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शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कृषि वैज्ञानिकों से किया कृषि क्षेत्र मे उत्पादकता बढ़ाने व किसानों की कठिनाइयां कम करने का आह्वान

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कृषि वैज्ञानिकों से किया कृषि क्षेत्र मे उत्पादकता बढ़ाने व किसानों की कठिनाइयां कम करने का आह्वान

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने किया आईआईएम शिलांग के कृषि विद्यार्थियों से डिजिटल संवाद

बाड़मेर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने शुक्रवार को आईआईएम शिलांग द्वारा आयोजित "हॉर्टिकल्चर सिम्पोजियम-2020" में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया। इस डिजिटल संवाद में केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कृषि विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों से कृषि क्षेत्र मे उत्पादकता बढ़ाने व किसानों की कठिनाइयां कम करने पर ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान किया।

श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि देश के वैज्ञानिकों के समक्ष आने वाले समय में बढ़ती आबादी को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने की चुनौती रहेगी। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न के मामले में भारत न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि अधिशेष उत्पादन की स्थिति में है। भारत के किसानों ने साबित किया है कि वे किसी भी कठिन चुनौती का सामना करने में सक्षम है। हमारे सामने आबादी बढ़ने की चुनौती है, वर्ष 2050 में देश की जनसंख्या 160 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि खेती क्षेत्र में बड़ा निवेश लाने के संबंध में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कृषि आधारभूत संरचना के लिए एक लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। इसके साथ ही मत्स्य पालन, पशुपालन, हर्बल खेती, मधुमक्खी पालन, फूड प्रोसेसिंग आदि सब क्षेत्रों में भारत एक बड़ी छलांग लगाए, इस बात का प्रबंध करोड़ों रू. के पैकेज के माध्यम से करने की कोशिश की है। नए सुधारों व नया निवेश आएगा तो कृषि के क्षेत्र में सभी चुनौतियों से पार पाने में सफल होंगे। नए सुधारों का फायदा भी ग्रामीण क्षेत्र को मिलेगा। कृषक सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है, जिससे निजी क्षेत्र का निवेश आने पर खेती का क्षेत्र बुलंदियों पर होगा।

अधिकाधिक छोटे किसानों को एफपीओ से जोड़ें : कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि खेती के क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए किसानों के साथ ही कृषि विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों ने बहुत अच्छा प्रयत्न किया है। आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाकर, बदलती जलवायु के अनुरूप खेती के श्रेष्ठ तरीके अपनाए जाएं। कम पानी में अधिक, गुणवत्तापूर्ण उपज की पैदावार पर ध्यान देने की जरूरत है। सभी प्रतिनिधि यह देखे कि छोटी-छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स कैसी खड़ी हो सकती है, इनमें कृषि छात्रों की भी भूमिका हो सकती है। उन्होंने नए बनने वाले 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में ज्यादा से ज्यादा छोटे किसानों को जोड़ने पर भी जोर दिया।