती है।।बिना सुरक्षा बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं।हर कोई कलेक्टर को नही पहचानता।।अलबत्ता कुमार पाल स्ट्रिंग के तहत पहले ठेके पर गए तो उन्हें पहचान लिया।।मगर दूसरे ठेके पे उन्होंने सौ रुपये देकर शराब का पव्वा खरीद लिया।।इस खरीद ने आबकारी और पुलिस विभाग के दावों की पोल खुल गई।।आखिर जिन विभागों को जिम्मेदारी सरकार ने दे रखी है उसकी पालन आखिर क्यों नही होती।क्यों एक कलेक्टर को अपनी जिन्दगि खतरे में डाल के जनहित में कदम उठाने पड़ते है।।कुमार गौतम पाल के जज्बे और निष्ठा को दिल की गहराईयों से सलाम की वो जनहित के मुद्दों पर जनता के बीच जाकर राहत देने का प्रयास कर रहे है।उनका यह प्रयास अन्य जिला कलेक्टरों को भी प्रेरित करेगा।।सरकार बदलने का अहसास जनता को होना जरूरी है।।जनता की समस्याओं का समाधान मैराथन बैठकों से संभव नही है।।फील्ड में जाने पर ही वास्तविकता से हाकिम रूबरू होंगे।रात्रि को अचानक अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल की पोल भी खुली।मीटिंगों में सब ठीक है के दावे करने वाले अधिकारियों की हकीकत सामने आने के बाद सुधार की संभावनाएं बढ़ती है।।*

*एक बार पुनः बीकानेर जिलाकलेक्टर कुमार गौतम पाल को  साधुवाद और सलाम*