राजस्थान की संस्कृति है भारत की सबसे खूबसूरत संस्कृति, पढ़ें
राजस्थान, भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। यहां की संस्कृति दुनिया भर में मशहूर है। राजस्थान की संस्कृति विभिन्न समुदायों और शासकों का योगदान है। आज भी जब कभी राजस्थान का नाम लिया जाए तो हमारी आखों के आगे थार रेगिस्तान, ऊंट की सवारी, घूमर और कालबेलिया नृत्य और रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान आते हैं।अपने सभ्य स्वभाव और शालीन मेहमाननवाज़ी के लिए जाना जाता है ये राज्य। चाहे स्वदेशी हो या विदेशी, यहां की संस्कृति तो किसी का भी मन चुटकियों में मोह लेगी। आखिर किसका मन नहीं करेगा रात के वक्त रेगिस्तान में आग जलाकर कालबेलिया नृत्य देखने का। जिन्होनें राजस्थान की संस्कृति का अनुभव किया है वो बहुत खुश नसीब हैं। लेकिन जो इससे अंजान हैं उन्हें हम बताएंगे इस शाही शहर की सरल लेकिन आकर्षक संस्कृति के बारे में कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जिन्हें जानने के बाद यहां आने के लिए खुद को रोक नहीं पाएंगे
राजस्थानी परिधान
जहां बात सभ्यता और सुंदरता को एक ही साथ जोड़ने की हो तो राजस्थानी कपड़ों के आगे कुछ नहीं टिकता। महिलाओं के लिए पारंपरिक राजस्थानी कपड़े काफी सभ्य, सुंदर और आरामदायक होते हैं। यहां की महिलाएं पारंपरिक घागरा, चोली और ओढ़नी (दुपट्टा)ल पहनती हैं। महिलाओं के ये कपड़े चटक रंग के होते हैं, जिनमें गोटा (बॉर्डर) लगा होता है। अपने से बड़ों के सामने और बाहरी लोगों के आगे महिलाएं घूंघट निकाल कर रखती हैं। इस तरह से वो उस व्यति को अपने से सम्मान देती हैं। तो वहीं पुरुष धोती कुर्ता या कुर्ता पजामा पहनना पसंद करते हैं। इसके अलावा कुछ पुरुष सिर पर बंधेज के प्रिंट वाली सूती कपड़े की पगड़ी भी पहनते हैं। उनके लिए पगड़ी का सिर्फ सिर ढकने वली एक टोपी की तरह नहीं होती, बल्कि इज़्ज़त होती है।
राजस्थानी आभूषण
कपड़ों के बाद अब बात करते हैं राजस्थानी आभूषणों की जो ना सिर्फ राजस्थान में बल्कि अब पूरे विश्व में मशहूर हो रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आभूषण केलव महिलाएं ही पहनती हैं। राजस्थान में आपको बहुत से ऐसे लोगों के गले में सोने की चेन, हाथ में पुरुषों वाली भारी सी चूड़ी और एक कान में सोने की बाली या लौंग। इधर महिलाओं के आभूषण लोक प्रसिद्ध है। राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध और महिलाओं द्वारा सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला आभूषण है, बोरला। बोरला एक प्रकार का मांग टीका होता है जो दिखने में किसी लट्टू जैसा दिखता है। ये राजस्थान के पारंपरिक आभूषणों में से एक है। इसके अलावा महिलाएं, कमर बंद, बाजू बंद और लाख और सीप के कंगन भी पहनती हैं।
राजस्थानी लोक नृत्य
जहां बात राजस्थानी नृत्य की आती है सबसे पहले नाम आता है घूमर का। हां वही घूमर डांस जो एक फिल्म में भी किया गया था। लेकिन हकीकत में घूमर डांस इससे काफी अलग होता है जो ज्यादातर यहां कि महिलाएं ही निपुनता से कर पाती हैं। ये नृत्य देखने में भले ही आसान लगे लेकिन करने के लिए पैरों में बहुत ताकत चाहिए होती है। इसके अलावा राजस्थान का दूसरा मशहूर लोक नृत्य है कालबेलिया डांस। पारंपरिक रूप से ये राजस्थान के बंजारनों द्वारा किया जाता है। कालबेलिया नृत्य आम लोगों द्वारा नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें लोगों के मनोरंजन के लिए कई खतरनाक कर्तब भी किए जाते हैं जैसे, कीलों पर खड़े होकर नाचना, आंखों से ब्लेड उठाना और एक उंगली पर थाल घुमाना। इन सब कर्तबों के लिए महीनों के अभ्यास की ज़रूरत होती है।
राजस्थान के पारंपरिक पकवान
खाने का शौंकीन तो हर कोई होता है और अगर आपने राजस्थान आकर यहां का पारंपरिक खाना नहीं खाया तो ये बहुत अफसोस की बात होगी। राजस्थान का दाल, बाटी और चूर्मा तो देश के कोने-कोने में मशहूर है। दाल के साथ घी में डूबी गर्मागर्म बाटी और मीठे के तौर पर घी वाला गर्मागर्म चूर्मा, सोचकर ही मुंह में पानी आने लगता है। वैसे तो ये आपको आपके शहर में भी मिल जाएगा लेकिन यकीनन यहां जैसी बात और कहीं नहीं होगी।
राजस्थान के मशहूर त्योहार
त्योहार तो हर राज्य, हर शहर और हर धर्म के अच्छे होते हैं। लेकिन राजस्थान के कुछ मशहूर त्योहार, जैसे डेजर्ट महोत्सव: जैसलमेर में होने वाला डेजर्ट महोत्सव जहां अतरंगी मुकाबले आयोजित किए जाते हैं। यहां पुरुषों के बीच मूंछों का मुकाबला होता है और ऊंटों के खेल दिखाए और खेले जाते हैं। ये महोत्सव फरवरी में आयोजित किया जाता है।
राजस्थान के मशहूर ऊंट मेला:
राजस्थान के बीकानेर में आयोजित होने वाला ऊंट मेला हर साल रेगिस्तान के जहाज़ माने जाने वाले, ऊंट के सम्मान में लगता है। इस मेले में ऊंटों को किसी दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके अलावा सभी ऊंटों के बीच दौड़ लगवाई जाती है। लोगों के मनोरंजन के लिए मेले मे राजस्थानी गीत भी चलाए जाते हैं। मेले के अंत में आतिशबाजियों से पूरे आसमान को रौशन किया जाता है। बीकानेर में आयोजित होने वाला ये ऊंट मेला हर साल जनवरी में आयोजित किया जाता है।बाड़मेर जिले का मल्लिनाथ पशु मेला तिलवाड़ा और पुष्कर मेला खास हे,
राजस्थान के मशहूर त्योहार पुष्कर मेला:
पुष्कर मेला जो हर साल आयोजित किया जाता है और जिसमें तीन लाख से भी ज्यादा लोग और लगभग बीस हज़ार ऊंट, घोड़े, हाथ से बनी तरह-तरह की चीज़ें और घर सजाने की बहुत सी चीज़ों से भरी दुकानें देखने को मिलेगी। पुष्कर मेला हर साल नवंबर के महीने में पुष्कर में लगता है।
राजस्थान, भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। यहां की संस्कृति दुनिया भर में मशहूर है। राजस्थान की संस्कृति विभिन्न समुदायों और शासकों का योगदान है। आज भी जब कभी राजस्थान का नाम लिया जाए तो हमारी आखों के आगे थार रेगिस्तान, ऊंट की सवारी, घूमर और कालबेलिया नृत्य और रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान आते हैं।अपने सभ्य स्वभाव और शालीन मेहमाननवाज़ी के लिए जाना जाता है ये राज्य। चाहे स्वदेशी हो या विदेशी, यहां की संस्कृति तो किसी का भी मन चुटकियों में मोह लेगी। आखिर किसका मन नहीं करेगा रात के वक्त रेगिस्तान में आग जलाकर कालबेलिया नृत्य देखने का। जिन्होनें राजस्थान की संस्कृति का अनुभव किया है वो बहुत खुश नसीब हैं। लेकिन जो इससे अंजान हैं उन्हें हम बताएंगे इस शाही शहर की सरल लेकिन आकर्षक संस्कृति के बारे में कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जिन्हें जानने के बाद यहां आने के लिए खुद को रोक नहीं पाएंगे
राजस्थानी परिधान
जहां बात सभ्यता और सुंदरता को एक ही साथ जोड़ने की हो तो राजस्थानी कपड़ों के आगे कुछ नहीं टिकता। महिलाओं के लिए पारंपरिक राजस्थानी कपड़े काफी सभ्य, सुंदर और आरामदायक होते हैं। यहां की महिलाएं पारंपरिक घागरा, चोली और ओढ़नी (दुपट्टा)ल पहनती हैं। महिलाओं के ये कपड़े चटक रंग के होते हैं, जिनमें गोटा (बॉर्डर) लगा होता है। अपने से बड़ों के सामने और बाहरी लोगों के आगे महिलाएं घूंघट निकाल कर रखती हैं। इस तरह से वो उस व्यति को अपने से सम्मान देती हैं। तो वहीं पुरुष धोती कुर्ता या कुर्ता पजामा पहनना पसंद करते हैं। इसके अलावा कुछ पुरुष सिर पर बंधेज के प्रिंट वाली सूती कपड़े की पगड़ी भी पहनते हैं। उनके लिए पगड़ी का सिर्फ सिर ढकने वली एक टोपी की तरह नहीं होती, बल्कि इज़्ज़त होती है।
राजस्थानी आभूषण
कपड़ों के बाद अब बात करते हैं राजस्थानी आभूषणों की जो ना सिर्फ राजस्थान में बल्कि अब पूरे विश्व में मशहूर हो रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आभूषण केलव महिलाएं ही पहनती हैं। राजस्थान में आपको बहुत से ऐसे लोगों के गले में सोने की चेन, हाथ में पुरुषों वाली भारी सी चूड़ी और एक कान में सोने की बाली या लौंग। इधर महिलाओं के आभूषण लोक प्रसिद्ध है। राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध और महिलाओं द्वारा सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला आभूषण है, बोरला। बोरला एक प्रकार का मांग टीका होता है जो दिखने में किसी लट्टू जैसा दिखता है। ये राजस्थान के पारंपरिक आभूषणों में से एक है। इसके अलावा महिलाएं, कमर बंद, बाजू बंद और लाख और सीप के कंगन भी पहनती हैं।
राजस्थानी लोक नृत्य
जहां बात राजस्थानी नृत्य की आती है सबसे पहले नाम आता है घूमर का। हां वही घूमर डांस जो एक फिल्म में भी किया गया था। लेकिन हकीकत में घूमर डांस इससे काफी अलग होता है जो ज्यादातर यहां कि महिलाएं ही निपुनता से कर पाती हैं। ये नृत्य देखने में भले ही आसान लगे लेकिन करने के लिए पैरों में बहुत ताकत चाहिए होती है। इसके अलावा राजस्थान का दूसरा मशहूर लोक नृत्य है कालबेलिया डांस। पारंपरिक रूप से ये राजस्थान के बंजारनों द्वारा किया जाता है। कालबेलिया नृत्य आम लोगों द्वारा नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें लोगों के मनोरंजन के लिए कई खतरनाक कर्तब भी किए जाते हैं जैसे, कीलों पर खड़े होकर नाचना, आंखों से ब्लेड उठाना और एक उंगली पर थाल घुमाना। इन सब कर्तबों के लिए महीनों के अभ्यास की ज़रूरत होती है।
राजस्थान के पारंपरिक पकवान
खाने का शौंकीन तो हर कोई होता है और अगर आपने राजस्थान आकर यहां का पारंपरिक खाना नहीं खाया तो ये बहुत अफसोस की बात होगी। राजस्थान का दाल, बाटी और चूर्मा तो देश के कोने-कोने में मशहूर है। दाल के साथ घी में डूबी गर्मागर्म बाटी और मीठे के तौर पर घी वाला गर्मागर्म चूर्मा, सोचकर ही मुंह में पानी आने लगता है। वैसे तो ये आपको आपके शहर में भी मिल जाएगा लेकिन यकीनन यहां जैसी बात और कहीं नहीं होगी।
राजस्थान के मशहूर त्योहार
त्योहार तो हर राज्य, हर शहर और हर धर्म के अच्छे होते हैं। लेकिन राजस्थान के कुछ मशहूर त्योहार, जैसे डेजर्ट महोत्सव: जैसलमेर में होने वाला डेजर्ट महोत्सव जहां अतरंगी मुकाबले आयोजित किए जाते हैं। यहां पुरुषों के बीच मूंछों का मुकाबला होता है और ऊंटों के खेल दिखाए और खेले जाते हैं। ये महोत्सव फरवरी में आयोजित किया जाता है।
राजस्थान के मशहूर ऊंट मेला:
राजस्थान के बीकानेर में आयोजित होने वाला ऊंट मेला हर साल रेगिस्तान के जहाज़ माने जाने वाले, ऊंट के सम्मान में लगता है। इस मेले में ऊंटों को किसी दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके अलावा सभी ऊंटों के बीच दौड़ लगवाई जाती है। लोगों के मनोरंजन के लिए मेले मे राजस्थानी गीत भी चलाए जाते हैं। मेले के अंत में आतिशबाजियों से पूरे आसमान को रौशन किया जाता है। बीकानेर में आयोजित होने वाला ये ऊंट मेला हर साल जनवरी में आयोजित किया जाता है।बाड़मेर जिले का मल्लिनाथ पशु मेला तिलवाड़ा और पुष्कर मेला खास हे,
राजस्थान के मशहूर त्योहार पुष्कर मेला:
पुष्कर मेला जो हर साल आयोजित किया जाता है और जिसमें तीन लाख से भी ज्यादा लोग और लगभग बीस हज़ार ऊंट, घोड़े, हाथ से बनी तरह-तरह की चीज़ें और घर सजाने की बहुत सी चीज़ों से भरी दुकानें देखने को मिलेगी। पुष्कर मेला हर साल नवंबर के महीने में पुष्कर में लगता है।