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गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

foto..वसुंधरा राजे शुक्रवार को दूसरी बार लेंगी मुख्यमंत्री कि शपथ। ।वसुन्धर का जीवन परिचय











वसुंधरा राजे शुक्रवार को दूसरी बार लेंगी मुख्यमंत्री कि शपथ। ।वसुन्धर का जीवन परिचय 
वसुंधरा राजे सिंधिया (जन्म- 8 मार्च, 1953 ई. मुंबई) राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव उनके साथ जुड़ा हें   हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया को राजनीति विरासत में मिली है।

प्रचंड लोकप्रियता फिर मुख्यमंत्री। । विधानसभा 2013 चुनावो में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा को प्रचंड ऐतिहासिक बहुमत मिला। 162 सीटो का चमत्कारिक आंकड़ा उनके नेतृत्व में मिला। तेरह दिसंबर को फिर वसुंधरा राजे राजस्थान कि दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेगी।
जीवन परिचय

वसुंधरा राजे सिंधिया का जन्म 8 मार्च, 1953 ई. को मुंबई में हुआ था। वसुंधरा राजे ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया और उन की पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान हैं। वसुंधरा राजे ने प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल, से प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद सोफिया महाविद्यालय, मुंबई यूनिवर्सिटी से इकॉनॉमिक्स और साइंस आनर्स से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। वसुंधरा राजे की शादी धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंतसिंह के साथ हुई थी। वसुंधरा राजे तब से हीराजस्थान से जुड़ गईं थी। वसुंधरा राजे अध्ययन, संगीत, घुड़सवारी, फ़ोटोग्राफ़ी और बागबानी की शौक़ीन हैं। विभिन्न प्रकार की महँगी साड़ियाँ पहनना और उच्च रहन-सहन वसुंधरा राजे का शौक़ है। यह रूतबा देख कर राजस्थान की जनता ही नहीं, पक्षविपक्ष के नेता विधानसभा तक में उन्हें महारानी ही कहते थे
राजनीतिक सफ़र

वसुंधरा राजे को सन् 1984 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। वसुंधरा राजे की कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफ़ादारी के चलते 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रीमंडल में वसुंधरा को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। वसुंधरा राजे को अक्टूबर, 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्माल इंडस्ट्रीज, कार्मिक एंड ट्रेनिंग, पेंशन व पेंशनर्स कल्याण, न्यूक्लियर एनर्जी विभाग एवं स्पेस विभाग का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।


वसुंधरा ने देश की राजनीति में अपनी क़ाबलियत से एक पहचान क़ायम कर ली। इसी बीच राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने से प्रदेश में किसी दमदार नेता का अभाव खटकने लगा। वसुंधरा के पुराने बैकग्राउंड को देखते हुए केंद्रीय पार्टी ने उन को राज्य इकाई का अध्यक्ष बना कर भेज दिया।
वसुंधरा राजे ने चुनावों के मद्देनज़र प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा निकाली। वसुंधरा राजे इस यात्रा के ज़रिये वे आम जनता से मिलती थीं। ख़ासतौर से वसुंधरा राजे महिलाओं को लुभाने के लिये जिस इलाके में जातीं उसी इलाके की वेशभूषा पहन कर जाती थीं। नतीजा यह हुआ कि विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे भारी बहुमत के बल पर पार्टी को सत्ता में ले आईं।1 दिसंबर, 2003 में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये 2007-2008 के बजट में शिक्षा, रोज़गार, बालविवाह प्रथा पर रोक जैसे पाँच सूत्री कार्यक्रम बनाए थे।
इस्‍तीफ़ा

देश जब 62 वॉ स्‍वाधीनता पर्व मना रहा था उस दौरान हमारे देश में लोकतंत्र की ऊँचाई एक बार फिर दिखी। ये प्रजातंत्र का ही करिश्‍मा है कि राजस्‍थान में सर्वोच्‍च पद पर आसीन रही वसुन्‍धरा राजे को आख़िरकार नेता प्रतिपक्ष से इस्‍तीफ़ा देने के लिये तैयार होना पड़ा। लेकिन इस्तीफ़ा देने वाली ये वसुंधरा पाँच साल पहले वाली केंद्र से थोपी गयीं वसुंधरा नहीं थीं। अब वसुंधरा राजे के साथ विधायकों का बहुमत था और आलाकमान की तमाम कोशिशों के बावज़ूद विधायक उनके साथ बने रहे। यानी ये कहा जा सकता है कि वसुंधरा अब एक कद्दावर नेता बन चुकी थीं और पार्टी के लिये उनसे पार पाना इतना आसान नहीं था। वसुंधरा चाहतीं तो पार्टी से बगावत करके अलग दल बनाने का हसीन ख्वाब देख सकती थीं
स्वशाक्तीकरण के प्रयास

2007 में यूएनओ द्वारा वसुंधरा को महिला के लिये स्वशाक्तीकरण के प्रयासों के लिये 'विमन टूगेदर अवार्ड' दिया गया। कुछ भी हो, वसुंधरा राजे ने हमेशा अपनी क़ाबिलियत का लोहा मनवाया और आगे बढ़ते हुए राजनीतिक विजय के झंडे गाड़े।

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

थार की शख्शियत। देखिये तस्वीरो में.... जसवंत सिंह का जीवन परिचय ....

थार की शख्शियत। देखिये तस्वीरो में.... जसवंत सिंह का जीवन परिचय ....

मालानी के लाल ने
देश को गौरवान्वित किया 












थार की शख्शियत। देखिये तस्वीरो में.... जसवंत का जीवन परिचय ....मालानी के लाल ने देश को गौरवान्वित किया 

.बाड़मेर रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर ने  बड़े और कद्दावर नेता देश और समाज की सेवा के लिए दिए हें। रामदान चौधरी और तन सिंह के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह अन्तराष्ट्रीय स्तर की राजनितिक हस्ती हें जिनका ताल्लिक बाड़मेर की मालानी धरा से हें। जसवंत सिंह को उपराष्ट्रपति पद पर उम्मीदवार घोषित करने के बाद जसवंत सिंह पुरे परिवार में खुशी की लहरथी   राष्ट्रपति पद की दाव्र्दारी तक पहुंचे जसवंत सिंह ने हालांकि सीधे तौर पर बाड़मेर से कभी चुनाव नहीं लड़ा। मगर बाड़मेर की राजनीती में  दखल रखते हें ,बाड़मेर ही नहीं राजस्थान के लोगो से असीम अपणायत इनकी खाशियत रही हें। देश के तीन बड़े पदों रक्षा ,वित् और विदेश विभाग के मंत्री रहने वाले जसवंत एक मात्र देश में नेता हें। 



जीवन परिचय -- 
जसवंत सिंह(जनवरी 3, 1938) [[दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र]] से सांसद हैं. वे राजस्थान के बाड़मेर के जसोल गांव के निवासी है और 1960 के दशक में वे भारतीय सेनामें अधिकारी थे. पंद्रह साल की उम्र में वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे. वे जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह के करीबी माने जाते हैं. जसवंत सिंह मेयो कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवास्ला के छात्र रह चुके हैं. वे मई 16, 1996 से जून 1, 1996 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री रह चुके हैं. दो साल बाद दिसंबर 5, 1998 से जुलाई 1, 2002 के दौरान वे वाजपेयी की सरकार में विदेशमंत्री बने. विदेशमंत्री के रूप में उन्होंने भारत-पाकिस्तान के कड़वे रिश्ते को सुधारने की कोशिश की. फिर साल 2002 में यशवंत सिन्हा की जगह वे एकबार फिर वित्तमंत्री बने और मई 2004 में वाजपेयी सरकार की हार तक वे वित्तमंत्री बने रहे. वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने बाजार-हितकारी सुधारों को बढ़ावा दिया. भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए वे स्वयं को उदारवादी नेता मानते थे. 2001 में उन्हें सर्वश्रेष्ट संसद का सम्मान मिला. अगस्त 19, 2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस में नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया.

करियरजसवंत सिंह भारतीय राजनीति के उन थोड़े से राजनीतिज्ञों में से हैं जिन्हें रक्षा मंत्री, वित्तमंत्री और विदेशमंत्री बनने का अवसर मिला. वे वाजपेयी सरकार में विदेशमंत्री बने, बाद में यशवंत सिन्हा की जगह उन्हें वित्तमंत्री बनाया गया.

बुधवार, 18 सितंबर 2013

राजनितिक शाख्श्यत जीवन परिचय किसानो के सच्चे हमदर्द हेमाराम चौधरी







राजनितिक शाख्श्यत जीवन परिचय किसानो के सच्चे हमदर्द हेमाराम चौधरी



श्री हेमाराम चौधरी का जीवन परिचय

बाड़मेर जिले की राजनीती में ध्रुव तारे की तरह चमके हेमाराम चौधरी ने साधारण किसान परिवार में जन्म लेकर राजनीती के शिखर तक का सफ़र तय लिया। किसानो के सच्चे हितेश हेमाराम ने राजनीती जीवन में किसानो का हित सर्वोपरि। रखा आज उनका जीवन परिचय बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक के शिकार पर कोलम में दे रहे हें।


सहज, सरल, मिलनसार व्यक्तित्व के धनि चौधरी भावुक, संवेदनशील, सह्रदय इंसान भी हैं। आपने कई आन्दोलनों का सफल नेतृत्व किया. गुढा मालानी तहसील के अकाल पीड़ित किसानों का आन्दोलन हो या शिक्षक आन्दोलन। शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर तो आपने भूख हड़ताल की। फलस्वरूप सैंकड़ों युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिली। आप राजनीतिज्ञ होने के साथ अच्छे समाज सेवी भी हैं। कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए चौधरी सदैव किसान एवं पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए समर्पित रहे हैं। आप श्री किसान छात्रावास बाड़मेर के वर्षों से उपाध्यक्ष हैं। जाट चेरिटेबल ट्रस्ट के 1999 से अध्यक्ष रहे। आपकी सहधर्मिणी भीखी देवी तीन बार बायतु भीमजी ग्राम पंचायत की निर्विरोध सरपंच रही हैं।



श्री हेमाराम चौधरी का जन्म 18 जनवरी, 1948 को बाडमेर जिले की बायतु तहसील के ग्राम बायतु भीमजी में स्वर्गीय मूलाराम चौधरी धतरवाल के परिवार में हुआ।

आपने प्रारंभिक शिक्षा गाँव में प्राप्त करने के पश्चात् बालोतरा एवं जोधपुर से जोधपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम, एल.एल.बी. तक शिक्षा अर्जित की।

वर्ष 1971 में श्री चौधरी का चवा के विख्यात अभोणी सारण परिवार की श्रीमती भीखी चौधरी के साथ विवाह हुआ। आपके एक पुत्र व एक पुत्री है। आपके पुत्र वीरेन्द्र चौधरी बीकानेर इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफ़ेसर हैं ।

वकालत प्रारंभ की

सन 1973 में आपने बाड़मेर में वकालत प्रारंभ की । युवा वकील चौधरी ने अल्प समय में ही महत्वपूर्ण फैसले करवाकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाली । उस समय के जटिल सीलिंग प्रकरण में आपने किसानों की जोरदार तरीके से पैरवी कर किसानों को न्याय दिलाया ।

राजनीती में प्रवेश

व्यवसाय से वकील एवं कृषक श्री चौधरी 1978 में हुए पंचायत चुनाओं में प्रथम बार वार्ड पञ्च बनकर राजनीति की दहलीज पर पैर रखा । आप 5 बार विधान सभा का चुनाव जीते:

श्री चौधरी वर्ष 1980 में सातवीं विधान सभा के लिए गुढामालानी क्षेत्र (बाडमेर) से सदस्य रहे।
पुन: 1985 में आठवीं विधान सभा के लिए गुढामालानी क्षेत्र से से सदस्य रहे,
1998 में 11वीं विधान सभा के लिए गुढामालानी क्षेत्र से से सदस्य रहे।
2003 में 12वीं विधान सभा के लिए गुढामालानी क्षेत्र से सदस्य रहे।
2008 में तेरहवीं विधान सभा के लिए भी आप गुढामालानी क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं।

श्री चौधरी वर्ष 1980-82 में विधान सभा की प्राक्कलन समिति के, वर्ष 1980-81 व 86-87 में अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के, वर्ष 1982-84 व 86-87 में प्राक्कलन समिति ’’क’’ के, वर्ष 1985-86 में राजकीय उपक्रम समिति के, वर्ष 1987-88 में जन लेखा समिति के सदस्य तथा वर्ष 1999-2002 में विशेषाधिकार समिति के सभापति रहे। श्री चौधरी 14 मई, 2002 से 4 दिसम्बर, 2003 तक गहलोत सरकार में परिवार कल्याण ( स्वतंत्र प्रभार), कृषि राज्यमंत्री रहे हैं।

श्री चौधरी बारहवीं राज्य विधान सभा में मार्च, 2004 तक राजकीय उपक्रम समिति के, मार्च से नवम्बर, 2004 तक पिछडे वर्ग के कल्याण संबंधी समिति के तथा नवम्बर, 2004 से 05 तक याचिका समिति के सभापति भी रहे हैं। श्री चौधरी केन्द्रीय सहकारी बैंक बाडमेर के अध्यक्ष तथा जिला कांग्रेस (आई) कमेटी के महामंत्री भी रहे हैं। आप जिला स्तर पर राज्य सरकार द्वारा गठित विभिन्न कल्याणकारी समितियों के साथ ग्राम सेवा सहकारी समिति, बायतु भीमजी के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

श्री चौधरी 12वीं राज्य विधान सभा में 23 अक्टूबर, 2007 से प्रतिपक्ष के नेता रहे।

श्री चौधरी को 19 दिसम्बर, 2008 को राजभवन में महामहिम राज्यपाल ने गहलोत मंत्रिमंडल में कबीना मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। आप राजस्व, उपनिवेशन, सैनिक कल्याण विभाग मंत्री के प्रभार में हैं ।

समाज सेवा

श्री चौधरी समाजसेवा, पिछडे व दलित वर्ग की समस्याओं के समाधान के रचनात्मक कार्यों में सदैव सक्रिय रहे हैं। आपने वर्ष 1985 में राजस्थान से भेडों के निष्क्रमण संबंधी मामलों पर उत्पन्न समस्याओं के निराकरण हेतु गठित उच्चस्तरीय समिति के सदस्य के रूप में विशिष्ट सेवाएं दी हैं।

सहज, सरल, मिलनसार व्यक्तित्व के धनि चौधरी भावुक, संवेदनशील, सह्रदय इंसान भी हैं। आपने कई आन्दोलनों का सफल नेतृत्व किया. गुढा मालानी तहसील के अकाल पीड़ित किसानों का आन्दोलन हो या शिक्षक आन्दोलन। शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर तो आपने भूख हड़ताल की। फलस्वरूप सैंकड़ों युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिली। आप राजनीतिज्ञ होने के साथ अच्छे समाज सेवी भी हैं। कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए चौधरी सदैव किसान एवं पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए समर्पित रहे हैं। आप श्री किसान छात्रावास बाड़मेर के वर्षों से उपाध्यक्ष हैं। जाट चेरिटेबल ट्रस्ट के 1999 से अध्यक्ष रहे। आपकी सहधर्मिणी भीखी देवी तीन बार बायतु भीमजी ग्राम पंचायत की निर्विरोध सरपंच रही हैं।

श्री चौधरी की समाज सेवा के साथ कबड्डी, वॉलीबाल व शतरंज आदि खेलों में विशेष अभिरूचि रही है।


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