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मंगलवार, 23 जून 2020

बाड़मेर,पाकिस्तान का जीरो लाइन स्टेशन बदला मारवी के नाम से पाकिस्तान के सिंध प्रान्त की अमर प्रेम कथा की नायिका के नाम पै रखा स्टेशन का नाम मारवी

बाड़मेर,पाकिस्तान का जीरो लाइन स्टेशन बदला मारवी के नाम से 

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त की अमर प्रेम कथा की नायिका के नाम पै  रखा स्टेशन का नाम मारवी 

बाड़मेर भारत पाकिस्तान के मध्य संचालित होने वाली थार एक्सप्रेस हालाँकि अभी लम्बे समय से बंद हैं ,बाड़मेर के मुनाबाव और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के खोखरापार के मध्य चलने वाली थार एक्सप्रेस दोनों देशो के अवाम  जोड़ने वाली अहम साप्ताहिक अंतराष्ट्रीय रेल थी ,पश्चिमी राजस्थान और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के मध्य रोटी बेटी का रिश्ता आज भी कायम हैं ,गत साल थार एक्सप्रेस को कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद बंद कर दिया था ,बाड़मेर के मुनाबाव रेलवे स्टेशन से महज डेढ़ किलोमीटर तारबंदी के पार पाकिस्तान ने जीरो लाइन पर अपना पहला रेलवे स्टेशन बनाया था ,इसी स्टेशन पर भारत से जाने वाले यात्रियों के दस्तावेजों जाँच ,एमिग्रेशन ,आदि इसी स्टेशन पर होता हैं ,पाकिस्तान रेल वे ने इस दौरान इस जीरो लाइन रेलवे  बदल मारवी कर दिया,मारवी सिंध की अमर प्रेम कथा उमर मारवी की हैं ,सिंध की यह प्रेम कथा बेहद लोकप्रिय हैं ,

प्रेमकथा पर सिंधी में बनी फिल्म, मार्च 1956 में हुई थी रिलीज

उमर-मारवी की प्रेमकथा पर पाकिस्तानी फिल्म 12 मार्च 1956 को रिलीज हुई थी। यह वहां बनी पहली सिंधी फिल्म थी। मारवी का संबंध थार के खानाबदोश कबीले से था। इस पूरे किस्से को शाह अब्दुल लतीफ ने शायरी का विषय बनाया और मारवी को देशप्रेम और अपने लोगों से मोहब्बत की मिसाल बनाकर पेश किया है। पाकिस्तान में मारवी को अब भी प्रेम और सच्चाई की पहचान के रूप में जाना जाता है।

रेलवे स्टेशन के नामकरण के पीछे की कहानी

सिंध में उमर-मारवी की प्रेमकथा काफी प्रचलित है। मारवी को प्यार का प्रतीक माना जाता है। एक समय सिंध के अमरकोट में उमर सुमरो का शासन था। वहीं गांव में एक चरवाहा रहता था। उसकी मारवी नाम की बेटी थी। उसने मारवी का विवाह बचपन में ही खेतसेन से तय कर दिया था। युवावस्था में संपन्न किसान फोगसेन शादी के लिए दबाव डालने लगा।

किसान ने इनकार किया तो वह बादशाह के दरबार में पहुंचा और मारवी के सौंदर्य का बखान किया। बादशाह खुद मारवी को चाहने लगा, मगर मारवी कभी तैयार नहीं हुई। उसने मारवी को एक साल अमरकोट के किले में कैद रखा। अंतत: मारवी की शादी खेतसेन से की गई।

खेतसेन उसे शक की निगाह से देखता था। जब बादशाह को यह पता चला तो वह मारवी के गांव आया और अग्नि परीक्षा दी। इसमें वह बेगुनाह साबित हुए। मारवी गांव में खेतसेन के साथ रही और बादशाह अपने शहर अमरकोट लौट गया।