स्वास्थ्य विभाग लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
स्वास्थ्य विभाग लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 2 जून 2020

बाडमेर भामाशाहों द्वारा दी सामग्री को खरीद बता दिया,बाडमेर स्वास्थ्य विभाग में कोरोना संक्रमण के नाम पर घोटाले की बू*

*बाडमेर भामाशाहों द्वारा दी सामग्री को खरीद बता दिया,बाडमेर स्वास्थ्य विभाग में कोरोना संक्रमण के नाम पर घोटाले की बू*

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक*

*बाडमेर कोरोना संक्रमण से आमजन को सुरक्षित रखने के लिए देश थम गया।भामाशाहों ने आगे आकर हर सम्भव मदद कर आमजन को राहत देने का प्रयास किया।ये भामाशाह ही थे जिनके बदौलत कोरोना संक्रमण से जंग लड़ रहे है।।बाडमेर में स्वास्थ्य विभाग  कोरोना संक्रमण काल मे भी हेराफेरी से बाज़ नही आया।।एक गोपनीय रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को गई है जिसमे खुलासा किया गया कि भामाशाहों द्वारा बड़ी मात्रा में स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराई सामग्री मसलन मास्क ,95 मास्क,सेनेट्राइजर,का उल्लेख   दस्तावेजों में खरीद का बताकर भुगतान उठाने का अंदेशा व्यक्त किया गया।।खुफिया रिपोर्ट में  अंदेशा व्यक्त किया है कि भामाशाहों द्वारा स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराए मास्क,सेनेट्राइज का इंद्राज दस्तावेजों में कही नहीं है।।भामाशाहों द्वारा उपलब्ध सामग्री को खरीद किया दस्तावेजों में दर्ज किया है।अगर ऐसा है तो यह एक गंभीर मामला है।यह केवल भरष्टाचार ही नही बल्कि राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है।।बाडमेर का दुर्भाग्य है कि बाडमेर के हाकिम की स्वास्थ्य विभाग पर कोई पकड़ नही है।जिसका फायदा उठाकर स्वास्थ्य विभाग के कारिंदे बेख़ौफ़ है।।करोना संक्रमन को जो विभाग हेंडल कर रहा है।जिसकी मुख्य जिम्मेदारी है वो ही गैर जिम्मेदाराना हरकते कर रहा है।।जिला कलेक्टर को प्रसंज्ञान लेकर इस मामले की प्रशासनिक जांच करवानी चाहिए कि कोविड 19 के नाम पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्या क्या कहाँ से अति आवश्यक सामग्री खरीदी गई।।स्वास्थ्य विभाग को आशा सहयोगिनियों ने भी बड़ी संख्या में मास्क बनाकर भेंट किये गए थे।जिला प्रशासन को जांच कमिटी से इसकी जांच करवानी चाहिए नहीं तो राज्य सरकार को राज्य स्तरीय विशेष टीम गठित कर बाडमेर स्वास्थ्य विभाग में कोविड 19 काल की संस्त गतिविधियों की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए। भामाशाहों द्वारा पैसा खर्च कर जनसेवा के जज़्बे से सामग्री भेंट की थी।स्वास्थ्य विभाग के कारनामो की जांच होनी चाहिए।।बाडमेर का दुर्भाग्य है कि एक दो अधिकारियों को छोड़ दमदार अधिकारी नहीं है।।जिला कलेक्टर की प्रशासन और मातहतों पर कमज़ोर पकड़ साफ नजर आ रही है।।खुफिया रिपोर्टें केंद्र और राज्य सरकारों तक पहुंच गई होगी।।राज्य सरकार कोविड काल मे स्वास्थ्य विभाग बाडमेर द्वारा किये संभावित घोटाले की जांच किस स्तर पर कराती है यह भविष्य के गर्भ में मगर जिला कलेक्टर स्थानीय प्रशासनिक अद्धिकारियो की टीम से बारीकी से जांच करवा सकते है।




सोमवार, 11 मई 2020

बाड़मेर में 2 पोजिटिव केस आये सामने ,दोनों प्रवासी

बाड़मेर में 2 पोजिटिव केस आये सामने ,दोनों प्रवासी 

  बाड़मेर  - बाड़मेर जिले के समदड़ी इलाके में दो जने कोरोना पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया ,स्वास्थ्य विभाग द्वारा समदड़ी दो लोगों के नमूने जांच के दौरा कोरोना पॉजिटिव मिले है।यह धारावी मुंबई से आये थे।  उपखण्ड के समदड़ी तहसील के एक पॉजिटिव केस मजल व एक ढिढस गांव सेे है  । दोनो हाल में मुम्बई से आए थे ।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ कमलेश चौधरी ने बताया कि इनको क़वारेनटाइन पर रखा गया है।इन दो केसो के साथ बाड़मेर जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या सात पर पहुंच गयी ,ये सभी सातो जिले से बाहर से आये थे ,एहतियात के तौर पर दोनों गाँवो को सीज कर दिया हैं ,

शनिवार, 9 मई 2020

बाडमेर 25 हजार प्रवासी संक्रमित राज्यो से आये,जांच में कंजूसी टेंशन बढ़ा सकती है।*

बाडमेर 25 हजार प्रवासी संक्रमित राज्यो से आये,जांच में कंजूसी टेंशन बढ़ा सकती है।*

*राजस्थान में सबसे कम सेम्पल बाडमेर से ,प्रतापगढ़,जालोर जैसे जिले सेम्पल भेजने में बाडमेर से आगे*


*बाडमेर पूरा देश कोरोना संक्रमण से पूरी मुस्तैदी से जंग लड़ रहा है।।वही सीमावर्ती बाडमेर जिले में स्वास्थ्य विभाग करोना संदिग्धो के नमूने जांच के लिए भेजने में कंजूसी बरत रहा है।।जिले में संक्रमित राज्यो से करीब 25 हजार प्रवासी प्रवेश कर चुके है मगर इन प्रवासियों के जांच के नमूने लेने की बजाय मात्र होम कवारेंटन कर अपने फर्ज की इति श्री स्वास्थ्य विभाग ने कर ली।।आश्चर्यजनक है कि जिला कलेक्टर ने भी इस तरफ गौर नहीं किया।।जबकि कुछ रोज  गुजरात महाराष्ट्र से पहुंचे प्रवासियों में तीन व्यक्ति पॉजिटिव आ चुके है।।इनके पॉजिटिव होने का पता इनके इलाज कराने गुजरात और जोधपुर जाने पर हुई जांच में खुलासा हुआ।जबकि बाडमेर स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन लोगो की न स्क्रीनिंग की गई न ही इनके नमूने जांच के लिए भेजे गए।।25 हजार प्रवासी अधिकृत परमिशन से आये है जबकि बहुत से प्रवासी चोरी छिपे अपने गांवो तक पहुंच चुके है।।ऐसे मामलों में भी संक्रमण फैलाव को आशंका बनी हुई है।स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ही है कि चेक पोस्टों पर प्रवासियों के प्रवेश के साथ होंम आईसोलेसन के निर्देश दे दिए जाते है।संदिग्धो के नमूने जांच के लिए भेजने में कौताही बरती जा रही है।जिसका विपरीत असर आने वाले दिनों में बाडमेर में देखने को मिलेगा।।अब तक बाडमेर से मात्र 434 सेम्पल जांच के लिए भेजे गए।।जबकि बाडमेर से अपेक्षाकृत कम आबादी वाले जेसलमेर से 2404,जालोर से 641,पाली से 978,प्रतापगढ़ से 567 नमूने जांच के लिए भेजे।।जबकि बाडमेर से बेहद कम नमूने जांच के लिए भेजने के पीछे कोई कारण नही दिखता।।जबकि 25 हजार से अधिक लोग संक्रमित राज्यो गुजरात और महाराष्ट्र से जिले में आ चुके है।इनके प्रवेश के साथ जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या में एकाएक इजाफा हो गया।।बाडमेर में अब तक जयपुर, जोधपुर और गुजरात से एक एक और महाराष्ट्र से दो कोरोना पॉजिटिव आ चुके है।इसके बावजूद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग संदिग्धो के नमूनों की जांच में कौताही बरत रहे जबकि अब कोरोना की जांच बाडमेर मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज में हो रही है।।

इधर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ कमलेश चौधरी ने कम सेम्पलिंग को लेकर बताया कि अब तक जिले में 679 नमूने जांच के लिए भेजे गए है।।सरकार के निर्देशानुसार ही सेम्पल कम ज्यादा लिए जाते है।।जो टारगेट दिए है उसी अनुरूप सेम्पलिंग हो रही है।।रेड जोन से आने वाले प्रवासियों के जांच के नमूने लिए है।।जिले में करोना पॉजिटव केस के हिसाब से नमूने लेने होते है।।जिले में केस कम है।।कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र से भी नमूने लिए है।।पॉजिटव केसों के ट्रेवल हिस्ट्री के आधार पर भी सेम्पलिंग हुई है।।अब तो जो नमूने लिए है उनमें नब्बे फीसदी प्रवासियों के है।।

गुरुवार, 25 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी। । मुख्यमंत्री निशुल्क जाँच योजना में कार्मिको की भर्ती में हुई थी धांधली


बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी। । मुख्यमंत्री निशुल्क जाँच योजना में कार्मिको की भर्ती में हुई थी धांधली

बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अंधेरगर्दी का आलम हे ,अधिकारियो पर कार्मिक हावी हे जो भरष्टाचार के जरिये विभाग को खोखला बनाने में जूता हैं। गत वर्ष राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के तहत एक संता के माध्यम से लगाये गए कार्मिको की भर्ती में जैम कर फर्जीवाड़ा किया गया था ,


मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने तत्काल चिकितसलयो में लेब टेक्नीशियन ,रेडिओग्राफर ,जी इन एम ,ए इन एम सहित कई पदो पर भर्ती के आदेश दिए थे ,जिसके तहत जालोर की एक संस्था जो विभाग के एक कार्मिक के रिश्तेदार की थी को काम दिया गया ,उक्त संस्थाको कार्मिको की भर्ती अनुबंध आधार पर करनी थी ,

संस्था द्वारा विभागीय कार्मिको को ओब्लाइज करने के उद्देश्य से गैर योग्यताधारियों को नियुक्त कर दिया ,जिन लोगो ने आवेदन किया था उनके दस्तावेजो की जांच किसी स्तर पर करने की बजाय सीधे नियुक्ति आदेश थमा दिए ,इन कार्मिको से संस्था पन्द्र फीसदी सुविधा शुल्क भी वसूल कर रही थी ,जिसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लिखित में देने के बाद भी संस्था के कार्यवाही नहीं हुई ,कार्मिको की बिना योग्यता फर्जी दस्तावेजो के आधार पर नियुक्ति की पोल तब खुली जब बाड़मेर के रानीगाँव में एक रेडिओग्राफर की नियुक्ति की गयी ,इस नियुक्त रेडियोग्राफर की ग्रामीणो द्वारा शिकायत की गयी की यह रिडिओग्राफर पद पर कार्य करने वाला वास्तव में दशवी कक्षा भी पास नहीं कर पाया कभी ,ग्रामीणो ने दशवी फेल के दस्तावेज तक प्रस्तुत कर दिए थे ,इसी तरह जिले में फर्जी दस्तावेज के आधार पर लेब टेक्नीशियनों रेडिओग्राफर ,जी इन एम और ए इन एम की भारतीय की गयी ,




इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री को ग्रुप फॉर पीपुल्स के कार्यकर्ताओ में मुख्यमंत्री को पात्र भेज कर मुख्य मंत्री निशुल्क जांच योजना के दौरान अनुबंध पर लगे गए तकनिकी कार्मिको के दस्तावेजो की जांच की मांग की हैं।




सूत्रों ने बताया फर्जी दस्तावेज उपलब्ध करने के लिए बाड़मेर में एक गिरोह सक्रीय हे जिनकी विभागीय कार्मिको से मिलीभगत हैं ,मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना की भर्ती प्रक्रिया की पूर्ण जांच की जाए तो बहुत बड़ी साज़िश सामने आ सकती हैं

बुधवार, 24 सितंबर 2014

बाड़मेर आखिर प्लेसमेंट एजेंसी को काम से क्यों रोका ?शिविर बंद किये।

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग खबरों  से घबराए। .

बाड़मेर आखिर प्लेसमेंट एजेंसी को काम से क्यों रोका ?शिविर बंद किये।

बाड़मेर जिले के स्वास्थ्य विभाग में फैले भरष्टाचार की www.bmrnewstrack.blogspot.com में प्रकाशित सिलसिलेवार खबरों के बाद जयपुर से आई विशेष जांच से खौफ खाए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने आनन फानन में नए कार्य रोक दिए ,जिसमे आशा सहयोगिनी प्रशिक्षण और प्लेसमेंट एजेंसी का काम प्रमुख हैं.

 आशा सहयोगिनी प्रशिक्षण शिविरो में धांधलेबाजी की खबर    www.bmrnewstrack.blogspot.com में प्रकाशित होने के बाद प्रशिक्षण शिविर जो विभागीय कार्मिक के घर संचालित किया जा रहा था को तत्काल बंद कर दिया ,जबकि विभागीय अधिकारियो ने दावा  किया था कि  प्रशिक्षण नियमानुसार चल रहा हैं ,सवाल उठता हे की यदि प्रशिक्षण शिविरो में कोई भरष्टाचार नहीं था तो उसे बिना कोई पूर्व सूचना के बंद क्यों किया ,सम्बंधित अधिकारी का कहना हे की यूँही बंद कर दिया। सरकारी योजना का काम यूँही बीच में बंद करने से विभागीय कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए ,हैं प्रशिक्षण बंद कर अधिकारी भरष्टाचार पर पर्दा डालने का असफल प्रयास कर रहे हैं ,

जानकारी के अनुसार इसी तरह प्लेसमेंट एजेंसी को गलत तरीके से करोडो का कार्य आवंटन भी विभाग ने रोक दिया ,विभाग द्वारा  यह कार्य बालोतरा की एक संस्था को स्थानीय सांसद की अनुसंशा पर नियमो को ताक में रख कर दिया था ,जबकि इस प्लेसमेंट एजेंसी का रोजगार निदेशालय में पंजीयन 2010 को समाप्त हो चूका था ,जबकि विभागीय अधिकारियो ने नियम कायदे ताक  पर रख  एजेंसी को काम आवंटित कर दिया था ,समाचार प्रकाशन के तुरंत बाद विभाग द्वारा प्लेसमेंट एजेंसी के मूल दस्तावेज मांगे थे जो विभाग को उपलब्ध नहीं कराये गए ,विभाग ने एजेंसी को फ़िलहाल कार्य करने से रोक दिया हैं।

इधर विभाग पर उंगलिया उठ रही हैं की निविदा के समय विभाग द्वारा समस्त दस्तावेज एजेंसियों से पूर्व में ही ले लिए गए थे ,जबकि यह एजेंसी पिछले तीन सालो से विभाग में कार्मिको की मिलीभगत से नियम विरुद्ध कार्य कर रही थी ,गत वर्ष प्लेसमेंट एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराये कार्मिको ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से प्लेसमेंट एजेंसी की शिकायत की थी कि रोजगार के बदले एजेंसी उन्हें मिलने वाले मानदेय में से दो दो हज़ार रुपये सुविधा शुल्क के कटती हे जिस पर एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही भी प्रस्तावित की थी मगर बाद में कार्मिको की मिलीभगत से मामले को दबा दिया गया ,इस बार फिर इसी एजेंसी को राजनैतिक दबाव में कार्य आवंटित कर दिया ,अब जबकि जयपुर निदेशालय द्वारा जांच शुरू की जा चुकी हे विभाग ने आनन फानन में कार्य रोक दिए ,

सवाल उठता हे की जब कार्यो में भरष्टाचार नहीं हुआ तो कार्य तत्काल क्यों रोके गए ,इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए  


शनिवार, 20 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी भाग 5 निशुल्क दवा योजना में स्टोरकीपर द्वारा की खरीद की जांच ठन्डे बस्ते में क्यों ?



बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेराफेरी भाग 5


निशुल्क दवा योजना में स्टोरकीपर द्वारा की खरीद की जांच ठन्डे बस्ते में क्यों ?


बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर में भरस्टाचार की जड़े गहरी होती जा रही हे। आठ माह पूर्व निःशुल्क दवा योजना में विभाग के स्टोरकीपर द्वारा दवा खरीद में की गयी अनियमितताओं के मामले की जांच के आदेश तत्कालीन प्रबंध निदेशक ,आर एम एस सी एवं पदेन संयुक्त शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग विभाग डॉ समित शर्मा ने स्थानीय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए थे मगर अधिकारी ने राजनितिक दबाव के चलते जांच को ठन्डे बस्ते में डाल दिया।


निशुल्क दवा योजना के जिला परियोजना समन्वयक डॉ बी एस गहलोत ने प्रबंध निदेशक जयपुर को अधिकृत पत्र क्रमांक ddw /2013 /307 दिनांक 19 /11 /2013 को लिख सनसनी खेज खुलासा करते हुए बताया की की जिला अौषध भंडार में कुछ दवाईयां की भंडार में पूर्ण और अधिकता में उपलब्धता के बावजूद स्थानीय कार्यालय द्वारा स्थानीय स्तर पर क्रय कर चिकित्सा संस्थानों को उनकी जानकारी के बिना भिजवा दी जिसके कारन चिकित्सा संस्थान दवाईयो की मांग नहीं कर रहे जिसके चलते भंडार में में उपलब्ध दवाईया अवधि पार हो रही हे। ऐसी दवाईया बड़ी मात्रा में उपलब्ध हे ,उन्होंने स्पष्ट लिखा की इस अनियमित खरीद में मुख्य चिकित्सा विभाग के स्टोरकीपर द्वारा सारे नियम ताक में रख खरीद की गयी हे।


परियोजना समन्वयक ने लिखा था की उनके द्वारा चिकित्सा संस्थानों में किये निरिक्षण से इस अनियमित खरीद का खुलासा हुआउङ्के द्वारा सिनधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरिक्षण करने पर उन्हें वहा dompreridone 10mg diclofine gel nifedipine और cotrimoxazole मिली जो औषध भंडार से नहीं भेजी गयी। यह दवाईया भंडार में उपलब्ध होने के बावजूद बाज़ार से क्रय की गयी थी। उन्होंने निदेशक से पुरे मामले की जांच के लिए लिखा था। जिस पर तत्कालीन प्रबंध निदेशक समित शर्मा में अपने पत्र क्रमांक 6303/21/11/2013 के तहत विभागीय अधिकारियो को लिखा की यह मामला बहुत गंभीर हे। इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बाड़मेर से लेकर तत्काल कार्यवाही करे।

प्रबंध निदेशक के आदेश के बावजूद स्टोरकीपर के खिलाफ ना कोई जांच हुई न ही कार्यवाही। इससे विभाग में फेली भरष्टाचार पर उंगली उठाना स्वाभाविक हें।

प्रश्न यह उठता हे की औषध भंडार में दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्टोरकीपर ने जिला परिजोयाजना समन्वयक को अँधेरे में रख लाखो रुपयों की दवाईयों की खरीद खुले बाज़ार से क्यों की ।इनके उपलब्ध दवाइयां खरीदने से भंडार में उपलब्ध दवाईयों की मांग ना आने से लाखो रुपयों की दवाईया अवधिपार हो गयी। जिसके जिम्मेदार कौन हे। स्वास्थ्य विभाग की अंधेरगर्दी का यह आलम हे की विभाग में क्या कुछ हो रहा हे उसकी जानकारी तक चिकित्सा अधिकारी को नहीं हे।

स्वास्थ्य विभाग में घोटाले दर घोटाले हो रहे हें ।खुद विभाग जे अधिकारी हैरान हे की उनके द्वारा राज्य सरकार को लिखे जाने के बाद भी कार्यवाही नहीं होती।

शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेरा फेरी भाग चार,मलाईदार पोस्टो पर कमाऊपूतो की प्रतिनियुक्तियां


बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेरा फेरी भाग चार

मलाईदार पोस्टो पर कमाऊपूतो की प्रतिनियुक्तियां ,सरकार के आदेश के बाद भी जमे हे


बाड़मेर जिले के स्वास्थ्य विभाग के कुँए में भरषटाचार की पड़ी भांग के मज़े हर कोई ले रहा हैं ,विभाग के अधिकारी और कार्मिक विभाग में उन सभी पदो पर अपने व्यक्ति प्रतिनियुक्ति पर लगा रखे हैं जिन शाखाओ में सर्वाधिक बजट आता हैं ,अधिकारियो ने मलाईदार पदो पर कमाऊपूतो को प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा हैं ताकि उनका अपना हिसा मंथली के रूप में नियमित मिलता रहे ,चूँकि प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकांस कार्मिक अधिकरियों के चहेते कार्मिक लगे हुए हे जिनका पदस्थापन ग्रामीण क्षेत्रो में हैं।


सूत्रानुसार स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियो ने अपने चहेते लोगो को पद के विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा हैं ,प्रतिनियुक्ति पर लगे करीब तरह कार्मिको के पास मलाईदार शाखाओ का प्रभारी बनाया हुआ हैं ,जबकि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर विभाग में समस्त प्रकार की प्रतिनियुक्ति तत्काल समाप्त करने के आदेश जारी किये थे मगर राज्य सरकार के आदेशो को ठेंगा दिखाते हुए अधिकारियो ने एक भी कार्मिक को उसके मूल पदस्थापना स्थल पर नहीं भेजा ,विभागीय सूत्रों ने बताया राज्य सरकार द्वारा समय समय पर प्रतिनियुक्ति की सूचनाऍ मांगी जाती हे जिसमे विभाग द्वारा निल शून्य की रिपोर्ट भेजी जा रही हैं ,


चूँकि विभाग के कार्मिक सरकारी जंवाई होने के साथ ठेकेदारी का फर्ज भी निभा रहे हैं इसी के चलते अधिकारी अपने चहेते कमाऊपूतों को हटाना नहीं चाहते ,अंधेरगर्दी के आलम में स्वास्थ्य की ग्रामीण सेवाए बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं ,कर स्वास्थ्य केन्द्रो पर इन प्रतिनियुक्तियो के कारन ताले लगे हे ,इसके बावजूद प्रतिनियुक्ति ख़त्म नहीं की जा रही। विभाग द्वारा आदेश क्रमांक संस्था /अराज /12 /11977 के तहत प्रतिनियुक्ति पर लगे चौदह कार्मिको की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने के आदेश जारी किये थे मगर इनमे से कोई कार्यमुक्त नहीं हुआ ,ये लोग आज भी यथावत प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर , तरह आर सी एच ओ और परिवार कल्याण विभाग में भी बड़ी संख्या में प्रतिनियुक्ति कर राखी हैं ,आश्चर्यजनक के की विभाग ने राज्य सरकार को यह लिख भेजा की विभाग में कोई प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत नहीं हैं ,जबकि विभाग में आज भी प्रतिनियुक्ति पर कार्मिक काम कर रहे हैं। सूत्रानुसार प्रतिनियुक्ति पर वर्षो से जमे कार्मिक अपने मूल पद स्थापन स्थान पात्र नहीं जा रहे। ग्रामीण अंचलो के स्वास्थ्य और उप स्वास्थ्य केन्द्रो पर इन कार्मिक की प्रतिनियुक्ति के कारन मूल कार्य बाधित हो रहा हैं ,