हनुमान जी के इन 12 नामों का करें जाप, मिट जाएंगे कष्ट और सब पाप
पवनपुत्र हनुमानजी के अनेक हैं। इनमें से 12 नाम अत्यंत शुभ फलदायी माने जाते हैं। कहा भी जाता है कि श्रीराम की कृपा पाने से पहले हनुमानजी को प्रसन्न करना जरूरी है। इनके 12 नामों का स्मरण भक्त के जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाआें आैर समस्याआें का निवारण कर देता है। इस मंत्र के माध्यम से हनुमानजी की स्तुति की जाती है जिसमें उनके पवित्र नामों का स्मरण सहज ही हो जाता है। जानिए इन नामों का अर्थ आैर इनके पीछे प्रचलित कथा - हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।। उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।। एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।। तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
हनुमान- बजरंग बली का यह सबसे ज्यादा प्रसिद्घ नाम है। यह नाम उन्हें इसलिए दिया गया क्योंकि इंद्र ने क्रोधित होकर उनकी ठोडी यानी हनु पर वज्र से प्रहार कर दिया था। इस कारण उन्हें हनुमान नाम से संबोधित किया जाता है।
लक्ष्मणप्राणदाता- हनुमानजी ने भगवान राम आैर लक्ष्मण की सेवा की थी। जब रावण के बेटे इंद्रजीत ने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार कर दिया तो वे मूर्च्छित हो गए। तब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर आए आैर लक्ष्मण के प्राणों पर आया संकट टल गया। इसलिए हनुमानजी को लक्ष्मणप्राणदाता कहा जाता है।
दशग्रीवदर्पहा- आप जानते होंगे कि दशग्रीव यानी दस गर्दनों वाला रावण था। हनुमानजी ने उसका दर्प यानी घमंड चकनाचूर किया था। वे श्रीराम का संदेश लेकर लंका गए आैर वहां उन्होंने रावण का घमंड तोड़ा। इसलिए हनुमान को दशग्रीवदर्पहा कहा जाता है।
रामेष्ट- हनुमानजी भगवान श्रीराम के अतिप्रिय हैं। इसलिए उन्हें रामेष्ट भी कहा जाता है। रामायण में एेसी अनेक घटनाआें का वर्णन है जब श्रीराम कहते हैं कि उन्हें हनुमानजी अतिप्रिय हैं।
फाल्गुनसखा- हनुमानजी का उल्लेख सिर्फ रामायण में ही नहीं बल्कि महाभारत में भी आता है। उन्होंने अर्जुन की मदद की थी। अर्जुन का एक नाम फाल्गुन है। अतः हनुमानजी को फाल्गुनसखा कहा जाता है। महाभारत के युद्घ में वे सदैव अर्जुन के रथ पर विराजमान रहे।
पिंगाक्ष- इस शब्द का अर्थ है - जिसकी आंखों का रंग भूरा हो। विभिन्न ग्रंथों में किए गए हनुमानजी के वर्णन के अनुसार, उनकी आंखों का रंग भूरा है। अतः उन्हें पिंगाक्ष भी कहा जाता है।
अमितविक्रम- इस नाम का मतलब है अत्यधिक पराक्रम वाला। चूंकि हनुमानजी ने अपने बल से एेसे कार्यों को भी पूर्ण किया है जो दूसरों के लिए असंभव थे। अत्यधिक साहस आैर पराक्रम के कारण उन्हें अमितविक्रम कहा जाता है।
उदधिक्रमण- इस नाम का अर्थ है- जो समुद्र को भी पार कर सकता है। हनुमानजी जितने कुशल योद्घा थे वे उतने ही विवेकवान भी थे। उन्होंने समुद्र पार किया आैर सीता की खोज की। इसलिए उन्हें उदधिक्रमण कहा जाता है।
अंजनीसूनुः हनुमानजी मां अंजनी के पुत्र थे, इसलिए उनका एक नाम अंजनीसूनु भी है। इस नाम से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
वायुपुत्र- हनुमानजी पवनदेव के पुत्र माने जाते हैं। उनमें पवनदेव के समान उत्साह, स्फूर्ति आैर तेजी है। अतः उन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है।
महाबल- हनुमानजी में अथाह बल है। अपनी शक्ति से उन्होंने युद्घ में श्रीराम के पक्ष को प्रबल बनाया। बल के कारण ही वे संजीवनी बूटी लेकर आए। इसलिए उन्हें महाबल कहा जाता है।
सीताशोकविनाशन- जब रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया तो उनके दुख की कोर्इ सीमा नहीं रही। उनकी तलाश में श्रीराम भी वन-वन भटके। हनुमानजी ही एेसे दूत थे जो सीता आैर श्रीराम के लिए शुभ समाचार लेकर आए। इसलिए उन्हें सीताशोकविनाशन कहा जाता है।